Saturday, 10 June 2017

किसानों के टुकड़ों पर पलने वाले जिम्मेदार नेताओं से निवेदन "किसानों के आदेशों का पालन करे सरकार !"

 किसानों का आंदोलन नहीं ये आत्मपीड़ा है इसलिए  किसानों के आंदोलन को सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल समझने की भूल न करे सरकार !किसान स्वाभिमानी लज्जाशील एवं अपनी जिम्मेदारी के पालन के लिए मर मिटने वाले ईमानदार दृढ़ संकल्पी लोग हैं !जो नेता या सरकारी कर्मचारी गल्तियाँ करके भी नौकरी से त्यागपत्र नहीं देते उनसे तुलना कैसे की जा सकती है जीवन से त्यागपत्र  दे देने वाले किसानों की !
     सरकार किसानों की शासक नहीं अपितु सेवक है सेवकों ने उन पर गोलियाँ चलाकर मर्यादाएँ लाँघी हैं इसलिए उन्हें दण्डित किया ही जाना चाहिए ऐसा दुस्साहस !धिक्कार है किसानों की कमाई खाकर भी गद्दारी करने वाले नेताओं अधिकारियों कर्मचारियों को ! किसानों के दुःख दर्द में हिस्सा न बटाने वालों को उनके साथ न खड़े होने वालों को ! आंदोलन करने का उनके पास समय कहाँ है ये सरकारी कर्मचारी थोड़े हैं जो नौकरी के नाम पर बिना काम किए भी मीटर डाउन बना रहे !ये किसान होने के नाते शर्मदार और स्वाभिमानी लोग हैं !ये जिस दिन अपने परिवारों की जिम्मेदारी निभाने में असफल होते हैं उसी दिन मर जाना पसंद करते हैं उनकी जीवंतता के प्रमाण हैं किसानों की आत्महत्याएँ !जबकि सरकारों में सम्मिलित नेतालोग हों या अधिकारी कर्मचारी जिम्मेदारी निभाना तो जिनके बश का है ही नहीं जिम्मेदारी समझने को भी तैयार नहीं हैं सरकार के सरे विभाग उनकी अकर्मण्यता की गवाही दे रहे हैं जिनकी भद्द पिट रही है जनता गवाह है जिनके काम वे नहीं करते या घूस लेकर करते हैं !इसलिए किसानों से तुलना किसी की नहीं की जा सकती !फिर भी किसानों को नहीं किन्तु सरकारी कर्मचारियों को भारी भरकम सैलरी देती है सरकार !कोई कितना भी बड़ा कलट्टर आदि अधिकारी क्यों न हो हिम्मत हो तो किसानों की बराबरी करके दिखाए कृषिकार्यों में वो भी श्रमदान देकर अनुभव करें किसानों के त्याग तपस्या पूर्ण जीवन का !यदि वे खा सकते हैं तो कर क्यों नहीं सकते ! 
      किसानों की पीड़ा देश की पीड़ा है किसानों की उन्नति देश की उन्नति है किसानों की कमाई केवल किसानों के लिए नहीं होती अपितु सारे देश यहाँ तक कि भारत सरकार को अपने सरे ओहदों की परवाह न करते हुए किसानों  के हृदयों में उतरने का प्रयास करना चाहिए देश में सबसे अधिक परिश्रम और सबसे अधिक संघर्ष पूर्ण जीवन जीकर भी हम सभी लोगों का पेट भरते हैं किसान !जब हम कुछ भी खाने के लिए उठाते हैं वो किसी किसान का उत्पन्न किया होता है  किसानों पर गोली चलाने वाले अधिकारियों कर्मचारियों को अक्षम्य अपराधी माना जाए उन पर केस चलाया जाए उन्हें दी गई आज तक की सैलरी वापस ली जाए !एवं किसानों के लिए भी प्राइमरी टीचरों के बराबर की सैलरी माँगी जाए जहाँ जो उचित समझौता हो वो स्वीकार किया जाए यहाँ तक तो ठीक है किंतु इसके आगे भाजपा विरोध करने से उन्हें कुछ नहीं हासिल होगा क्योंकि भजपा के आलावा जो दल सत्ता में आए वो अपना दामन दागदार होने से बचा नहीं सके जबकि भाजपा सरकार पर अभी तक कोई दाग नहीं लगा है और नॉट बदली जैसे कई बड़े फैसले उन्होंने लिए हैं कुछ गड़बड़ियाँ हुई हैं किंतु उपलब्ध राजनैतिक दलों की अपेक्षा बहुत कम हैं और भ्रष्टाचार को समूल उखाड़ फेंकने के लिए कई बड़े कदम उठाते दिख रहे हैं संभवतः वो ऐसा कर पाने में सफल भी होंगे !इसलिए उन्हें बिना किसी किन्तु परन्तु के समय देते हुए सहयोग किया जाना चाहिए !विपक्ष के हो हल्ला का उद्देश्य जनहित नहीं अपितु सत्ता प्राप्ति है किन्तु उन्हें सत्ता देकर भी जनता को क्या मिलेगा देश में सबसे अधिक दिनों तक शासन उन्होंने ने ही किया तब क्यों नहीं कर सके किसानों  का विकास !आज घूम रहे हैं जनता को भड़काते !ऐसे नेताओं को धिक्कार है !

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