Thursday, 12 November 2015

गाली देकर भी अब तो जीत लिए जाते हैं चुनाव !लोकतंत्र का घट रहा है प्रभाव !!

 अब नेताओं की हार जीत के लिए केवल परिस्थितियाँ जिम्मेदार !
    नीति नियति एवं नैतिकता से किसी दल या नेता का अब तो कोई संबंध नहीं दिखता !अब  राजनीति में आदर्श और सिद्धांतों की बलि पग पग पर देनी पड़ती है । 
किसी नेता के मुख से भाग्यवश अच्छा बुरा  कुछ भी निकल जाए भले ही वो गाली ही क्यों न हो और वो क्लिक कर जाए अर्थात जनता को पसंद आए जाए तो उस चुनाव जीत जाए
भाजपा की दिल्ली या बिहार में चुनावी  हार हो या  बीते लोकसभा चुनावों में जीत इसके लिए केवल  किसी नेता का कोई गुण दोष नहीं है को 
गालियाँ देकर ही यदि चुनाव जीता गया तो ऐसी विजय को धिक्कार !

"नरेंद्र मोदी ब्रह्मपिशाच है। हम उसका बधिया कर देंगे। -लालू यादव "

" नरभक्षी अमित शाह पागल हो गया है-लालू "

लालू की बेटी मीसा ने पीएम मोदी को कहा- 'गली का गुंडा'

 

 

 

 अब तो नेतालोग गाली देकर भी जीत लेते हैं चुनाव ! धीरे धीरे लुढक रहा है लोकतंत्र





 और कुर्सियाँ पटक कर भी की जा सकती है लोक सभा में बहस


   भाजपा दिल्ली या बिहार में चुनाव हारी और लोक सभा में जीती इसके लिए केवल  परिस्थितियाँ जिम्मेदार !


 किसी पार्टी या नेता में न कोई नियत है न नीतियाँ और न ही नैतिकता का क्या दोष !यों का कोई दोष नहीं !



अपनी की दिल्ली और बिहार में हुई पराजय के लिए न कोई जिम्मेदार है और न ही लोकसभा चुनावों में मिली विजय पर मंथन तो लोकसभा चुनावों में मिली विजय से हो !

चुनावों में अब  

 



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