यदि जातियों संप्रदायों से तरक्की होती होती तो हिंदुओं और सवर्णों में कोई गरीब नहीं होता !तथा दलितों और मुस्लिमों में कोई रईस क्यों होता !
कुलमिलाकर "जो जागा वहाँ सवेरा बाक़ी सब अँधेरा ही अँधेरा !" 'सफलता किसी की सगी नहीं होती !'
दलितों को हमेंशा कुछ देने की बात क्यों होती है क्या वो भिखारी हैं क्या
वो कामचोर हैं क्या वो मक्कार हैं क्या वो बीमार हैं !क्या वो पागल हैं
!सवर्ण लोग यदि अपनी तरक्की स्वयं कर सकते हैं तो दलित लोग अपनी तरक्की
स्वयं क्यों नहीं सकते !कोई दूसरा क्यों आता है उनका मसीहा बनकर उनकी लड़ाई
लड़ने का नाटक करने के लिए !
बंधुओ ! दलितों के प्रति कितनी घटिया सोच होती है नेताओं की !उनकी दृष्टि
में किसी सवर्ण जाति
का तो कोई गरीब बच्चा अपने और अपने संघर्ष के बलपर तरक्की कर सकता है
किंतु नेताओं के हिसाब से दलित लोग अपनी तरक्की नेताओं की कृपा के बिना
नहीं कर सकते ! आखिर क्यों !आखिर दुनियाँ में दलितों पर अंकुश लगाकर क्यों
रखना चाहते हैं नेता लोग !दलितों के साथ ये बहुत बड़ा षड्यंत्र है ऐसे लोगों
ने परिश्रमी दलितों को विश्व में बदनाम कर दिया है विश्व की विरादरी के
लोग भी सोचने लगे हैं कि दलितों में आखिर कोई तो कमी होगी तब तो अपनी
तरक्की स्वयं नहीं कर सकते !जब ये कहते हैं कि दलितों का शोषण सवर्णों ने
किया है तब वो सोचते हैं कि सवर्णों की संख्या तो इतनी काम है जबकि दलितों
की अधिक तो सवर्ण इनका शोषण कैसे कर सकते हैं और ये सहेंगे क्यों ? दलितों को कहीं
कोई दिमागी या शारीरिक बीमारी तो नहीं है तभी तो साठ साल से आरक्षण भी ले
रहे हैं फिर भी वहीँ हैं आखिर कारण क्या है !जबकि इस सच्चाई को कोई नहीं
जानता है कि इनके लक्ष्य नेता ही बुनते हैं और वही छीन लेते हैं । हम
तुम्हें दाल फ्री देंगे ,चावल फ्री देंगे, कपड़े फ्री देंगे, आरक्षण भी देंगे आदि आदि !
ऐसे कपटी नेता लोग दलितों को आरक्षण आदि कुछ न कुछ देने की बातें बोल बोल कर
निरंतर प्रयास पूर्वक उनमें भिखारी भावना पैदा करते हैं और छीन लेते हैं उनका स्वाभिमान और चुरा
ले जाते हैं उनके लक्ष्य ! ऐसे लक्ष्य भ्रष्ट लोगों को सारे जीवन इसी रोटी
धोती आटा दाल चावल में फँसाए रहते हैं इससे कभी निकलने ही नहीं देते हैं
। ऐसे बेशर्म लोग अपनी छाती ठोक ठोक कर कहते हैं कि मैं दलितों मुस्लिमों के
अधिकारों के लिए हमेंशा लड़ा हूँ अब हमारे लड़के लड़ेंगे ! कहने का मतलब आप
लोग अभी तक हमें विधायक सांसद आदि बनाते रहे हो अब हमारे बच्चों को बनाते
रहना !
कितने बेशर्म हैं ऐसे मक्कार लोग ! यदि इन्हें ऐसा ही लगता है कि हमें
दलितों
और मुस्लिमों को ही आगे बढ़ाना है तो अपनी पार्टियों के जिम्मेदार पदों पर
दलितों और मुस्लिमों को ही क्यों नहीं बैठाते हैं वहाँ अपने ही बेटा बेटी
भाई भतीजा साला साली आदि नाते रिस्तेदार ही चिपका कर क्यों रखते हैं
कितने गंदे
होते हैं ये नेता लोग !
बंधुओ ! सवर्णों की किसी भी जाति का कोई बच्चा बचपन में ही अपने जीवन का
एक लक्ष्य बनाता है और उसे पाने के लिए वो अपनी सारी ऊर्जा लगा देता है और
अधिकांश लोग पाने में सफल भी हो जाते हैं इसीलिए सवर्ण जातियों में विकसित
लोगों का अनुपात अधिक है क्योंकि वो केवल अपनी भुजाओं पर ही भरोसा करते हैं
औरमेहनत करके संघर्ष पूर्वक विद्याअर्जनकरते हैं ।
बंधुओ !
ऐसा दलित क्यों नहीं कर सकते हैं आखिर वो भी अन्य लोगों की तरह ही परिश्रमी
होते हैं निरंतर संघर्ष करने के अभ्यासी होते हैं और सारे जीवन संघर्ष
करते रहते हैं किंतु कमी केवल इतनी रह जाती है कि वो कोई एक लक्ष्य नहीं
बना पाते हैं इसलिए लक्ष्य हासिल करने के सपने भी नहीं देखते तो वो पूरे
कहाँ से हों !और जो ऐसा कर पाते हैं उन दलित जाति के लोगों ने स्वदेश से
लेकर विदेशों तक झंडा गाड़ा है उन्हें कोई रोक पाया है क्या ?दलितों में भी
एक से एक बड़े उद्योगपति हैं जबकि लक्ष्य भ्रष्ट सवर्णों में भी एक से एक गरीब
हैं । यदि जातियों से तरक्की होती होती तो सवर्णों में क्यों कोई गरीब होता
!
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