आजम अय्याशी करने नहीं, सीखने गए थे कि आखिर कैसे बनाते हैं कूड़े से बिजली-आजतक
यदि कुछ सीखने ही भेजना था तो क्या जवान विद्यार्थियों की कमी थी उन्हें भेजा जाना चाहिए था जो लम्बे समय तक देश के काम भी आते !बूढ़े तोते कूड़े से बिजली बनाना सीखने गए कहीं उलटा पुल्टा न सीख आए हों जो बिजली का कूड़ा कबाड़ा करने लगें !
वैसे भी ,जो नेता सभ्यता से बोलना नहीं सीख पाए क्या वो सीखेंगे बिजली बनाना !कुछ सीखने के लिए विनम्र बनना पड़ता है जिसकी इनसे उमींद नहीं की जा सकती !इसलिए देश की गरीब जनता की गाढ़ी कमाई चाहें जहाँ लुटा आएँ किन्तु कुछ सीख कर आएँगे हमें तो लगता नहीं !फिर भी हो सकता है कि अंधे के हाथ बटेर लग ही गई हो !
यदि कुछ सीखने ही भेजना था तो क्या जवान विद्यार्थियों की कमी थी उन्हें भेजा जाना चाहिए था जो लम्बे समय तक देश के काम भी आते !बूढ़े तोते कूड़े से बिजली बनाना सीखने गए कहीं उलटा पुल्टा न सीख आए हों जो बिजली का कूड़ा कबाड़ा करने लगें !
वैसे भी ,जो नेता सभ्यता से बोलना नहीं सीख पाए क्या वो सीखेंगे बिजली बनाना !कुछ सीखने के लिए विनम्र बनना पड़ता है जिसकी इनसे उमींद नहीं की जा सकती !इसलिए देश की गरीब जनता की गाढ़ी कमाई चाहें जहाँ लुटा आएँ किन्तु कुछ सीख कर आएँगे हमें तो लगता नहीं !फिर भी हो सकता है कि अंधे के हाथ बटेर लग ही गई हो !
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