Wednesday, 25 February 2015

अधिकारी कर्मचारी

सरकारें कागजों पर केवल कानून बना देती हैं अधिकारी कर्मचारी लोग उन कानूनों को पालन करने और न करने वालों के लिए अलग अलग रेटलिस्ट बना लेते हैं ! कानून तो जनता को डराने धमकाने के लिए होता है पालन तो रेट लिस्ट का ही करना पड़ता है ऐसे कानून गरीबों के किस काम के ?क्योंकि रेटलिस्ट का पालन करने की उनकी क्षमता नहीं होती है !इसलिए उन कानूनों पर आम समाज का उतना भरोसा भी नहीं है जितना धनि समाज को है 

  नहीं है  उनके काम उतने सरकारी छोटे मोटे कामों के लिए कुछ 


 गरीब लोगों के लिए सरकारी या निगम स्कूल !जहाँ कुछ पढ़ाया भी जाता है या नहीं कोई शिक्षक समय से कक्षाओं में पहुँचता भी है या नहीं ये सब देखने के लिए सुनने के लिए कौन है

   सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं इसलिए प्राइवेट स्कूलों पर विश्वास बढ़ा ! अस्पतालों में दवाई नहीं इसलिए प्राइवेट अस्पतालों पर विश्वास बढ़ा! डाक व्यवस्था शिथिल इसलिए कोरियर पर विश्वास बढ़ा !

 सरकारी फोन व्यवस्था में सुनवाई नहीं इसलिए प्राइवेट पर विश्वास कर रहे हैं लोग !

 पुलिस में प्राइवेट होता नहीं इसलिए सबको पता है कि पुलिस उसकी जो ज्यादा पैसे दे !ये जानते हुए भी गरीब लोगों को भी जाना पड़ता है उन्हीं पुलिस वालों के पास जिनसे न्याय की उमींद उन्हें बिलकुल न के बराबर होती है !आखिर क्यों ?उनके लिए सरकार कुछ और विकल्प 

वहाँ तो न्याय की नीलामी होती है ।

 

   जो नेता लोग अपनी अपनी जाति ,धर्म ,क्षेत्र, जिला,प्रदेश आदि को ही आगे बढ़ते देखना चाहते हैं उनकी निष्ठा  देश के प्रति क्यों नहीं है !और देशवासी उनके बचनों  विश्वास कैसे करें !  

     नेताओं में ऐसी संकीर्णता नहीं होनी चाहिए ! जो नेता लोग राजनीति में प्रवेश करते समय एक एक पैसे को तरसते  थे वो आज बिना किसी ख़ास व्यापार के करोड़ों अरबों के आदमी हो गए हैं !आखिर कैसे ?जिनका व्यापार कोई दिखाई न पड़ा  हो,कंजूसी कभी की न हो,सुख सुविधाएँ जुटाने के लिए खुला खर्च किया जा रहा हो इसके बाद भी करोड़ों अरबों का संचय आखिर कैसे हो जाता है यदि देश और समाज के साथ गद्दारी नहीं की गई है तो !और संपत्ति यदि वास्तव में ईमानदारी से बढ़ती  है तो वही रास्ता देश के अन्य लोगों को क्यों नहीं बता दिया जाता है ! 

     आजकल नेता लोग छोटे बड़े किसी भी केस  में यदि फँस जाते हैं तो जब उनकी पार्टी की सरकार में आती है तो यह कहकर सारे केस वापस कर लिए जाते हैं कि उन्हें गलत फँसाया गया था !माना कि उनपर गलत केस विरोधी पार्टी की सरकार ने विद्वेषवश बनवा दिए होंगे किन्तु जिन अधिकारियों के माध्यम से बनवाए होंगे केस उनकी कोई जिम्मेदारी ही नहीं थी क्या ?आखिर उन्होंने क्यों बनाए इस विषय की जाँच क्यों नहीं की जाती है और इसके लिए उन्हें दण्डित क्यों नहीं किया जाता है !ऐसे केस आम जनता पर भी बनाए जाते हैं किन्तु वो न कभी सत्ता में आते हैं और न उनके केस वापस लिए जाते हैं पैसे न होने के कारण कई बार पैरवी ठीक से नहीं हो पाती है ऐसी परिस्थिति में उन्हें  सजा तक भोगनी पड़ती है ।

No comments:

Post a Comment