आदरणीय प्रधानमंत्री जी
सादर प्रणाम
विषय - भारत के प्राचीन विज्ञान के द्वारा 'भूकंप ' संबंधी शोध हेतु सहयोग के विषय में -
महोदय,
नेपाल में आए भयावह भूकम्प से सारा समाज भयभीत है । विश्व वैज्ञानिकों ने कई क्षेत्रों में निस्संदेह महत्वपूर्ण खोज की है किंतु भूकंप के विषय में अभी तक कुछ विशेष सफलता हासिल नहीं हो पायी है ।
श्रीमान जी ! हमारा 'राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान' भारतवर्ष के प्राचीन विज्ञान के आधार पर विगत कई वर्षों से विभिन्न विषयों पर शोध कार्यों में लगा है जिसमें कई विषयों पर न्यूनाधिक सफलता के सूत्र मिले हैं जो कुछ क्षेत्रों में समाज के लिए संजीवनी सिद्ध हो सकते हैं ।
ऐसी परिस्थिति में नेपाल में आए भूकंप को हमारे संस्थान ने अपने शोध का विषय बनाया जिसमें भारत के प्राचीन विज्ञान के दृष्टि कोण से कुछ महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं इस दिशा में गंभीर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है मेरा अनुमान है कि इन विंदुओं पर अपने शोध कार्य को गति देने के लिए सरकार का सहयोग अपेक्षित है ।
प्राचीन विज्ञान के दृष्टिकोण से अभी तक प्राप्त जानकारी के आधार पर यह कहा जा सकता है भूकंप आने का कारण केवल जमीन के अंदर की प्लेटों के घर्षण को ही नहीं माना जा सकता अपितु भूकंप आने के कारण ऐसे तत्व भी हो सकते हैं जो धरती के अंदर न हों जैसे वायु ,समुद्री जल ,आकाशीय बादल और वायु में व्याप्त अग्नि की मात्रा आदि । मेरे ज्ञान के अनुशार भूकंप के विषय में पहली बार इस दृष्टिकोण से भी विचार किया जा रहा है ।
महोदय !इसी दृष्टि से 25 -4 -2015 को नेपाल में आया भूकंप 'वायव्य' नाम का भूकम्प था इसे आने का कारण धरती के अंदर की प्लेटें न होकर अपितु 21-4-2015 को आया भयानक तूफान था इस तूफान का केंद्र भी नेपाल का वही स्थान था जहाँ 25 -4 -2015 को भूकंप आया था इस तूफान में भी नेपाल से लेकर बिहार तक जनधन की विशेष हानि हुई थी ।
'वायव्य' नामक भूकंप सूर्योदय से मध्यदिन के बीच में आता है यह 11. 56 AM पर आया था दूसरा वायव्य नामक भूकंप बहुत विशाल क्षेत्र को प्रभावित करता है जैसा कि इसने किया है इसी प्रकार से वायव्य नामक भूकंप आने के सात दिन पहले से लोगों के शरीरों में सूजन आने लगती ही खाँसी,दमा ,वमन ,चक्कर आना एवं उन्माद रोग (पागलपन सा) होने लगता है जो धीरे धीरे बढ़ते बढ़ते भूकंप आने वाले दिन अपने विशेष प्रभाव पर होता है ये लक्षण भी नेपाल और बिहार के लोगों में विशेष मिले । भूकंप आने के 45 दिन बाद तक इसके आफ्टर शॉक्स आते रहते हैं जो यहाँ भी आते जा रहे हैं और 10 -6 -2015
तक ऑफ्टर शॉक्स आते रहेंगे जिसमें भी 24-5-2015 से 26 -5-2015 एवं 8 -6 -2015 से 10 -6 -2015
के बीच विशेष ऑफ्टर शॉक्स की संभावना रहेगी और यदि ऐसा हुआ तो देश के प्रशासक के लिए विशेष अशुभ माना जाता है जिसका दुष्प्रभाव 180 दिन के अंदर दिखाई पड़ता है ।अभी यह समय आगे आना है ।
कुल मिलाकर प्राप्त ऐसे ही लक्षणों के आधार पर कहा जा सकता है कि इस दृष्टि से अनुसंधान करने पर सफलता की विशेष संभावनाएँ प्रचुर मात्रा में मिल सकती हैं किंतु इसमें निरंतर काम करने के लिए सरकार का सहयोग अपेक्षित है जिसके बिना आगे बढ़ पाना कठिन है । इससे जो कुछ विशेष जानकारियाँ हाथ लगें उसके आधार पर आधुनिक विज्ञान के साथ मिलकर एक निष्कर्ष तक पहुँचा जा सकता है ।
भवदीय डॉ.शेषनारायण वाजपेयी
संस्थापक - 'राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान'
k-71 छाछी बिल्डिंग ,कृष्णा नगर ,दिल्ली -51
मो. 9811226973
इस विषय में और विशेष जानकारी के लिए देखें -' भूकंपज्योतिष ' नेपाल में भूकंप आने के विषय में क्या कहता है भारत का प्राचीन विज्ञान ?see more... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/05/blog-post_17.html
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