तंत्र ,मंत्र और यंत्र जैसी गुप्त विद्याओं के क्षेत्र में ईमानदार ,चरित्रवान एवं विश्वसनीय लोगों की घटती संख्या ने इन्हें अन्धविश्वास बना दिया ।
हिंदू
धर्म में हजारों तरह की साधनाओं का वर्णन मिलता है। साधना से सिद्धियाँ
प्राप्त होती हैं। व्यक्ति सिद्धियां इसलिए प्राप्त करना चाहता है, क्योंकि
या तो वह उससे सांसारिक लाभ प्राप्त करना चाहता है या फिर आध्यात्मिक लाभ।
तांत्रिक सिद्धियों के लिए दो प्रकार की साधना होती है- एक वाम मार्गी तथा दूसरी दक्षिण मार्गी। वाम मार्गी साधना बेहद कठिन है। वाम मार्गी तंत्र साधना में 6 प्रकार के कर्म बताए गए हैं जिन्हें षट् कर्म कहते हैं।मारण, मोहनं, स्तम्भनं, विद्वेषण, उच्चाटन, वशीकरण, आकर्षण हैं।
मंत्र साधना
भी कई प्रकार की होती है। मंत्र से किसी देवी या देवता को सिद्ध किया जाता है
और मंत्र से किसी भूत या पिशाच को भी सिद्ध किया जाता है।‘मंत्र साधना’ में भौतिक बाधाओं का आध्यात्मिक उपचार करने की व्यवस्था है ।
मंत्र मुख्यत: 3 प्रकार के होते हैं- 1. वैदिक मंत्र, 2. तांत्रिक मंत्र और 3. शाबर मंत्र
मंत्र जप के तीन भेद होते हैं - 1. वाचिक जप, 2. मानस जप और 3. उपाशु जप।
वाचिक
जप में ऊंचे स्वर में स्पष्ट शब्दों में मंत्र का उच्चारण किया जाता है।
मानस जप का अर्थ मन ही मन जप करना। उपांशु जप का अर्थ जिसमें जप करने वाले
की जीभ या ओष्ठ हिलते हुए दिखाई देते हैं लेकिन आवाज नहीं सुनाई देती।
बिलकुल धीमी गति में जप करना ही उपांशु जप है।मंत्र-साधना
में विशेष ध्यान देने वाली बात है- मंत्र का सही उच्चारण, दूसरी बात मंत्र
सिद्धि के लिए आवश्यक है कि मंत्र को गुप्त रखा जाए !
यंत्र साधना
सबसे सरल है। बस यंत्र लाकर या लिखकर उसे सिद्ध करके घर में रखने से ही कार्य अपने आप
सफल होने लगते हैं ।
श्रीयंत्र आदि अनेक यंत्र ऐसे भी हैं जिनकी रचना में
मंत्रों का भी प्रयोग होता है और ये बनाने में अति क्लिष्ट होते हैं।यंत्र साधना के अंतर्गत कागज अथवा भोजपत्र या धातु पत्र पर विशिष्ट स्याही से या
किसी अन्यान्य साधनों के द्वारा आकृति, चित्र या संख्याएं बनाई जाती हैं।
इस आकृति की पूजा की जाती है अथवा एक निश्चित संख्या तक उसे बार-बार बनाया
जाता है। इन्हें बनाने के लिए विशिष्ट विधि, मुहूर्त और अतिरिक्त दक्षता की
आवश्यकता होती है।यंत्र
या कवच भी सभी तरह की मनोकामना पूर्ति के लिए बनाए जाते हैं जैसे वशीकरण,
सम्मोहन या आकर्षण, धन अर्जन, सफलता, शत्रु निवारण, भूत बाधा निवारण,
होनी-अनहोनी से बचाव आदि के लिए यंत्र बनाए जाते हैं।
इसके अलावा कुछ टोटके भी होते हैं इनसे कितना लाभ होता है कह पाना कठिन है यद्यपि ये शास्त्र प्रमाणित नहीं होते हैं किन्तु लोक प्रमाणित अवश्य होते हैं अर्थात समाज के प्रचलन में ये युगों से चले आ रहे हैं इसलिए इन्हें संपूर्ण रूप से नकारा नहीं जा सकता हाँ इन पर विश्वास कितना किया जाए ये और विषय हो सकता है किन्तु मुशीबत के समय मनोबल बढ़ाने में ये बहुत अधिक सहायक होते हैं विशेष कर गरीब लोग तो ऐसे उपायों के सहारे अपना संपूर्ण जीवन ही पार कर लेते हैं । मनोरोगियों का बुरा समय पार करने के लिए ये टोटके वरदान जैसे सिद्ध होते हैं और इन्हीं के सहारे सामान्य मनोरोगी आत्महत्या जैसी मनोदशा पर विजय पा लेते हैं !
उदाहरण स्वरूप कुछ टोटके -
- एकाक्षी नारियल को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें।
- सफेद पलाश के फूल, चांदी की गणेश प्रतिमा, व चांदी में मड़ा हुए एकाक्षी नारियल को अभिमंत्रिमत कर तिजोरी में रखें।
- घर के मुख्य दरवाजे पर कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं और बासमती चावल की
ढेरी पर एक सुपारी में कलावा बांध कर रख दें। धन का आगमन होने लगेगा।
- सुबह शुभ मुहूर्त में एकाक्षी नारियल का कामिया सिन्दूर कुमकुम व चावल से पूजन करें धन लाभ होने लगेगा।
-- रूके हुए कार्यों की सिद्धि के लिए यह प्रयोग बहुत ही लाभदायक है। गणेश
चतुर्थी को गणेश जी का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं, जिसमें उनकी सूंड
दायीं ओर मुड़ी हुई हो। इसकी आराधना करें। इसके आगे लौंग तथा सुपारी रखें।
जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो एक लौंग तथा सुपारी को साथ ले कर जाएं, तो
काम सिद्ध होगा। लौंग को चूसें तथा सुपारी को वापस ला कर गणेश जी के आगे
रख दें तथा जाते हुए कहें श्री गणेश काटो कलेशं।
- सरकारी या निजी रोजगार क्षेत्र में परिश्रम के उपरांत भी सफलता नहीं मिल
रही हो, तो नियमपूर्वक किये गये विष्णु यज्ञ की विभूति ले कर, अपने
पितरों की क्वकुशां की मूर्ति बना कर, गंगाजल से स्नान करायें तथा यज्ञ
विभूति लगा कर, कुछ भोग लगा दें और उनसे कार्य की सफलता हेतु कृपा करने की
प्रार्थना करें। किसी धार्मिक ग्रंथ का एक अध्याय पढ़ कर, उस कुशा की
मूर्ति को पवित्र नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें। सफलता अवश्य मिलेगी।
सफलता के बाद किसी शुभ कार्य में दान दें।
-व्यापार केलिए सरसों के तैल में सिके गेहूँ के आटे व पुराने गुड़ से
तैयार सात पूये, सात आक के पुष्प, सिंदूर, आटे से तैयार सरसों के तैल का
रूई की बत्ती से जलता दीपक, पत्तल या अरण्डी के पत्ते पर रखकर शनिवार की
रात्रि में किसी चौराहे पर रखें और कहें हे मेरे दुर्भाग्य तुझे यहीं
छोड़े जा रहा हूँ कृपा करके मेरा पीछा ना करना।
वैसे तो अपना काम बनाने के लिए सीधे तौर पर भगवान से स्वयं प्रार्थना करनी चाहिए।
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