दो.गंगा मैया को नमन हनुमत का आशीष ।
अन्नपूर्णे उर बसहु कृपा करहु काशीश ॥
भाई
साहब ! श्री आनंद मिश्र के द्वारा संप्रेषित काशी का हृदयाकर्षक चित्र
जिससे हमारे अतीत की वे मधुर स्मृतियाँ जुड़ी हैं जहाँ माता काशी की चरण शरण
में हम वर्षों तक रहे और एकांत की तलाश में निकल जाया करते थे माँ गंगा की
सुशांत गोद में तैरती इन्हीं नावों पर बैठ कर बिताया करते थे अध्ययन का वह
स्वर्णिम समय !
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