Tuesday, 2 December 2014

रामजादा या हरामजादा !

राजनीति में अपशब्दों का महत्त्व ! जो जितनी भद्दी गाली दे और जितना गंदा आचरण करे वो उतना बड़ा नेता !

 ऐसे अप्रिय या अशोभनीय शब्दों का प्रयोग किसी के लिए भी नहीं किए जाने चाहिए ! यहाँ तक तो ठीक है किन्तु ऐसे शब्दों का प्रयोग किसी को नहीं करना  चाहिए !इसलिए केवल भाजपा सरकार की महिला मंत्री के बयानों पर ही इतना बवाल क्यों ?भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं ने ऐसे बयानों पर संयम बरतने की सलाह दी है जबकि निरंजन ज्योति जी  स्वयं भी खेद प्रकट कर चुकी हैं  इसके बाद भी उस बयान पर  विपक्षी पार्टियों के द्वारा बवाल बढ़ाया जा रहा है आखिर क्यों !

     दूसरी बात अबकी बार बीते चुनावों में नाम  ले लेकर नरेंद्र मोदी जी के लिए कैसे कैसे अपशब्दों के प्रयोग किए गए किन्तु किसी ने भी खेद भी प्रकट   नहीं किया आखिर क्यों  !  यदि उसी समय सभी पार्टी के नेताओं ने मिलजुल कर उन लोगों की निंदा की होती तो आज ये परिस्थिति ही क्यों पैदा होती !

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