गुप्त करवाचौथ मनाने के लिए न्योछावर हुई तरुणाई !
गुप्त करवाचौथ की बर्बादी भुगत रहे हैं कई भले परिवार !
अपने यहाँ घटित हो रहे बलात्कारों को लेकर तो बड़ी बड़ी बातें हो रही हैं कठोर कानून बनाने की माँग आदि बहुत कुछ हो रहा है मीडिया को भी जब कोई समाचार नहीं मिलता है तब बलात्कारों को रोकने की बातें ही करने लगता है क्योंकि उसे विश्वास होता है कि ये खबरें कभी पुरानी नहीं होंगी !
समाज में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जो गलत है किन्तु उसे गलत मानते हुए भी गलत कहने का साहस लोगों में घटता जा रहा है ये गंभीर चिंता का विषय है !
बंधुओ !कल पार्कों में या वैसे जहाँ तहाँ लड़के लड़कियों के जोड़े एक दूसरे में ऐसे समिटते देखे गए जैसे दारुण शीतऋतु की शर्दी रजाई के अभाव में इसीप्रकार से छुटा लेना चाह रहे हों !कई जगह तो इस परिस्थिति में अधेड़ जोड़े भी देखे गए ! सार्वजनिक जगहों में भी ऐसी रासलीला अब तो आमतौर पर देखी जा सकती है कोई किसी को देखने सुनने वाला नहीं है अब तो लोगों को परदे की जरूरत भी नहीं दिखती है !
गुप्त करवाचौथ मनाने वाला समाज जो या तो अविवाहित होता है या तलाक शुदा होता है या पति या पत्नी ,में से कोई एक किसी दुर्घटना के शिकार हो गए हों ऐसे सदस्य भी होते हैं ऐसे लोगों को तो अच्छा बुरा आप कुछ भी कहें ये आपकी मर्जी !
यहाँ एक वर्ग ऐसा भी होता है जो किसी अयोग्य महिला को योग्य बनाने की ताकत रखता है ऐसे शक्तिशाली लोग भी ऐसी गतिविधियों में सम्मिलित होते हैं ऐसे लोग बेशक महँगी जगहों पर जाते हों किन्तु सम्मिलित ये लोग भी हैं !ऐसे रोगों के रोगी कई राजनेता भी होते हैं ये लोग विवाहित होने के बाद भी अपनी पार्टी, संगठन ,सरकार आदि में देखने में सुन्दर लगने वाली महत्वाकांक्षी किसी महिला को न केवल अपने साथ सम्मिलित कर लेते हैं अपितु उसे अपने प्रति समर्पित भी देखना चाहते हैं ऐसी महिलाएँ अपने पति की बुराई करती हुई एवं उनकी प्रशंसा करके उनके साथ सभीप्रकार से समर्पित होती हैं पति बेचारे को छायामात्र के लिए केवल गुस्सा सहते हुए दुम हिलाने के लिए रखती हैं बाकी सब कुछ समर्पित होता है उस राजनेता के लिए ! यहाँ तक कि करवा चौथ भी उसी के लिए किन्तु लोकलाज से बचते बचाते हुए इसलिए गुप्त करवाचौथ का सहारा लेना पड़ता है !अपने विवाहित पति से मिल पाना तो नेता जी की कृपा से ही संभव हो पाता है नेता जी न चाहें तो नहीं होगा !वो करवा चौथ के दिन ही कोई बाहर जाने का टूर बना लेंगे जिसे प्रभावी पत्नी का बेचारा पति रोक भी कैसे सकता है !
सरकारी कर्मचारी वर्ग में भी सीनियर पदों पर भी अपने अंडर में काम करने वाली महिलाओं के प्रति ऐसी सोच रखने वालों की कमी नहीं हैं यद्यपि महिलाओं का बहुत बड़ा वर्ग अपने अफसरों की ऐसी हरकतों का न केवल विरोध करता है अपितु उनके साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करता है इसके कारण कईबार अनेकों प्रकार से प्रताड़ना भी सहनी पड़ती है उन्हें ! फिर भी वे अडिग रहती हैं । विशेष बात यह है कि इतना सब होने पर भी ऐसी महिलाएँ उन लोगों को मिल ही जाती हैं जो उनकी इच्छाओं के आगे घुटने टेक ही देती हैं ऐसे लोग मनमाने ढंग से मनवाते हैं अपनी करवाचौथ किन्तु गुप्त रूप से इसीलिए इसे गुप्त करवाचौथ भी कहा जाता है !
प्राइवेट नौकरियों में भी गुप्त करवाचौथ मनाने की परंपरा है हमारे एक परिचित हैं उनका न्यूज़ चैनल है वहाँ काम करने वाली एक सुंदरी को पहले वे धार्मिक बातों का उपदेश दे देकर गृहस्थ जीवन के प्रति उसके मन में घृणा भरते रहे और उन्हें वैराग्य का उपदेश करते रहे इसलिए उसने अपनी शादी करने को सबको मना कर दिया बाद में उन्होंने स्टूडिओ से थोड़ी देर पर एक फ्लेट उसे दिलवा दिया जहाँ वो अकेले रहने लगी जिसे चाहे अनचाहे उनके प्रति समर्पित होना पड़ा किन्तु उनके मन में वैराग्य भावना चूँकि स्थाई हो चुकी थी इसलिए उसे बासनात्मक बातों में रूचि नहीं रही थी इससे उनके प्रेमी बहुत परेशान थे इसलिए उन्होंने हमारे ज्योतिष ज्ञान का लाभ इस विषय में लेना चाहा जिसमें दोनों लोगों से अलग अलग बात करने का मौका मिला और ये बातें सामने आईं !
इसी प्रकार से अन्य क्षेत्रों में भी है जहाँ जो लड़की स्त्री आदि किसी के दबाव में आ भर पाती है कि प्रभावी पुरुष उस पर स्वामित्व जताने लगता है !इसमें अपनी अयोग्यता को नजरंदाज करते हुए भी धन सम्मान एवं पद प्रतिष्ठा पाने की लालषा रखने वाली महिलाओं को ऐसे लोगों की भावनाओं के साथ समझौता करना पड़ता है और विभिन्न बहाने बनाकर ऐसे लोगों के साथ होटल, रेस्टोरेंटों ,पार्कों ,पार्किंगों या और ऐसे ही स्थलों में मनानी पड़ती है गुप्त करवा चौथ ! ऐसे लोगों ने अपने घर परिवार के प्रति समर्पित महिलाओं को महती पीड़ा दे रखी है उचित होता यदि ये सुधरते !कल शाम को पार्कों में इस गुप्त करवाचौथ को देखने दिखाने वाले जोड़ों को इतनी तक परवाह नहीं थी की उनके पास कौन खड़ा है कौन देख रहा है आदि आदि उन्हें इतनी भी समाई नहीं थी !ये समाज का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा !
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