Friday, 2 June 2017

बिहार टॉपर स्‍कैम:बारे सरकारी शिक्षा विभाग ! ऐसे बेईमानों को भी सैलरी देती है सरकार !

    अपने पिता की कमाई से सैलरी देनी हो तो ऐसे अधिकारियों कर्मचारियों शिक्षकों  को कौन सैलरी दे देगा जो न पढ़े हों न पढ़ा पाते हों न परीक्षा ले पाते हों न कापियाँ जाँच पाते हों !फोकट में टॉपर पर टॉपर करते ज रहे हों अपनी तो भद्द पिटवाते ही हैं सरकार की भी भद्द पिटवा रहे हों !
     बिहार टॉपर स्‍कैम: इस 'म्‍यूजिक ब्‍वॉय' के मैजिक से याद आई 'प्रोडिकल गर्ल' रूबी ! किंतु इसमें छात्रों का मजाक उड़ाना ठीक नहीं है ऐसे लोगों को टॉपर बनाने वाली सरकारी मशीनरी  में सम्मिलित अधिकारी कर्मचारी कुछ पढ़े लिखे हैं ही नहीं सोर्स और घूस के बल पर नौकरी पाए हैं !मजा तो तब आएगा जब उन अधिकारियों कर्मचारियों शिक्षकों की परीक्षा ले ली जाए ईमानदारी से और काँपियाँ जाँच दी जाएँ ईमानदारी से तो इतने चौकाने वाले परिणाम सामने आएँगे कि उन परिणामों के आधार पर  छाटणी कर दी जाए और नै नियुक्तियाँ की जाएँ तो देश के बेरोजगारों के बहुत बड़े ईमानदार शिक्षित वर्ग को रोजी रोटी मुहैया करवा सकती है सरकार !इतने कामचोर भ्रष्ट लोग भरे हैं सरकारी शिक्षा विभाग में !सबसे पहले ऐसे बेईमानों की खोज होनी चाहिए जो देश का बचपन बर्बाद कर रहे हैं जिनकी आवारागर्दी के कारण बच्चे अपराधी बन रहे असहन शील बन रहे हत्या या आत्म हत्या करने पर आमादा हैं बड़ों का सम्मान नहीं छोटों से स्नेह नहीं आखिर ये कैसी शिक्षा ! 
कुल  मिलाकर देश को अपराध के गर्त में झोंकने का सम्पूर्ण श्रेय केवल शिक्षा से जुड़े अधिकारियों कर्मचारियों और शिक्षकों को दिया जाना चाहिए !
     

शिक्षा व्यवस्था के साथ गद्दारी करने वालों को सैलरी दी जाती है देशवासियों के खून पसीने की कमाई से !

       नक़ल करवाने में लगी है जो सरकारी मशीनरी   उन पर भी सैलरी उड़ेल रही है सरकार बारी उदारता !एक ओर गरीबों ग्रामीणों मजदूरों किसानों का संघर्ष पूर्ण मुसीबतों भरा जीवन तो दूसरी ओर शिक्षा व्यवस्था के  साथ गद्दारी करने वाले नक़ल करवाने वालों का सुख सुविधापूर्ण जीवन ! सच कहें तो शिक्षा कर्म से जुड़े अधिकारियों कर्मचारियों की घिनौनी करतूतें देखकर अब तो शिक्षा व्यवस्था से ही घृणा होने लगी है अब तो किसी को बताने में भी शर्म  लगने लगी है कि मैंने भी चार विषय से MA किया है !आप स्वयं देखिए -see more.... http://aajtak.intoday.in/karyakram/video/special-report-24th-march-over-ayodhya-and-ram-mandir-1-919535.html

    नक़ल रोकने के लिए जिम्मेदार लोगों ने पूरी ताकत झोंक रखी है नक़ल करवाने में !बारे सरकारी काम काज की शैली !इतनी गद्दारी करते हैं सरकार के अपने लोग इसके बाद भी सरकार उन्हें देती है सैलरी ये सरकार के हिम्मत की बात है किंतु सैलरी जनता की कमाई से देनी होती है इसमें सरकारों का मोह कैसा !
        काम करने के नाम पर गद्दारी करने की सैलरी उठा रहे हैं बहुत लोग !सरकार ख़ुशी ख़ुशी देती जा रही है उन्हें भारी भरकम सैलरी !जितनी सैलरी में आम मार्केट में तीन से चार शिक्षक मिल जाएँ वो भी पढ़े लिखे परिश्रम करने वाले ईमानदार लोग किंतु उतनी सैलरी सरकार अपने एक एक शिक्षक को देती है फिर भी वे लोग यदि शिक्षा व्यवस्था के साथ गद्दारी कामचोरी मक्कारी बेईमानी आदि करने लगें तो दोष सरकार का नहीं तो किसका है !
      सरकारी कर्मचारियों से काम लेना जब सरकार के बश का है ही नहीं और न ले पा रही है फिर उन्हें क्यों दे रही है सैलरी और जनता से क्यों लेती है टैक्स !भ्रष्टाचार मुक्त ईमानदार सेवाएँ उपलब्ध करवाना सरकार की जिम्मेदारी है !इसमें सरकारी कर्मचारी यदि सरकार का साथ नहीं देते हैं तो ये समस्या सरकार के अपने परिवार की है किन्तु सरकार यदि जनता से टैक्स लेती है तो सरकार की सेवाओं के प्रति दिनोंदिन मरते जा रहे जनता के विश्वास को जिन्दा करना सरकार का धर्म है और स्वधर्म का पालन करे सरकार !
    शिक्षाअधिकारी प्रेंसिपल शिक्षक और पुलिस विभाग से संबंधित जो लोग गद्दारी कर रहे हैं छात्रों के भविष्य के साथ उनसे शक्तिपूर्वक निपटे सरकार !सरकारों के भ्रष्टाचार की पोल न खोल दें केवल इसलिए सैलरी लुटाई जा रही है उन्हें !सरकार आगे से आगे बढ़ाती जाती है उनकी भी सैलरी ! उन्हें भी न केवल सारी सुविधाएँ दी जाती हैं अपितु छींकने खाँसने नहाने धोने आदि हर काम की छुट्टी भी देती है सरकार !
    इसमें सरकार के पिता जी का जाता क्या है सैलरी तो जनता की जेब से जाती है वाहा वाही सरकार की होती है छुट्टियों पर छुट्टियाँ घोषित करना कामचोरी को प्रोत्साहित करना नहीं तो क्या है ?
     इन्हें सैलरी नक़ल कराने के लिए दी जाती है क्या ?
      शिक्षक ,प्रेंसिपल और शिक्षाअधिकारी हों या पुलिस विभाग !बच्चों के भविष्य के साथ गद्दारी कर रही है भ्रष्ट सरकारी मशीनरी ! ऐसे लोगों को भी सरकार न केवल सैलरी आदि सारी सुविधाएँ देती जा रही है अपितु इन भ्रष्टाचारियों की भी सैलरी बढ़ाती जा रही है!ये सैलरी देश वासियों के खून पसीने की गाढ़ी कमाई से प्राप्त टैक्स से देती है सरकार !ये नहीं भूला जाना चाहिए । 
        गरीबों ग्रामीणों मजदूरों किसानों की ओर देखो दिन रात शर्दी गर्मी हमेंशा कर्तव्य पालन में लगे रहते हैं कितना संघर्ष पूर्ण मुसीबत की जिंदगी जीते हैं वे लोग !इनमें बहुत बड़ा वर्ग अच्छे खासे पढ़े लिखे लोगों का है जिनके पास घूस देने के पैसे नहीं थे सोर्स लगाने के लिए दलाल नहीं थे इसलिए उनकी सरकारी नौकरी नहीं लग पाई वे भी बेचारे पढ़े लिखे होनहार लोग आज मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करने पर मजबूर हैं !दूसरी ओर सरकारें सरकारी विभागों में बैठे गद्दारों मक्कारों कामचोरों बेईमानों को भी सैलरी बाँटे जा रही हैं जो सरकार से भारी भरकम सैलरी लेकर भी अपराधियों और शिक्षा माफियाओं का साथ देते देखे जाते हैं शिक्षा से जुड़े लोग शिक्षा विभाग चौपट करने पर लगे हुए हैं चिकित्सा से जुड़े लोग चिकित्सा विभाग चौपट कर रहे हैं किंतु इन विभागों से जुड़े अधिकारियों के चेहरों पर जिम्मेदारियों का जरा सा एहसास नहीं दिखाई देता है और न ही उनकी कोई भूमिका ही समझ में आती है सरकारी विभागों में एक एकांत कमरा रूपी कोप भवन बना दिया जाता है जहाँ वातानुकीलित वातावरण में समय पास किया करता है भूमिका विहीन ये वर्ग !
      किसान भी अपने खेतों की ओर चक्कर मारने जाते हैं किंतु अधिकारी आफिसों में आराम करते हैं उन्हें उनके विभाग की लापरवाहियाँ मीडिया वाले बताते हैं तब वो बड़े आराम से कह रहे होते हैं मैंने जाँच के आदेश दे दिए हैं रिपोर्ट मँगवाई है दोषियों पर कठोर कार्यवाही होगी किंतु सोचने वाली बात है कि जिनका अधिकारी इतना आलसी हो उसके कर्मचारी कितने सक्रिय और ईमानदार होंगे कल्पना की जा सकती है ! जाँच करने वालों में भी सम्मिलित लोग वे ही होते हैं जो वहाँ उन शिक्षा माफियाओं की मदद कर रहे होते हैं ऐसी परिस्थिति में रिपोर्टें बिलकुल ओके आती हैं न कोई अपराध और न कोई अपराधी !कैमरे झूठ वीडियो गलत !सबजगह रामराज्य !
    खेती के मामलों में भ्रष्टाचार करने वाले लेखपाल से ही उसी से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले की मँगवाई जाती है जाँच रिपोर्ट !सरकार के हर विभाग का यही हाल है !सरकारी विभागों का शोषितों पीड़ितों के साथ जाँच नाम का ये इतना भद्दा मजाक है जैसा छोटे छोटे बच्चे अपनी हँसी मजाक के खेलों में भी नहीं खेलते हैं ।इसीलिए सरकारी कामकाज की शैली से उठता जा रहा है जनता का विश्वास ! 
          शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े ईमानदार लोगों का सर शर्म से झुक जाता होगा जब वे देखते होंगे नक़ल करवाने वाले शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों की ऐसी कुकार्यशैली उनकी पीड़ा का एहसास हमें है उनसे क्षमा याचना के साथ मुझे कठोर शब्दों का प्रयोग करना पड़ रहा है !


No comments:

Post a Comment