"श्री राम का टाइम मशीन टेस्ट" अभी तक दिए गए तर्कों के आधार पर प्रमाणित एवं विश्वसनीय नहीं है !
जी न्यूज एवं उस तथाकथित रिसर्च को शास्त्रार्थ की खुली चुनौती ?
जी न्यूज पर ये जो तारीखें बताई गई हैं उस कार्यक्रम में बाल्मीकि रामायण का बार बार नाम लिया जा रहा था !मैं जी न्यूज से निवेदन करना चाहता हूँ कि रामायण से सम्बंधित बताई जा रही इन घटनाओं की तारीखों को बाल्मीकि रामायण से प्रमाणित करें ! इन तारीखों के साथ बाल्मीकि रामायण के उन श्लोकों को बताया जाए जिनको आधार बनाकर ये तारीखें लिखी गई हैं मैं सम्पूर्ण जिम्मेदारी के साथ कहता हूँ कि ये निराधार हैं और मुझे ये विश्वास भी है कि जीन्यूज और वो रिसर्च कर्ताओं के पास इसका कोई ठोस आधार नहीं है उन्होंने केवल भ्रम पैदा किया है और यदि ऐसा नहीं है तो इस विषय में हमारे साथ खुले शास्त्रार्थ का सामना करें !
वो इसके लिए भी स्वतंत्र हैं कि अपनी बातों को प्रमाणित करने के लिए वे केवल बाल्मीकि रामायण ही नहीं अन्य भी उन आर्ष ग्रंथों के प्रमाण दे सकते हैं जो प्रमाणित हों ! ये तारीखें जो उन लोगों ने बताई हैं उनका शास्त्रीय आधार क्या है ?केवल श्री राम जन्म की ग्रहस्थिति तो वहाँ वर्णित है किन्तु उसके आधार पर भी वर्षों का निर्णय कतई नहीं किया जा सकता !
श्री राम का जन्म ईसा पूर्व 10 -1 -5114
श्री राम के बन गमन की तारीख़ 5 -1 -5089
खरदूषण बध 7 -10 -5076
श्री राम जी का रावण से युद्ध ईसापूर्व 24 -11 -5076
रावण के बध की तारीख 4 -12 -5076
राम के अयोध्या वापस आने की तारीख़ 30 -12-5076
श्री रामावतार के वर्षों की गणना जो इन्होंने की है इसका आधार क्या है ?
बंधुओ ! लगभग पाँच हजार वर्ष पहले द्वापर युग में श्री कृष्ण का अवतार हुआ था हुआ था जबकि श्री राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था -
ईस्वी 2014 तक कलियुग के 5115 वर्ष ब्यतीत हो गए हैं सम्पूर्ण कलियुग 432000 वर्षों का होता है द्वापर युग 864000 वर्षों का होता है , त्रेता युग 1296000 वर्षों होता है और सतयुग 1728000 वर्षों का होता है !
बंधुओ ! ऐसी परिस्थिति में श्री रामावतार को हुए केवल 7000 वर्ष ही कैसे हो सकते हैं जबकि श्री रामावतार त्रेता युग में ही हुआ था ऐसा हम सब लोग सुनते पढ़ते आए हैं इसलिए श्री रामावतार को दस पाँच हजार वर्षों में सीमित कैसे किया जा सकता है यदि प्राचीन ग्रंथों को प्रमाण माना जाएगा तो ! अन्यथा रिसर्च के नाम पर जिसका जो मन आवे सो करे किसी को कैसे रोका जा सकता है । इनकी इस तथाकथित रिसर्च में और भी कई विरोधाभास हैं जो सामने बैठ के बात होगी तब होगा उनका निराकरण !
श्री राम के जन्म आदि के विषय में जो भी तारीखें बताई गई हैं उनका
शास्त्रीय ग्रंथों से कहीं मेल नहीं खाता है जबकि उन्होंने अपनी हर तारीख़
को रामायण से प्रमाणित होने की बात कही है वो ठीक नहीं है साथ ही जो श्लोक स्क्रीन
पर दिखाए जा रहे थे और बताया जा रहा था कि इन श्लोकों से हमारी बातें
प्रमाणित होती हैं किन्तु वो श्लोक बाल्मीकी रामायण के उन प्रसंगों के हैं
ही नहीं और जो हैं उनका इन तारीखों को प्रमाणित करने में उन श्लोकों का कोई योगदान नहीं है केवल श्रीराम जन्म के समय के ग्रह योग ही सही कोड किए गए हैं उनसे भी यह कतई नहीं प्रमाणित हो जाता है कि कितने हजार वर्ष हुए होंगें !इस प्रकार की बातें ही निराधार हैं इसमें कहीं के श्लोक लाकर कहीं की कुछ घटनाओं को जोड़गाँठ कर ये रिसर्च नामक भ्रम तैयार किया गया है !
जब टी.वी.पर ये कार्यक्रम लाइव चल रहा था तब भी हमने कई बार संपर्क किया किन्तु चैनल वालों ने मेरे प्रश्न सम्मिलित करने को ठीक नहीं समझा !
बंधुओ ! कुछ वर्ष पहले भी लंका में इसी जी न्यूज ने सीता गोलियों की खोज की थी और बताया था कि रावण ने सीता जी को खाने को दी थी किन्तु सीता जी ने फ़ेंक दी थीं वही ये सीता गोलियाँ हैं इसी नाम से उन्हें खूब प्रचारित किया था और बताया गया कि ये दिव्य गोलियाँ हैं इन्हें खा लेने से भूख प्यास नहीं लगती है फिर जी न्यूज पर ही बताया गया कि उन गोलियों की जाँच करवाई गई है तो पता लगा कि उसमें चावल और धान की भूसी निकली है !बंधुओ !जो लोग ग्रामीण जीवन से जुड़े हैं उन्हें पता होगा कि शरद ऋतु में खरगोश धान के खेतों में रहते हैं और धान खाकर जो बीट करते हैं उसमें चावल और भूसी निकलना स्वाभाविक ही है !बिलकुल खरगोश की बीट की तरह ही वो गोलियाँ दिखती थीं सच्चाई क्या थी भगवान जाने किन्तु इतना तो सच है कि श्री राम अवतार यदि इन्हीं लोगों के हिसाब से पाँच छै हजार वर्ष पहले भी मान लिया जाए तो भी चावल और भूसी वाली वो गोलियाँ सुरक्षित नहीं रह सकती थीं ये सड़ जातीं किन्तु जी न्यूज है और केवल जी न्यूज का ही दोष क्यों दिया जाए समूचे मीडिया की कार्य प्रणाली ही धर्म के मामले में इसी प्रकार की गैर जिम्मेदारी भरी है। इन चैनलों में रोज राशिफल आते हैं जिनका कोई शास्त्रीय प्रमाण नहीं होता है !संस्कृत विश्व विद्यालयों में ज्योतिष विषय का विभाग होता है जहाँ से ज्योतिष विषय में एम. ए. पी. एच.डी.की व्यवस्था है और लोग कर भी रहे हैं किन्तु मीडिया ज्योतिष का निर्णय करवाने या ज्योतिष पर बहस करवाने के लिए अधिकांशतः ज्योतिष की दृष्टि से झोला छाप लोग रखता है ! और उन्हीं के बल पर बड़े बड़े फैसले कर देता है !शास्त्र प्रमाणित नहीं है इसलिए इनकी ऐसी भ्रमात्मिका रिसर्च पर विश्वास नहीं किया जा सकता !
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