आरक्षण और सम्मान साथ साथ नहीं मिल सकते! इसके लिए चाहिए त्याग ! !
जो लोग जिस पद की योग्यता रखते हों उन्हें उस हक़ से बंचित किए जाने को न्याय कैसे कहा जा सकता है ?
जाति के आधार पर आरक्षण क्यों ? आरक्षण और सम्मान दोनों एक साथ नहीं मिल सकते!क्योंकि दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं।त्याग करने से सम्मान होता है और जातिsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/03/blog-post_2501.html
दलितों के लिए आरक्षण या सम्मान?दोनों किसी को नहीं मिलते !
दलित शब्द का अर्थ कहीं दरिद्र या गरीब तो नहीं है ?
समाज के एक परिश्रमी वर्ग का नाम पहले तो दलित अर्थात दबा, कुचला टुकड़ा,भाग,खंड आदि रखने की साजिश हुई। ऐसे अशुभ सूचक नाम कहीं मनुष्यों के होने चाहिए क्या? वो भी भारत वर्ष की जनसंख्या के बहुत बड़े वर्ग को दलित जैसे अपमानित करने वाले कुशब्दों से संबोधित किया जाने लगा है। आखिर क्या ऐसा दोष या दुर्गुण या कमजोरी दिखाई दी दलितों में ?क्या वो लाचार हैं, अपाहिज हैं
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आरक्षण बचाओ संघर्ष आखिर क्या है ? और किससे ?
आरक्षणबचाओसंघर्ष या बुद्धुओं को बुद्धिमान बताने का संघर्ष आखिर क्या है ?ये संघर्ष उससे है जिसका हिस्सा हथियाने की तैयारी है।ये अत्यंत निंदनीय है !
जिसमें चार घंटे अधिक काम करने की हिम्मत होगी वो आरक्षण माँगेगा ही क्यों ?उसे अपनी कमाई और योग्यता का भरोसा होगा किसी और की कमाई की ओरsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_3571.html
अथ श्री आरक्षण कथा !
चूँकि किसी भी प्रकार का आरक्षण कुछ गरीबों, असहायों को दाल रोटी की व्यवस्था करने के लिए दिया जाने वाला सहयोग है इससे जिन लोगों का हक मारा जाता है वे इस आरक्षण को भीख एवं जिन्हें दिया जाता है उसे भिखारी समझते हैं।इस दृष्टि से भीख में दाल रोटी तो मिल सकती है किन्तु कोई घी लगा लगा कर रोटी दे ऐसा उसे कैसे बाध्य किया जा सकता है।इसी प्रकार शर्दी में ठिठुरते देखकर किसी को कुछ कपड़े तो भीख या सहयोग में मिल सकते हैं किन्तु कोटपैंट जैसी शौक शान की चीजें देने केsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_3184.html
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