ज्योतिष
 विज्ञान की प्रभाव शैली !
    ज्योतिष
 विज्ञान है इसे बिना किसी अहंकार के कई क्षेत्रों में सिद्ध किया जा सकता 
है !इसका लाभ  शारीरिक दृष्टि से ,पारिवारिक दृष्टि से ,व्यापारिक दृष्टि 
से ,सामाजिक दृष्टि से एवं प्राकृतिक दृष्टि से उठाया जा सकता है !इसलिए 
प्रबुद्ध समाज से मेरा निवेदन मात्र इतना है कि भविष्य का ज्ञान करने वाली 
कोई और विधा जब  तक विकसित नहीं कर ली जाती है तब तक ज्योतिष पर विश्वास कर
 लेने में क्या बुराई भी क्या है !  
       ज्योतिष  एक बहुत बडा विज्ञान है।हर क्षेत्र में इसका महत्वपूर्ण योगदान 
है।आकाश  के वर्षा  आँधीतूफान से लेकर पाताल की परिस्थितियों का 
वर्णन,सामाजिक विप्लव से लेकर सामाजिक महामारी आदि का भी इससे पता लगाया जा
 सकता है।व्यक्ति गत जीवन से जुड़ी छोटी से लेकर बड़ी से बड़ी तक सभी बातों से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी,बीमारी तथा भविष्य में होने वाली बीमारियों का भी ज्योतिष  से पता लगाया जा सकता है।
      
 प्राचीन भारत में आखिर लोग कैसे रहते थे? उस समय में मौसम की जानकारी कैसे
 की जाती थी आज इस पर कोई काम नहीं किया जा रहा है।उस समय न केवल वायुमंडल 
के अध्ययन का सूक्ष्म अनुभव था अपितु उस अनुभव को सूत्रों में बॉंधकर 
उन्हें सिद्धांत रूप दे देना ये बहुत बड़ा काम था।
     
 जैसे उन्होंने कहा कि शुक्रवार को यदि बादल आकाश  में दिखाई पड़ जाएँ  और 
वो शनिवार को भी बने रहें तो समझ लेना चाहिए कि पानी जरूर बरसेगा। 
       यदि पूरब दिशा  में बिजली चमकती हो और उत्तरदिशा  में हवा चलने लगे तो समझ लेना  चाहिए कि वर्षा अवश्य  होगी। 
      
 इसी प्रकार वायुमंडल के अध्ययन के और बहुत सारे सूक्ष्म अनुभव हैं जिनसे 
यह पता चलता है कि इस सप्ताह ,महीने या वर्ष में कहॉं कितना पानी 
बरसेगा।आँधी,तूफान,ओले,पाला,कोहरा,ठंड,गर्मीआदि कब कहॉं और कितनी पड़ेगी?
     
 किस वर्ष  कौन फसल कितनी होगी ? कौन फसल प्रकृति के प्रकोप के कारण कितनी 
मारी जाएगी इसका भी आकलन इसी वायुमंडल से कर पाना संभव है। 
     
 वायुमंडल में किस तरह का वातावरण बनने पर  किस प्रकार की बीमारी या 
महामारी आदि फैलने की संभावना बन सकती है इसके भी काफी मजबूत सूत्र प्राचीन
 विज्ञान में मिलते हैं।
       आयुर्वेद में इस 
प्रकार के प्राचीन  वैज्ञानिक विवेचन का स्पष्ट विवरण है। वहॉं एक प्रसंग 
में स्पष्ट रूप से  समझाया गया है कि कोई महामारी या सामूहिक बीमारी फैलने 
से पहले वायु मंडल में एक अजीब सा परिवर्तन आ जाता है जैसे जिसप्रकार की 
बीमारी होनी होती है उसे रोकने में सक्षम जो बनौषधियॉं अर्थात जंगली जड़ी 
बूटियॉं होती थीं सबसे पहले वो या तो सूखने लगती थीं या उनमें कोई कीड़ा लग 
जाता था या किसी अन्य प्रकार से वे नष्ट  होने लगती थीं। इस प्रकार का 
प्राकृतिक उत्पात जहॉं जहॉं दिखाई पड़ता था वहॉं वहॉं उस प्रकार की बीमारी 
या महामारी होने या बढ़ने की संभावना विशेष होती है।इन  बनौषधियों में 
बीमारी रोकने का जो विशेष गुण होता है। वह बीमारी पैदा होने से पहले ही 
नष्ट  हो जाता है। इस दुष्प्रभाव से ही महामारी फैलने पर वह दवा लाभ नहीं 
करने लगती है।
       अतएव बनस्पतियों में 
परिवर्तन आता देखकर उस युग के कुशल स्वास्थ्य वैज्ञानिक बड़ी मात्रा में 
बनौषधियों का संग्रह कर लेते थे।जहॉं की बनौषधियॉं रोगी न हुई हों वहॉं की 
तथा बीमारी से पूर्व संग्रह की गई औषधियॉं उस बीमारी से निपटने में  
पूर्णतः सक्षम होती थीं। उन्हीं के बल पर उस युग के कुशल स्वास्थ्य 
वैज्ञानिक उन महामारियों पर विजय पा लिया करते थे। 
स्वास्थ्य-
आयुर्वेद आत्मा ,मन और शरीर इन तीन 
रूपों में स्वास्थ्य को देखता है।इस शरीर से जन्म जन्मांतर के कर्म संबंधों
 को स्वीकार करता है अच्छी बुरी परिस्थिति भी जीवन में हमें इसी कारण भोगनी
 पड़ती है।बड़ी एवं लंबे समय तक चलने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियॉं भी 
इसी प्रकार घटित होती हैं।ऐसी परिस्थितियों में पहली बात बीमारियों का पता 
लगा पाना कठिन होता है और यदि पता लग भी जाए तो उन पर दवा असर नहीं करती या
 बहुत देर से करती है।यहॉ कुशल ज्योतिषी परिश्रम पूर्वक कारण और निवारण 
दोनों ढूँढ़ सकता है जिसका पालन करने के बाद दवा का प्रभाव होना प्रारंभ 
होगा।
      आयुर्वेद और ज्योतिष  भूत प्रेत दोष 
 भी मानता है इसी लिए आयुर्वेद के कई ग्रंथों में भूत प्रेत हटाने के मंत्र
 भी मिलते हैं।चूँकि ये हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति है इसलिए इसे भूल 
जाना भी उचित नहीं होगा।कुछ परिस्थितियॉं ऐसी पैदा हो जाती हैं जब कोई 
व्यक्ति भ्रमित हो जाता है ऐसे में उसे यह बात समझ में नहीं आती है कि वह 
व्यक्ति क्या करे कहॉं जाए?जो चिकित्सा क्षेत्र की तरह पारदर्शी एवं जवाब 
देय हो।
  उदाहरण- 
जैसे किसी की जन्मपत्री में शनि और राहु की परस्पर दशा अंतर दशा  हो कुंडली में कष्ट प्रद स्थलों में शनि
 और राहु के होने के कारण उस व्यक्ति के पेट में  लंबे समय से दर्द चल रहा 
है। दवा फायदा नहीं कर रही है तो ज्योतिषी  उसे शनि राहु का मंत्र जप 
बताएगा तांत्रिक उसे भूत प्रेत दोष बताएगा और चिकित्सक बीमारी बताएगा और 
तीनों ठीक करने का दावा ठोंक रहे होते हैं अब वो व्यक्ति किस पर विश्वास 
करे?यद्यपि धनवान लोग तो ज्योतिषी ,तांत्रिक और चिकित्सक तीनों के बताए 
उपाय कर लेंगे किंतु गरीब आदमी कहॉं जाए?
     
यदि वो किसी तांत्रिक के पास जाए तो वो कितने बहम डालेगा कितना लूटेगा क्या
 करेगा कुछ पता नहीं वो पढ़ा लिखा अर्थात इन विद्याओं को जानता भी है कि 
नहीं उसे कैसे पता चले ?यही स्थिति ज्योतिष  में भी होती है।वो जिसके पास 
भी जाएगा वो हो सकता है कि पहले वाले से ज्यादा पैसे मॉंगे और ज्यादा बहम 
डाले अब उसके पास चिकित्सा की तरह  पारदर्शिता रखने वाला जवाबदेय कोई दूसरा
 विकल्प नहीं है।चिकित्सा में एक एक बीमारी के कई कई छोटे बड़े डाक्टर एवं 
एक से बढ़कर एक अस्पताल मिल जाते हैं वो कानूनी दृष्टि से भी जवाबदेय होते 
हैं किंतु ज्योतिष  और तंत्र के क्षेत्र में इस प्रकार की सुविधा नहीं पाई 
जाती है। आज की तो ये हालत है कि जिसे जो मन आवे सो बके,जिससे जितने पैसे 
चाहे लूटे,अपने नाम के साथ जो चाहे सो डिग्री लगावे,और अपनी प्रशंसा में 
जितना चाहे झूठ बोले या किसी ओर से बोलवावे।  
   
 इसीलिए ऐसे समय हमारा संस्थान न केवल यह निर्णय करके देगा कि उस रोगी की 
बीमारी ज्योतिषी,तांत्रिक और चिकित्सक किससे ठीक होगी अपितु शास्त्रीय एवं 
कानूनी पारदर्शिता रखते हुए उसे शास्त्रीय ज्योतिषी एवं शास्त्रीय तांत्रिक
 उचित खर्च में उपलब्ध करा दिए जाएँगे जिन्हें समाज के प्रति विश्वसनीय 
व्यवहार के लिए बाध्य किया जाएगा। 
  धर्मशास्त्र-
हमारी सनातन संस्कृति अत्यंत प्राचीन
 है यहॉं जन्म से मृत्यु तक हर कुछ कैसे कैसे करना है। ये सब पहले ही लिखकर
 रख दिया गया है उसी के अनुशार हमारे सारे संस्कार एवं तिथि त्योहार आदि 
मनाए जाते हैं।आज आज शास्त्रीय घुसपैठियों के कारण विद्वानों की शिक्षा का 
उचित सम्मान न होने से उनकी शास्त्रों से रुचि घट रही है प्रायः पंडित 
पुजारी तो पढ़ना ही नहीं चाहते हैं वे बड़े बड़े कठिन ग्रंथ। उनका काम विवाह 
पद्धति,गरुड़पुराण,सत्यनारायण व्रतकथा और पंचांग इन चार किताबों से चल जा 
रहा है वो क्यों पढ़ें धर्मशास्त्र के भारी भरकम ग्रंथ ?
     
 इन विषयों के जो वास्तविक विद्वान हैं एक तो उनकी संख्या बहुत कम है दूसरे
 उनकी इस विशेषज्ञता के विषय में समाज को समझावे कौन?ऐसे विद्वानों से 
संपर्क करके और उनके धर्मशास्त्रीय ज्ञान का समाजहित में प्रचार प्रसार 
करने के लिए संस्थान प्रयास रत है।जिससे आम आदमी उनके धर्मशास्त्रीय ज्ञान 
का लाभ ले सकेगा।
  वेद, 
पुराण, उपनिषद,योग,रामायण,वास्तु,हस्तरेखा आदि जो भी प्राचीन विद्याओं से 
संबंधित प्रश्न  हैं उनके उत्तर देने के लिए व्यवस्था की गई है। ऐसे सभी 
बड़े ग्रंथों को अपने पास रखना या पढ़ पाना या पढ़कर समझ पाना आम आदमी के लिए 
संभव नहीं हो पाता है वह विद्वान कहॉं ढूँढ़े? ऐसे में उसे जो कुछ गलत सही 
पता है वही बकने बोलने लगता है। ऐसे लोगों के लिए भी संस्थान की ओर 
व्यवस्था की गई है।ऐसे लोगों बहुत महॅंगे एवं भारी भरकम ग्रंथ रखने 
खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती है वो संस्थान के नंबरों पर फोन करके मॉंग 
सकते हैं संबंधित बिषय की जानकारी ।
      इस 
प्रकार से और भी धर्म से जुड़े प्रश्न जो भी उचित लगें उनका डाक या फैक्स 
द्वारा भी लिखित और प्रमाणित उत्तर प्राप्त कर सकते हैं।इन सभी कार्यों के लिए वार्षिक, मासिक,आजीवन आदि संस्थान संचालनार्थ 
सदस्यता शुल्क रखा गया  है। कुंडली , वास्तु आदि निजी जीवन से जुड़ी जानकारी
 मॉंगने पर उसकी सदस्यता शुल्क सामान्य प्रश्नों की अपेक्षा अधिक जमा करनी 
होती है। आप कभी भी संस्थान के नंबरों पर फोन करके संपर्क कर सकते हैं।                     
     ज्योतिष कहाँ कितना सच हो  सकता है ?
     ( अंक विद्या,क्रिस्टल, प्लेइंग कार्ड,शकुन अपशकुन,दो दो त्योहार होने लगे,ज्योतिष और मौसम!) 
   ज्योतिष शब्द का अर्थ ही ज्योति अर्थात् नक्षत्रों ग्रहों की किरणों के 
प्रकाश से संबंधित है। इसी का या इसके भले बुरे प्रभाव का ज्ञान कराने की 
विद्या ही ज्योतिष शास्त्र है। वास्तु, शकुन, अपशकुन प्रश्न फल आदि प्राचीन
 ऋषियों के अनंत अनुभव आदि हैं, जो परंपरा से प्राप्त अक्सर सही एवं सटीक 
होते देखे गए हैं। 
अंक विद्या
 जहाँ
 तक अंक विद्या की बात है ये ग्रह ज्योतिष से जुड़ी हुई विद्या है। 9 ग्रह 
तथा 9 ही अंक होते हैं। इन्हीं का आपस में ताल मेल बैठाकर बिना पढ़े लिखे 
लोगों द्वारा कुछ तीर तुक्के लगाए जाते हैं जो कभी-कभी सच लगने लगते हैं, किन्तु ग्रहों का स्वरूप, स्वभाव, दृष्टि, दशा आदि 
 का वृहद् विवेचन तो ज्योतिष शास्त्र से ही किया जा सकता है । इसके अलावा 
भविष्य जानने की सारी विद्याएँ अधूरी, अज्ञानजन्य, तीर-तुक्के या बकवास हैं
 । बाकी फिर भी देखी सुनी जा सकती हैं।
    बकवासः 
 लाल,
 काली, पीली नीली हरी गुलाबी किताब आदि नाम से  किसी प्रमाणित पुस्तक का 
जिक्र तक ज्योतिष शास्त्र के किसी भी ग्रंथ में नहीं मिलता । 
विश्वविद्यालयों के ज्योतिष शास्त्रीय पाठ्यक्रम में भी ऐसी कलर फुल 
किताबें  नहीं सम्मिलित की गई हैं। विद्वानों की वाणी से भी कभी ऐसी किसी 
पुस्तक का नाम नहीं सुना गया है।कुछ बिना पढ़े लिखे लोगों द्वारा अप्रमाणित 
बात को प्रमाणित सिद्ध करने के लिए ऐसी कलर वाली किताबें काम में लाई जाती 
हैं ।ऐसी लाल पीली किताबों  की जानकारी एवं उपाय भी तर्क संगत नहीं होते हैं। 
                         क्रिस्टल, प्लेइंग कार्ड
 आदि
 की विधाएँ भी कुछ ऐसी ही हैं। संकेत साफ ही है निर्णय आप स्वयं लें 
ज्योतिर्विद होने के नाते मैं इतना अवश्य कह सकता हूँ कि ये सब विधाएँ न तो
 ज्योतिष हैं और न ही ज्योतिष से संबंधित।
    
शकुन अपशकुनः 
 बिल्ली के रास्ता काट देने से अशुभ नहीं होता अपितु 
 अशुभ होना होता है तब बिल्ली रास्ता काटती है। इस प्रकार हर शकुन अपशकुन 
को केवल सूचक अर्थात् अच्छे बुरे की सूचना देने वाला मानना चाहिए। इसी 
प्रकार शरीर के विभिन्न अंगों के फड़कने का फल, स्वप्न का फल, पशु-पक्षियों 
की बोली एवं चेष्टा (आचरण) आदि का फल जानना चाहिए। 
    दो दो त्योहार होने लगेः 
     
 योग्य और अयोग्य लोगों के द्वारा बनाए गए पंचांग जब दो प्रकार के हो सकते 
हैं तो त्योहार दो  दिन क्यों नहीं होंगे? ज्योतिष विद्वान और ज्योतिष 
कलाकर दोनों की जानकारी में अंतर होने के कारण तिथि-त्योहारों में भी अंतर 
आना स्वाभाविक है। दो दिन होली, दो दिन दिवाली आदि सब त्योहार दो दो दिन होने लगे।
2. ज्योतिष और मौसमः 
ज्योतिष
 के द्वारा वर्षा, शर्दी, गर्मी, पाला, कोहरा आदि का सटीक अनुमान  लगाया जा
 सकता है। केवल ग्रहयोगों से आने वाले भूकंपों के बारे में  भविष्यवाणी 
करने का ज्योतिषशास्त्र  को अधिकार मात्र 25 प्रतिशत ही है। देवताओं के कोप
 से,वायु के टकराने से,जमीन के अंदर की हलचल से भी भूकंप आते  हैं। जिनकी 
भविष्यवाणी ज्योतिष से नहीं की  जा सकती। 3. ज्योतिष और राजनीतिः 
ज्योतिष
 के द्वारा राजनैतिक भविष्यवाणी करना कठिन ही नहीं असंभव भी है। कौन 
प्रधानमंत्री बनेगा, कौन नहीं बनेगा, कौन चुनाव जीतेगा कौन नहीं जीतेगा 
आदि।
         इसी प्रकार खेलों के विषय में 
भी भविष्यवाणी करना असंभव होता है। जो ज्योतिष कलाकार करते रहते हैं उसे 
मनोरंजन मानकर सुनना चाहिए।
4. ज्योतिष शास्त्र का स्वास्थ्य के साथ गहरा संबंध होने के कारण जन्मपत्री देखकर इस विषय में बहुत कुछ पता लगाया जा सकता है ।
5.
 ज्योतिष के द्वारा विदेश यात्रा करने की भविष्यवाणी करना तर्क संगत नहीं 
है क्योंकि पहले पाकिस्तान स्वदेश था आज विदेश है। वैसे ग्रहों के लिए 
विशाल भूमंडल तिनके के समान है उसमें स्वदेश और विदेश का क्या महत्त्व?
ऐसे
 अनेकों प्रश्नों शंकाओं के समाधान के लिए आप कर सकते हैं हमारे संस्थान 
में संपर्क जहाँ मिलेगी आपको सही जानकारी और ले सकेंगे आप शास्त्रों का लाभ
 ।  
   
 
 
 
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