किसान तो देश का पेट भरते हैं किंतु इन्हें नहीं अपितु कामचोर आलसियों को भारी भरकम सैलरी देती है सरकार !देश का पेट भरने वाले किसानों को सैलरी देने में दम निकलती है क्यों ?उन्हें भी सैलरी दे न ज्यादा तो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के बराबर ही दे !सरकारी कर्मचारी कुछ करें न करें सैलरी तो उन्हें भी दी जाती है किसान तो करते हैं ये बात पक्की है फिर उन्हें सैलरी देने में किस बात का संकोच !
अधिकारी लोग रौब दिखाने के अलावा जन सेवा के किस काम आते हैं सारे काम बिगड़े ही उनकी लापरवाही के कारण हैं फिर भी सरकार उनकी सैलरी बढ़ाए जा रही है किसानों की ओर किसी का ध्यान ही नहीं है !तभी तो किसान आत्म हत्या करते हैं !सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों को फोकट की सैलरी उठाते देखते हैं उनकी सुख सविधाएँ देखते हैं उनका वर्क लोड देखते हैं दूसरी ओर अपनी परिस्थितियाँ देखते हैं सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों और किसानों मजदूरों की आमदनी के अनुपात में इतना बड़ा अंतर !उन्हें इस देश के आजाद होने का क्या सुख मिला !आधे पेट तो वो परतंत्रता के दिनों में भी रह लेते थे !अन्नदाता किसान की इतनी उपेक्षा !
जो अधिकारी कर्मचारी खुद पढ़े नहीं तो पढ़ा कैसे सकते हैं परीक्षा कैसे ले सकते हैं कॉपी कैसे जाँच लेंगे !सरकार के पास सैलरी इतनी इफरात है इसलिए ऐसे लोगों कोदे रही है अपनी जेब से देना होता तो शायद ही दे पाते !टॉपर बनाने के लिए वो डगर चलते लोगों को पकड़ पकड़ कर टॉपर बनाते जा रहे हैं वो जिसे पा रहे हैं उसे टॉपर घोषित कर दे रहे हैं पीछा साल भी तो यही हुआ था !इसमें गलती सरकार की है ऐसे लोगों को डिग्री बाँटने की जिम्मेदारी ही क्यों दे रखी है जिन्हें अकल ही नहीं हैं !बंदरों के हाथ माचिस पकड़ाई जाएगी तो यही होगा !घूस और सोर्स के बल पर नौकरियाँ पाने वाले लोगों के काम में क्वालिटी की उम्मींद नहीं कीजानी चाहिए !
जिस छात्र ने 1990 से उसने गलतियाँ कीं तो उसे तबसे अब तक न पकड़ पाने वाले अधिकारी कर्मचारी 101 प्रतिशत दोषी हैं ऐसे लोगों को सैलरी देने वाली सरकार1001 प्रतिशत दोषी है जिसने ऐसे गैरज़िम्मेदारों कामचोरों की फौज इकट्ठी कर रखी है आजादी के बाद से लेकर अभी तक पूरे देश में यही चल रहा है !
जिन आलसी अधिकारियों कर्मचारियों को तुरंत कार्यमुक्त करने की जरूरत है उचित तो है कि उन्हें अब तक दी गई सैलरी भी वसूली जाए किंतु दुर्भाग्य कि ऐसे लोगों पर से जनता का ध्यान हटाने के लिए सरकार उनका ट्रांसफर कर देती है !सैलरी वहाँ भी मिलेगी सुख सुविधाएँ वहाँ भी हैं !किंतु जो चौपटानंद यहाँ नहीं कुछ कर पाए ऐसे लोगों की खेप भर भर कर सरकार दूसरी जगहों पर क्यों भेज रही है वहाँ जाकर भी तो वहाँ के लोगों पर बोझ ही बनेंगे !
अब तो देश में केवल ईमानदार और काम करने वाले अधिकारी कर्मचारी रखे जाने चाहिए !कामचोरों मक्कारों को तुरंत बाहर किया जाए !छोटे छोटे कामों के लिए किसानों को सौ सौ चक्कर कटवाते हैं आफिसों के ऊपर से घूस माँगते हैं !पसीने से पवित्र हुए शरीर धारण करने वाले किसान उनसे गिड़गिड़ाया करते हैं जो उनके पैरों की धूल के बराबर भी नहीं होते अब तो ऐसे संवेदना शून्य लोगों को अधिकारी मानने में लज्जा लगती है जिनके मन में देश वासियों के प्रति अपनापन ही नहीं है ऐसे सैलरी खाऊ घूस खाऊ काम चोर लोगों को बार बार धिक्कार !ऐसे लोगों को पालकर रखने वाली सरकार को उससे हजार गुणा ज्यादा बार धिक्कार !!
अब तो देश में केवल ईमानदार और काम करने वाले अधिकारी कर्मचारी रखे जाने चाहिए !कामचोरों मक्कारों को तुरंत बाहर किया जाए !छोटे छोटे कामों के लिए किसानों को सौ सौ चक्कर कटवाते हैं आफिसों के ऊपर से घूस माँगते हैं !पसीने से पवित्र हुए शरीर धारण करने वाले किसान उनसे गिड़गिड़ाया करते हैं जो उनके पैरों की धूल के बराबर भी नहीं होते अब तो ऐसे संवेदना शून्य लोगों को अधिकारी मानने में लज्जा लगती है जिनके मन में देश वासियों के प्रति अपनापन ही नहीं है ऐसे सैलरी खाऊ घूस खाऊ काम चोर लोगों को बार बार धिक्कार !ऐसे लोगों को पालकर रखने वाली सरकार को उससे हजार गुणा ज्यादा बार धिक्कार !!
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