भारत वर्ष में स्वच्छता अभियान के सूत्रधार प्रधानमंत्री मोदी जी !सरकार से अब न कोई आश्वासन चाहिए और न ही उपकार केवल लोक जीवन की दैनिक समस्याओं का समाधान करे सरकार !लोगों की शंकाएँ समाधान के बिना अधूरी हैं इसलिए सरकार लोगों की व्यवहारिक कठिनाइयों को भी समझे !
भारत वर्ष से गन्दगी हटाकर देश को
स्वच्छ करने के महान संकल्प पर स्वदेश से लेकर विदेश तक भाषण करने वाले
मोदी जी !स्वच्छता पर भाषण खूब हो रहे हैं बड़े बड़े लोगों को झाड़ू पकड़वाने
में आपने सफलता हासिल की है इसमें कोई संदेह नहीं है और इसकी आवश्यकता भी
है !किंतु आपका ध्यान इस ओर भी दिलाना चाहेंगे -
प्रधानमंत्री जी!किसी के मरने या मार दिए जाने के बाद मीडिया से लेकर मंत्री तक मातम मनाने पहुँचने से अच्छा है कि ऐसे लोगों का जीवन बचाया जाए !
प्रधानमंत्री जी!यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे
उत्पीड़न का शिकार हो जिससे उसकी या उसके परिजनों की निजी जिंदगी खतरे में पड़ने की संभावना हो जिससे बचाव के लिए वह अपनी पहुँच के नेता और अफसरों के पास अपनी प्रार्थना ले जाकर थक गया हो किन्तु कोई उसकी पीड़ा समझने को तैयार न हो ऐसी परिस्थिति में उसे कहाँ जाना चाहिए किससे मिलना चाहिए किससे मदद माँगनी चाहिए ?
क्योंकि ऐसे निराश हताश लोग या तो अपने शत्रुओं के द्वारा मार दिए जाते हैं या स्वयं
मर जाते हैं इसके बाद मीडिया से लेकर मंत्री तक मातम मनाने उसके यहाँ पहुँचते हैं
जब वो कुछ कहने लायक ही नहीं रह जाता है ?इसलिए यदि संभव हो तो उसके जीवित रहते ही कुछ ऐसी सुविधा उपलब्ध कराई जाए जिससे उसका बहुमूल्य जीवन बचाया जा सके !
प्रायः ऐसे पीड़ित वर्ग का शोषण किसी संपन्न ,सक्षम वर्ग, नेता ,अफसर, पत्रकार वकील,पुलिस या ऐसे ही और दबंग लोगों के द्वारा हो रहा होता है जिसने अपने धन और धमक के बल पर कम से कम अपने जिले के अधिकारियों कर्मचारियों को धमका रखा होता है इसीलिए उसके विरुद्ध न कोई कार्यवाही हो पाती है और न कोई जाँच !फिर भी ऊपर से अधिक दबाव यदि जाँच के लिए पड़ा भी तो जाँच की
रिपोर्ट उस दबंग व्यक्ति की इच्छानुशार बनाई जाती है ! हे मोदी जी ! ऐसी परिस्थिति में
उस पीड़ित पुरुष को आपके लाए हुए अच्छे दिनों का लाभ कैसे मिले इसके विषय
में आप की निकट भविष्य में क्या कोई योजना है और है तो क्या ?
हे प्रधानमंत्री मोदी जी ! आम व्यक्ति जब अपने पास पड़ोस के स्वाभाविक दबंगों
अर्थात नेताओं ,पुलिसवालों ,अफसरों वकीलों, पत्रकारों एवं धनबलियों जैसे सभी प्रकार के
सोर्स सिफारिसों से लैस लोगों के द्वारा प्रताड़ित किया जाता है तो अपनी पीड़ा वो किससे कहे ? ऐसे लोगों को नियंत्रित करने के लिए क्या कुछ करेंगे आप
? जिससे ये अपने आस पास पड़ोस के आम लोगों को भी चैन से जी लेने दें और यदि
ये लोग ऐसा नहीं करते हैं तो ऐसे लोगों के लिए आप क्या कुछ करेंगे और आम
आदमी को अपने बचाव के लिए क्या कुछ करना चाहिए !और उसका सहयोग सरकार किस प्रकार से करेगी ?
हे प्रधानमंत्री मोदी जी ! जब कोई आम आदमी ऐसे स्वाभाविक दबंगों के विरुद्ध कहीं कोई शिकायत करने जाता है तो वो सरकारी अधिकारी कर्मचारी शिकायतकर्ता से लिखित शिकायत लेते हैं और वह शिकायत पत्र लेकर उन लोगों को दिखाते हैं जिनके विरुद्ध उसने शिकायत की होती है क्योंकि ऐसे दबंग लोगों से दबंगई करने का महीना सप्ताह आदि कुछ कुछ बँधा होता है जिसके बदले में ऐसे अधिकारी कर्मचारी उन्हें ये सेवाएँ प्रदान करते रहते हैं । यह शिकायत पत्र उस दबंग के हाथ पड़ते ही शिकायत कर्ता को सबक सिखाने के लिए वो कुछ भी कर बैठता है !वह सारी पीड़ा शिकायतकर्ता एवं उसके परिवार को अकेले सहनी पड़ती है जबकि उसकी शिकायत भ्रष्टाचार एवं दबंगई के विरुद्ध थी !प्रधानमंत्री जी ! ऐसे समाज शोधकों की आवाज आप तक या अापके द्वारा नियुक्त किए गए विश्वसनीय लोगों तक कैसे पहुँचाई जाए
मान्यवर मोदी जी ! आप सहृदय प्रधानमंत्री हैं इसलिए आपसे आशा भी है कि आप इस ओर भी जरूर
कुछ ध्यान देंगे और कोई ऐसा हेल्प लाइन नंबर उपलब्ध करवाएँगे जहाँ ऐसे लोग
किसी भी विभाग की शिकायत कर सकें और उसकी किसी समस्या का उचित एवं
संवैधानिक समाधान करने की जवाबदेही हो सके !
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