स्वयंभू नीति नियामकों से बचना होगा भाजपा को!
भाजपा के कथनानुसार दूसरी पार्टियाँ और उनके नेता तो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं ये बात मान ली गई और यह भी मान लिया गया कि वे दल सरकार में रहने के बाद भी कुछ अच्छा करने में सफल नहीं हो सके हैं जहाँ तक राहुल और सोनियां गांधी जी का प्रश्न है माना जा सकता है कि उन्हें सत्ता चलाने का अनुभव नहीं है सोनियां गांधी जी विदेशी हैं यह भी सर्व विदित है वो राजनीति करती हैं इसमें उनका दोष क्या है! अपने पति एवं पिता के काम को ही प्रायः सभी लोग जीवन का आधार बनाते हैं वही राहुल और सोनियां गांधी जी ने किया है वह बात और है कि जनता साथ न देती तो हो सकता है कि वो लोग कुछ और धंधा चुनते !किन्तु जनता ने एक बार नहीं अपितु दो दो बार उन्हें सरकार बनाने में सहयोग दिया । जहाँ तक बात मनमोहन सिंह जी की है पहलीबार तो उन्हें अचानक ही प्रधान मंत्री बना दिया गया था किन्तु दूसरी बार तो उनका नाम घोषित करके ही चुनाव लड़ा गया था फिर भी जनता का सहयोग उन्हें मिला और वे प्रधानमंत्री बने !काँग्रेस या अन्य विरोधी पार्टियों में लाख कमियाँ रही हों किन्तु जनता का विश्वास जीतने में वे क्यों और कैसे कामयाब हुए इस बात पर गम्भीर चिंतन किया जाना चाहिए उसके अनुशार बनाई गई रणनीति ही भाजपा के लिए चुनावी विजय व्यवस्था में सहायक होगी !इस विषय में मुझ समेत कई भाजपा समर्थक चिंतकों का मानना है कि चुनावी प्रचार अभियान में भाजपा अपने विरोधियों की आलोचना करने एवं उनकी कमियां ढूंढने में जो ताकत एवं समय लगाती है उसका उपयोग यदि देश वासियों को अपनी नीतियाँ समझाने एवं उन्हें अपनी कही हुई बातों पर भरोसा दिलाने में करे तो शायद इसका लाभ अधिक उठाया जा सकता है ।
भाजपा को समझना होगा कि अपने को अच्छा सिद्ध करने के लिए दूसरे को गलत सिद्ध करना ही जरूरी नहीं होता है और न ही यही एक मात्र उपाय है अपितु अपने को अच्छा सिद्ध करने के लिए अपने जन हितकारी कार्यक्रम जनता के सामने परोसे जाएँ उन पर जनता का भरोसा जीतना जरूरी है ! क्योंकि भाजपा अपनी बारी की प्रतीक्षा करते करते पिछले कई चुनावों से जनता की अदालत में अनुपस्थित सी होती रही है बिना विशेष तयारी के भाजपा चुनाव लड़ने की केवल खाना पूर्ति मात्र करती रही है,इसीलिए अतीत में पार्टी की छवि दिनोंदिन धूमिल होती चली गई किन्तु अब जनता की अदालत में सेवा भावना से भाजपा को भी अपनी हाजिरी लगानी ही होगी!जिसका प्रयास परिश्रम पूर्वक अब भाजपा कर भी रही है इसके अच्छे परिणाम भी दिखेंगे ऐसी आशा रखनी भी चाहिए इसलिए अब भाजपा को किसी की शर्त के सामने घुटने नहीं टेकने चाहिए!केवलअपने कार्यकर्ताओं के समर्पण बल पर चुनाव लड़ना चाहिए।बाबा बैरागी या फिल्मी अभिनेताओं की गुड़बिल के पीछे खड़े होकर चुनावों में जीत जाने पर भी पार्टी के स्वाभिमान या आत्म सम्मान के तौर पर न जाने क्यों भाजपा हार ही जाती है इसीलिए उसकी अपनी छवि में निखार नहीं आ पाता है। इससे पार्टी पर वो लोग हमेंशा अपनी धौंस चलाना चाहते हैं जिन्होंने भाजपा को जिताने का मिथ्या बहम पाल रखा होता है।वैसे भी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं के कठोर परिश्रम से ही जीतती है किन्तु जब पार्टी से असम्बद्ध लोग भाजपा की नीतियों को हाइजेक करके भाजपा के ही माथे पर उसी की नीतियाँ अपने नाम से मढ़ने लगते हैं जिसे सुन कर भी मौन रह जाता है पार्टी का शीर्ष नेतृत्व !
ऐसी गतिविधियों से पार्टी के प्रति दशकों से समर्पित कार्यकर्ता अपने को अपमानित महसूस करने लगते हैं इसलिए किसी आगन्तुक सैलिब्रेटी का सहयोग लेने में कोई बुराई नहीं है किन्तु उसके समर्थक थोड़े से वोटों के लालच में उसी के हवाले पार्टी करने की अपेक्षा उचित होगा कि बड़े मुद्दों पर भाजपा के अपने कार्यकर्ताओं की भी रायसुमारी हो !इस प्रकार की विनम्र भाजपा यदि समाज में जाएगी तो आम आदमी पार्टी का औचित्य ही क्या रह जाएगा !
कुछ हो न हो किन्तु भाजपा को एक बात तो समाज के सामने स्पष्ट कर ही देनी चाहिए कि उसे आम समाज के सहारे चलना है या साधू या सैलिब्रेटी समाज के ? जो चरित्रवान विरक्त तपस्वी एवं शास्त्रीय स्वाध्यायी संत हैं उनके धर्म एवं वैदुष्य में सेवा भावना से सहायक होकर विनम्रता से साधुओं का आशीर्वाद लेना एवं उनकी समाज सुधार की शास्त्रीय बातों विचारों के समर्थन में सहयोग देना ये और बात है! सच्चे साधू संत भी अपने धर्म कर्म में सहयोगी दलों नेताओं व्यक्तियों कार्यक्रमों में साथ देते ही हैं किन्तु उसके लिए कोई शर्त रखे और वो मानी जाए ये परंपरा किसी भी राजनैतिक दल के लिए ठीक नहीं है !
विदेश से कालाधन लाने जैसी भ्रष्टाचार निरोधक लोकप्रिय योजनाओं के लिए भाजपा को स्वयं अपने कार्यक्रम न केवल बनाने अपितु घोषित भी करने चाहिए ताकि ऐसी योजनाओं का श्रेय केवल भाजपा और उसके लिए दिन रात कार्य करने वाले उसके परिश्रमी कार्यकर्ताओं को मिले।वो भाजपा की पहचान में सम्मिलित हो जिन्हें लेकर दुबारा समाज में जाने लायक कार्यकर्ता बनें उनका मनोबल बढ़े !अन्यथा कुछ योजनाओं का श्रेय नाम देव ले जाएँगे कुछ का कामदेव और कुछ का वामदेव! भाजपा के पास अपने लिए एवं अपने कार्यकर्ताओं के लिए बचेगा क्या ? ऐसे तो दस लोग और मिल जाएँगे वो भी अपने अपने दो दो मुद्दे भाजपा को पकड़ा कर चले जाएँगे भाजपा उन्हें ढोती फिरे श्रेय वो लोग लेते रहें ।
इसलिए भाजपा को मुद्दे अपने बनाने चाहिए उनके आधार पर समर्थन माँगना चाहिए । अब यह समाज ढुलममुल भाजपा का साथ छोड़कर अपितु सशक्त भाजपा का ही साथ देना चाहता है।
इसके अलावा जो ऐसी शर्तें रखते हैं ऐसे लोगों के अपने समर्थक कितने हैं और वो उनका कितना साथ देते हैं यह उनके आन्दोलनों में देखा जा चुका है किसी ने पुलिस के विरोध में एक दिन धरना प्रदर्शन भी नहीं किया था सब भाग गए थे ।
दूसरी बात संदिग्ध साधुओं की विरक्तता पर अब सवाल उठने लगे हैं अब लोग किसी बाबा की अविरक्तता सहने को तैयार नहीं हैं किसी भी व्यापारी या ब्याभिचारी बाबा से अधिक संपर्क इस समय लोग नहीं बना रहे हैं सम्भवतः इसीलिए कथा कीर्तन भी दिनोदिन घटते जा रहे हैं ।
इसलिए भाजपा समर्थकों का भाजपा से निवेदन है कि वो अपने मुद्दों पर ही समाज से समर्थन माँगे तो बेहतर होगा !
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