Wednesday, 3 December 2014

शनि के राशि बदलते ही शनि की साढ़ेसाती और ढय्या भी बदल जाती है !

शनि की राशि बदलने का असर मनुष्यों या आम जीवों के साथ ही साथ प्रकृति पर भी पड़ता है !

      शनि महाराज किसी भी राशि में ढ़ाई साल तक रहते हैं। इस समय शनि के राशि परिवर्तन की तिथि में पंचांग भेद भी हैं। कुछ पंचांग के अनुसार शनि ने 1 नवंबर को ही राशि बदल ली है कुछ में आगे पीछे किन्तु ये निश्चित है कि अब शनि देव राशि बदलकर वृश्चिक राशि में आ गए हैं ।अब करीब-करीब 27 महीनों तक शनि वृश्चिक राशि में ही रहेंगे  इसलिए  शनि देव 12 राशियों पर अपना असर बनाए रखेंगे । इस दौरान शनि वक्री भी होंगे और मार्गी भी इसलिए आगे पीछे की राशियों में भी जा आ सकते हैं किन्तु इन  27 महीनों में शनि कुछ ज्यादा समय तक वृश्चिक राशि में रहेंगे । 

             क्या होती है साढ़े साती ?

    विशेष बात ये है कि शनि एक राशि में ढाई वर्ष रहता है इसी को शनि का ढय्या कहते हैं शनि जिस राशि में रहता है उस राशि में एवं उससे एक राशि आगे तथा एक राशि पीछे इन तीन राशियों में उसका असर विशेष रहता है प्रत्येक राशि के ढाई ढाई वर्ष मिलकर इन्हीं तीन राशियों के साढ़े सात वर्ष हो जाते हैं इन्हें ही शनि की साढ़े साती कहते हैं !इसीलिए शनि के राशि बदलते ही कन्या राशि से साढ़ेसाती पूरी तरह उतर गई है एवं धनु राशि पर शुरू हो गई है इस प्रकार से अब तुला बृश्चिक एवं धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी आगामी ढाई वर्षों तक तुला राशि पर साढ़ेसाती का अंतिम ढय्या रहेगा। वृश्चिक पर साढ़ेसाती का पहला ढय्या खत्म हो जाएगा और धनु पर लगेगा !

       शनि के वृश्चिक में आने से इसका असर पहले की अपेक्षा पूरी तरह बदल गया है।   शनि बीते ढ़ाई साल से उपनी उच्च राशि तुला में चल रहे थे। तुला शनि की मित्र राशि भी है। अब न उच्च राशि है और न ही मित्र राशि !वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है, जो शनि का शत्रु है । 30 साल बाद शनि का वृश्चिक राशि में आना सभी राशियों को प्रभावित करेगा। कुछ राशियों के लिए शनि शुभ  फलदायी होंगे तो कुछ के लिए कष्टकारी भी होंगे।

       क्या होता है शनि का ढय्या?

   जिन राशियों से शनि चौथे और आठवे होता है उन राशियों को पीड़ित करता है है चूँकि शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है  इसलिए इस समय को शनि का ढय्या कहते हैं। शनि के तुला राशि को छोड़कर   वृश्चिक में पहुँचते ही कर्क एवं मीन राशि से शनि की ढय्या खत्म हो गई है एवं  मेष और सिंह पर ढय्या शुरू हो गई है ।कैसे कैसे होता है शनि का प्रभाव !       

     शनि का विशेष प्रभाव इन विन्दुओं पर होता है -

 1. कमजोर स्वास्थ्य 2. बाधाएं 3. रोग 4. दुश्मनी 5. मृत्यु6. निम्न जातियां7. दीर्घायु 8. नंपुसकता9. वृद्धावस्था10. काला रंग11. क्रोध12. विकलांगता 13. संघर्ष

      अर्थात शनि की साढ़े साती हो या ढय्या ये जिस इसी भी राशि पर आती हैं उसे पीड़ा पहुँचाती ही हैं मानसिक तनाव देती रहती  हैं संघर्ष की परिस्थितियाँ पैदा किया करती है!जीवन को अनुशासित एवं स्वार्थी बनती हैं निरर्थक लोगों से सम्बन्ध नहीं जुड़ने देती है!और भी जन्मांग चक्र के अनुशार विविध प्रकार की पीड़ाएँ मिलती हैं किन्तु जन्म पत्री में जिनका शनि अच्छा है उन्हें पीड़ाएँ कम होती हैं एवं आर्थिकविकास ,राजनैतिक विकास आदि बहुत अधिक हो जाता है !जिनका शनि खराब होता है उनका समय बहुत अधिक तनावपूर्ण एवं संघर्ष युक्त बीतता है । वृश्चिक ,मकर ,वृष और सिंह राशियों के लोग विशेष पीड़ित रहेंगे इनमें  से जो राशियाँ साढ़े साती और ढय्या से भी प्रभावित होती हैं उन पर शनि का दुष्प्रभाव और अधिक होता है ।
    इसी प्रकार से देश राजनीति स्थिरता की ओर बढ़ता है किन्तु सरकार की प्रतिष्ठा दिनोंदिन घटती जाती है जनता को दिए हुए  आश्वासन पूरे कर पाना दिनोंदिन कठिन होता जाता है क्योंकि प्रकृति वैषम्य के कारण माँग एवं आपूर्ति में भारी अंतर पड़ जाता है जिसका खामियाजा तत्कालीन सरकार को भोगना पड़ता है ,शनि के शत्रुक्षेत्री होने से वर्षा आदि ऋतुएँ प्रकृति विप्लव से पीड़ित करेंगी !फलफूलों में कमी आएगी ,जमीन के अंदर होने वाले आलू ,सकरकन्द ,मूली जैसे पदार्थ अति वृष्टि  एवं अनावृष्टि  से प्रभावित होकर महँगे हो जाएँगे !उत्तर पश्चिम दिशाएँ और देश दिनोंदिन वैमनस्य प्रभावित होती जाएंगी !


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