भूकंपविज्ञान और भूकंपपूर्वानुमान
भूकंप एक ऐसी आपदा जो बहुत ही मारक होती है लेकिन उसके आने की कोई जानकारी नहीं होती और इसलिए बचने के उपाय का सवाल ही कहाँ उठता है!भूंकप आने को लेकर यही अनिश्चततिता इसे और खतरनाक बना देती है |भूकंप उन प्राकृतिक आपदाओं में से है जिसके आने का पूर्वानुमान बता पाने में विज्ञान असहाय नजर आता है | दुनिया में ऐसी कोई तकनीक नहीं है जो ये बता सके कि दुनिया की अमुक जगह भूकंप आ सकता है| न ही ये बताया जा सकता है कि भूकंपों के आने का कारण क्या है |
कुछ लोग जमीन के अंदर की प्लेटों के आपस में टकराने या अंदर संचित गैसों के दबाव के कारण भूकंप आने की बातें कह कह कर समाज का ध्यान तो भटकाया करते हैं किंतु इसे आधार मानकर भूकंपों के विषय में जो भी भविष्यवाणियाँ करते हैं वे सभी गलत हो जाया करती हैं |जिससे यह स्वतः सिद्ध हो जाता है कि प्रक्रिया को विज्ञान मानकर भूकंप संबंधी अध्ययन अनुसंधान आदि चलाए जा रहे हैं या भविष्यवाणियाँ की जा रही हैं वो प्रक्रिया ही गलत है | क्योंकि उस प्रक्रिया या अनुसंधान का भूकंपों के घटित होने से कोई संबंध अभी तक सिद्ध नहीं हो पाया है |
यही कारण है कि भूकंपों के विषय में तरह तरह की अनेकों भविष्यवाणियाँ अक्सर की जाती रहती हैं कभी किसी विश्व विद्यालय में रिसर्च के नाम पर तो कभी किसी दूसरे विश्वविद्यालय में किए गए रिसर्च के परिणाम स्वरूप ये बताया जाता है कि हिमालय में बहुत बड़ा भूकंप आएगा जिसकी तीव्रता काफी अधिक होगी |कुछ रिसर्चों के हवाले से सन 2018 के विषय में भी ऐसी भविष्यवाणी कुछ वैज्ञानिक समूहों के द्वारा की गई थी किंतु ऐसा कोई भूकंप आया नहीं !
वैसे भी जब कभी किसी छोटे या बड़े भूकंप को आना होगा तब वो आएगा ही और अभी भी आते जा रहे हैं आगे भी आते रहेंगे किंतु विशेष बात यह है कि वर्तमान भूकंपविज्ञान भूकंपों के घटित होने की प्रक्रिया से परिचित है यह अभी तक सिद्ध नहीं हो पाया है |
भूकंप संबंधी अनुसंधानों के लिए अनुसंधान संबंधी संसाधन जुटाने एवं एवं अनुसंधान कर्ताओं को उनकी सैलरी आदि समस्त सुख सुविधाओं का प्रबंध सरकार करती है | इसपर खर्च होने वाला संपूर्ण धन सरकार देती है और सरकार को जनता से टैक्स रूप में प्राप्त होता है वही धन ऐसे अनुसंधानों पर भी खर्च किया जाता है |इस प्रकार से भूकंप संबंधी अनुसंधानों के लिए सरकार और जनता अपनी अपनी भूमिका का निर्वाह समर्पण पूर्वक करते जा रहे हैं किंतु विज्ञान एवं वैज्ञानिकों के प्रयासों के परिणाम आने अभीतक बाकी हैं | कुलमिलाकर ये पक्ष अभी तक शून्य पड़ा हुआ है | इसे इसी अवस्था में अधिक समय तक छोड़ा जाना देश और समाज के हित में नहीं है |
जो प्रक्रिया भूकंपों के घटित होने से संबंधित कोई भी जानकारी जुटा पाने में अपनी भूमिका सिद्ध ही न कर पायी हो उस प्रक्रिया को विज्ञान के रूप में पढ़ाया जाना या उसे विज्ञान और उससे संबंधित लोगों को वैज्ञानिक कहना कितना तर्क संगत है |
व्यवहार में भी जिस काम को जो कर लेता है उसी काम का विशेषज्ञ उसे माना जाता है चिकित्सा कर लेने वाले को चिकित्सक, रसोई का काम कर लेने वाले को रसोइया, गाना गए लेने वाले को गायक ,पढ़ा लेने वाले को शिक्षक किंतु भूकंपों के विषय में कल्पना प्रसूत कहानियों को छोड़कर बाकी कुछ न जानने वालों को भूकंप वैज्ञानिक मानने का उचित आधार क्या है ?ये प्रश्न प्रत्येक व्यक्ति के मन में उठना स्वाभाविक है |
इसप्रकार से भूकंपविज्ञान अपने बुने हुए अंधविश्वास के जाल में बुरी तरह उलझा हुआ है जिसके विषय में वो न तो कुछ कहने की स्थिति में है और न कुछ नकारने की ही स्थिति में है | ऐसी परिस्थिति में भूकंप संबंधी घटनाओं के घटित होने में कारण के रूप में बताए गए अनेकों धर्मों प्रचलित परंपराओं शकुनों अपशकुनों तथा वैदिकविज्ञान की प्रक्रिया में भूकंप के विषय में सुझाई गई पद्धतियों पर अनुसंधान किया जाना चाहिए क्योंकि भारत का प्राचीन अत्यंत बताया जाता है संभव है उन वैज्ञानिक पूर्वजों के द्वारा भी उस युग में भूकंप जैसी घटनाओं के विषय में कुछ अनुसंधान अवश्य किए होंगे | उन को भी विषय बनाया जाना चाहिए | उन महापुरुषों ने सुदूर आकाश में स्थिति सूर्यचंद्र ग्रहण जैसी घटनाओं को न केवल सुलझा लिया था अपितु उनसे संबंधित पूर्वानुमान लगाने में भी वे सफल हुए थे | जिस पद्धति से हजारों वर्ष पहले ग्रहण संबंधी पूर्वानुमान लगा लिए जाते हैं जो कभी गलत नहीं हुए |
ऐसा विचार करके ही मैंने वैदिक विज्ञान से संबंधित सांख्य ,योग, खगोल,ज्योतिष, आयुर्वेद आदि पद्धतियों
के आधार पर भूकंप समेत समस्त प्राकृतिक घटनाओं पर आज के लगभग 25 वर्ष पूर्व अनुसंधान प्रारंभ किया था |जिससे भूकंप संबंधी पूर्वानुमान निकाल पाना संभव भले ही न हुआ हो किंतु उसके अतिरिक्त और जो भी जानकारी हो सकी है वह भी देश एवं समाज के लिए सहयोग करने वाली होने के साथ ही साथ देश की प्रतिष्ठा को बढ़ने वाली है |
भी अभी तक केवल काल्पनिक हैं इसके आधार पर भूकंपों का सही पूर्वानुमान लगाकर इनका परीक्षण किया जाना अभी तक अवशेष है | भूकंप विज्ञान के नाम से प्रसिद्धि पा चुके उस तथाकथित विज्ञान का भूकंपों से कोई संबंध है भी या ये निराधार कोरी कल्पना मात्र है !
क्योंकि इस विज्ञान
के उस तथाकथित भूकंप विज्ञान का के रूप में पूर्वानुमान के द्वारा प्रमाणित किया जाना अभी तक बाकी है !भूकंप वैज्ञानिकों का प्रमाणित होना अभीतक अवशेष है क्योंकि वे भूकंपों के विषय में जो कुछ बताते हैं उसके आधार पर वे न तो भूकंपों का पूर्वानुमान लगा पाते हैं और न ही किसी अन्य प्रकार से भूकंपों के विषय में अपनी किसी भी प्रकार की विशेषज्ञता को ही प्रमाणित कर पाते हैं |जो प्रमाणित होने के साथ साथ आम जनता की कल्पनाओं से कुछ अलग हटकर हो साथ ही साथ तर्क संगत एवं पारदर्शी हो |जिसे देखकर लगे कि भूकंपों से संबंधित अनुसंधान अब वास्तव में कुछ आगे बढ़ पाया है !किंतु सच्चाई तो यह है कि वर्तमान काल्पनिक भूकंपविज्ञान के आधारपर भूकंपों से संबंधित अनुसंधानकार्य किसी न किसी रूप में विश्व के अनेकों देशों में किए जा रहे हैं किंतु दुर्भाग्य की बात है कि अभी तक ये अनुसंधान भूकंपों के विषय में अनुसंधान के क्षेत्र में अभी तक सुनी की नोक के बराबर भी सफल नहीं हो पाए हैं |ऐसी परिस्थिति में भूकंप विज्ञान और भूकपवैज्ञानिक दोनों का ही प्रमाणित होना अभी तक बाकी है |
आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर मुक्तलाल शर्मा ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि मौजूदा समय में भूकंप का पूर्वानुमान लगाने के लिए जो तकनीक है, वह वास्तव में काम नहीं करता है. लोग सांख्यिकीय गणना के आधार पर इसका अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं लेकिन अब तक ज्ञात जितने भी तरीके हैं, वे सटीक नहीं हैं !
31 जनवरी 2018 को प्रकाशित एक लेख में कहा गया -"अमेरिका की दो बड़ी यूनिवर्सिटीज के 2 प्रोफेसर्स ने किया है। उन वैज्ञानिकों के मुताबिक 2018 में कई बड़े भूकंप के झटके आ सकते हैं। वो जलजला इतना तेज़ होगा कि बड़ी तबाही मच सकती है। रिसर्च के मुताबिक आने वाले महाभूकंप का अलर्ट धरती ने भेजना शुरु भी कर दिया है। बताया जा रहा है कि पिछले 4 साल से हर दिन पृथ्वी की रफ्तार कम हो रही है और यही आने वाले साल में दुनिया के कई देशों में बड़े भूकंप की वजह बन सकती है जिसमें हिंदुस्तान भी शामिल है। 2018 में अब तक के सबसे बड़े भूकंप आ सकते हैं!"
भूकंप एक ऐसी आपदा जो बहुत ही मारक होती है लेकिन उसके आने की कोई जानकारी नहीं होती और इसलिए बचने के उपाय का सवाल ही कहाँ उठता है!भूंकप आने को लेकर यही अनिश्चततिता इसे और खतरनाक बना देती है |भूकंप उन प्राकृतिक आपदाओं में से है जिसके आने का पूर्वानुमान बता पाने में विज्ञान असहाय नजर आता है | दुनिया में ऐसी कोई तकनीक नहीं है जो ये बता सके कि दुनिया की अमुक जगह भूकंप आ सकता है| न ही ये बताया जा सकता है कि भूकंपों के आने का कारण क्या है |
कुछ लोग जमीन के अंदर की प्लेटों के आपस में टकराने या अंदर संचित गैसों के दबाव के कारण भूकंप आने की बातें कह कह कर समाज का ध्यान तो भटकाया करते हैं किंतु इसे आधार मानकर भूकंपों के विषय में जो भी भविष्यवाणियाँ करते हैं वे सभी गलत हो जाया करती हैं |जिससे यह स्वतः सिद्ध हो जाता है कि प्रक्रिया को विज्ञान मानकर भूकंप संबंधी अध्ययन अनुसंधान आदि चलाए जा रहे हैं या भविष्यवाणियाँ की जा रही हैं वो प्रक्रिया ही गलत है | क्योंकि उस प्रक्रिया या अनुसंधान का भूकंपों के घटित होने से कोई संबंध अभी तक सिद्ध नहीं हो पाया है |
यही कारण है कि भूकंपों के विषय में तरह तरह की अनेकों भविष्यवाणियाँ अक्सर की जाती रहती हैं कभी किसी विश्व विद्यालय में रिसर्च के नाम पर तो कभी किसी दूसरे विश्वविद्यालय में किए गए रिसर्च के परिणाम स्वरूप ये बताया जाता है कि हिमालय में बहुत बड़ा भूकंप आएगा जिसकी तीव्रता काफी अधिक होगी |कुछ रिसर्चों के हवाले से सन 2018 के विषय में भी ऐसी भविष्यवाणी कुछ वैज्ञानिक समूहों के द्वारा की गई थी किंतु ऐसा कोई भूकंप आया नहीं !
वैसे भी जब कभी किसी छोटे या बड़े भूकंप को आना होगा तब वो आएगा ही और अभी भी आते जा रहे हैं आगे भी आते रहेंगे किंतु विशेष बात यह है कि वर्तमान भूकंपविज्ञान भूकंपों के घटित होने की प्रक्रिया से परिचित है यह अभी तक सिद्ध नहीं हो पाया है |
भूकंप संबंधी अनुसंधानों के लिए अनुसंधान संबंधी संसाधन जुटाने एवं एवं अनुसंधान कर्ताओं को उनकी सैलरी आदि समस्त सुख सुविधाओं का प्रबंध सरकार करती है | इसपर खर्च होने वाला संपूर्ण धन सरकार देती है और सरकार को जनता से टैक्स रूप में प्राप्त होता है वही धन ऐसे अनुसंधानों पर भी खर्च किया जाता है |इस प्रकार से भूकंप संबंधी अनुसंधानों के लिए सरकार और जनता अपनी अपनी भूमिका का निर्वाह समर्पण पूर्वक करते जा रहे हैं किंतु विज्ञान एवं वैज्ञानिकों के प्रयासों के परिणाम आने अभीतक बाकी हैं | कुलमिलाकर ये पक्ष अभी तक शून्य पड़ा हुआ है | इसे इसी अवस्था में अधिक समय तक छोड़ा जाना देश और समाज के हित में नहीं है |
जो प्रक्रिया भूकंपों के घटित होने से संबंधित कोई भी जानकारी जुटा पाने में अपनी भूमिका सिद्ध ही न कर पायी हो उस प्रक्रिया को विज्ञान के रूप में पढ़ाया जाना या उसे विज्ञान और उससे संबंधित लोगों को वैज्ञानिक कहना कितना तर्क संगत है |
व्यवहार में भी जिस काम को जो कर लेता है उसी काम का विशेषज्ञ उसे माना जाता है चिकित्सा कर लेने वाले को चिकित्सक, रसोई का काम कर लेने वाले को रसोइया, गाना गए लेने वाले को गायक ,पढ़ा लेने वाले को शिक्षक किंतु भूकंपों के विषय में कल्पना प्रसूत कहानियों को छोड़कर बाकी कुछ न जानने वालों को भूकंप वैज्ञानिक मानने का उचित आधार क्या है ?ये प्रश्न प्रत्येक व्यक्ति के मन में उठना स्वाभाविक है |
इसप्रकार से भूकंपविज्ञान अपने बुने हुए अंधविश्वास के जाल में बुरी तरह उलझा हुआ है जिसके विषय में वो न तो कुछ कहने की स्थिति में है और न कुछ नकारने की ही स्थिति में है | ऐसी परिस्थिति में भूकंप संबंधी घटनाओं के घटित होने में कारण के रूप में बताए गए अनेकों धर्मों प्रचलित परंपराओं शकुनों अपशकुनों तथा वैदिकविज्ञान की प्रक्रिया में भूकंप के विषय में सुझाई गई पद्धतियों पर अनुसंधान किया जाना चाहिए क्योंकि भारत का प्राचीन अत्यंत बताया जाता है संभव है उन वैज्ञानिक पूर्वजों के द्वारा भी उस युग में भूकंप जैसी घटनाओं के विषय में कुछ अनुसंधान अवश्य किए होंगे | उन को भी विषय बनाया जाना चाहिए | उन महापुरुषों ने सुदूर आकाश में स्थिति सूर्यचंद्र ग्रहण जैसी घटनाओं को न केवल सुलझा लिया था अपितु उनसे संबंधित पूर्वानुमान लगाने में भी वे सफल हुए थे | जिस पद्धति से हजारों वर्ष पहले ग्रहण संबंधी पूर्वानुमान लगा लिए जाते हैं जो कभी गलत नहीं हुए |
ऐसा विचार करके ही मैंने वैदिक विज्ञान से संबंधित सांख्य ,योग, खगोल,ज्योतिष, आयुर्वेद आदि पद्धतियों
के आधार पर भूकंप समेत समस्त प्राकृतिक घटनाओं पर आज के लगभग 25 वर्ष पूर्व अनुसंधान प्रारंभ किया था |जिससे भूकंप संबंधी पूर्वानुमान निकाल पाना संभव भले ही न हुआ हो किंतु उसके अतिरिक्त और जो भी जानकारी हो सकी है वह भी देश एवं समाज के लिए सहयोग करने वाली होने के साथ ही साथ देश की प्रतिष्ठा को बढ़ने वाली है |
भी अभी तक केवल काल्पनिक हैं इसके आधार पर भूकंपों का सही पूर्वानुमान लगाकर इनका परीक्षण किया जाना अभी तक अवशेष है | भूकंप विज्ञान के नाम से प्रसिद्धि पा चुके उस तथाकथित विज्ञान का भूकंपों से कोई संबंध है भी या ये निराधार कोरी कल्पना मात्र है !
क्योंकि इस विज्ञान
के उस तथाकथित भूकंप विज्ञान का के रूप में पूर्वानुमान के द्वारा प्रमाणित किया जाना अभी तक बाकी है !भूकंप वैज्ञानिकों का प्रमाणित होना अभीतक अवशेष है क्योंकि वे भूकंपों के विषय में जो कुछ बताते हैं उसके आधार पर वे न तो भूकंपों का पूर्वानुमान लगा पाते हैं और न ही किसी अन्य प्रकार से भूकंपों के विषय में अपनी किसी भी प्रकार की विशेषज्ञता को ही प्रमाणित कर पाते हैं |जो प्रमाणित होने के साथ साथ आम जनता की कल्पनाओं से कुछ अलग हटकर हो साथ ही साथ तर्क संगत एवं पारदर्शी हो |जिसे देखकर लगे कि भूकंपों से संबंधित अनुसंधान अब वास्तव में कुछ आगे बढ़ पाया है !किंतु सच्चाई तो यह है कि वर्तमान काल्पनिक भूकंपविज्ञान के आधारपर भूकंपों से संबंधित अनुसंधानकार्य किसी न किसी रूप में विश्व के अनेकों देशों में किए जा रहे हैं किंतु दुर्भाग्य की बात है कि अभी तक ये अनुसंधान भूकंपों के विषय में अनुसंधान के क्षेत्र में अभी तक सुनी की नोक के बराबर भी सफल नहीं हो पाए हैं |ऐसी परिस्थिति में भूकंप विज्ञान और भूकपवैज्ञानिक दोनों का ही प्रमाणित होना अभी तक बाकी है |
आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर मुक्तलाल शर्मा ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि मौजूदा समय में भूकंप का पूर्वानुमान लगाने के लिए जो तकनीक है, वह वास्तव में काम नहीं करता है. लोग सांख्यिकीय गणना के आधार पर इसका अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं लेकिन अब तक ज्ञात जितने भी तरीके हैं, वे सटीक नहीं हैं !
31 जनवरी 2018 को प्रकाशित एक लेख में कहा गया -"अमेरिका की दो बड़ी यूनिवर्सिटीज के 2 प्रोफेसर्स ने किया है। उन वैज्ञानिकों के मुताबिक 2018 में कई बड़े भूकंप के झटके आ सकते हैं। वो जलजला इतना तेज़ होगा कि बड़ी तबाही मच सकती है। रिसर्च के मुताबिक आने वाले महाभूकंप का अलर्ट धरती ने भेजना शुरु भी कर दिया है। बताया जा रहा है कि पिछले 4 साल से हर दिन पृथ्वी की रफ्तार कम हो रही है और यही आने वाले साल में दुनिया के कई देशों में बड़े भूकंप की वजह बन सकती है जिसमें हिंदुस्तान भी शामिल है। 2018 में अब तक के सबसे बड़े भूकंप आ सकते हैं!"
"मोंटाना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का दावा है कि पृथ्वी के घूमने की
स्पीड हर रोज़ कुछ मिलीसेकेंड्स में घट रही है और यही सेकेंड्स धरती के
अंदर पैदा हो रही एनर्जी को बाहर आने में बहुत बड़ी मदद कर सकते हैं और
नतीजा एक विनाशकारी भूकंप के तौर पर सामने आ सकता है। "
"यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के रोजर बिल्हम और यूनिवर्सिटी ऑफ मोंटाना की
रेबेका बेंडिक ने भूकंप के बारे में रिसर्च किया हालांकि इस रिसर्च में ये
नहीं बताया गया कि वो कौन से इलाके हैं जहां भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा है
लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि जब पृथ्वी की रफ्तार में फर्क आता है तो
दिन छोटे या बड़े होने लगते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर भूमध्य रेखा यानी
इक्वेटर के आसपास वाले इलाकों में देखा जाता है। भूमध्य जैसा की नाम
से पता चलता है ये रेखा पृथ्वी को दो बराबर हिस्सों में बांटती है। भूमध्य
रेखा दुनिया के 13 देशों से गुजरती है जिसमें इक्वाडोर, कोलंबिया,
ब्राजील, रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, केन्या, मालद्वीव्स और इंडोनेशिया जैसे देश
शामिल हैं। यानी अगर वैज्ञानिकों की बात सच निकलती है तो भूकंप का खतरा
सबसे ज्यादा इन्हीं देशों पर मंडरा रहा है। हालांकि भारतीय भू-वैज्ञानिक ये
भी दावा कर रहे हैं कि खतरा हिंदुस्तान के इलाकों को भी है। महाभूकंप को
लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपने इस दावे का एक और आधार बताया है।"
वैज्ञानिकों का दावा है कि हिमालय के नीचे हलचल तेज़ है जो किसी भी दिन
बड़े भूकंप की वजह बन सकती है। दरअसल हिमालय का इलाका दुनिया का सबसे
ज्यादा भूकंप आशंकित इलाकों में एक माना जाता है। भूकंप आने की वजह है धरती
के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेट्स। ये प्लेट्स धरती के अंदर ही अंदर खिसकती
रहती हैं
17 नवंबर 2018 को प्रकाशित एक लेख के अनुशार -
" मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज की ओर से वर्ष 2016 में देश के चार बड़े संस्थानों को एक प्रोजेक्ट दिया गया।इसके तहत यह पता लगाना था कि भविष्य में किन क्षेत्रों में भूकंप आने की
आशंका ज्यादा है। उसके बाद आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर जावेद मलिक और पंजाब
विश्वविद्यालय के प्रो. महेश ठाकुर ने प्रोजेक्ट शुरू कर दिया। इनका साथ
आईएसआर गांधीनगर (गुजरात) व एलडी इंजीनियरिंग कालेज अहमदाबाद के
वैज्ञानिकों ने दिया। इस टीम ने प्रथम चरण में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल
प्रदेश व उत्तराखंड में रिसर्च किया। इस टीम ने ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार
के जरिए इन प्रदेशों में जगह-जगह जाकर जमीन के दस मीटर भीतर तक के हिस्से
का एक्स-रे किया।"
इस रिसर्च से पता चला है कि हिमाचल
प्रदेश के कालाआम के पास नहान में एक फॉल्ट लाइन मिली है। इसी प्रदेश के
सिरमौर, उत्तराखंड में ऋषिकेश और हरियाणा के यमुनानगर में भी फॉल्ट लाइनें
मिली हैं। फॉल्ट लाइन का कारण वैज्ञानिकों ने बताया कि यहां धरती के दस
मीटर नीचे जमीन के हिस्से ऊपर-नीचे मिले हैं। इससे धरती का संतुलन बिगड़
गया है।
1 नवंबर 2018 को एक समाचार बेवसाइट पर प्रकाशित हुआ
देश भर के चार वैज्ञानिकों की रिसर्च
में खुलासा हुआ है कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भविष्य में
कभी भी भूकंप आ सकता है और बड़ी तबाही मच सकती है। वैज्ञानिकों को इन
प्रदेशों में नई फॉल्ट लाइनें मिली हैं जो अब तक धरती के गर्भ में ही थीं।
1 दिसम्बर, 2018 को एक एक समाचार बेवसाइट पर प्रकाशित हुआ -"जवाहरलाल
नेहरू सेंटर के भूकंप विशेषज्ञ सीपी राजेंद्रन का कहना है कि हिमालय क्षेत्र में भारी मात्रा में तनाव है जो भविष्य में केंद्रीय हिमालय में 8.5
या उससे अधिक की तीव्रता का एक भूकंप ला सकता
है." कई अन्य वैज्ञानिकों
का भी मत कुछ ऐसा ही है कि हिमालय क्षेत्र के आसपास जिस तरह के भौगोलिक घटनाएँ हो रही
हैं, उसे देखते हुए यह साफ है कि इस इलाके में 8.5 तीव्रता का भूकंप
(Earthquake) कभी भी आ सकता है |
इससे
पहले नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू) की अगुवाई में एक रिसर्च
टीम ने भी पाया था कि मध्य हिमालय क्षेत्रों में रिएक्टर पैमाने पर आठ से
साढ़े आठ तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आने का खतरा है. शोधकर्ताओं ने एक
बयान में कहा कि सतह टूटने संबंधी खोज का हिमालय पर्वतीय क्षेत्रों से
जुड़े इलाकों पर गहरा असर हो रहा है. अमेरिका के भू-वैज्ञानिक रोजर बिल्हम
जिनका पूरा जीवन भूंकप और इससे जुड़ी चीजों की खोज पर ही बीता है ने भी
भारतयी वैज्ञानिकों की इस चेतावनी का समर्थन किया है.उन्होंने कहा कि भारत
के वैज्ञानिकों ने जो संभावना जताई है उसपर किसी भी तरह का शक नहीं किया जा
सकता.
जानवरों के द्वारा भूकंपों का पूर्वानुमान -
सदियों से मनुष्य का ऐसा मानना रहा है कि यदि आस-पास के कुत्ते और बिल्लियाँ अजीब व्यवहार करने लगे तो ऐसा समझ लिया जाता था कि अब भूकंप आने की आशंका है!
शोधकर्ताओं ने भूकंप की 160 घटनाओं के संदर्भ में असामान्य हरकत करने वाले जानवरों की 729 रिपोर्ट का अध्ययन किया है. जीएफजेड जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जिओसाइंसेस के हीको वाइथ ने कहा, भूकंप का पूर्वानुमान लगाने वाले जानवरों की क्षमता व इसकी संभावना पर कई समीक्षा पत्र मौजूद हैं, परंतु हमारे ज्ञान के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि डेटा का मूल्यांकन करने के लिए एक सांख्यिकीय दृष्टिकोण का उपयोग किया गया है. शोधकर्ताओं ने हाथियों से लेकर रेशम के कीड़े तक विभिन्न प्रकार के जानवरों में संभावित भूकंप के पूर्वानुमान लगाने की क्षमता पर आधारित रिपोर्ट एकत्र कर इनका अध्ययन किया है
बताया जाता है कि बुलेटिन ऑफ द सिस्मोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन से पता चला है कि ऐसे सबूत ज्यादातर किस्से – कहानियाँ व किवदंतियाँ पर आधारित होते हैं , जिनका परीक्षण तथ्यात्मक ढंग से नहीं किया जा सकता !
ऐसी परिस्थिति में जिन मानकों के आधार पर पशुपक्षियों के व्यवहार से भूकंपों का पूर्वानुमान लगाने की पद्धति को यह कहकर ख़ारिज किया जा सकता है कि ये केवल किस्से – कहानियाँ व किवदंतियाँ हैं इनका परीक्षण तथ्यात्मक ढंग से नहीं किया जा सकता है उन्हीं मानकों के आधार पर यदि ईमानदारी पूर्वक परीक्षण किया जाए तो आधुनिक विज्ञान के आधार पर बताए जाने वाले भूमिगतप्लेटों या संचित गैसों के दबाव वाले किस्से कहानियों किवदंतियों को विज्ञानं सम्मत कैसे मान लिया जाए ?
पशु संहार के कारण आते हैं भूकंप -
जानवरों के द्वारा भूकंपों का पूर्वानुमान -
सदियों से मनुष्य का ऐसा मानना रहा है कि यदि आस-पास के कुत्ते और बिल्लियाँ अजीब व्यवहार करने लगे तो ऐसा समझ लिया जाता था कि अब भूकंप आने की आशंका है!
शोधकर्ताओं ने भूकंप की 160 घटनाओं के संदर्भ में असामान्य हरकत करने वाले जानवरों की 729 रिपोर्ट का अध्ययन किया है. जीएफजेड जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जिओसाइंसेस के हीको वाइथ ने कहा, भूकंप का पूर्वानुमान लगाने वाले जानवरों की क्षमता व इसकी संभावना पर कई समीक्षा पत्र मौजूद हैं, परंतु हमारे ज्ञान के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि डेटा का मूल्यांकन करने के लिए एक सांख्यिकीय दृष्टिकोण का उपयोग किया गया है. शोधकर्ताओं ने हाथियों से लेकर रेशम के कीड़े तक विभिन्न प्रकार के जानवरों में संभावित भूकंप के पूर्वानुमान लगाने की क्षमता पर आधारित रिपोर्ट एकत्र कर इनका अध्ययन किया है
बताया जाता है कि बुलेटिन ऑफ द सिस्मोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन से पता चला है कि ऐसे सबूत ज्यादातर किस्से – कहानियाँ व किवदंतियाँ पर आधारित होते हैं , जिनका परीक्षण तथ्यात्मक ढंग से नहीं किया जा सकता !
ऐसी परिस्थिति में जिन मानकों के आधार पर पशुपक्षियों के व्यवहार से भूकंपों का पूर्वानुमान लगाने की पद्धति को यह कहकर ख़ारिज किया जा सकता है कि ये केवल किस्से – कहानियाँ व किवदंतियाँ हैं इनका परीक्षण तथ्यात्मक ढंग से नहीं किया जा सकता है उन्हीं मानकों के आधार पर यदि ईमानदारी पूर्वक परीक्षण किया जाए तो आधुनिक विज्ञान के आधार पर बताए जाने वाले भूमिगतप्लेटों या संचित गैसों के दबाव वाले किस्से कहानियों किवदंतियों को विज्ञानं सम्मत कैसे मान लिया जाए ?
पशु संहार के कारण आते हैं भूकंप -
इंदौर के एचबी प्रकाशन से प्रकाशित एक "इटिमॉलॉजी ऑफ अर्थक्वेक्स, ए न्यू अप्रोच!" नामक ग्रन्थ कुछ विद्वान वैज्ञानिकों के संयुक्त प्रयास से प्रकाशित किया गया है !
अभी तक मान्यता यही है कि भूकंप की भविष्यवाणी कर पाना तकरीबन नामुमकिन है.
वजह ये है कि मनुष्य को भूकंप का ठीक-ठीक कारण नहीं पाता. लेकिन किताब के
लेखकों का दावा है कि पशु-पक्षी तथा मछलियों की हत्या के क्रम में उन्हें
जो दुख-दर्द और भय का अनुभव होता है, उसका घनीभूत रूप ही भूकंप का कारण
बनता है. किताब के लेखकों का दावा है कि पीड़ा का अनुभव सचमुच भौतिक तरंगों
को उत्पन्न करने में सक्षम है !
जानकारी के अभाव में " भूगर्भवैज्ञानिकों को ये सिद्धांत भले समझ में न आवे किंतु इसकी सच्चाई और प्रमाणिकता को किसी भूगर्भवैज्ञानिक के समर्थन की आवश्यकता भी नहीं है | वैसे भी जिसने जिस विषय को पढ़ना नहीं है उस पर अनुसंधान नहीं किया है उस विषय के स्वभाव से सुपरिचित नहीं है ऐसे किसी अन्य विषय के विद्वान की सहमति लेनी आवश्यक भी नहीं होनी चाहिए !भूगर्भवैज्ञानिक भी तो अपने भूगर्भविज्ञान के आधार पर भी भूकंपों से संबंधित अनुसंधान को सुई की नोक के बराबर भी आगे नहीं बढ़ा सके हैं ऐसी परिस्थिति में भूकंपों से संबंधित अनुसंधान कार्यों में अभीतक असफल रहे लोगों की सहमति लेने का औचित्य भी क्या बचता है !
वैसे भी बिन ड्राइवर की कार, बिन तार का टेलीफोन, बिजली पैदा करने वाली समुद्री तरंग और रोजमर्रा
के बरताव का हिस्सा बन चुके ऐसी हजारों चीजों का एक ना एक दिन मजाक उड़ाया
गया था, उनकी संभावना के बारे में जब कोई सिद्धांत रूप में अपनी बात रखता
था तो उसका मजाक उड़ाया जाता था!
कुल मिलाकर +मन की शक्ति को समझने और विकसित करने की आवश्यकता है !भारत में
ऐसे कई स्वामी हैं जो रोगों से छुटकारा दिलाते हैं और ध्यान केंद्रित कर
लोगों के भविष्य बदल सकते हैं. तो मन और विचार की इस शक्ति की व्याख्या आप
कैसे करेंगे ? कई बार ऐसा होता है कि आप किसी को याद कर रहे होते हैं और कुछ ही मिनटों में उसका फोन आ
जाता है तो हम इसे ‘संयोग’ कहते हैं. इसका एक नाम सिंक्रॉनिसिटी
(समकालिकता) भी है इस शब्द का पहली दफे प्रयोग प्रसिद्ध एनालिटिकल
सायकोलॉजिस्ट(मनोविज्ञानी) कार्ल युंग ने किया था
युंग का मानना था कि अ गर किन्हीं दो घटनाओं में कार्य-कारण संबंध ना भी हो लेकिन वे इस तरह घटित हों कि उनके बीच सार्थक रिश्ता जान पड़े तो ऐसी घटनाओं को ‘सार्थक संयोग’ (मीनिंगफुल को-इन्सिडेंस) का नाम दिया जाता है |मन ऊर्जा की तरंगें उत्पन्न करता है |
बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद जब शिकागो पहुँचे तो उन्होंने बड़ी दूर से ही एक खास इलाके की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस इलाके पर उदासी की गहरी छाया है. यह एक कसाईखाना था, अमेरिका का सबसे बड़ा ‘स्लॉटरहाऊस’! यहाँ जानवरों को काटने के लिए लाया जाता था. क्या उदासी की वो छाया निरीह पशुओं के दुख-दर्द और कराह से निकली तरंगों की देन थी?
आज जिसे पैरा-नॉर्मल या अतीन्द्रिय (शायद नए साल में इसे ही नामर्ल यानी इंद्रियजन्य मान लिया जाय!) माना जाता है उसपर विश्वास करने वाले वैज्ञानिकों में सिर्फ युंग का ही नाम शुमार नहीं. आधुनिक विज्ञान के जनक कहे जाने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी ईपीडब्ल्यू यानी आइंस्टीनियन पे’न वेव्ज् सिद्धांत की चर्चा की थी. यह सिद्धांत भूगर्भ विज्ञान से संबंधित है!
कुल मिलाकर पशुओं के सामूहिक संहार से भूकंप का रिश्ता कायम करना संभव नहीं है !भूकंप कब और क्यों होते हैं- इसे अभीतक कोई नहीं जानता. सो, ऊपर जिस सिद्धांत का जिक्र आया है उसे भी उतना ही प्रामाणिक या अप्रामाणिक माना जा सकता है जितना भूंकप के बारे में किसी अन्य सिद्धांत को. बहुत संभव है, आगे के वक्त में भूकंप-विज्ञानी भी उसी निष्कर्ष पर पहुंचे जिसे हमारे ऋषि-मुनि सदियों से बताते आ रहे हैं कि ‘विश्वात्मा’ का मन दुनिया के तमाम उपकरणों से कहीं ज्यादा ताकतवर है |
ऊपर जिस किताब की चर्चा की गई है उसमें दुनिया की उन तमाम जगहों की रिपोर्ट का संकलन किया गया है जहां भूकंप आए और जहां पशुओं को मारने के कसाईखाने थे. ऐसी भी जगहों से रिपोर्ट संकलित की गई है जहां कसाईखाने भूकंप की आशंका वाले क्षेत्रों के नजदीक बनाये गए हैं.
पे’न वेव्ज अर्थात पीड़ा के कारण उत्पन्न होने वाली तरंगें एक लंबी अवधि तक दबाव का क्षेत्र बनाते रहती हैं और जब यह दबाव अपने चरम-बिंदु पर पहुँच जाता है तो धरती की परत टूट जाती है और यह हादसा भूकंप का रूप ले लेता है! जानवरों को काटने के क्रम में उन्हें जिस पीड़ा का अहसास होता है उसमें चीख निकलती है, तनाव पैदा होता है और इन तमाम चीजों से भी पे’न वेव्ज का उसी तरीके से निर्माण होता है !ये पे’न वेव्ज धरती की परत में एक ना एक दिशा में चोट करती और दरार डॉलती हैं जो ‘सिस्मिक एनीसोट्रोफी’ अर्थात भूकंपीय चोट का कारण बनता है !
ध्वनि से धरती की परत पर लगने वाला धक्का ही भूकंप का कारण बनता है. यह धक्का अगर हल्का हो तो भी धरती की परत में कंपन होती है लेकिन ऐसे कंपन को कोई शायद ही कोई महसूस कर पाता हो.सालों साल लाखों की तादाद में जानवरों को मारने से आने वाले भूकंपों की तीव्रता रिक्टेल स्केल पर ज्यादा होती है.
ध्वनि-तरंगें चट्टानों पर बहुत ज्यादा दबाव डॉलती हैं. रोजाना बड़ी तादाद में जानवरों को हत्या की जाय और ऐसा बरसों तक हो तो आइंस्टीनियन पेन वेव्ज के जरिए एकॉस्टिक एनिस्ट्रॉफी पैदा होती है. ऐसा मरते हुए जानवरों को पहुँचती पीड़ा के कारण होता है! ये ध्वनियाँ कालक्रम में लंबी दूरी तय करती हैं इसलिए किसी एक देश में बने कसाईखानों की वजह से दूसरे देश में भी भूकंप आ सकता है |
कसाईखानों में बड़े पैमाने पर पशु-हत्या होने से भूकंप आते हैं. लातूर(खिलारी) के भूकंप, उत्तरकाशी में आये भूकंप तथा असम के भूकंप को मिसाल के रुप में गिनाया है. अमेरिका में आये नार्थरिज (1994), लांग बिच (कैलिफोर्निया – 1933), लैंडर्स (कैलिफोर्निया -1992), सैन फ्रांसिस्को (1906), न्यू मैड्रिड (मिसौरी – 1811-12) के भूकंप का भी किताब में उदाहरण दिया गया है. रूस के नेफगोर्स्क (1995) के भूकंप पर किताब में विस्तार से चर्चा है. जापान के कांटो (1923), नोबी (1891), किटा टांगो (1927), सांगकिरो सुनामी (1933), शिजुका (1935), टोंनाकल (1944), नानकई (1948), फुकुई (1948), ऑफ टोकाची (1952), किज्ता-मिनो (1961), निगाटा (1964), ऑफ टोकाची (1968), कोबे (1995) के भी भूकंप को उदाहरण के रुप में दर्ज किया गया है. नेपाल में गढ़ीमई में 1934 एवं 2015 में हुए पशु-संहार और वहाँ दोनों बार आए भीषण भूकंप इस बात के सशक्त उदाहरण हैं !
क्या ऐसा संभव है ? हां, क्यों नहीं? गुरुत्वाकर्षण से संबंधित तरंगों(ग्रेविटेशनल वेव्ज) के बारे में एक सिद्धांत आइंस्टीन ने 1916 में बताया था. बरसों तक वैज्ञानिक इस सिद्धांत की खिल्ली उड़ाते रहे. सौ साल बाद, जब सही उपकरण तैयार हो गये तो फरवरी 2016 में अमेरिका के वैज्ञानिकों ने ऐलान किया कि उन्होंने ग्रेविटेशनल वेव्ज को खोज निकाला है, उसे सुना और मापा है. इसे एक ऐतिहासिक खोज की संज्ञा दी गई और माना गया कि ग्रेविटेशनल वेव्ज के सहारे ब्रह्मांड को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है| गुरुत्वाकर्षणीय तरंगों से ऐसी सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती हैं जिससे ब्रह्मांड में किसी वस्तु की गति का पता चल सके |
इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है जब वैज्ञानिकों ने कुछ धारणाएँ और सिद्धांत प्रस्तुत किये लेकिन उन्हें उस वक्त उपकरण ना होने के कारण मापा नहीं जा सका और ठीक इसी कारण धारणाओं को सच नहीं माना गया.! डोनाल्ड ट्रंप तो अब भी सोचते हैं कि वैश्विक तापन(ग्लोबल वार्मिंग) कोई सच्चाई नहीं बल्कि एक कहानी है व्यक्तिगत रूप से मैं इस विषय में उनकी सोच से शतप्रतिशत सहमत हूँ | पे’न वेव्ज टैक्टोनिक प्लेटस् में कंपन उत्पन्न करते हैं और यह कंपन भूकंप का कारण बनता है.अमेरिका का टेकोमा ब्रिज 1940 में गिर पड़ा था. दर्ज इतिहास में यह पहला ब्रिज था जिसके गिरने की वजह वहाँ का उस प्रकार का वायु-प्रवाह था ! इस वजह से ऊपर बहती हवा के साथ कंपायमान होकर पूरा ब्रिज ही गिर पड़ा|
यदि वायुजनित कंपन पूरे ब्रिज के गिरने का कारण बन सकता है तो फिर मारे जाते जानवरों की पीड़ा से उत्पन्न पे’न वेव्ज से भूकंप क्यों नहीं आ सकते ? मारे जाते पशु को जो कष्ट पहुँचता है वो है क्या ? यह विशाल मात्रा में प्राण-ऊर्जा का निकलना ही तो है- एक ऐसी ऊर्जा जिसे हम अभी तक माप नहीं सके हैं |
पशुओं के सामूहिक संहार के क्रम में उनके दुख-दर्द से पैदा होते पे’न वेव्ज तथा इनके महाविनाशकारी कंपन को माप सकने वाली प्रौद्योगिकी या कोई यंत्र तैयार न होने के कारण इसे कब तक नाकारा जाएगा |
कई बार किसी स्थान विशेष पर यह प्राणऊर्जा बहुत लंबे समय तक स्थाई बनी रहती है जिसके कारण वहाँ लंबे समय तक भूकंप घटित होते रहते हैं !
निरपराध लोगों को मारा जाए तो वहाँ भूकंप आते हैं !
पारियात्र पर्वत जिसे बाद में हिंदूकुश कहा जाने लगा था उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप पर अरबों-तुर्कों के क़ब्ज़े के बाद हिंदुओं को ग़ुलाम बनाकर इन पर्वतों से ले जाया जाता था और उनमें से बहुत यहाँ बर्फ़ में मर जाया करते थे बहुतों को मार दिया जाता था ! हिंदूकुश एक फ़ारसी शब्द है जिसका अर्थ हिंदुओं को मारने का स्थान ।बताया जाता है कि एक समय में यहाँ पर हिंदुओं का बड़ा संहार हुआ था तभी से पारियात्र पर्वत को हिंदूकुश कहा जाने लगा था !उस समय हिंदुओं की प्राणपीड़ा से वहाँ की प्रकृति विक्षुब्ध हो गई थी तब से लेकर आज तक इस क्षेत्र में अक्सर भूकंप आते रहते हैं जिसका केंद्र हिंदूकुश होता है |
आवश्यक सूचनाएँ देने आते हैं भूकंप -
भूकंपों का नियमन करने वाली शक्ति प्रकृति, समाज एवं सरकार के काम काज आचार व्यवहार पर बहुत पैनी नजर रखती है जो अपनी बात आँधीतूफानों ,बिजली कड़कने या भूकंप जैसी अनेकों प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं के माध्यम से समाज से कहती है!जिसमें अधिकाँश घटनाओं के बिषय में प्रकृति के बिचारों को प्रकट करने का भूकंप सबसे बड़ा माध्यम है !प्रकृति के उन्हीं बिचारों की सूचना देने के लिए भूकंप आते हैं भूकंपों के आने के समय के आधार पर समयवैज्ञानिक लोग उन सूचनाओं को अनुसंधानात्मक प्रयास पूर्वक समझ पाते हैं कि इस भूकंप का मंतव्य क्या था |
प्रकृति समाज या सरकार में अचानक जब कोई उथल पुथल होने लगती है जिससे समाज परेशान होता है या सामूहिक परेशानी बढ़ने की संभावना होती है ऐसे समय में भूकंपों का नियमन करने वाली शक्ति उस विषय से संबंधित कोई अच्छी या बुरी सूचना देने के लिए भूकंपों को माध्यम बनाती है !
प्रकृति, समाज एवं सरकारों के कामकाज में यदि ऐसा कोई अचानक बड़ा बदलाव हो रहा होता है जिससे समाज अपरिचित होता है जबकि वह बदलाव समाज को अपने अच्छे या बुरे स्वभाव से बहुत अधिक प्रभावित करने वाला होता है !उसकी सूचना देने के लिए भूकंप आता है |
किसी क्षेत्र में कोई दंगा भड़कना होता है या उन्माद फैलना होता है या आतंकवाही हमला होना होता है या कोई बम विस्फोट होना होता है जिसकी आशंका समाज में बिल्कुल नहीं होती है ऐसी परिस्थिति में उस घटना की सूचना देकर समाज को सतर्क करने के लिए आता है भूकंप !
कई बार प्रधानमंत्री आदि बड़े पदों पर प्रतिष्ठित प्रभावी लोगों के सभा सम्मलेन में यदि कोई आतंकवादी हमला या विस्फोट आदि होना होता है तो उसकी सूचना देने के लिए आता है भूकंप या भीषण आँधीतूफ़ान !
प्रकृति में अचानक कोई ऐसी घटना घटित होने जा रही होती है जिसकी किसी को कल्पना भी नहीं होती है जबकि उससे बड़ा जन समुदाय प्रभावित होने की संभावना होती है तो इस बात की सूचना देने वहाँ भूकंप आता है!कई बार किसी क्षेत्र में आँधी तूफ़ान आना होता है तो भूकंप आता है या कहीं बहुत अधिक वर्षा होनी होती है तो भूकंप आता है !कहीं बहुत अधिक गर्मी पड़नी होती है तो भूकंप आता है !आग लगने की बहुत अधिक घटनाएँ घटित होनी होती हैं तो भूकंप आता है |
कई बार किसी क्षेत्र में कई दिनों से बहुत अधिक वर्षा हो रही होती है बाढ़ से जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है ऐसे समय में समाज के पास कोई साधन इस बात का पूर्वानुमान जानने के लिए नहीं होता है कि अभी ऐसी भीषण वर्षात कितने दिन और चलेगी !मौसम भविष्यवक्ता लोग अभी दो दिन और बरसेगा अभी तीन दिन और बरसेगा ऐसा करते करते समय पास किए जा रहे होते हैं ऐसी बिषम परिस्थिति में यदि उसी स्थान पर अचानक कोई भूकंप आ जाता है तो उस समय का अनुसंधान करके यह जान लिया जाता है कि वर्षा कितने दिन और चलेगी या तुरंत बंद होगी !यदि तुरंत बंद करने का आदेश होता है तो उसके तुरंत बाद से बर्षा बंद होकर बादलों का जमावड़ा पलायन करने लग जाता है !
किसी क्षेत्र में कई बार गर्मी की ऋतु में भूकंप आ जाता है तो वो कोई अन्य सूचना तो दे ही रहा होता है इसके साथ ही इस बिषय में भी अपने विचार व्यक्त कर रहा होता है कि गर्मी की मात्रा अभी और अधिक बढ़ेगी या यहाँ से घटनी प्रारंभ हो जाएगी !ऐसे ही सर्दी के विषय में शीतऋतु में सूचनाएँ मिलकारती हैं !
समाज में जिस स्थान पर सरकार के विरुद्ध कोई आंदोलन हो रहा हो वहीँ भूकंप आ जाए तो वह भूकंप उस आंदोलन के विषय में कोई सीधी सूचना दे रहा होता है !कई बार आंदोलन भी तो हिंसक हो जाता है !
जब किन्हीं दो पड़ोसी देशों में संयुक्त भूकंप आता है तो उन दोनों देशों के आपसी संबंधों के बनने या बिगड़ने के विषय में अथवा हानि या लाभ के विषय में कोई सूचना दे रहे होते हैं |
किसी क्षेत्र विशेष में कोई प्राकृतिक या सामाजिक कोई ऐसी घटना घटित होने जा रही होती है जिससे मानवता के प्रभावित होने कीसंभावना होती है किंतु उस घटना के विषय में बहुत कम लोगों को पता होता है ऐसी परिस्थिति में भूकंप आकर उस विषय की सूचना आमसमाज को दे देता है ताकि लोग सतर्कता बरत सकें !
भूकंप की सूचना देने आते हैं आँधी तूफ़ान !
कई बार कुछ दिनों या समय के अंतराल में किसी एक ही स्थान पर कोई दो प्राकृतिक घटनाएँ घटित हो रही होती हैं तो संभव है कि वे दोनों एक दूसरे से संबंधित हों !ऐसी परिस्थिति में पहली घटना बाद में घटित होने वाली दूसरी प्राकृतिक घटना की पूर्व सूचना दे रही होती है | ऐसे प्रकरणों में पहली घटना के घटित होने वाले समय का यदि ठीक प्रकार से अनुसंधान किया जाए तो बाद में घटित होने वाली घटना का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है !
उदाहरण -
25-4-2015 को आए भूकंप आने से पहले उसके विषय में सूचना देने आया था 22-04-15 को भीषण आँधी तूफान !
दो पड़ोसी देशों में आपसी मित्रता बढ़ने की सूचना देने आते हैं भूकंप !
3.भूकंप -UP /MP में 10 -4 -2018 /7 .44 PMबजे,तीव्रता 4.6 'सन्निपातज'भूकंप !
इसलिए इसी समय सवर्णों के 'भारत बंद' के दौरान बिहार में हिंसा "जहाँ जहाँ भूकंप वहाँ वहाँ हिंसा"हुई थी !
4. भूकंप:दिल्ली एनसीआर में 5 -2-2019 /10.17 बजे ,तीव्रता 5.6 'सन्निपातज'!यही भूकंप चंबा में 3.51 PM तीव्रता 3.2 और मंडी में 7. 31 PM तीव्रता 3.8 में आया था !केंद्र श्री नगर !
इसलिए 14 फरवरी को हेडिंग छपी -"पुलवामा / सीआरपीएफ के काफिले पर 100 किलो विस्फोटक से भरी गाड़ी से फिदायीन हमला, 40 जवान शहीद !"" 18 फरवरी को -"पुलवामा में आतंकियों से एनकाउंटर, 4 जवान शहीद (ANI)CRPF हमले के बाद पुलवामा में आतंकियों से एनकाउंटर, मेजर समेत 4 जवान शहीद जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले के पिंगलान इलाके में सोमवार को सुरक्षाबलों और आतंकियों से मुठभेड़ में चार जवान शहीद हो गए। इसके अलावा एनकाउंटर में एक जवान घायल हो गया।" "
विशेषबात - 15 फरवरी को महबूबा ने अपने मंत्री मंडल का विस्तार किया था इसी दिन से उनकी सरकार का क्रमिक गिरना प्रारंभ हो गया था ! सरकार के कई मंत्रियों ने भूकंप के तुरंत बाद अर्थात फरवरी से ही त्यागपत्र देना शुरू कर दिया था !उन्होंने अपना त्यागपत्र जून में दिया था किंतु सरकार गिरने की भूमिका फरवरी से ही बननी प्रारंभ हो गई थी !
प्राकृतिक उपद्रव की सूचना देने वाले भूकंप -
1. भूकंप -UP /MP में 10 -4 -2018 /7 .44 PMबजे, 'सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 4.6 !
इसीलिए राजस्थान में बारिश और तूफान ने मचाई तबाही, 7 लोगों की मौत !, 12 अप्रैल को देश में आंधी-तूफान ने मचाई तबाही, यूपी और राजस्थान में 36 की मौत;
2. भूकंप -जम्मू कश्मीर में 9 -4 -2018 /6 .6 AMबजे, 'सन्निपातज' !इसके बाद यहाँ अचानक अधिक वर्षा बर्फवारी का वातावरण बन गया था !
3.भूकंप -UP /MP में 10 -4 -2018 /7 .44 PMबजे,तीव्रता 4.6 'सन्निपातज'भूकंप ! इसके बाद यहाँ अचानक अधिक वर्षा का वातावरण बन गया था !
4. भूकंप:दिल्ली एनसीआर में 5 -2-2019 /10.17 बजे ,तीव्रता 5.6 'सन्निपातज'!यही भूकंप चंबा में 3.51 PM तीव्रता 3.2 और मंडी में 7. 31 PM तीव्रता 3.8 में आया था !केंद्र श्री नगर !
इसलिए 7 फरवरी को दिल्ली-NCR में तेज बारिश के साथ कुछ जगहों पर गिरे ओले, ठंड बढ़ी !दूसरी हेडिंग -"दिल्ली ,जम्मूकश्मीर ,हिमाचल उत्तराखंड में छाए बादलों से दिन में हुई रात !खूब गिरे ओले !हुई बर्फबारी !"तीसरी हेडिंग -"दिल्ली-एनसीआर में बहुत अधिक ओले पड़े !"'जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी बनी आफत, जवाहर सुरंग के पास हिमस्खलन, 10 जवान लापता जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में हुए हिमस्खलन में एक पुलिस पोस्ट चपेट में आ गई है. इस हादसे में 10 पुलिसवाले लापता हो गए हैं" "ओलों की सफेद चादर से पट गया दिल्ली-एनसीआर, दिन में ही छा गया अंधेरा !""
पुलवामा हमले के विषय में अतिविशेष बात-
जम्मू-कश्मीर समेत पूरे उत्तर भारत में पिछले दो सालों में कई भूकंप आ चुके हैं. हालांकि इनकी तीव्रता इतनी ज्यादा नहीं थी.
2 फरवरी को सायंकाल5.34 बजे6.1तीव्रता वाला भूकंप अफगानिस्तान से लेकर दिल्ली तक आया था |
4 फरवरी दोपहर 3.10 बजे तीव्रता 3.00 केंद्र सोनीपत !
5 फरवरी चंबा में दोपहर 3.51 बजे 3.1 का भूकंप आया !
5 फरवरी चंबा में दोपहर 3.52 बजे 3.2 का भूकंप आया !
5 फरवरी को ही भारत पकिस्तान के सीमा क्षेत्र में सायं 7.8 बजे4.4 तीव्रता का भूकंप !
5 फरवरी को ही मंडी में सायं 7.31 बजे 3.8 तीव्रता का भूकंप !
5 फरवरी रात्रि 10.17 बजे ,तीव्रता 5.6 दिल्ली के आसपास भूकंप !
5 (6) फरवरी को 2.41 बजे 4.4 तीव्रता का भूकंप कश्मीर में आया !
8 फरवरी को 1.53 PM बजे भूकंप नारनौल (हरियाणा) में आया !
18-2-2019 को जम्मूकश्मीर में 4.23PM बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 4.2
11.जम्मूकश्मीर में:20-2-2019 को दिन में 7.59बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 3.9
12.हिमाचल (किन्नौर) में :20-2-2019 को 7.17 बजे 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.5
13.दिल्ली के आसपास केंद्र शामली में :20-2-2019 को 7.49 बजे भूकंप !तीव्रता 4.6 हिमाचल आदि पूरे उत्तर भारत में
चंद्रज भूकंप
इसलिए 12 जून को 'वायु' तूफ़ान आया हेडिंग छापी गई -"चक्रवात 'वायु' का असर, पोरबंदर का भूतेश्वर महादेव मंदिर ढहा" "चक्रवाती तूफान 'वायु' फिर गुजरात की तरफ मुड़ा, कच्छ तट पर दे सकता है दस्तक !" "पाकिस्तान से आ रहे तूफान की चपेट में उत्तर भारत, अगले 48 घंटे होंगे अहम; अलर्ट जारी "
वायु प्रदूषण - "पाकिस्तान से आ रही धूल भरी आंधी, उत्तर भारत में अलर्ट, दिल्ली में सांस लेना हो सकता है मुश्किल !"
युंग का मानना था कि अ गर किन्हीं दो घटनाओं में कार्य-कारण संबंध ना भी हो लेकिन वे इस तरह घटित हों कि उनके बीच सार्थक रिश्ता जान पड़े तो ऐसी घटनाओं को ‘सार्थक संयोग’ (मीनिंगफुल को-इन्सिडेंस) का नाम दिया जाता है |मन ऊर्जा की तरंगें उत्पन्न करता है |
बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद जब शिकागो पहुँचे तो उन्होंने बड़ी दूर से ही एक खास इलाके की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस इलाके पर उदासी की गहरी छाया है. यह एक कसाईखाना था, अमेरिका का सबसे बड़ा ‘स्लॉटरहाऊस’! यहाँ जानवरों को काटने के लिए लाया जाता था. क्या उदासी की वो छाया निरीह पशुओं के दुख-दर्द और कराह से निकली तरंगों की देन थी?
आज जिसे पैरा-नॉर्मल या अतीन्द्रिय (शायद नए साल में इसे ही नामर्ल यानी इंद्रियजन्य मान लिया जाय!) माना जाता है उसपर विश्वास करने वाले वैज्ञानिकों में सिर्फ युंग का ही नाम शुमार नहीं. आधुनिक विज्ञान के जनक कहे जाने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी ईपीडब्ल्यू यानी आइंस्टीनियन पे’न वेव्ज् सिद्धांत की चर्चा की थी. यह सिद्धांत भूगर्भ विज्ञान से संबंधित है!
कुल मिलाकर पशुओं के सामूहिक संहार से भूकंप का रिश्ता कायम करना संभव नहीं है !भूकंप कब और क्यों होते हैं- इसे अभीतक कोई नहीं जानता. सो, ऊपर जिस सिद्धांत का जिक्र आया है उसे भी उतना ही प्रामाणिक या अप्रामाणिक माना जा सकता है जितना भूंकप के बारे में किसी अन्य सिद्धांत को. बहुत संभव है, आगे के वक्त में भूकंप-विज्ञानी भी उसी निष्कर्ष पर पहुंचे जिसे हमारे ऋषि-मुनि सदियों से बताते आ रहे हैं कि ‘विश्वात्मा’ का मन दुनिया के तमाम उपकरणों से कहीं ज्यादा ताकतवर है |
ऊपर जिस किताब की चर्चा की गई है उसमें दुनिया की उन तमाम जगहों की रिपोर्ट का संकलन किया गया है जहां भूकंप आए और जहां पशुओं को मारने के कसाईखाने थे. ऐसी भी जगहों से रिपोर्ट संकलित की गई है जहां कसाईखाने भूकंप की आशंका वाले क्षेत्रों के नजदीक बनाये गए हैं.
पे’न वेव्ज अर्थात पीड़ा के कारण उत्पन्न होने वाली तरंगें एक लंबी अवधि तक दबाव का क्षेत्र बनाते रहती हैं और जब यह दबाव अपने चरम-बिंदु पर पहुँच जाता है तो धरती की परत टूट जाती है और यह हादसा भूकंप का रूप ले लेता है! जानवरों को काटने के क्रम में उन्हें जिस पीड़ा का अहसास होता है उसमें चीख निकलती है, तनाव पैदा होता है और इन तमाम चीजों से भी पे’न वेव्ज का उसी तरीके से निर्माण होता है !ये पे’न वेव्ज धरती की परत में एक ना एक दिशा में चोट करती और दरार डॉलती हैं जो ‘सिस्मिक एनीसोट्रोफी’ अर्थात भूकंपीय चोट का कारण बनता है !
ध्वनि से धरती की परत पर लगने वाला धक्का ही भूकंप का कारण बनता है. यह धक्का अगर हल्का हो तो भी धरती की परत में कंपन होती है लेकिन ऐसे कंपन को कोई शायद ही कोई महसूस कर पाता हो.सालों साल लाखों की तादाद में जानवरों को मारने से आने वाले भूकंपों की तीव्रता रिक्टेल स्केल पर ज्यादा होती है.
ध्वनि-तरंगें चट्टानों पर बहुत ज्यादा दबाव डॉलती हैं. रोजाना बड़ी तादाद में जानवरों को हत्या की जाय और ऐसा बरसों तक हो तो आइंस्टीनियन पेन वेव्ज के जरिए एकॉस्टिक एनिस्ट्रॉफी पैदा होती है. ऐसा मरते हुए जानवरों को पहुँचती पीड़ा के कारण होता है! ये ध्वनियाँ कालक्रम में लंबी दूरी तय करती हैं इसलिए किसी एक देश में बने कसाईखानों की वजह से दूसरे देश में भी भूकंप आ सकता है |
कसाईखानों में बड़े पैमाने पर पशु-हत्या होने से भूकंप आते हैं. लातूर(खिलारी) के भूकंप, उत्तरकाशी में आये भूकंप तथा असम के भूकंप को मिसाल के रुप में गिनाया है. अमेरिका में आये नार्थरिज (1994), लांग बिच (कैलिफोर्निया – 1933), लैंडर्स (कैलिफोर्निया -1992), सैन फ्रांसिस्को (1906), न्यू मैड्रिड (मिसौरी – 1811-12) के भूकंप का भी किताब में उदाहरण दिया गया है. रूस के नेफगोर्स्क (1995) के भूकंप पर किताब में विस्तार से चर्चा है. जापान के कांटो (1923), नोबी (1891), किटा टांगो (1927), सांगकिरो सुनामी (1933), शिजुका (1935), टोंनाकल (1944), नानकई (1948), फुकुई (1948), ऑफ टोकाची (1952), किज्ता-मिनो (1961), निगाटा (1964), ऑफ टोकाची (1968), कोबे (1995) के भी भूकंप को उदाहरण के रुप में दर्ज किया गया है. नेपाल में गढ़ीमई में 1934 एवं 2015 में हुए पशु-संहार और वहाँ दोनों बार आए भीषण भूकंप इस बात के सशक्त उदाहरण हैं !
क्या ऐसा संभव है ? हां, क्यों नहीं? गुरुत्वाकर्षण से संबंधित तरंगों(ग्रेविटेशनल वेव्ज) के बारे में एक सिद्धांत आइंस्टीन ने 1916 में बताया था. बरसों तक वैज्ञानिक इस सिद्धांत की खिल्ली उड़ाते रहे. सौ साल बाद, जब सही उपकरण तैयार हो गये तो फरवरी 2016 में अमेरिका के वैज्ञानिकों ने ऐलान किया कि उन्होंने ग्रेविटेशनल वेव्ज को खोज निकाला है, उसे सुना और मापा है. इसे एक ऐतिहासिक खोज की संज्ञा दी गई और माना गया कि ग्रेविटेशनल वेव्ज के सहारे ब्रह्मांड को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है| गुरुत्वाकर्षणीय तरंगों से ऐसी सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती हैं जिससे ब्रह्मांड में किसी वस्तु की गति का पता चल सके |
इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है जब वैज्ञानिकों ने कुछ धारणाएँ और सिद्धांत प्रस्तुत किये लेकिन उन्हें उस वक्त उपकरण ना होने के कारण मापा नहीं जा सका और ठीक इसी कारण धारणाओं को सच नहीं माना गया.! डोनाल्ड ट्रंप तो अब भी सोचते हैं कि वैश्विक तापन(ग्लोबल वार्मिंग) कोई सच्चाई नहीं बल्कि एक कहानी है व्यक्तिगत रूप से मैं इस विषय में उनकी सोच से शतप्रतिशत सहमत हूँ | पे’न वेव्ज टैक्टोनिक प्लेटस् में कंपन उत्पन्न करते हैं और यह कंपन भूकंप का कारण बनता है.अमेरिका का टेकोमा ब्रिज 1940 में गिर पड़ा था. दर्ज इतिहास में यह पहला ब्रिज था जिसके गिरने की वजह वहाँ का उस प्रकार का वायु-प्रवाह था ! इस वजह से ऊपर बहती हवा के साथ कंपायमान होकर पूरा ब्रिज ही गिर पड़ा|
यदि वायुजनित कंपन पूरे ब्रिज के गिरने का कारण बन सकता है तो फिर मारे जाते जानवरों की पीड़ा से उत्पन्न पे’न वेव्ज से भूकंप क्यों नहीं आ सकते ? मारे जाते पशु को जो कष्ट पहुँचता है वो है क्या ? यह विशाल मात्रा में प्राण-ऊर्जा का निकलना ही तो है- एक ऐसी ऊर्जा जिसे हम अभी तक माप नहीं सके हैं |
पशुओं के सामूहिक संहार के क्रम में उनके दुख-दर्द से पैदा होते पे’न वेव्ज तथा इनके महाविनाशकारी कंपन को माप सकने वाली प्रौद्योगिकी या कोई यंत्र तैयार न होने के कारण इसे कब तक नाकारा जाएगा |
कई बार किसी स्थान विशेष पर यह प्राणऊर्जा बहुत लंबे समय तक स्थाई बनी रहती है जिसके कारण वहाँ लंबे समय तक भूकंप घटित होते रहते हैं !
निरपराध लोगों को मारा जाए तो वहाँ भूकंप आते हैं !
पारियात्र पर्वत जिसे बाद में हिंदूकुश कहा जाने लगा था उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप पर अरबों-तुर्कों के क़ब्ज़े के बाद हिंदुओं को ग़ुलाम बनाकर इन पर्वतों से ले जाया जाता था और उनमें से बहुत यहाँ बर्फ़ में मर जाया करते थे बहुतों को मार दिया जाता था ! हिंदूकुश एक फ़ारसी शब्द है जिसका अर्थ हिंदुओं को मारने का स्थान ।बताया जाता है कि एक समय में यहाँ पर हिंदुओं का बड़ा संहार हुआ था तभी से पारियात्र पर्वत को हिंदूकुश कहा जाने लगा था !उस समय हिंदुओं की प्राणपीड़ा से वहाँ की प्रकृति विक्षुब्ध हो गई थी तब से लेकर आज तक इस क्षेत्र में अक्सर भूकंप आते रहते हैं जिसका केंद्र हिंदूकुश होता है |
आवश्यक सूचनाएँ देने आते हैं भूकंप -
भूकंपों का नियमन करने वाली शक्ति प्रकृति, समाज एवं सरकार के काम काज आचार व्यवहार पर बहुत पैनी नजर रखती है जो अपनी बात आँधीतूफानों ,बिजली कड़कने या भूकंप जैसी अनेकों प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं के माध्यम से समाज से कहती है!जिसमें अधिकाँश घटनाओं के बिषय में प्रकृति के बिचारों को प्रकट करने का भूकंप सबसे बड़ा माध्यम है !प्रकृति के उन्हीं बिचारों की सूचना देने के लिए भूकंप आते हैं भूकंपों के आने के समय के आधार पर समयवैज्ञानिक लोग उन सूचनाओं को अनुसंधानात्मक प्रयास पूर्वक समझ पाते हैं कि इस भूकंप का मंतव्य क्या था |
प्रकृति समाज या सरकार में अचानक जब कोई उथल पुथल होने लगती है जिससे समाज परेशान होता है या सामूहिक परेशानी बढ़ने की संभावना होती है ऐसे समय में भूकंपों का नियमन करने वाली शक्ति उस विषय से संबंधित कोई अच्छी या बुरी सूचना देने के लिए भूकंपों को माध्यम बनाती है !
प्रकृति, समाज एवं सरकारों के कामकाज में यदि ऐसा कोई अचानक बड़ा बदलाव हो रहा होता है जिससे समाज अपरिचित होता है जबकि वह बदलाव समाज को अपने अच्छे या बुरे स्वभाव से बहुत अधिक प्रभावित करने वाला होता है !उसकी सूचना देने के लिए भूकंप आता है |
किसी क्षेत्र में कोई दंगा भड़कना होता है या उन्माद फैलना होता है या आतंकवाही हमला होना होता है या कोई बम विस्फोट होना होता है जिसकी आशंका समाज में बिल्कुल नहीं होती है ऐसी परिस्थिति में उस घटना की सूचना देकर समाज को सतर्क करने के लिए आता है भूकंप !
कई बार प्रधानमंत्री आदि बड़े पदों पर प्रतिष्ठित प्रभावी लोगों के सभा सम्मलेन में यदि कोई आतंकवादी हमला या विस्फोट आदि होना होता है तो उसकी सूचना देने के लिए आता है भूकंप या भीषण आँधीतूफ़ान !
प्रकृति में अचानक कोई ऐसी घटना घटित होने जा रही होती है जिसकी किसी को कल्पना भी नहीं होती है जबकि उससे बड़ा जन समुदाय प्रभावित होने की संभावना होती है तो इस बात की सूचना देने वहाँ भूकंप आता है!कई बार किसी क्षेत्र में आँधी तूफ़ान आना होता है तो भूकंप आता है या कहीं बहुत अधिक वर्षा होनी होती है तो भूकंप आता है !कहीं बहुत अधिक गर्मी पड़नी होती है तो भूकंप आता है !आग लगने की बहुत अधिक घटनाएँ घटित होनी होती हैं तो भूकंप आता है |
कई बार किसी क्षेत्र में कई दिनों से बहुत अधिक वर्षा हो रही होती है बाढ़ से जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है ऐसे समय में समाज के पास कोई साधन इस बात का पूर्वानुमान जानने के लिए नहीं होता है कि अभी ऐसी भीषण वर्षात कितने दिन और चलेगी !मौसम भविष्यवक्ता लोग अभी दो दिन और बरसेगा अभी तीन दिन और बरसेगा ऐसा करते करते समय पास किए जा रहे होते हैं ऐसी बिषम परिस्थिति में यदि उसी स्थान पर अचानक कोई भूकंप आ जाता है तो उस समय का अनुसंधान करके यह जान लिया जाता है कि वर्षा कितने दिन और चलेगी या तुरंत बंद होगी !यदि तुरंत बंद करने का आदेश होता है तो उसके तुरंत बाद से बर्षा बंद होकर बादलों का जमावड़ा पलायन करने लग जाता है !
किसी क्षेत्र में कई बार गर्मी की ऋतु में भूकंप आ जाता है तो वो कोई अन्य सूचना तो दे ही रहा होता है इसके साथ ही इस बिषय में भी अपने विचार व्यक्त कर रहा होता है कि गर्मी की मात्रा अभी और अधिक बढ़ेगी या यहाँ से घटनी प्रारंभ हो जाएगी !ऐसे ही सर्दी के विषय में शीतऋतु में सूचनाएँ मिलकारती हैं !
समाज में जिस स्थान पर सरकार के विरुद्ध कोई आंदोलन हो रहा हो वहीँ भूकंप आ जाए तो वह भूकंप उस आंदोलन के विषय में कोई सीधी सूचना दे रहा होता है !कई बार आंदोलन भी तो हिंसक हो जाता है !
जब किन्हीं दो पड़ोसी देशों में संयुक्त भूकंप आता है तो उन दोनों देशों के आपसी संबंधों के बनने या बिगड़ने के विषय में अथवा हानि या लाभ के विषय में कोई सूचना दे रहे होते हैं |
किसी क्षेत्र विशेष में कोई प्राकृतिक या सामाजिक कोई ऐसी घटना घटित होने जा रही होती है जिससे मानवता के प्रभावित होने कीसंभावना होती है किंतु उस घटना के विषय में बहुत कम लोगों को पता होता है ऐसी परिस्थिति में भूकंप आकर उस विषय की सूचना आमसमाज को दे देता है ताकि लोग सतर्कता बरत सकें !
भूकंप की सूचना देने आते हैं आँधी तूफ़ान !
कई बार कुछ दिनों या समय के अंतराल में किसी एक ही स्थान पर कोई दो प्राकृतिक घटनाएँ घटित हो रही होती हैं तो संभव है कि वे दोनों एक दूसरे से संबंधित हों !ऐसी परिस्थिति में पहली घटना बाद में घटित होने वाली दूसरी प्राकृतिक घटना की पूर्व सूचना दे रही होती है | ऐसे प्रकरणों में पहली घटना के घटित होने वाले समय का यदि ठीक प्रकार से अनुसंधान किया जाए तो बाद में घटित होने वाली घटना का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है !
उदाहरण -
25-4-2015 को आए भूकंप आने से पहले उसके विषय में सूचना देने आया था 22-04-15 को भीषण आँधी तूफान !
इस भीषण आँधी तूफान और भूकंप दोनों में ही नेपाल और भारत दोनों में जन धन
की भारी हानि हुई थी !इस आँधी तूफ़ान और भूकंप दोनों का ही केंद्र नेपाल की
एक ही जगह थी जबकि इन दोनों से ही प्रभावित नेपाल और भारत दोनों हुए थे |
1. जम्मू-कश्मीर के पूंछ जिले में 28-2- 2017 को रात 8 बजे तीव्रता 5.5 का 'चंद्रज'भूकंप आया था !
सामाजिक तनाव बढ़ने की सूचना देने वाला भूकंप !
1. गुजरात के बनासकांठा जिले में 13 -3-2017 को 15.52 बजे 4.4 की तीव्रता वाला 'वातज' भूकंप आया था |इस भूकंप का प्रभाव 30 दिन रहना था !इसी के बीच 25 मार्च को गुजरात के पाटनजिले के बड़वानी गाँव में दंगा हो गया था जिसमें 5000 लोगों की भीड़ ने हमलाबोल दिया था , 20 घर फूंक दिए गए थे !दो की मौत हो गई थी !यह पाटन क्षेत्र गुजरात के ही बनासकांठा जिले के पास पड़ता है जहाँ भूकंप आया था |'वातज' भूकंप में तनाव होता ही है |
2. जम्मू कश्मीर में 23 -9-2017 को प्रातः 5. 44 पर ,तीव्रता 4.5 ,'वातज' भूकंप के प्रभाव से इस समय यहाँ तनाव उन्माद पत्थरबाजी आदि की घटनाएँ घटित होने लगी थीं !
3. जम्मू कश्मीर में -19 -10-2017 को प्रातः 6. 40 बजे , तीव्रता 4.7 , का 'वातज' भूकंप आया था ! जिसके प्रभाव से यहाँ सामाजिक तनाव उपद्रव उन्माद पत्थरबाजी आदि की घटनाएँ अधिक घटित होने लगी थीं |
4.दिल्ली में 6-12-2017 को सायं 8.49 पर 'वातज' भूकंप ! जिसकी तीव्रता 5.5 थी !दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में भूकंप के झटके लगे इसका केंद्र उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में था!
5. जम्मू कश्मीर में11 -12-2017 को प्रातः 8.49 पर 'वातज' भूकंप आया जिसकी तीव्रता 4.5 थी !
इन 6 और 11 नवंबर के भूकंपों के द्वारा इस क्षेत्र में आतंकवादियों के आदि हिंसक असामाजिक तत्वों के विषय में सूचना दी जा रही थी !बाद में इन्हीं लोगों ने जम्मू-कश्मीर में CRPF के ट्रेनिंग सेंटर पर बड़ा आतंकी हमला कर दिया था जिसमें 4 जवान शहीद एवं 3 आतंकवादी मारे गए थे !
6. ठाणे (महाराष्ट्र):में 2-1-2018 को प्रातः 2.21 पर 'वातज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 3.2 थी !
इसके प्रभाव से पुणे में जातीय हिंसा के विरोध में महाराष्ट्र बंद: ट्रेनें रोकीं, बस सेवा पर बुरा असर, सड़कों पर सन्नाटा छाया रहा !
7. भूकंप:पश्चिम बंगाल में 27-4-2018 को रात्रि 2.24 पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 4.2 ! इसलिए पश्चिम बंगाल में 'खूनी' पंचायत चुनाव, हिंसक झड़पों में 12 की मौत !
8 .रानीखेड़ा (राजस्थान )में 27-5-2018 समय 10.00 PMबजे ,,'वातज' भूकंप ! इसलिए सड़क पर अन्नदाता:1 जून से दूध से सफेद हुई सड़कें तो कहीं शिव का हुआ अभिषेक, देशव्यापी बंद का आज दूसरा दिन !
9.भूकंप :जम्मू कश्मीर में 14 -6 -2018 समय 6.12 AMबजे ,,'वातज' भूकंप,तीव्रता 4.0! इसके बाद 14 जून को ही हेडिंग छपी थी "पाकिस्तान ने फिर किया सीजफायर उल्लंघन, बीएसएफ के 4 जवान शहीद, 3 घायल"
10. भूकंप :मेरठ में 10 -9-2018 \6. 28 AM ,तीव्रता 3.6 भूकंप आया, जिसमें मेरठ से दिल्ली तक भूकंप के झटके लगे !यह भूकंप लोगों के मन में उन्माद पैदा करने वाला था !
11.जम्मू कश्मीर में-12 -9-2018 को 5.15 AM पर 'वातज' भूकंप तीव्रता4.6 थी !
15 सितंबर को हेडिंग छपी -"जम्मू-कश्मीरः काजीगुंड में मुठभेड़ जारी, पांच आतंकी मारे गए"! 19 को छपा -"पाकिस्तानी सैनिकों ने बीएसएफ जवान का गला रेता, सीमा पर हाईअलर्ट !" 21 को छपी -"जम्मू-कश्मीर के शोपियां में अगवा 3 पुलिसकर्मियों की हत्या "!23 को छपी -"जम्मू-कश्मीर: मुठभेड़ में एक आतंकी ढेर, 'आतंक का अंत' मिशन पर सेना " !"जम्मू-कश्मीर: आतंकियों ने स्थानीय मजदूर को किया अगवा"!"कश्मीर के कुपवाड़ा में घुसपैठ की साजिश नाकाम, LoC पर दो आतंकी ढेर"!"सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी को किया ढेर !"
10.हिमाचल (किन्नौर) में :20-2-2019 को 7.17 बजे 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.5
11.हिमाचल (चंबा)में 25-7-2019 को 00.47AM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 4.0
11 हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में 29-7-2019 \ 9:03 AM 4.3तीव्रता का'वातज"भूकंप !
12. जम्मूकश्मीर में ,हिमाचल में 29-7-2019 को 12.54 AM'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.2
13.जम्मू कश्मीर में-12 -9-2018 को 5.15 AM पर 'वातज' भूकंप जिसकी तीव्रता4.6 थी !
वायु प्रदूषण बढ़ने की सूचना देने वाले भूकंप !
8 .रानीखेड़ा (राजस्थान )में 27-5-2018 समय 10.00 PMबजे ,,'वातज' भूकंप !
7. भूकंप:पश्चिम बंगाल में 27-4-2018 को रात्रि 2.24 पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 4.2 ! इसलिए पश्चिम बंगाल में 'खूनी' पंचायत चुनाव, हिंसक झड़पों में 12 की मौत !
8 .रानीखेड़ा (राजस्थान )में 27-5-2018 समय 10.00 PMबजे ,,'वातज' भूकंप ! इसलिए सड़क पर अन्नदाता:1 जून से दूध से सफेद हुई सड़कें तो कहीं शिव का हुआ अभिषेक, देशव्यापी बंद का आज दूसरा दिन !
9.भूकंप :जम्मू कश्मीर में 14 -6 -2018 समय 6.12 AMबजे ,,'वातज' भूकंप,तीव्रता 4.0! इसके बाद 14 जून को ही हेडिंग छपी थी "पाकिस्तान ने फिर किया सीजफायर उल्लंघन, बीएसएफ के 4 जवान शहीद, 3 घायल"
10. भूकंप :मेरठ में 10 -9-2018 \6. 28 AM ,तीव्रता 3.6 भूकंप आया, जिसमें मेरठ से दिल्ली तक भूकंप के झटके लगे !यह भूकंप लोगों के मन में उन्माद पैदा करने वाला था !
11.जम्मू कश्मीर में-12 -9-2018 को 5.15 AM पर 'वातज' भूकंप तीव्रता4.6 थी !
15 सितंबर को हेडिंग छपी -"जम्मू-कश्मीरः काजीगुंड में मुठभेड़ जारी, पांच आतंकी मारे गए"! 19 को छपा -"पाकिस्तानी सैनिकों ने बीएसएफ जवान का गला रेता, सीमा पर हाईअलर्ट !" 21 को छपी -"जम्मू-कश्मीर के शोपियां में अगवा 3 पुलिसकर्मियों की हत्या "!23 को छपी -"जम्मू-कश्मीर: मुठभेड़ में एक आतंकी ढेर, 'आतंक का अंत' मिशन पर सेना " !"जम्मू-कश्मीर: आतंकियों ने स्थानीय मजदूर को किया अगवा"!"कश्मीर के कुपवाड़ा में घुसपैठ की साजिश नाकाम, LoC पर दो आतंकी ढेर"!"सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी को किया ढेर !"
10.हिमाचल (किन्नौर) में :20-2-2019 को 7.17 बजे 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.5
11.हिमाचल (चंबा)में 25-7-2019 को 00.47AM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 4.0
11 हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में 29-7-2019 \ 9:03 AM 4.3तीव्रता का'वातज"भूकंप !
12. जम्मूकश्मीर में ,हिमाचल में 29-7-2019 को 12.54 AM'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.2
13.जम्मू कश्मीर में-12 -9-2018 को 5.15 AM पर 'वातज' भूकंप जिसकी तीव्रता4.6 थी !
वायु प्रदूषण बढ़ने की सूचना देने वाले भूकंप !
1. गुजरात के बनासकांठा
जिले में 13 -3-2017 को 15.52 बजे 4.4 की तीव्रता वाला 'वातज' भूकंप आया
था |
2.
जम्मू कश्मीर में 23 -9-2017 को प्रातः 5. 44 पर ,तीव्रता 4.5 ,'वातज'
भूकंप !
3. जम्मू कश्मीर में -19 -10-2017 को प्रातः 6. 40 बजे , तीव्रता 4.7
, का 'वातज' भूकंप आया था !
4.दिल्ली
में 6-12-2017 को सायं 8.49 पर 'वातज' भूकंप ! जिसकी तीव्रता 5.5 थी
!
5. जम्मू कश्मीर में11 -12-2017 को प्रातः 8.49 पर 'वातज' भूकंप आया जिसकी तीव्रता 4.5 थी !
6. ठाणे (महाराष्ट्र):में 2-1-2018 को प्रातः 2.21 पर 'वातज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 3.2 थी !
7. भूकंप:पश्चिम बंगाल में 27-4-2018 को रात्रि 2.24 पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 4.2 ! 8 .रानीखेड़ा (राजस्थान )में 27-5-2018 समय 10.00 PMबजे ,,'वातज' भूकंप !
इस भूकंप प्रभाव से राजस्थान से उड़कर आई धूल दिल्ली, हरियाणा के आसमान में छा गई !13 जून को अखवारों की हेडिंग बनी थी "दिल्ली, हरियाणा के आसमान में छाई राजस्थान से आई धूल!" राजधानी दिल्ली में गर्म हवा और धूल का छाया गुबार. प्रदूषण का स्तर 5 से 10 गुणा तक बढ़ा ! 14 जून को बीबीसी ने लिखा -"दिल्ली की गर्मी में सर्दियों वाला प्रदूषण, माजरा क्या है?"
9.भूकंप :जम्मू कश्मीर में 14 -6 -2018 समय 6.12 AMबजे ,,'वातज' भूकंप,तीव्रता 4.0! इसके बाद वायु प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ गया था ! 14 जून को हेडिंग छपी थी कि -"धूल के गुबार में घिरा हुआ है दिल्ली-एनसीआर" दूसरी हेडिंग इसीदिन की -"खतरनाक' स्तर पर पहुंचा प्रदूषण, सारे निर्माण कार्यों पर लगी रोक !"
10.हिमाचल (किन्नौर) में :20-2-2019 को 7.17 बजे 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.5
11.हिमाचल (चंबा)में 25-7-2019 को 00.47AM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 4.0
10.हिमाचल (किन्नौर) में :20-2-2019 को 7.17 बजे 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.5
11.हिमाचल (चंबा)में 25-7-2019 को 00.47AM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 4.0
11 हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में 29-7-2019 \ 9:03 AM 4.3तीव्रता का'वातज"भूकंप !
12. जम्मूकश्मीर में ,हिमाचल में 29-7-2019 को 12.54 AM'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.2
13.जम्मू कश्मीर में-12 -9-2018 को 5.15 AM पर 'वातज' भूकंप जिसकी तीव्रता4.6 थी !
12. जम्मूकश्मीर में ,हिमाचल में 29-7-2019 को 12.54 AM'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.2
13.जम्मू कश्मीर में-12 -9-2018 को 5.15 AM पर 'वातज' भूकंप जिसकी तीव्रता4.6 थी !
सर्दी बढ़ने की सूचना देने वाले भूकंप -
ये भूकंप यदि सर्दी में आता है तो सर्दी की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है जबकि
यदि ये भूकंप गर्मी में आता है तो सर्दी की मात्रा बढ़ती तो है लेकिन बहुत
अधिक नहीं बढ़ पाती है फिर भी बढ़ती है!
1. जम्मू-कश्मीर के पूंछ जिले में 28-2- 2017 को रात 8 बजे तीव्रता 5.5 का 'चंद्रज'भूकंप आया था !
2. यह भूकंप जम्मू कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश में 1\2-3-2017 की रात्रि में1.39 बजे 3.8 तीव्रताका 'चंद्रज'भूकंप आया था !
3.जम्मू-कश्मीर के किस्तवाड़ में 18-4-2017 को प्रातःकाल 'चंद्रज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 5.0 थी! जिसके झटके पाकिस्तान के इस्लामाबाद लाहौर सहित भारत के कई अन्य शहरों में भी लगे थे !
4.
कश्मीर में 24-8-2017\ 2.22AM,तीव्रता 5.00\ का 'चंद्रज' भूकंप आया था
!जिसके प्रभाव से इस समय कश्मीर में तनाव बढ़ने नहीं पाया था !
5.भूकंप -जम्मू कश्मीर में 20-2-2018 दिन में 12.41बजे तीव्रता 3.3 का 'चन्द्रज' भूकंप !
5.भूकंप -जम्मू कश्मीर में 20-2-2018 दिन में 12.41बजे तीव्रता 3.3 का 'चन्द्रज' भूकंप !
इसके प्रभाव से 25 फ़रवरी, 2018 को शिमला में बर्फबारी, न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज "लाहौल-स्पीति के ऊंचे पहाड़ी इलाकों,
किन्नौर, शिमला, सिरमौर, मंडी और चंबा जिलों में शुक्रवार से हल्की से लेकर
मध्यम स्तर की बर्फबारी हो रही है." राज्य में लाहौल-स्पीति जिले का
केलांग सबसे ठंडा रहा, जहां पारा हिमांक बिन्दु से तीन डिग्री नीचे पहुँच
गया !
6.भूकंप -जम्मूकश्मीर में 10-3-2018 दिन में 8.51बजे तीव्रता 4.1 का 'चंद्रज' भूकंप !
इस समय भी तापमान काफी कम हो गया था इसीलिए गर्मी का प्रभाव इस समय उतना अधिक बढ़ने नहीं पाया था !
7. भूकंप -जम्मू कश्मीर में 15-3-2018 दिन में 8.30बजे तीव्रता 4.6 का 'चंद्रज' भूकंप !
इस समय भी वर्षा बूंदी का वातावरण बने रहने के कारण इस समय तापमान बढ़ने नहीं पाया था !
8.हिंदूकुश से भारत तक 9-5-2018 को 16.15 बजे तीव्रता 6.2 'चंद्रज' भूकंप !
6.भूकंप -जम्मूकश्मीर में 10-3-2018 दिन में 8.51बजे तीव्रता 4.1 का 'चंद्रज' भूकंप !
इस समय भी तापमान काफी कम हो गया था इसीलिए गर्मी का प्रभाव इस समय उतना अधिक बढ़ने नहीं पाया था !
7. भूकंप -जम्मू कश्मीर में 15-3-2018 दिन में 8.30बजे तीव्रता 4.6 का 'चंद्रज' भूकंप !
इस समय भी वर्षा बूंदी का वातावरण बने रहने के कारण इस समय तापमान बढ़ने नहीं पाया था !
8.हिंदूकुश से भारत तक 9-5-2018 को 16.15 बजे तीव्रता 6.2 'चंद्रज' भूकंप !
गर्मी होने के कारण सर्दी तो नहीं हुई किंतु इस भूकंप के प्रभाव से तापमान बढ़ने नहीं पाया था !
9.जम्मू-कश्मीर में 29-10-2018 को 20.13बजे तीव्रता 5 .3 'चंद्रज' भूकंप !
9.जम्मू-कश्मीर में 29-10-2018 को 20.13बजे तीव्रता 5 .3 'चंद्रज' भूकंप !
10. जम्मू कश्मीर -भद्रवाह : में 23-12-2018 को 3.48 प्रातः 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.7
11. जम्मू कश्मीर में 26-12-2018 को सुबह 9.52 बजे 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.5
12 .भारतपाकिस्तान हिंदूकुश में संयुक्त भूकंप 2-2-2019 को 5.34pm'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता6.1
वर्षा होने की सूचना देने वाले भूकंप -
1. जम्मू-कश्मीर के पूंछ जिले में 28-2- 2017 को रात 8 बजे तीव्रता 5.5 का 'चंद्रज'भूकंप आया था !
2. यह भूकंप जम्मू कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश में 1\2-3-2017 की रात्रि में1.39 बजे 3.8 तीव्रताका 'चंद्रज'भूकंप आया था !
3. जम्मू-कश्मीर के किस्तवाड़ में 18-4-2017 को प्रातःकाल 'चंद्रज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 5.0 थी! जिसके झटके पाकिस्तान के इस्लामाबाद लाहौर सहित भारत के कई अन्य शहरों में भी लगे थे !
इस भूकंप के प्रभाव से इसी समय पूर्वोत्तर भारत में भीषण बारिश हुई थी जिससे झेलम आदि नदियों का जलस्तर बहुत अधिक बढ़ गया था !
4. कश्मीर में 24-8-2017\ 2.22AM,तीव्रता 5.00\ का 'चंद्रज' भूकंप आया था !जिसके प्रभाव से इस समय कश्मीर में तनाव बढ़ने नहीं पाया था !
5. भूकंप - जम्मू कश्मीर में 20-2-2018 दिन में 12.41बजे तीव्रता 3.3 का 'चंद्रज' भूकंप !
6. भूकंप -जम्मूकश्मीर में 10-3-2018 दिन में 8.51बजे तीव्रता 4.1 का 'चंद्रज' भूकंप !
7.भूकंप -जम्मू कश्मीर में 15-3-2018 दिन में 8.30बजे तीव्रता 4.6 का 'चंद्रज' भूकंप ! 8.हिंदूकुश से भारत तक 9-5-2018 को 16.15 बजे तीव्रता 6.2 'चंद्रज' भूकंप !
इसी समय हिमाचल प्रदेश के मध्य और निचले पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश हुई. वहीं राज्य के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी हुई
8.हिंदूकुश से भारत तक 9-5-2018 को 16.15 बजे तीव्रता 6.2 'चंद्रज' भूकंप !
9.जम्मू-कश्मीर में 29-10-2018 को 20.13बजे तीव्रता 5 .3 'चंद्रज' भूकंप !
4. कश्मीर में 24-8-2017\ 2.22AM,तीव्रता 5.00\ का 'चंद्रज' भूकंप आया था !जिसके प्रभाव से इस समय कश्मीर में तनाव बढ़ने नहीं पाया था !
5. भूकंप - जम्मू कश्मीर में 20-2-2018 दिन में 12.41बजे तीव्रता 3.3 का 'चंद्रज' भूकंप !
6. भूकंप -जम्मूकश्मीर में 10-3-2018 दिन में 8.51बजे तीव्रता 4.1 का 'चंद्रज' भूकंप !
7.भूकंप -जम्मू कश्मीर में 15-3-2018 दिन में 8.30बजे तीव्रता 4.6 का 'चंद्रज' भूकंप ! 8.हिंदूकुश से भारत तक 9-5-2018 को 16.15 बजे तीव्रता 6.2 'चंद्रज' भूकंप !
इसी समय हिमाचल प्रदेश के मध्य और निचले पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश हुई. वहीं राज्य के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी हुई
8.हिंदूकुश से भारत तक 9-5-2018 को 16.15 बजे तीव्रता 6.2 'चंद्रज' भूकंप !
9.जम्मू-कश्मीर में 29-10-2018 को 20.13बजे तीव्रता 5 .3 'चंद्रज' भूकंप !
10. जम्मू कश्मीर -भद्रवाह : में 23-12-2018 को 3.48 प्रातः 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.7
11. जम्मू कश्मीर में 26-12-2018 को सुबह 9.52 बजे 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.5
12 .भारतपाकिस्तान हिंदूकुश में संयुक्त भूकंप 2-2-2019 को 5.34pm'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता6.1! इस पर अखवारों में हेडिंग छपी -" पाकिस्तान से आ रही 'मुसीबत', दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में बढ़ेगी ठंड"
13.हिमाचल प्रदेश के चंबा में भूकंप :1-3-2019 को 11.40AM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.3
14 .
किन्नौर में भूकंप:8 -3 -2019 को दिन में 12.02 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता2.8
15. हिंदकुश (जम्मू-कश्मीर) में भूकंप:28 -2 -2019 को 12.59 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.8
16 . उत्तरकाशी में भूकंप:14-4-2019 को 9.26PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता2.9
17.हिमाचल (बिलासपुर) में भूकंप:3-5-2019 को दिन में 4.32 AM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता4.2
जम्मूकश्मीर (घाटी) में 14 -7-2019 / 9.56 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.6
जम्मूकश्मीर (घाटी) में 14 -7-2019 / 9.56 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.6
26.हिमाचल (किन्नौर)पिथौरागढ़ में:23 -7 -2019 को दिन में 5.41 PM ,तीव्रता 3.3
'चंद्रज'भूकंप
30. पिथौरागढ़ में भूकंप:1-8-2019 को रात्रि में 10.22 भूकंप !तीव्रता2.8'चंद्रज' भूकंप
(7 अगस्त को हिमाचल: बादल फटने के बाद नाले में आई बाढ़, ऐसे बची ग्रामीणों की जान,)
(7 अगस्त को हिमाचल: बादल फटने के बाद नाले में आई बाढ़, ऐसे बची ग्रामीणों की जान,)
35.
गुजरात (कच्छ ) में 19-8-2019 / 2.43 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 4.2
सामाजिक तनाव घटने की सूचना देने वाला भूकंप !
किसी क्षेत्र में जब जनता में उन्माद आंदोलन उग्रवाद हिंसा संघर्ष आदि चल रहा हो उसी समय यदि वहाँ 'चंद्रज' भूकंप आ जाता है तो चंद्र के प्रभाव से लगभग 40 दिनों के लिए वहाँ शांति हो जाती है !
9.जम्मू-कश्मीर में 29-10-2018 को 20.13बजे तीव्रता 5 .3 'चंद्रज' भूकंप !
किसी क्षेत्र में जब जनता में उन्माद आंदोलन उग्रवाद हिंसा संघर्ष आदि चल रहा हो उसी समय यदि वहाँ 'चंद्रज' भूकंप आ जाता है तो चंद्र के प्रभाव से लगभग 40 दिनों के लिए वहाँ शांति हो जाती है !
1. जम्मू-कश्मीर के पूंछ जिले में 28-2- 2017 को रात 8 बजे तीव्रता 5.5 का 'चंद्रज'भूकंप आया था !
2. यह भूकंप जम्मू कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश में 1\2-3-2017 की रात्रि में1.39 बजे 3.8 तीव्रताका 'चंद्रज'भूकंप आया था !
इन दोनों चंद्रज भूकंपों के प्रभाव से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं
एवं पत्थरबाजी आदि सामाजिक उन्माद में बहुत कमी आ गई थी |भूकंप
के प्रभाव को न समझने के कारण तब इस शांति होने का कारण कुछ लोगों ने
नोटबंदी को मान लिया था जो 8 नवंबर 2016 में हुई थी | जबकि भूकंपों के
प्रभाव का समय समाप्त होते ही पत्थरबाजी आदि घटनाएँ पुनः प्रारंभ हो गई थीं
|
3.जम्मू-कश्मीर के किस्तवाड़ में 18-4-2017 को प्रातःकाल 'चंद्रज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 5.0 थी! जिसके झटके पाकिस्तान के इस्लामाबाद लाहौर सहित भारत के कई अन्य शहरों में भी लगे थे !
3.जम्मू-कश्मीर के किस्तवाड़ में 18-4-2017 को प्रातःकाल 'चंद्रज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 5.0 थी! जिसके झटके पाकिस्तान के इस्लामाबाद लाहौर सहित भारत के कई अन्य शहरों में भी लगे थे !
4.कश्मीर में 24-8-2017\ 2.22AM,तीव्रता 5.00\ का 'चंद्रज' भूकंप आया था
!जिसके प्रभाव से इस समय कश्मीर में तनाव बढ़ने नहीं पाया था !
5.भूकंप - जम्मू कश्मीर में 20-2-2018 दिन में 12.41बजे तीव्रता 3.3 का 'चंद्रज' भूकंप !
6. भूकंप -जम्मूकश्मीर में 10-3-2018 दिन में 8.51बजे तीव्रता 4.1 का 'चंद्रज' भूकंप !
7.भूकंप -जम्मू कश्मीर में 15-3-2018 दिन में 8.30बजे तीव्रता 4.6 का 'चंद्रज' भूकंप !
ये तीनों भूकंप इस क्षेत्र में शांति सद्भाव का वातावरण बनने की सूचना दे रहे थे !
8.हिंदूकुश से भारत तक 9-5-2018 को 16.15 बजे तीव्रता 6.2 'चंद्रज' भूकंप ! यहाँ उपद्रवों की मात्रा में कमी आयी थी !6. भूकंप -जम्मूकश्मीर में 10-3-2018 दिन में 8.51बजे तीव्रता 4.1 का 'चंद्रज' भूकंप !
7.भूकंप -जम्मू कश्मीर में 15-3-2018 दिन में 8.30बजे तीव्रता 4.6 का 'चंद्रज' भूकंप !
ये तीनों भूकंप इस क्षेत्र में शांति सद्भाव का वातावरण बनने की सूचना दे रहे थे !
9.जम्मू-कश्मीर में 29-10-2018 को 20.13बजे तीव्रता 5 .3 'चंद्रज' भूकंप !
10. जम्मू कश्मीर -भद्रवाह : में 23-12-2018 को 3.48 प्रातः 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.7
11. जम्मू कश्मीर में 26-12-2018 को सुबह 9.52 बजे 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.5
12 .भारतपाकिस्तान हिंदूकुश में संयुक्त भूकंप 2-2-2019 को 5.34pm'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता6.1
13.हिमाचल प्रदेश के चंबा में भूकंप :1-3-2019 को 11.40AM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.3
14 .
किन्नौर में भूकंप:8 -3 -2019 को दिन में 12.02 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता2.8
15. हिंदकुश (जम्मू-कश्मीर) में भूकंप:28 -2 -2019 को 12.59 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.8
16 . उत्तरकाशी में भूकंप:14-4-2019 को 9.26PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता2.9
17.हिमाचल (बिलासपुर) में भूकंप:3-5-2019 को दिन में 4.32 AM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता4.2
जम्मूकश्मीर (घाटी) में 14 -7-2019 / 9.56 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.6
जम्मूकश्मीर (घाटी) में 14 -7-2019 / 9.56 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.6
26.हिमाचल (किन्नौर)पिथौरागढ़ में:23 -7 -2019 को दिन में 5.41 PM ,तीव्रता 3.3
'चंद्रज'भूकंप
30. पिथौरागढ़ में भूकंप:1-8-2019 को रात्रि में 10.22 भूकंप !तीव्रता2.8'चंद्रज' भूकंप
35.
गुजरात (कच्छ ) में 19-8-2019 / 2.43 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 4.2
गर्मी बढ़ाने वाले और आग लगने की सूचना देने वाले भूकंप -
सूर्यज भूकंपों पर सूर्य का प्रभाव अधिक रहता है इसलिए ये भूकंप जब आ जाता है तब आग लगने की घटनाओं में विशेष वृद्धि हो जाती है एवं तापमान
बढ़ ही जाता है !यदि ये भूकंप गर्मी में आता है तो गर्मी की मात्रा बहुत
अधिक बढ़ जाती है जबकि यदि ये भूकंप सर्दी में आता है तो गर्मी की मात्रा
बढ़ती तो है लेकिन बहुत अधिक नहीं बढ़ पाती है फिर भी बढ़ती है |
1.
हरियाणा के रोहतक में 2-6-2017,4.24 AM,तीव्रता 5,'सूर्यज' भूकंप आया
था जिसके झटके दिल्ली- एनसीआर तक लगे थे !भूकंपकेंद्र 'रोहतक' था !
2. राजस्थान में 18-11-2018 \ 15 .00 बजे ,'सूर्यज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 4.2थी !
3. दिल्ली में 31-1-2018 समय दोपहर 12.35 बजे ,'सूर्यज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 6 . 1 थी !
यह भूकंप यद्यपि सर्दी में आया था फिर भी इस समय गर्मी की मात्रा बहुत अधिक बढ़ गई थी !3 फरवरी को हेडिंग छपी थी "मौसम में बड़ी तेजी से हुआ बदलाव, 25 डिग्री तक पहुंचा तापमान" दूसरी हेडिंग थी -"पिछले सात सालों में 24 फरवरी सबसे गर्म दिन!"तीसरी हेडिंग -"12
सालों में पहली बार इतनी गर्म रही दिल्ली की सर्दी "| चौथी हेडिंग -गर्मी
ने तोड़ा रेकॉर्ड, फरवरी में आया 'अप्रैल' | पाँचवीं हेडिंग -"समय से पहले
आई गर्मी गेहूँ का उत्पादन घटा देगी !"
4.पाकिस्तान और भारत में -10-5-2018 समय 20.1 बजे ,तीव्रता 6.6 ,'सूर्यज' भूकंप !
इस समय से गर्मी बढ़नी प्रारंभ हो गई थी जिसकी सूचना दे रहा था यह भूकंप !पाकिस्तान के कराची में 18 मई से लू चलने के कारण करीब 180 लोगों की हुई मौत !
5.जम्मू-कश्मीर में 7 जून 2018 को 12 बजकर 21 मिनट पर दोपहर में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.4!. इसके बाद तापमान बढ़ता चला गया !
6. 10 सितंबर सोमवार को प्रातः 6. 28 पर मेरठ में 'सूर्यज'भूकंप आया, जिसकी तीव्रता तीव्रता 3.6 थी इसी वजह से दिल्ली तक भूकंप के झटके लगे !इससे वातावरण गर्म हो गया था !
7. जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :7-10-2018 को दिन में. बजे भूकंप ,तीव्रता 4 .6
8.जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :21-10-2018 को सायं 6.6 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.3
आंदोलन की सूचना देने वाले भूकंप -4.पाकिस्तान और भारत में -10-5-2018 समय 20.1 बजे ,तीव्रता 6.6 ,'सूर्यज' भूकंप !
इस समय से गर्मी बढ़नी प्रारंभ हो गई थी जिसकी सूचना दे रहा था यह भूकंप !पाकिस्तान के कराची में 18 मई से लू चलने के कारण करीब 180 लोगों की हुई मौत !
5.जम्मू-कश्मीर में 7 जून 2018 को 12 बजकर 21 मिनट पर दोपहर में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.4!. इसके बाद तापमान बढ़ता चला गया !
6. 10 सितंबर सोमवार को प्रातः 6. 28 पर मेरठ में 'सूर्यज'भूकंप आया, जिसकी तीव्रता तीव्रता 3.6 थी इसी वजह से दिल्ली तक भूकंप के झटके लगे !इससे वातावरण गर्म हो गया था !
7. जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :7-10-2018 को दिन में. बजे भूकंप ,तीव्रता 4 .6
8.जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :21-10-2018 को सायं 6.6 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.3
9. काँगड़ा (हिमाचल में 'सूर्यज'भूकंप :13-2-2019 को दिन में 7.35 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.5
10.जम्मूकश्मीर में 18-2-2019 को 4.23PM बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 4.2
11.जम्मूकश्मीर में:20-2-2019 को दिन में 7.59बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 3.9
12. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ म:14 -6 -2019 को दिन में 12.07 PM ें'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 3.8
13.हिंदू कुशमें ':4 -7 -2019 को दिन में 9.50AM ,तीव्रता 5.5 !सूर्यज'भूकंप
14.उत्तरकाशी में :6-7-2019 को सायं 9.00 PM भूकंप ,तीव्रता 3.1!'सूर्यज'भूकंप
15. अफगानिस्तान से दिल्ली तक8-8-2019को 6.15AM में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 5.9 !
16. भूकंप :चंबा में 22-8-2019को 4.50AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 2.7 !
17.भूकंप :कश्मीर में 23-8-2019को 11.39AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.1 !
1. हरियाणा के रोहतक में 2- 6 -2017,4.24 AM,तीव्रता 5,'सूर्यज' भूकंप आया था जिसके झटके दिल्ली- एनसीआर तक लगे थे !भूकंपकेंद्र 'रोहतक' था !
इसी समय से जाट आंदोलन किसान आंदोलन आदि के माध्यम से हरियाणा में आंदोलन काफी जोर पकड़ गया था 1 ,2 जून को ही हरियाणा में रोडों पर दूध बहाया गया था यहीं से संपूर्ण हरियाणा प्रदेश में किसानों ने भारी आंदोलन काफी लंबे समय तक किया था !
2. राजस्थान में 18-11-2018 \ 15 .00 बजे ,'सूर्यज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 4.2थी !
इस भूकंप के प्रभाव से लोगों में गुस्सा होना स्वाभाविक था !राजस्थान में आंदोलनरत करणी सेना के क्रुद्ध युवाओं ने सिनेमाहाल तोड़ दिया था उसके बाद भी आंदोलन चलता रहा था |
3. दिल्ली में 31-1-2018 समय दोपहर 12.35 बजे ,'सूर्यज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 6 . 1 थी !इसका केंद्र अफगानिस्तान में था। इस भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर, यूपी, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर,
उत्तराखंड और दूसरे राज्यों में भी महसूस किए गए हैं। हिमाचल के सभी जिला में भूकंप के झटके महसूस
किए गए। भूकंप के झटके पड़ोसी देश पाकिस्तान
और अफगानिस्तान में काफी तेज महसूस किए गए।
इस भूकंप के प्रभाव से 4 फरवरी को तालिबान के ठिकानों पर हमला, 12 आतंकी मारे गए !इसी दिन काबुल में तालिबान का एंबुलेंस बम हमला, 95 लोगों की मौत! 23 फरवरी की रात्रि को अफगान मिलिट्री बेस पर तालिबानी हमले में 22 मरे !10 फरवरी को जम्मू में आर्मी कैंप पर आतंकी हमला !
4. पाकिस्तान और भारत में -10-5-2018 समय 20.1 बजे ,तीव्रता 6.6 ,'सूर्यज' भूकंप !
इस भूकंप प्रभाव से पाकिस्तान की ओर से आरएसपुरा सेक्टर में फायरिंग, BSF का एक जवान शहीद 3 जख्मी ! 21 मई को आरएसपुरा, रामगढ़ और अरनिया सेक्टर में सीमा पार से गोलाबारी, !22 मई को पाकिस्तान बॉर्डर पर युद्ध जैसे हालात, सीमा पार से लगातार गोलाबारी में 12 लोगों की मौत; दर्जनों घायल !
5.जम्मू-कश्मीर में 7 जून 2018 को 12 बजकर 21 मिनट पर दोपहर में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.4! इसके बाद यहाँ तनाव बढ़ना फिर से प्रारंभ हुआ !
6. 10 सितंबर सोमवार को प्रातः 6. 28 पर मेरठ में 'सूर्यज'भूकंप आया, जिसकी तीव्रता तीव्रता 3.6 थी इसी वजह से दिल्ली तक भूकंप के झटके लगे !
7. जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :7-10-2018 को दिन में. बजे भूकंप ,तीव्रता 4 .6
8.जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :21-10-2018 को सायं 6.6 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.3
वर्षा बंद होने की सूचना देने वाला भूकंप -
10 सितंबर सोमवार को प्रातः 6. 28 पर मेरठ में 'सूर्यज'भूकंप आया, जिसकी
तीव्रता तीव्रता 3.6 थी इसी वजह से दिल्ली तक भूकंप के झटके लगे !
4. पाकिस्तान और भारत में -10-5-2018 समय 20.1 बजे ,तीव्रता 6.6 ,'सूर्यज' भूकंप !
इस भूकंप प्रभाव से पाकिस्तान की ओर से आरएसपुरा सेक्टर में फायरिंग, BSF का एक जवान शहीद 3 जख्मी ! 21 मई को आरएसपुरा, रामगढ़ और अरनिया सेक्टर में सीमा पार से गोलाबारी, !22 मई को पाकिस्तान बॉर्डर पर युद्ध जैसे हालात, सीमा पार से लगातार गोलाबारी में 12 लोगों की मौत; दर्जनों घायल !
5.जम्मू-कश्मीर में 7 जून 2018 को 12 बजकर 21 मिनट पर दोपहर में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.4! इसके बाद यहाँ तनाव बढ़ना फिर से प्रारंभ हुआ !
6. 10 सितंबर सोमवार को प्रातः 6. 28 पर मेरठ में 'सूर्यज'भूकंप आया, जिसकी तीव्रता तीव्रता 3.6 थी इसी वजह से दिल्ली तक भूकंप के झटके लगे !
7. जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :7-10-2018 को दिन में. बजे भूकंप ,तीव्रता 4 .6
8.जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :21-10-2018 को सायं 6.6 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.3
9. काँगड़ा (हिमाचल में 'सूर्यज'भूकंप :13-2-2019 को दिन में 7.35 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.5
10.जम्मूकश्मीर में 18-2-2019 को 4.23PM बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 4.2
11.जम्मूकश्मीर में:20-2-2019 को दिन में 7.59बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 3.9
12. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ म:14 -6 -2019 को दिन में 12.07 PM ें'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 3.8
13.हिंदू कुशमें ':4 -7 -2019 को दिन में 9.50AM ,तीव्रता 5.5 !सूर्यज'भूकंप
14.उत्तरकाशी में :6-7-2019 को सायं 9.00 PM भूकंप ,तीव्रता 3.1!'सूर्यज'भूकंप
15. अफगानिस्तान से दिल्ली तक8-8-2019को 6.15AM में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 5.9 !
16. भूकंप :चंबा में 22-8-2019को 4.50AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 2.7 !
16. भूकंप :चंबा में 22-8-2019को 4.50AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 2.7 !
17.भूकंप :कश्मीर में 23-8-2019को 11.39AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.1 !
वर्षा बंद होने की सूचना देने वाला भूकंप -
1. हिमाचल (सिरमौर) में 'सूर्यज'भूकंप :24-9-2018 को दिन में 2.22 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.7!
हिमाचल में पिछले एक सप्ताह से भयंकर बारिश हो रही थी मौसम भविष्यवक्ता लोग 29 सितंबर वर्षा होने की भविष्यवाणी कर चुके थे !किंतु ये भूकंप आते ही मैंने सरकारी मौसम विभाग समेत कुछ अन्य संस्थाओं को भी उनके जीमेल पर वर्षा तुरंत बंद होने की सूचना दे दी थी !जो अभी भी जीमेल पर विद्यमान हैं और उसी दिन वर्षा बंद भी हो गई थी उसके भी प्रमाण जीमेल पर हैं !
2. भूकंप :चंबा में 22-8-2019को 4.50AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 2.7 !
2. भूकंप :चंबा में 22-8-2019को 4.50AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 2.7 !
रोग कारक भूकंप -
10 सितंबर सोमवार को प्रातः 6. 28 पर मेरठ में 'सूर्यज'भूकंप आया, जिसकी
तीव्रता तीव्रता 3.6 थी इसी वजह से दिल्ली तक भूकंप के झटके लगे !
इस कारण भूकंपीय क्षेत्र में ही गला घोंटू रोग फैला था !उत्तर
प्रदेश के गाजियाबाद, बुलंदशहर, सहारनपुर और मुरादाबाद आदि जिलों में
भूकंप के बाद 30 दिनों के अंदर गलाघोंटू रोग फैला था बच्चे वहाँ से दिल्ली
लाए गए थे जिसमें काफी बच्चे बीमार हुए थे बहुत बच्चों की दुर्भाग्यपूर्ण
मृत्यु भी हुई थी ।
दो पड़ोसी देशों में आपसी मित्रता बढ़ने की सूचना देने आते हैं भूकंप !
भारत पाक सीमा पर 8 -7- 2017 \15.43 बजे 'चंद्रज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 5.2 थी !
इस भूकंप के बाद भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधों में सुधार होने लगा था | 13-7-2017 को जाधव की मां को वीजा देने के लिए पाक संकेत देने लगा था ये उसमें अचानक परिवर्तन आया था !भूकंपीय क्षेत्र की जनता आक्रामकता छोड़कर शांति का रास्ता अपनाने लगी थी !जिसके परिणाम स्वरूप 11 अगस्त को अखवार में हेडिंग छपी थी "आतंकियों को नहीं मिले इस बार पत्थरबाज !" ये 'चंद्रज'भूकंप का ही प्रभाव था |
आतंकवादी समस्याएँ बढ़ने की सूचना देने वाले भूकंप !
1. हिंदूकुश अफगानिस्तान से कश्मीर तक !28-10-2017 प्रातः 23.15 बजे ,'सन्निपातज'भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 5.7 थी !
इस भूकंप के प्रभाव से यह क्षेत्र इस समय पूरी तरह से अशांत हो चुका था !इस भूकंप के तुरंत बाद अफगानिस्तान के प्रांतीय उप गवर्नर का पाकिस्तान में अपहरण हो गया था !भूकंप के बाद 30 दिन के अंदर ही पाकिस्तान में प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के बाद हिंसा भड़क उठी थी जिसमें 6 की मौत और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे !आत्मघाती हमले से काबुल में 18 लोगों की मौत हो गई थी !अफगानिस्तान में ऑस्ट्रेलियाई दूतावास के पास फिदायीन हमले में 13 की मौत हो गई थी !बलूचिस्तान में सुरक्षाबलों पर हमले में चार की मौत हो गई थी !पेशावर में आत्मघाती विस्फोट में AIG की मौत हुई थी !अफगानिस्तान की दो मस्जिदों में आत्मघाती हमले, 72 लोगों की मौत हो गई थी !पाकिस्तान के पेशावर में आतंकी हमला, 12 लोगों की मौत, 32 घायल हो गए थे !पूर्व गवर्नर के अंतिम संस्कार के दौरान विस्फोट, 15 की मौत, कई जख्मी हो गए थे !
2. भूकंप -जम्मू कश्मीर में 9 -4 -2018 /6 .6 AMबजे, 'सन्निपातज' !इसके बाद यहाँ अचानक तनाव बढ़ने लगा था !
2. भूकंप -जम्मू कश्मीर में 9 -4 -2018 /6 .6 AMबजे, 'सन्निपातज' !इसके बाद यहाँ अचानक तनाव बढ़ने लगा था !
इसलिए इसी समय सवर्णों के 'भारत बंद' के दौरान बिहार में हिंसा "जहाँ जहाँ भूकंप वहाँ वहाँ हिंसा"हुई थी !
4. भूकंप:दिल्ली एनसीआर में 5 -2-2019 /10.17 बजे ,तीव्रता 5.6 'सन्निपातज'!यही भूकंप चंबा में 3.51 PM तीव्रता 3.2 और मंडी में 7. 31 PM तीव्रता 3.8 में आया था !केंद्र श्री नगर !
इसलिए 14 फरवरी को हेडिंग छपी -"पुलवामा / सीआरपीएफ के काफिले पर 100 किलो विस्फोटक से भरी गाड़ी से फिदायीन हमला, 40 जवान शहीद !"" 18 फरवरी को -"पुलवामा में आतंकियों से एनकाउंटर, 4 जवान शहीद (ANI)CRPF हमले के बाद पुलवामा में आतंकियों से एनकाउंटर, मेजर समेत 4 जवान शहीद जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले के पिंगलान इलाके में सोमवार को सुरक्षाबलों और आतंकियों से मुठभेड़ में चार जवान शहीद हो गए। इसके अलावा एनकाउंटर में एक जवान घायल हो गया।" "
विशेषबात - 15 फरवरी को महबूबा ने अपने मंत्री मंडल का विस्तार किया था इसी दिन से उनकी सरकार का क्रमिक गिरना प्रारंभ हो गया था ! सरकार के कई मंत्रियों ने भूकंप के तुरंत बाद अर्थात फरवरी से ही त्यागपत्र देना शुरू कर दिया था !उन्होंने अपना त्यागपत्र जून में दिया था किंतु सरकार गिरने की भूमिका फरवरी से ही बननी प्रारंभ हो गई थी !
5.
देहरादून (यमुनाघाटी) में 14 -7-2019 / 3:42PM बजे ,तीव्रता3.0'सन्निपातज'भूकंप !
6.
पकिस्तान में 10-8-2019 / 11:43 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.5
7.
लेह में 13-8-2019 / 4:20 PM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 4.2
8.
अफगानिस्तान (हिंदूकुश) में 16-8-2019 / 7:39 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.1 प्राकृतिक उपद्रव की सूचना देने वाले भूकंप -
1. भूकंप -UP /MP में 10 -4 -2018 /7 .44 PMबजे, 'सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 4.6 !
इसीलिए राजस्थान में बारिश और तूफान ने मचाई तबाही, 7 लोगों की मौत !, 12 अप्रैल को देश में आंधी-तूफान ने मचाई तबाही, यूपी और राजस्थान में 36 की मौत;
2. भूकंप -जम्मू कश्मीर में 9 -4 -2018 /6 .6 AMबजे, 'सन्निपातज' !इसके बाद यहाँ अचानक अधिक वर्षा बर्फवारी का वातावरण बन गया था !
3.भूकंप -UP /MP में 10 -4 -2018 /7 .44 PMबजे,तीव्रता 4.6 'सन्निपातज'भूकंप ! इसके बाद यहाँ अचानक अधिक वर्षा का वातावरण बन गया था !
4. भूकंप:दिल्ली एनसीआर में 5 -2-2019 /10.17 बजे ,तीव्रता 5.6 'सन्निपातज'!यही भूकंप चंबा में 3.51 PM तीव्रता 3.2 और मंडी में 7. 31 PM तीव्रता 3.8 में आया था !केंद्र श्री नगर !
इसलिए 7 फरवरी को दिल्ली-NCR में तेज बारिश के साथ कुछ जगहों पर गिरे ओले, ठंड बढ़ी !दूसरी हेडिंग -"दिल्ली ,जम्मूकश्मीर ,हिमाचल उत्तराखंड में छाए बादलों से दिन में हुई रात !खूब गिरे ओले !हुई बर्फबारी !"तीसरी हेडिंग -"दिल्ली-एनसीआर में बहुत अधिक ओले पड़े !"'जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी बनी आफत, जवाहर सुरंग के पास हिमस्खलन, 10 जवान लापता जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में हुए हिमस्खलन में एक पुलिस पोस्ट चपेट में आ गई है. इस हादसे में 10 पुलिसवाले लापता हो गए हैं" "ओलों की सफेद चादर से पट गया दिल्ली-एनसीआर, दिन में ही छा गया अंधेरा !""
5.
देहरादून (यमुनाघाटी) में 14 -7-2019 / 3:42PM बजे ,तीव्रता3.0'सन्निपातज'भूकंप !
6.
पकिस्तान में 10-8-2019 / 11:43 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.5
7.
लेह में 13-8-2019 / 4:20 PM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 4.2
8.
अफगानिस्तान (हिंदूकुश) में 16-8-2019 / 7:39 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.1
पुलवामा हमले के विषय में अतिविशेष बात-
जम्मू-कश्मीर समेत पूरे उत्तर भारत में पिछले दो सालों में कई भूकंप आ चुके हैं. हालांकि इनकी तीव्रता इतनी ज्यादा नहीं थी.
2 फरवरी को सायंकाल5.34 बजे6.1तीव्रता वाला भूकंप अफगानिस्तान से लेकर दिल्ली तक आया था |
4 फरवरी दोपहर 3.10 बजे तीव्रता 3.00 केंद्र सोनीपत !
5 फरवरी चंबा में दोपहर 3.51 बजे 3.1 का भूकंप आया !
5 फरवरी चंबा में दोपहर 3.52 बजे 3.2 का भूकंप आया !
5 फरवरी को ही भारत पकिस्तान के सीमा क्षेत्र में सायं 7.8 बजे4.4 तीव्रता का भूकंप !
5 फरवरी को ही मंडी में सायं 7.31 बजे 3.8 तीव्रता का भूकंप !
5 फरवरी रात्रि 10.17 बजे ,तीव्रता 5.6 दिल्ली के आसपास भूकंप !
5 (6) फरवरी को 2.41 बजे 4.4 तीव्रता का भूकंप कश्मीर में आया !
8 फरवरी को 1.53 PM बजे भूकंप नारनौल (हरियाणा) में आया !
13 फरवरी को काँगड़ामें 7.35 AM बजे ,तीव्रता 3.5 का भूकंप !
17 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद हिमाचल से गिरफ्तार कश्मीरी युवक की पहली तस्वीर सामने आई!इससे ये सिद्ध होता है कि हिमाचल में इनका अच्छा नेटवर्क था !18-2-2019 को जम्मूकश्मीर में 4.23PM बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 4.2
11.जम्मूकश्मीर में:20-2-2019 को दिन में 7.59बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 3.9
12.हिमाचल (किन्नौर) में :20-2-2019 को 7.17 बजे 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.5
13.दिल्ली के आसपास केंद्र शामली में :20-2-2019 को 7.49 बजे भूकंप !तीव्रता 4.6 हिमाचल आदि पूरे उत्तर भारत में
14.हिमाचल (किन्नौर) में भूकंप :22-2-2019 को 7.17 बजे 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.5
चंद्रज भूकंप
13.हिमाचल प्रदेश के चंबा में भूकंप :1-3-2019 को 11.40AM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.3
14.
किन्नौर में भूकंप:8 -3 -2019 को दिन में 12.02 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता2.8
15. हिंदकुश (जम्मू-कश्मीर) में भूकंप:28 -2 -2019 को 12.59 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.8
16 . उत्तरकाशी में भूकंप:14-4-2019 को 9.26PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता2.9
17.हिमाचल (बिलासपुर) में भूकंप:3-5-2019 को दिन में 4.32 AM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता4.2
18.भूकंप :कश्मीर घाटी में(केंद्र पकिस्तान )12 -6 -2019 को 8.40 AM को 5.3 तीव्रता 'वातज'
19. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ म:14 -6 -2019 को दिन में 12.07 PM ें'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 3.8
20. हिमाचल के मंडी में 26-6-2019 को 9.45PM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 5.1
21 . हिंदू कुशमें ':4 -7 -2019 को दिन में 9.50AM ,तीव्रता 5.5 !सूर्यज'भूकंप
22.उत्तरकाशी में :6-7-2019 को सायं 9.00 PM भूकंप ,तीव्रता 3.1!'सूर्यज'भूकंप
23. शिमला में 10-7-2019 को 7.55 PM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.1
24.
देहरादून (यमुनाघाटी) में 14 -7-2019 / 3:42PM बजे ,तीव्रता3.0'सन्निपातज'भूकंप !
25. जम्मूकश्मीर (घाटी) में 14 -7-2019 / 9.56 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.6
26.हिमाचल (किन्नौर)पिथौरागढ़ में:23 -7 -2019 को दिन में 5.41 PM ,तीव्रता 3.3
'चंद्रज'भूकंप
27. हिमाचल (चंबा)में 25-7-2019 को 00.47AM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 4.0
28. जम्मूकश्मीर में ,हिमाचल में 29-7-2019 को 12.54 AM'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.2
29.हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में 29-7-2019 \ 9:03 AM 4.3तीव्रता का'वातज"भूकंप !
30 जुलाई को पाकिस्तान ने किया तोपखाने का इस्तेमाल, मिला करारा जवाब !पाकिस्तान ने सुबह जम्मू जिले की अखनूर तहसील के केरी बट्टल में गोलाबारी की और शाम को उत्तरी कश्मीर के गुरेज (बांडीपोर) में घुसपैठ करवाने का प्रयास किया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हर मोर्चे पर करारा जवाब दिया। अखनूर और गुरेज में पाकिस्तानी सेना के छह सैनिकों के मारे जाने की सूचना है। तीन घुसपैठिए भी मारे गए हैं। सीमा पार पाकिस्तान की दो चौकियां तबाह व भारी नुकसान भी हुआ है। कई पाकिस्तानी सैनिक घायल बताए जा रहे हैं। भारतीय सेना के नायक कृष्ण लाल पुत्र चुन्नी लाल भी शहीद हो गए। देर रात तक उत्तरी कश्मीर के गुरेज, टंगडार, करनाह और उड़ी में दोनों तरफ से भारी गोलाबारी जारी रही। इसमें दो नागरिक घायल हो गए। पाकिस्तान ने उत्तरी कश्मीर में भारतीय ठिकानों पर तोपखाने का भी इस्तेमाल किया है।2 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई है. इस मुठभेड़ में एक जवान के शहीद हो गया है!पुलवामा में सुरक्षाबलों के काफिले पर फिर हमला, आतंकियों ने किया IED ब्लास्ट !जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने एक बार फिर पुलवामा हमले को दोहराने की साजिश रची. आतंकियों ने पुलवामा के जाहिदबाग इलाके में 55 राष्ट्रीय राइफल्स की गाड़ी पर हमला किया है.भारतीय सेना की बड़ी कार्रवाई, 36 घंटे में पाकिस्तान के सात BAT कमांडो मार गिराए
30 जुलाई को पाकिस्तान ने किया तोपखाने का इस्तेमाल, मिला करारा जवाब !पाकिस्तान ने सुबह जम्मू जिले की अखनूर तहसील के केरी बट्टल में गोलाबारी की और शाम को उत्तरी कश्मीर के गुरेज (बांडीपोर) में घुसपैठ करवाने का प्रयास किया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हर मोर्चे पर करारा जवाब दिया। अखनूर और गुरेज में पाकिस्तानी सेना के छह सैनिकों के मारे जाने की सूचना है। तीन घुसपैठिए भी मारे गए हैं। सीमा पार पाकिस्तान की दो चौकियां तबाह व भारी नुकसान भी हुआ है। कई पाकिस्तानी सैनिक घायल बताए जा रहे हैं। भारतीय सेना के नायक कृष्ण लाल पुत्र चुन्नी लाल भी शहीद हो गए। देर रात तक उत्तरी कश्मीर के गुरेज, टंगडार, करनाह और उड़ी में दोनों तरफ से भारी गोलाबारी जारी रही। इसमें दो नागरिक घायल हो गए। पाकिस्तान ने उत्तरी कश्मीर में भारतीय ठिकानों पर तोपखाने का भी इस्तेमाल किया है।2 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई है. इस मुठभेड़ में एक जवान के शहीद हो गया है!पुलवामा में सुरक्षाबलों के काफिले पर फिर हमला, आतंकियों ने किया IED ब्लास्ट !जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने एक बार फिर पुलवामा हमले को दोहराने की साजिश रची. आतंकियों ने पुलवामा के जाहिदबाग इलाके में 55 राष्ट्रीय राइफल्स की गाड़ी पर हमला किया है.भारतीय सेना की बड़ी कार्रवाई, 36 घंटे में पाकिस्तान के सात BAT कमांडो मार गिराए
30. पिथौरागढ़ में भूकंप:1-8-2019 को रात्रि में 10.22 भूकंप !तीव्रता2.8'चंद्रज' भूकंप
31. अफगानिस्तान से दिल्ली तक8-8-2019को 6.15AM में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 5.9 ! (कमेंट देखना है )
32.
पकिस्तान में 10-8-2019 / 11:43 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.5
33.
लेह में 13-8-2019 / 4:20 PM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 4.2 (कमेंट देखना है )
34.
अफगानिस्तान (हिंदूकुश) में 16-8-2019 / 7:39 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.1(कमेंट देखना है )
35.
गुजरात (कच्छ ) में 19-8-2019 / 2.43 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 4.2 (कमेंट देखना है )
36.भूकंप :कश्मीर में 23-8-2019को 11.39AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.1 !
विशेष :भूकंप:गुजरात (कच्छ ) में 19-8-2019 / 2.43 PM 'चन्द्रज' भूकंप !तीव्रता 4.2
22 अगस्त को गुजरात के सर क्रीक क्षेत्र में पकिस्तान ने अपने इलाके में स्पेशल सर्विस ग्रुप (एसएसजी) कमांडो को तैनात किया है !.
चंबा में 22-8-2019को 4.50AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 2.7 !
गुजरात में भूकंप -
1. बनासकांठा(गुजरात) में 5-6-2019 को 10.31PM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 4.3इसलिए 12 जून को 'वायु' तूफ़ान आया हेडिंग छापी गई -"चक्रवात 'वायु' का असर, पोरबंदर का भूतेश्वर महादेव मंदिर ढहा" "चक्रवाती तूफान 'वायु' फिर गुजरात की तरफ मुड़ा, कच्छ तट पर दे सकता है दस्तक !" "पाकिस्तान से आ रहे तूफान की चपेट में उत्तर भारत, अगले 48 घंटे होंगे अहम; अलर्ट जारी "
वायु प्रदूषण - "पाकिस्तान से आ रही धूल भरी आंधी, उत्तर भारत में अलर्ट, दिल्ली में सांस लेना हो सकता है मुश्किल !"
पश्चिम बंगाल -
भूकंप -पश्चिमबंगाल में 26-5-2019 / 10:40 AM बजे ,तीव्रता4.8'सन्निपातज'भूकंप !
इसलिए 10 जून को "खूनी हिंसा से फिर लाल हुआ बंगाल, दीदी कब छोड़ेंगी अपनी सियासी 'हठ'?"
Updated: Mon, Jun 10, 2019 08:06 pm11 जून को हेडिंग बनी -"पश्चिम बंगाल में चरम पर हिंसा, अब उत्तर 24 परगना में बम से हमला, 2 लोगों की मौत!"10 जून को प्रकाशित -"खूनी हिंसा से फिर लाल हुआ बंगाल, दीदी कब छोड़ेंगी अपनी सियासी 'हठ'?
"पश्चिम बंगाल से बड़ी खबर सामने आ रही है. सूत्रों का कहना है कि भाजपा के प्रतिनिधिमंडल के जाने के बाद भाटपारा में फिर से झड़पें हुई हैं. साथ ही बम भी फेंके गए.!"
Updated: Mon, Jun 10, 2019 08:06 pm11 जून को हेडिंग बनी -"पश्चिम बंगाल में चरम पर हिंसा, अब उत्तर 24 परगना में बम से हमला, 2 लोगों की मौत!"10 जून को प्रकाशित -"खूनी हिंसा से फिर लाल हुआ बंगाल, दीदी कब छोड़ेंगी अपनी सियासी 'हठ'?
"पश्चिम बंगाल से बड़ी खबर सामने आ रही है. सूत्रों का कहना है कि भाजपा के प्रतिनिधिमंडल के जाने के बाद भाटपारा में फिर से झड़पें हुई हैं. साथ ही बम भी फेंके गए.!"
कई बार कोई दो प्राकृतिक घटनाएँ कुछ समय दिनों के अंतराल में घटित होती हैं |
उसके द्वारा दो प्रकार की सूचनाएँ मिलनी होती हैं पहली या तो उस क्षेत्र में और अधिक एवं लम्बे समय तक वर्षा होनी होती है या फिर प्रभाव से तत्काल वर्षा बंद होने की सूचना दे रहा होता है भूकंप इसका मतलब
जिसका का समाज पर यदि कुछ ऐसा प्रभाव प्रकृति
अपने अंदर जब कोई नया बदलाव कर रही होती है उसी समय यदि अचानक कोई भूकंप आ जाता है तो वो उस बदलाव से संबंधित कोई बड़ी सूचना दे रहा होता है वो बदलाव अच्छा हो रहा है या बुरा इसकी सूचना दे रहा होता है है तो क्या और किस प्रकार से उसका अधिक से अधिक उपयोग समाज हित में किया जा सकता है और यदि बुरा है तो किस किस प्रकार से क्या हानि होने की संभावना है इससे संबंधित कोई सूचना भूकंप दे रहा होता है |
!तथा जब कोई नया बहुत कुछ भूकंप समाज के लिए बहुत सहायक होते हैं कई बार तो इतनी अधिक आवश्यक सूचनाएँ दे रहे होते हैं कि उसके विषय में सरकार समाज या लोगों को पहले से पता लग जाए तो कई बड़ी दुर्घटनाएँ टाली जा सकती हैं या फिर प्रयास पूर्वक उन दुर्घटनाओं के दुष्प्रभाव को घटा कर जन धन की हानि को कम किया जा सकता है |
कई बड़े दंगे टाले जा सकते हैं !कई आतंकवादी घटनाओं एवं बम विस्फोट से होने वाले दुष्प्रभावों को घटाया जा सकता है !
किसी क्षेत्र में कोई हिंसक आंदोलन छिड़ना होता है तो भूकंप आता है कहीं यदि आतंकवादी हमला या बमविस्फोट आदि होना होता है तो वहाँ भूकंप आते हैं !किसी बड़े नेता की रैली या कोई बड़ा आंदोलन यदि हिंसक होने की संभावना होती है तो भूकंप आता है !किसी राज्य या देश का कोई चुनाव हो रहा होता है उसमें यदि हिंसा भड़कने की संभावना होती है तो भूकंप आता है !चुनाव हो रहा होता है कोई सरकार बन या बिगड़ रही होती है तो भूकंप आता है !
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