Monday, 22 September 2014

साईंयों ने मुझे कल धमकाया !

दो.  साईं बालों ने हमें धमकाया कई बार ।

      कल चेतावनी दे गए मुझे आखिरी बार ॥

दो. कहा सुधरने के लिए धन ले ले नादान । 

    साईं निंदा बंद कर यदि  तुझको प्रिय प्रान ॥ 

दो.द्रुपदसुता के कारन धाए द्वारिका नाथ । 

     गोपिन्ह की रक्षा करी ते कृष्ण हमारे साथ ॥ 

दो. जब चाहो तब मार दो यदि तुमको संतोष । 

     किन्तु हमें भी बल बड़ा हनुमत गदा भरोस ॥ 

दो. जो करना हो कीजिए किन्तु न जाना भूल ।  

      सबकी रक्षा के लिए शिव जी रखें त्रिशूल ॥ 

दो. माँ दुर्गा की कृपा से मैं हूँ नहीं अनाथ ।

     अष्ट भुजी माता मेरी सदा हमारे साथ ॥ 

सब देवी तथा सब देव गुरु शुचि संत कृपा 'कविशेष' पे ताता ।

 पूर्वज पुण्य हैं 'शेष' के शीश 'करपात्री' कृपा का प्रसाद हूँ भ्राता ॥ 

धर्म पे प्राण न्योछावर हों सौभाग्य भी ऐसा कहाँ मिल पाता । 

रघुनाथ के हाथ कि छाँह जहाँ तहाँ काह बिगारि सकैगो विधाता ॥ 

दो. राम कृष्ण शिव दुर्गा सुमिरौं प्रभु हनुमान ।

    साईं की औकात क्या वो कैसे भगवान ?

                निवेदक -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी


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