मृत्यु भय दूर करने के लिए साधू बनने वाले लोग ही यदि सिक्योरिटी माँगने लगें तो सधुअई पर अँगुलियाँ उठाना स्वाभाविक ही है !
जो लोग
यदि बोलने की सभ्यता सिखाने वालों के ही असभ्य बोलों के कारण संसद गति रुद्ध हो जाए ! फिर आम लोगों को स्वच्छता अभियान के नाम पर झाड़ू पकड़ने से कितना लाभ हो पाएगा कहना कठिन है !
मोदी जी !क्या ये मान लिए जाएँ अच्छे दिन !!
पुलिस वाले हैं या लुटेरे ! ऐसे लोगों के सहारे दिल्ली की सुरक्षा !!!
दिल्ली के एक पार्क के पास रेड़ी लगाकर सेब बेचने वाले की रेड़ी से दो किलो सेब लेकर चले गए एक पुलिस वाले भाई साहब किन्तु उसे पैसे नहीं दिए वो बेचारा गिड़गिड़ाता रह गया !मोदी जी ! क्या इन्हें अच्छे दिन कहा जाएगा यदि इन बेचारों के भाग्य में माँगना खाना ही बदा है तो इन्हें बेतन किस बात का दिया जाता है !
मोदी जी !अब तो आप प्रधान मंत्री बन भी गए अब आपको लग रहा है क्या कि इस देश में कभी अच्छे दिन आ पाएँगे!
मोदी जी !अच्छे दिन आएँगे ये कहने से क्या होता है आएँगे तो तब न जब आपके ये सरकारी कर्मचारी लोग आने देंगे !और ये आने क्यों देंगे उनसे इनका क्या लाभ ! अच्छे दिन न आने से घूस घास तो मिलती ही रहेगी, सरकार महँगाई भत्ता आदि और भी बहुत कुछ देगी !सरकारी कर्मचारियों पर नियंत्रण हो आएगा ये समझ के बाहर की बात है
सरकारी कर्मचारियों का घूस लेना अपराध है क्या ?
यदि अरबों रूपए के निकल रहे पकड़े गए सरकारी इंजीनियर आदि सरकार दुलारे लोग ! जो धोखे से पकड़ गए सो तो ठीक किन्तु बहुत वो लोग जो घूस भी लेते हैं धन भी इकठ्ठा करते हैं किन्तु पकड़े नहीं जाते ! ऐसे ईमानदार
जो लोग
यदि बोलने की सभ्यता सिखाने वालों के ही असभ्य बोलों के कारण संसद गति रुद्ध हो जाए ! फिर आम लोगों को स्वच्छता अभियान के नाम पर झाड़ू पकड़ने से कितना लाभ हो पाएगा कहना कठिन है !
एक राजनैतिक साध्वी ने किया ऐसा चमत्कार !
विगत लोक सभा चुनावों में अपनी घोर पराजय से परेशान बेजान से पड़े विपक्ष को चंदशब्दों से न के केवल जिंदा कर दिया अपितु अपनी तपोपूत वाणी के तेजोमय प्रभाव से विपक्ष में ऐसा शक्तिपात किया है कि मृतप्राय विपक्ष संसद की गति रोक कर खड़ा हो गया विश्व में विजय का डंका बजा देने वाली मोदी सरकार अपनी सरकार में सम्मिलित साध्वी के बचन बज्रीय शस्त्र संघात से तिलमिलाए व्याकुल विपक्ष में ऐसा शक्ति संचार किया है कि विपक्ष मानने को तैयार नहीं है ।
मोदी जी !क्या ये मान लिए जाएँ अच्छे दिन !!
पुलिस वाले हैं या लुटेरे ! ऐसे लोगों के सहारे दिल्ली की सुरक्षा !!!
दिल्ली के एक पार्क के पास रेड़ी लगाकर सेब बेचने वाले की रेड़ी से दो किलो सेब लेकर चले गए एक पुलिस वाले भाई साहब किन्तु उसे पैसे नहीं दिए वो बेचारा गिड़गिड़ाता रह गया !मोदी जी ! क्या इन्हें अच्छे दिन कहा जाएगा यदि इन बेचारों के भाग्य में माँगना खाना ही बदा है तो इन्हें बेतन किस बात का दिया जाता है !
मोदी जी !अब तो आप प्रधान मंत्री बन भी गए अब आपको लग रहा है क्या कि इस देश में कभी अच्छे दिन आ पाएँगे!
मोदी जी !अच्छे दिन आएँगे ये कहने से क्या होता है आएँगे तो तब न जब आपके ये सरकारी कर्मचारी लोग आने देंगे !और ये आने क्यों देंगे उनसे इनका क्या लाभ ! अच्छे दिन न आने से घूस घास तो मिलती ही रहेगी, सरकार महँगाई भत्ता आदि और भी बहुत कुछ देगी !सरकारी कर्मचारियों पर नियंत्रण हो आएगा ये समझ के बाहर की बात है
सरकारी कर्मचारियों का घूस लेना अपराध है क्या ?
यदि अरबों रूपए के निकल रहे पकड़े गए सरकारी इंजीनियर आदि सरकार दुलारे लोग ! जो धोखे से पकड़ गए सो तो ठीक किन्तु बहुत वो लोग जो घूस भी लेते हैं धन भी इकठ्ठा करते हैं किन्तु पकड़े नहीं जाते ! ऐसे ईमानदार
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