Thursday, 27 November 2014

शास्त्रसम्मत बाबाओं एवं संविधान सम्मत नेताओं की पवित्र प्रजाति समाप्त होने की कगार पर है

                भाजपा दिल्ली में अब  सरकार बनाने पर पूरी तरह उतारू है !
मंत्री और मुख्यमंत्री पद भले ही किसी को भी क्यों न देने पड़ जाएँ किंतु अपनी  पीठ सहलाने के लिए केवल इतना भर कहने को मिल जाए कि देखो कितने काबिल हैं ये लोग ! अंततः दिल्ली में भी झंडा गाढ़ ही दिया इन्होंने ! वास्तव में अद्भुत चुनावी रणनीतिकार हैं ये !इसीलिए इन्होंने कभी कोई चुनाव हारा नहीं !क्योंकि जिस दल से चुनाव लड़ना होता है उसी के सदस्यों के साथ मिलकर चुनाव लड़ लेते हैं वास्तव में बड़े हिम्मती हैं ये लोग !बधाई हो भाई बधाई !आज दिल्ली भाजपा में पत्रकारों से बात करने के लिए आत्मग्लानि गरते मूल भाजपाई लोग सामने आएँ न आएँ किन्तु दूसरी पार्टियों से आए हुए सदस्य हँसते हँसते लपक लेते हैं माइक और बताने लगते हैं भाजपा की संस्कृति सिद्धांत एवं चुनावी रणनीतियाँ !यहाँ तक कि दिल्ली के पार्टी कार्य कर्ताओं के लिए स्वच्छता अभियान और किरन वेदी जी के लिए मुख्य मंत्री पद !दिल्ली भाजपाइयों के लिए पार्टी का यह कैसा इशारा कि हम तुम्हें कुछ नहीं मानते किंतु तुम हमारी मानो ! ऐसी अपेक्षा करना सामान्य साहस की बात नहीं है !
 अन्यथा जैसे किरण वेदी वैसे केजरीवाल अन्ना जी के साथ दोनों लोगों ने भ्रष्टाचार का विरोध किया था !

  15 फरवरी को  कार्यकर्ताओं लूंगा CM की शपथः केजरीवाल
 किंतु
उस समय राजगद्दी कैसे जो त्यागपत्र का है मुहूर्त।
संकेत समय का साफ साफ समझो प्यारे यह स्वतः स्फूर्त ॥

पिछले वर्ष
शास्त्रसम्मत  बाबाओं  एवं संविधान सम्मत नेताओं की पवित्र प्रजाति समाप्त होने की कगार पर है !बाबा हों या नेता जो पकड़े जाएँ वो दोषी जो न पकड़े जाएँ वे निर्दोष !
        जिस पार्टी की सरकार हो उससे जुड़े नेता हों या बाबा सभी निर्दोष और सभी को सिक्योरिटी और जो विरोधी पार्टी के नेता हों या बाबा उनको जेल या फिर इसी प्रकार का कुछ और !जिनकी सरकार न हो उन्हें जेल या फिर उनकी पिटाई ! जो न नेता हों और न बाबा वो बेचारे कहाँ जाएँ !उनकी कौन सुने वो किसे बताएँ अपना दुःख दर्द ! नेता पिटने लगते हैं तो रैलियाँ करते हैं और बाबा पिटते हैं तो रैलियाँ  करते हैं एक मंथन शिविर लगाते हैं तो दूसरे सत्संग शिविर ।
                                                               नेता और बाबा !
      नेता इस लोक के सपने दिखाते हैं बाबा उस लोक के ! दोनों यहाँ वहाँ का भय देकर  धमकाते  हैं जबकि लक्ष्य दोनों का अपने लिए सुख सुविधाएँ इकठ्ठा करना होता है जनता कैसे किस पर करे भरोस !
                

                         अब जबसे परेशान इसके बाद 
         यहाँ   
          
 नेताओं और बाबाओं की आपसी साँठगाँठ ने बढ़ाया सभीप्रकार का भ्रष्टाचार और शुरू किया गुप्त एवं बड़े अपराधों का अंत हीन सिलसिला !
       संपत्ति बली बाबाओं एवं संपत्ति बली नेताओं की सिक्योरिटी का खर्च देश क्यों उठावे ?
बाबाओं के संपर्क से नेता ईमानदार दिखने लगते हैं और नेताओं के संपर्क से बाबा सोर्सफुल दिखने लगते हैं !
     इस सोर्स के  बल पर बाबा लोग वो सारे दुष्कर्म करते हैं जिनकी शास्त्रीय संत संविधान में निंदा की गई है बड़े बड़े अपराधों को अंजाम देने के बाद भी उन पर पुलिस प्रशासन जल्दी जल्दी हाथ नहीं डालता है उन नेताओं की इसके बाद भी
        बाबा जिस नेता से संपर्क रखते हैं जिसके साथ उठते बैठते हैं जिस नेता के यहाँ आते जाते हैं जिस नेता की प्रशंसा करते हैं ऐसे नेता कितना भी भ्रष्टाचार करते रहें उन पर एक सीमा तक कोई संदेह नहीं करता कि ये भी भ्रष्टाचारी होंगें अर्थात उन पर ईमानदारी का ठप्पा सा लग जाता है इसके बाद जनता का ध्यान उधर से हट जाता है इसी ईमानदारी की आड़ में फिर ऐसे नेता लोग वो सबकुछ कर लेते हैं जिसे संविधान सम्मत नहीं कहा जा सकता !

 आज  बाबा लोग स्वयं  धर्म शास्त्रों के विरुद्ध आचरण  अर्थात पाप कर रहे हैं वो किसी और को क्या शिक्षा देंगे !
        जो बाबा लोग पकड़े जा रहे हैं वहाँ वहाँ सेक्स सामग्री जरूर मिल रही है एवं उनके धनसंग्रह के स्रोत छल फरेब धोखाधड़ी अादि के समुद्र हैं !
  आज  नेता लोग स्वयं संविधान के विरुद्ध आचरण  अर्थात अपराध कर रहे हैं वो किसी और को क्या सुरक्षा देंगे !    जो नेता भ्रष्टाचार के किसी भी केस में पकड़े जा रहे हैं वो केवल अपराधी ही नहीं अपितु बड़े बड़े अपराधियों को अभय दान देने वाले निकलते हैं

            अन्यथा

  साईं बाबा हों या रामपाल बाबा या और कोई बाबा !

    इन का कोई भी आचरण धर्म शास्त्रों  से मेल नहीं खाता है ये  अपने अपने पुजवाने के लिए अपनी अपनी सुविधानुशार  अपने धर्म कर्मों का निर्माण करते हैं दोनों कबीर पंथी अर्थात हिन्दू मुस्लिम एकता का ढिंढोरा पीटते हैं ।
  साईं बाबा और रामपाल बाबा दोनों के चेले दोनों के पाखण्ड में इस  कदर समर्पित होते हैं कि मिनटों में गाली गलौच मारपीट पर उतर जाते हैं । दोनों के अनुयायी दोनों को भगवान बनाकर प्रचारित करते हैं !
    साईं बाबा और रामपाल बाबा दोनों के यहाँ झूठ फरेब के द्वारा इकट्ठा की गई संपत्ति का ही बल है उसी के बल पर भंडारा चलता है और जो जो इन बाबाओं का बशीकरणी खीर प्रसाद खाता है वो कहने लगता है कि वास्तव में बाबा बड़े दयालू हैं !बंधुओ !अब समय आ गया है जब ऐसे सभी पाखंडों पर विराम लगाना चाहिए और शास्त्रीय धर्म को ही महत्त्व मिलना चाहिए !

को न मानने वाले थे ,दोनों अपनी
   दुर्लभ फिर भी इनके पीछे भगति जनता आचरण
पूज्य संतों एवं शास्त्रों से न जाने किस जन्म की शत्रुता निभा रहे हैं  बाबा !
       श्रद्धेय देशभक्त नेताओं एवं संविधान

 बाबाओं में ईश्वर भक्ति एवं नेताओं में देश भक्ति के संस्कार ही मरते जा रहे हैं !
        बाबा धार्मिक  भ्रष्टाचार फैला रहे हैं और नेता संवैधानिक भ्रष्टाचार फैला रहे हैं

 बाबा संस्कृति का संकट समाप्त करने के लिए विरक्तों के लिए बनी प्राचीन शास्त्रीय परंपराओं को आगे करना होगा कैसे हो ?
  खेल !कर  के घाल मेल से
 को समाप्त 
अशास्त्रीय है
साईं बाबा से लेकर रामपाल से  समाज हो सावधान

बाबाओं  और नेताओं ने मिलजुलकर बर्बाद किया है समाज !अभी भी समय है समाज के सावधान होने का !!!
दिनों दिन दुर्लभ होती जा रही है !

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