नवरात्रों में साईंधर्मी लोग सनातन परंपराओं में कर सकते हैं कोई बड़ी घुसपैठ !
नवरात्रि में साईंदेवी का पूजन कुछ इस प्रकार से किए जाने की तैयारी है सुना है कि बुड्ढे की अष्टभुजी मूर्ति को साड़ी ब्लाउज पहनाकर लाली लिपिस्टिक लगा कर बैठाया जाएगा शेर पर और इसके बाद उस साईं पत्थर के सामने खड़े होकर पढ़े जाएँगे कुछ इस प्रकार के कल्पित पँवारे और खुश किया जाएगा उस पत्थर बुढ़िया को -
साईं शैलपुत्री च साईं ब्रह्मचारिणी।
साईं चन्द्रघण्टेति साईं कूष्माण्डेति च ॥
साईं स्कंधमातेति साईं कात्यायनी तथा ।
साईं कालरात्रीति साईं महागौरिजा ॥
साईं सिद्धिदात्री च साईं दुर्गा प्रकीर्तितः ॥
आदि आदि ऐसे सभी पँवारों पाखंडों से साईँ संध्याओं कथा कीर्तनों से सनातन धर्मी समाज को सतर्क रहना होगा और अपनी सनातनी समाज को भगवती दुर्गा के पाठ के लिए प्रेरित करना हम सबका कर्तव्य है ।
बंधुओ ! धर्म के मामलों में अपनी छोटी छोटी लापरवाहियों के कारण आज सनातन धर्मी समाज को एक ऐसे साईं संकट से जूझना पड़ रहा है कि जिसका कोई रास्ता निकलता दिखाई नहीं दे रहा है अभी तक मंदिरों में बुड्ढे की मूर्तियाँ यथावत स्थापित हैं यदि सनातन धर्मी समाज के कर्णधारों ने पहले से ही थोड़ी सतर्कता वरती होती तो शायद आज ये दिन नहीं देखना पड़ता । मित्रो! कहने को हम भले ही कुछ भी कह लें या अपने विषय में बड़ी बड़ी बातें कर लें किन्तु सच्चाई हमें स्वीकार करनी ही पड़ेगी कि सनातन धर्म पर साईं नामका यह बहुत बड़ा हमला है जो सनातन मंदिरों में धनबल से घुसकर सनातन धर्मशास्त्रों के विरुद्ध किया गया है सनातन धर्म के देवी देवता अवाक् हैं उन्हें यह नहीं पता है कि उन्हें उनके किस अपराध की सजा दी गई है आखिर क्यों किया गया है उन्हें सस्पेंड ! साईं समर्थकों के द्वारा कहा जा रहा है कि बाबा मनोकामनाएँ पूरी करते हैं वो हमारी बात बहुत जल्दी सुनते हैं इसका मतलब क्या हुआ कि सनातन धर्म के देवी देवता नहीं सुनते हैं अर्थात वो बहरे हैं और वो अकर्मण्य हो गए हैं अर्थात मनोकामनाएँ पूरी नहीं करते हैं क्या इसीलिए इन टुच्चे लोगों ने सनातन धर्मी देवी देवताओं को साईँ नाम की सबक सिखाने की कोशिश की है इसीलिए उन्हें अपूज्य और साईं को पूज्य सिद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है इन पापियों के मन में तो इतनी कुटिलता होती है किन्तु ऊपरी मन से अपने को हिन्दू भी कहते हैं सनातन धर्मियों और हिन्दुओं के समान चन्दन लगाए घूमते हैं ताकि इन्हें भी लोग हिन्दू मानते रहें किन्तु ये नहीं सोचते हैं कि अब इनके हिंदुत्व में बचा क्या है ! जब सनातन धर्म शास्त्रों पर इनका विश्वास नहीं रहा सनातन देवी देवताओं को इन्होंने सस्पेंड ही कर दिया है उनके स्थान पर साईं की नियुक्ति कर ली गई है क्योंकि सनातन देवी देवता भिखारियों की सुनते नहीं हैं और साईं सुनते हैं !इसके बाद भी ये माथे में चन्दन चुपड़ चुपड़ कर कहते हैं कि सनातनधर्मी तो हम भी हैं श्री राम कृष्ण शिव दुर्गा आदि देवी देवताओं को तो हम भी मानते हैं !
अरे धोखेबाजो ! लानत है तुम्हारे जैसे मानने वालों को ,मानते हो या बेइज्जती करते हो सनातन धर्मियों एवं उनके देवी देवताओं की ! सनातनधर्मी देवी देवताओं का मोती जैसा पानी उत्तर दिया तुम लोगों ने, तुम उन्हें सबक सिखाने चले हो ! सनातन धर्म का जितना बुरा धर्म शत्रुओं ने नहीं किया था उससे अधिक उन लोगों ने किया है जो अपने को सनातन धर्मी कहते तो हैं किन्तु पूजते भूत प्रेतों को हैं इतनी बड़ी गद्दारी उन देवी देवताओं के साथ जिन्हें हमारे तुम्हारे पूर्वज मिलजुलकर अनंत काल से विश्वास पूर्वक पूजते रहे थे उन पर संदेह किया गया है !यह सोच सोचकर आत्मा रोती है और लज्जा आती है ऐसे लोगों को सनातन धर्मी मानने में !ऊपर से कहते हैं कि सनातन धर्म विराट है सनातन धर्म सहिष्णु है उसमें सब कुछ पचाने की क्षमता है तो साईं पूजा को क्यों नहीं पचाया जा सकता ?अरे खाना की थाल में खाने वाली चीज रखी हो वही तो खाई और पचाई जाएगी न कि खाने के साथ गोबर या पत्थर रख दिया गया हो तो क्या वो भी खा लिया जाएगा !इसी प्रकार से जो पूजा जाने लायक होगा वही न पूजा जाएगा !जिसे जानते नहीं पहचानते नहीं जिसका कोई नाम गाँव पता ठिकाना ही नहीं है उसे भी पूजने लगें ! आखिर अजीब सी जबरदस्ती है !और न पूजें तो हम धार्मिक नहीं हैं यह कैसी अंधेर !
आखिर क्यों देवी देवताओं के सामने देवी देवताओं की पूजा के लिए बनाए गए वेदमंत्रों का प्रयोग उनके लिए न करके अपितु उसके लिए किए जा रहे हैं जो इनका अधिकारी ही नहीं है उसी के मंदिर में सफाई हो रही है उसी के लिए गढ़ी गई झूठी स्तुतियों के लाउडस्पीकर बजाए जा रहे हैं और जिन देवी देवताओं की स्तुतियों से सम्पूर्ण संस्कृत एवं हिन्दी वाङ्मय भरा पड़ा है उन्हें कोई पूछ नहीं रहा है । पूजा उसकी हो रही है जो अपूज्य है जो पूजने योग्य हैं उनकी पूजा करने की जगह काम चलाया जा रहा है ! बड़े बड़े सुगंधित पुष्पों के हार उन पत्थरों को पहनाए जा रहे हैं जिनमें कुछ है ही नहीं, जिस बुड्ढे के प्राण यमराज के कब्जे में हैं उसकी प्राण प्रतिष्ठा का नाटक किया जा रहा है ।साईं समर्थक साईं के सामने खड़े होकर गिड़गिड़ाते हैं बाबा हमारी सुनो हमारी सुनो किन्तु बाबा यमराज के सामने गिड़गिड़ा रहे होंगे कि हमारी सुनो हमारी सुनो अब साईँ की अपनी जान जब वहाँ आफत में पड़ी होगी प्राण यमराज के कब्जे में होंगे तो साईं की प्राण प्रतिष्ठा के लिए प्राण कहाँ से आएँगे ?अब साईं की कौन सुने और साईं किसकी सुनें !
इसे भी देखें -
दुर्गासप्तशती से जन जन को जोड़ने के अभियान में आपसे योगदान की अपेक्षा !
सरल हिंदी दोहा चौपाइयों में लिखी गई दुर्गासप्तशती को अब घर घर एवं जन जन तक पहुँचाने की पवित्र पहल में आप भी जुड़ें और करें इस कार्य के प्रचार प्रसार में सहयोग !
पंडित पुजारियों एवं हमारे जैसे हमारे और भी भाई बंधुओं समेत जब हम कुछ लोग ही यदि धर्म की सारी चौधराहट सँभाल लेंगे तो बाक़ी समाज भटकेगा ही, कहीं तो जाएगा ही, किसी को तो मानेगा ही, जो इन्हें सरल दिखेगा ये उसे मानेंगे, जो इन्हें मानेगा ये उसे see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/09/blog-post.html
No comments:
Post a Comment