Thursday, 25 September 2014

नशा मुक्त हो अपना देश ,मोदी जी का यह सन्देश !

                 मोदी जी के मन की बात । 
                 नशामुक्त हो भारतमात ॥
     नशा मुक्त  देश बनाने सम्बन्धी मोदी जी का सन्देश टीवी पर सुना तो हृदय गदगद हो गया और एक क्षण ऐसा लगा कि देश और समाज के प्रति कोई अपनेपन  से सोच रहा है अन्यथा सरकारी कामों में तो हर काम की फाइलें बनती हैं विज्ञापन दिए जाते हैं और प्रेस नोट जारी कर दिया जाता हैं आंकड़े पेश किए जाते हैं इन सभी चीजों पर आए भारी भरकम खर्च को जनता के मत्थे मढ़ दिया जाता है । 
  सरकारी स्कूलों आफिसों में नैतिक स्लोगन लिखवाकर लटका दिए जाते हैं कई बार इसमें भी घोटाले होते हैं यही नहीं जिन स्कूलों में ऐसे नैतिक स्लोगन लिखकर लटकाए जाते हैं वहाँ के शिक्षकों के द्वारा ही इनकी उड़ाई जा रही होती हैं धज्जियाँ !सरकारी और निगम स्कूलों  के शिक्षक स्वयं में इतने अनैतिक हैं कि सरकारी शिक्षा दिनोंदिन दम तोड़ती जा रही है मध्यान्ह भोजन में कीड़े मकोड़े आदि सब  कुछ निकल रहा है जिसमें  कोई अधिक सुधार होता  नहीं दिख रहा है वस्तुतः शिक्षक सुधरना ही नहीं चाह रहे हैं यदि उनकी भावना में कपट न होता तो अपने बच्चों को क्यों नहीं पढ़ाते हैं सरकारी स्कूलों में !

   यद्यपि  नरेंद्र मोदी जैसे धर्म प्रिय नैतिकता पसंद व्यक्ति का  प्रधानमंत्री होना देश के लिए गौरव की बात है  किन्तु मोदी जी नशे से लेकर बलात्कार तक जितनी भी मनोविकृतियाँ हैं वो सब प्रदूषित चिंतन से प्रारम्भ हो रही हैं किन्तु ये प्रदूषण रुके कैसे इस पर विचार हो और इसका कुछ स्थाई समाधान निकाला जाए तो अच्छा होगा !
       नैतिक शिक्षा देने का काम पहले शिक्षक ,प्रवचन कर्ता और साधू संत किया करते थे किंतु अब शिक्षकों  में दायित्व  पालन का अभाव होता जा रहा है ,प्रवचन कर्ता लोग सदशिक्षा एवं शास्त्रीय संस्कार देने की अपेक्षा मनोरंजन करते घूम रहे हैं साधू संत तो शांत हैं जबकि बाबा लोगों की व्यापारिक व्यस्तताएँ समझी जा सकती हैं बाबाओं को राजनैतिक हुल्लड़ मचाने से ही फुरसत नहीं है उन्हें संस्कार देने एवं सदाचरण सिखाने का समय ही कहाँ है !
     ऐसी परिस्थिति में मोदी जी आप देशहित  में बहुत कुछ करना चाह रहे हैं और बहुत कुछ कर भी रहे हैं किन्तु सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि अकेले आप  क्या क्या कर लेंगे ! माना कि साधू संतों  प्रवचन कर्ताओं से आप दबाव देकर अपनी बात नहीं कह सकते हैं किन्तु निवेदन तो कर ही सकते हैं कि वो समाज में संस्कार सृजन में सरकार का साथ दें किन्तु यदि इतना भी नहीं हो सकता है तो मोदी जी ईश्वर ने आज आपको जो पदात्मिका सामर्थ्य प्रदान की है उसका सदुपयोग कीजिए और जनता की गाढ़ी कमाई के धन से जिन शिक्षकों को मोटी  मोटी सैलरी दी जाती है उन्हें उनके दायित्व का बोध कराइए और उन्हें लगाइए संस्कार सृजन के पवित्र कार्य में जो आपकी भावनाओं का अपने शब्दों एवं शैली में प्रचार प्रसार करें !ईश्वर ने आपको ऐसे काम करने की अपेक्षा करवाने की जिम्मेदारी अधिक दी है इसलिए आप भी अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए कम से कम शिक्षक जैसे लोगों को तो ऐसे कामों में लगाइए ही जिनकी आजीविका सरकार सँभालती है !अन्यथा सफाई भी आप करेंगे ,शिक्षा और प्रवचन भी आप ही कर लेंगे तो आखिर वो लोग क्या करेंगे जिनकी इन कामों को करने की जिम्मेदारी है । हमारे जैसे लोगों के लिए भी कोई सेवा है तो हम सादर तैयार हैं वैसे भी कर तो रहे ही हैं किन्तु हमारी बात समाज के उतने बड़े वर्ग तक नहीं पहुँच पा रही है उसका कारण प्रचार प्रसार का अभाव ही है फिर भी देश की नैतिक एवं आध्यात्मिक भूख मिटाने के लिए सरकार यदि कोई कार्यक्रम अपने स्तर पर चलाती है तो उसमें हम जैसे छोटे लोग भी अपना दायित्व निर्वाह करने को तैयार हैं यदि सरकार आवश्यकता समझे तो हम जैसे बहुसंख्य लोगों का उपयोग कर सकती है! see more... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.com/2014/11/blog-post_24.html
    वैसे ये हम सब देश वासियों के लिए गर्व की बात है और मोदी जी की धर्म निष्ठा श्लाघनीय है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि मोदी जी की दुर्गा उपासना से देश और समाज में बड़ा बदलाव हो सकता है ! नरेंद्र मोदी जी दुर्गा जी के ही अनन्य उपासक हैं ये बात अब तो विश्वफलक पर स्पष्ट हो ही चुकी है इसलिए उनके विषय में साईं आदि किसी और के उपासक होने की शंका नहीं होनी चाहिए, जहाँ तक बात साईं मंदिर जाने की है तो सार्वजनिक जीवन  में जनता ही जनार्दन होती है किसी भी सामाजिक कार्यकर्ता या सरकार के शीर्ष स्थान पर बैठे महत्वपूर्ण व्यक्ति को जनता के प्रत्येक व्यक्ति की उचित  इच्छा का यथासंभव सम्मान करना ही  पड़ता है इसलिए प्रजा प्रजा में भेद किया भी नहीं जा सकता और उचित भी नहीं है । 

       मोदी जी के लिए अपनी व्यस्ततम दिनचर्या में भी न केवल संपूर्ण नवरात्रों में व्रत रखना अपितु दुर्गा सप्तशती का पाठ भी नित्य करना ये बड़ी ही नहीं अपितु बहुत बड़ी बात है, एक बात की तो अब अपार खुशी है कि हमारे प्रधानमंत्री जी को धार्मिक कहलाने में शर्म नहीं लगती है ये हम सब लोगों के लिए गौरव की बात है।

   फैशन के नाम पर चोटी तक कटा देने वाले हिन्दुओं को मोदी जी से बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है हमारी समाज का एक वर्ग पूजा पाठ धर्म कर्म व्रत उपवास जैसे आचरणों के लिए अंधविश्वास या पाखण्ड जैसे शब्दों का प्रयोग करने लगा था उनकी नक़ल करते करते देश का युवा वर्ग भटकने सा लगा था अर्थात अपने को हिन्दू कहने में नवरात्र व्रत करने में दुर्गा जी की सप्तशती का पाठ करने में या कोई भी पूजा पाठ करने में शर्म महसूस करने लगा था, भूत प्रेतों की मूर्तियाँ मंदिरों में रखकर उन्हें पूजने में फैशन समझने लगा था ऐसे वर्ग को यह समझना चाहिए कि जब अपनी सनातनी परम्पराओं के पालन करने में और उन्हें विश्वस्तर पर बता देने में हमारे प्रधान मंत्री को गर्व होता है तो आमआदमी फैशन के नाम पर इन्हें बताने में शर्म क्यों करता है उसे भी गर्व पूर्वक अपने धर्म का प्रकट रूप से पालन करना चाहिए । 

    रही बात साईं आदि पाखंडों को पूजने की तो उस विषय में भी अब भ्रम नहीं होना चाहिए कि टेस्ट बदलने के लिए पिकनिकी भावना से कोई कहीं जाए कुछ भी करे किन्तु बात जब धर्म की आवे तब अपनी जड़ों से जुड़े रहने में ही भलाई है अपने बाप दादे पुरखे पूर्वज जिन देवी देवताओं को अभी तक पूजते आए हैं उनपर संदेह मत करो !न अपने पूर्वजों पर और न ही उन देवी देवताओं पर अन्यथा यदि एक बार भटक गए तो दूसरी बार अपने धर्म में उस प्रकार से घुल मिल पाना बड़ा कठिन हो जाता है। 

     इसलिए जैसे टेस्ट बदलने के लिए किसी के संग साथ में पड़कर बाहर का खाना कोई एक आध दिन खाकर काम भले चला ले किन्तु पेट तो घर के खाने से ही भरता है उसी प्रकार से किसी के संग साथ में पड़कर कभी साईं वाईं के यहाँ यदि जाना भी पड़े तो भी व्रत नवरात्रों के आस्था माता दुर्गा पर और पाठ दुर्गा सप्तशती के ही करने हैं स्थाई भाव तो यही होना चाहिए व्यस्तता कितनी भी रहे जाना कहीं भी पड़े किन्तु अपने धर्म कर्म में समझौता नहीं करना ऐसे दृढ़ निश्चयी मोदी जी को बार बार बधाई !

      मोदी जी से इस मामले में उन सभी लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए जो स्वाभाविक रूप से ऐसा करने में प्रमाद करते हैं ,जो लोग मोदी जी की तरह से व्यस्त भी नहीं हैं स्वस्थ भी हैं मोदी जी की तरह किसी ऐसे महत्वपूर्ण मिशन पर यात्रा भी  नहीं करनी है फिर भी आलस्य और प्रमादवश नवरात्र जैसे महान पर्व पर नियम संयम पूर्वक भगवती की आराधना नहीं करते हैं उन्हें मोदी जी को देखकर ही सही अब प्रारम्भ कर देनी चाहिए । 

   हमें एक बात और ध्यान रखनी चाहिए कि आज समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार ,घूसखोरी ,चोरी, बलात्कार ,हत्या आदि जैसे जितने भी प्रकार के अपराध होते हैं वो सारे एकांत में ही होते हैं उसके लिए सरकार और पुलिस को पूरी तरह जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है आखिर हर आदमी को सुरक्षा कैसे दी जा सकती है! इसलिए मोदी जी से ही सही प्रेरित होकर सभी समाज धर्म अध्यात्म एवं संस्कारों के प्रति यदि समर्पित होने लगे तो समाज में दिनोंदिन बढ़ते अपराधों में विशेष कमी की जा सकती है । 

इसी विषय में पढ़ें हमारा यह लेख भी -  आश्विन नवरात्र  के पावन पर्व पर जगज्जननी माता दुर्गा को कोटिशः प्रणाम करते हुए हमारी ओर से आपको आपके पारिवारिक सदस्यों एवं समस्त स्वजनों को कोटि कोटि बधाई !अनंत अनंत  मंगल कामनाएँ , नितनूतन मंगलमय हो !   see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/09/blog-post.html

 

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