Sunday, 3 November 2019

तकनीक -2 वर्षा


केदारनाथ जी में आया भीषण सैलाव -  
    16 जून 2013 में केदारनाथ जी में भीषण वर्षा का सैलाव आया हजारों लोग मारे गए  किंतु इसका पूर्वानुमान पहले से बताया गया होता तो जनधन की हानि को कम किया जा सकता था किंतु ऐसा नहीं हो सका ! बाद में कारण बताते हुए कहा गया कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं !
   मद्रास में भीषण बाढ़ - 
        सन2015 के नवंबर महीने में मद्रास में हुई भीषण बारिश और बाढ़ के कारण त्राहि त्राहि मची हुई थी किंतु इसका भी पूर्वानुमान नहीं बताया गया था !मौसम भविष्यवक्ताओं ने वर्षा होने की संभावनाओं को दो दो दिन आगे बढ़ाते बढ़ाते मद्रास को बाढ़ तक पहुँचा दिया था इसके विषय में कभी कोई स्पष्ट भविष्य वाणी नहीं की गई कि वर्षा आखिर होगी किस तारीख तक !
  केरल की भीषण बाढ़ - 
      3 अगस्त 2018 को सरकारी मौसम विभाग के द्वारा अगस्त सितंबर में सामान्य बारिश होने की भविष्यवाणी की गई थी किंतु इसके विपरीत 7 अगस्त से ही केरल में भीषण बरसात शुरू हुई जिससे केरल वासियों को भारी नुक्सान उठाना पड़ा था |
      इस अतिवर्षा की कभी कोई भविष्यवाणी नहीं की गई थी यह बात केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भी स्वीकार की थी !बाद में  सरकारी मौसम भविष्यवक्ता ने एक टेलीवीजन चैनल के इंटरव्यू में कहा कि "केरल की बारिश अप्रत्याशित थी इसका कारण जलवायु परिवर्तन था ! इसीलिए इसका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका था | 
    बनारस में अधिक वर्षा के विषय में -
        इसी प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को 28 जून 2015 को बनारस पहुँचकर बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर के साथ इंट्रीगेटेड पॉवर डेवलपमेंट स्कीम और बनारस के रिंग रोड का शिलान्यास करना था। इसके लिए काफी बढ़ा आयोजन किया गया था किंतु उस दिन अधिक वर्षा होती रही इसलिए कार्यक्रम रद्द करना पड़ा !इसके बाद इसी कार्यक्रम के लिए 16 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री जी का कार्यक्रम तय किया गया !उसमें भी लगातार बारिश होती रही उस दिन भी मौसम के कारण प्रधानमंत्री जी की सभा रद्द करनी पड़ी |विश्व का मीडिया जगत इन दोनों घटनाओं का गवाह बना और समाज में साफ साफ संदेश गया जो मौसम विज्ञान विभाग प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में अपना योगदान नहीं  दे सका वो किसानों के काम कितना आ पाता होगा | 
 विशेष -
       प्रधानमंत्री जी का कार्यक्रम सामान्य नहीं होता है उसके लिए सरकार की सभी संस्थाएँ सक्रिय होकर अपनी अपनी भूमिका अदा करने लगती हैं कोई किसी के कहने सुनने की प्रतीक्षा नहीं करता है !ऐसी परिस्थिति में प्रश्न उठता है कि सरकार के मौसमभविष्यवक्ताओं  ने अपनी भूमिका का निर्वाह क्यों नहीं किया ?प्रधानमंत्री जी की इन दोनों सभाओं के आयोजन पर भारी भरकम धन खर्च करना पड़ा था ! उस सभा में 25 हज़ार आदमियों को बैठने के लिए एल्युमिनियम का वॉटर प्रूफ टेंट तैयार किया गया था ! जिसकी फर्श प्लाई से बनाई गई थी जिसे बनाने के लिए दिल्ली से लाई गई 250 लोगों की एक टीम दिन-रात काम कर रही थी ।वाटर प्रूफ पंडाल, खुले जगहों पर ईंटों की सोलिंग और बालू का इस्तेमाल कर मैदान को तैयार किया गया था ! ये सारी कवायद इसलिए थी कि मौसम खराब होने पर भी कार्यक्रम किया जा सके किंतु मौसम इतना अधिक ख़राब होगा इसका किसी को अंदाजा ही नहीं था !मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा इस विषय में कोई पूर्वानुमान नहीं दिया गया था |
     
वर्षा संबंधी ऊटपटाँग भविष्यवाणियों से होता है अधिक नुक्सान ! 
     प्रायः आकाश में घनघोर घटाएँ घिरी देखकर वर्षा होने की भविष्यवाणी कर दी जाती है उस भविष्यवाणी में इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो वर्षा होने में न होने में तथा कम या अधिक होने में हर जगह फिट किए जा सकें ! 
     इसके बाद किसी भी क्षेत्र में जब बाढ़ आने से पूर्व वर्षा होना शुरू हो जाता है तो उसके साथ ही साथ मौसम भविष्यवक्ता लोग भी शुरू हो जाते हैं जैसे जैसे वर्षा होती चली जाती है वैसे वैसे  वे भी वर्षा होने संबंधी अपनी भविष्यवाणियाँ करते चले जाते हैं जैसे जैसे वर्षा होने की प्रक्रिया आगे बढ़ती चली जाती है वैसे वैसे वर्षा होने संबंधी भविष्यवाणियों को भी दो दो दिन करके आगे बढ़ाते चले जाते हैं | 
      ऐसी भविष्यवाणियों पर विश्वास करने वाले लोगों का नुक्सान इसलिए हो जाता है किसी क्षेत्र में वर्षा प्रारंभ होते ही मौसम भविष्यवक्ता लोग सबसे पहली क़िस्त में अक्सर 48 घंटे तक वर्षा होने या वर्षा होने का वातावरण रहने की भविष्यवाणी कर देते हैं तो जनता अपनी आवश्यकताओं का सामान अक्सर दो दिनों के लिए जुटा लेती है किंतु दो दिनों तक वर्षा होते रहने के बाद मौसम भविष्यवक्ता लोग दो दिनोंदो दिन तक और वर्षा होने की दो दिनोंदो दो भविष्यवाणी कर देते हैं ये उस क्षेत्र की जनता के लिए भारी पड़ जाता है  फिर भी लोग किसी प्रकार से अपनी आवश्यकताओं का सामान जुटा लेते हैं किंतु इसके बाद भी जब वर्षा होना बंद नहीं होता है तो मौसम भविष्यवक्ता लोग तीन दिन और वर्षा होते रहने की भविष्यवाणी कर देते हैं अब तक बाढ़ का पानी इतना अधिक भर चुका होता है कि लोग पूरी तरह बेबश हो जाते हैं इसके बाद छतों पर डेरा डाल कर सरकार एवं समाज के सहारे ही दिन बिताने होते हैं|किसी भी क्षेत्र में आयी हुई बाढ़ का क्रम यही होता है और उसमें मौसम भविष्यवक्ताओं की भूमिका भी इसी प्रकार की होती है | 
   ऐसी परिस्थिति में इस बात की समीक्षा होनी चाहिए कि उस क्षेत्र के बाढ़ पीड़ितों को मौसम भविष्यवक्ताओं की सेवाओं (भविष्यवाणियों) से क्या और कितना लाभ हुआ या नुक्सान ? यदि इस प्रकार की भविष्यवाणियाँ न की जातीं तो जनता को क्या नुक्सान हो सकता था ?
      भविष्यवाणी और अंदाजा में अंतर -
     जो घटना घटित होनी प्रारंभ ही न हुई हो किसी भी रूप में उस घटना से संबंधित चिन्ह उभरे ही न हों तब यदि उसके विषय में पूर्वानुमान लगा लिया जाए तब तो वह भविष्यवाणी अन्यथा अंदाजा होता है |जंगल में बहुत दूर पर भी यदि धुआँ उठता दिखाई दे तो इस बात का अंदाजा लगा लिया जाता है कि वहाँ अग्नि है इसलिए वहाँ अग्नि से संबंधित दोष होने की संभावना भी होगी किंतु इस अंदाजे को भविष्यवाणी नहीं माना जा सकता है | 
     इसी प्रकार से समुद्री क्षेत्र में उठे बादलों को उपग्रहों रडारों आदि से देखकर उनकी गति और दिशा के अनुशार इस बात का अंदाजा लगा लिया जाता है कि ये किस दिन किस देश प्रदेश आदि में पहुँच सकते हैं |जिस प्रकार से धुएँ का संबंध अग्नि से है इसीलिए तो धुआँ देखकर अग्नि होने का अंदाजा लगा लिया जाता है इसी प्रकार से बादलों का संबंध वर्षा से है जहाँ जहाँ बादल जाएँगे वहाँ वहाँ वर्षा हो सकती है |
    मौसमविज्ञान में विज्ञान क्या और कितना है ?
     
    जो ट्रेन जिस दिशा में जितनी गति से जा रही होती है उसके आधार पर इस बात का अंदाजा लगा लिया जाता है कि किस स्टेशन पर कितने बजे पहुँचेगी !इस अंदाजे को भविष्यवाणी यदि भविष्यवाणी भविष्यवाणी भविष्यवाणी माना जाने लगेगा तब तो प्रत्येक यात्री को ही वैज्ञानिक  मान लेना पड़ेगा ! 
     नहरों में पानी छोड़ा जाता है या नदियों में बाढ़ आती है तो नहरों का पानी या बाढ़ का पानी एक स्थान पर देखकर उसके अनुशार दूसरे स्थान पर पानी पहुँचने का अंदाजा लगा लेने को भविष्यवाणी कैसे माना जा सकता है भविष्यवाणी कैसे माना जा सकता है भविष्यवाणी कैसे माना जा सकता है भविष्यवाणी कैसे माना जा सकता है भविष्यवाणी कैसे माना जा सकता है भविष्यवाणी कैसे माना जा सकता है भविष्यवाणी कैसे माना जा सकता है भविष्यवाणी कैसे माना जा सकता है ?वह जल किस दिन किस स्थान पर पहुँच सकता है इसका अंदाजा उससे संबंधित किसान आदि लोग लगा लिया करते हैं किंतु उन्हें वैज्ञानिक तो नहीं माना जाता है |

 मौसमविज्ञान से लाभ - 
       यद्यपि मौसमविज्ञान बताई जाने वाली प्रक्रिया विज्ञान न होना तथा इसके आधार पर लगाए जाने वाले अंदाजे का भविष्यवाणी न होना ये  एक बात है , किंतु इसका दूसरा पक्ष ये भी है कि उपग्रहों और रडारों से प्राप्त वायुमंडलीय दृश्यों से लाभ ले लिया जाता है कभी कभी तो इन दृश्यों को देखकर जो अंदाजा लगाया जाता है उससे प्राकृतिक आपदाओं में होने वाली जनधन की हानि को बहुत कम कर लिया जाता है | प्रायः ऐसा तब हो पाता है जब ऐसी प्राकृतिक घटनाएँ किसी दूसरे  देश में या सुदूर समुद्र में घटित होते देख ली जाती हैं उसके अनुशार उनके विषय में जो अंदाजा लगाया जाता है कभी कभी वो सही घटित भी हो जाता है उससे बचाव कार्यों के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है लोग स्वयं भी सतर्कता वरत लेते हैं |
       कुलमिलाकर विज्ञान और भविष्यवाणी न होने के बाद भी कई बार इससे उसी प्रकार का लाभ हो जाता है जैसे किसी गाँव के एक छोर पर जंगल पड़ता हो उससे जंगली हाथी आकर गाँव में उत्पात मचाया करते हों लोग जबतक संगठित होकर उन्हें खदेड़ पाते हों तब तक उन गाँव वालों का हाथियों के द्वारा काफी नुक्सान किया जा चुका  होता है | 
     ऐसी परिस्थिति में गाँव के चारों ओर कैमरे लगवा दिए जाएँ जंगल से गाँव की ओर आते हुए हाथियों को कैमरे में ज्यों ही देख लिया जाए त्यों ही गाँव वाले लोग संगठित होकर हाथियों को वापस जंगल की ओर खदेड़ दें | इससे गाँव वालों को लाभ तो हो जाता है हाथियों के द्वारा किए जाने वाले नुक्सान से बचाव हो जाता है किंतु इसे  जिस प्रकार से इस प्रक्रिया को 'हाथीविज्ञान' नहीं माना जा सकता है उसी प्रकार से उपग्रहों और रडारों के माध्यम से बादलों चक्रवातों आदि की जासूसी करने को विज्ञान नहीं माना जा सकता है |

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