दलितों में इतनी दम क्यों नहीं है कि अपने लिए अपनी छाती वे स्वयं अड़ाएँ और अपने विषय में समाज को कठोर सँदेशा दे दें !
छाती अड़ाएँगे मोदी जी तो सम्मान भी उन्हीं का होगा !इससे दलितों का सम्मान कैसे बढ़ जाएगा !हाँ !इससे दलितों को कायर जरूर समझा जाएगा !
अपने सम्मान स्वाभिमान के लिए मरना जो जानता है सम्मान महत्त्व और तरक्की मिलती उसी को है इतिहास में व्राह्मणों क्षत्रियों वैश्यों ने अपनों के जो बलिदान दिए हैं उसी के बलपर आज तक अपना सम्मान स्वाभिमान बचाकर रख पाए हैं किंतु लगातार बलिदान देने के कारण जनसंख्या घटती चली गई ! लोकतंत्र में जनसँख्या बल का महत्त्व है यहाँ तो सिर गिने जाते हैं और सिरों की गणना में सवर्ण पिछड़ गए जबकि अपना गौरव बचाए रखने में सफल हो गए !
वहीँ जो दलित आदि अन्य वर्ण हैं वो बलिदान देने में पिछड़ गए किंतु जनसँख्या बढ़ाने में सफल हो गए !सवर्णों की अपेक्षा उनकी विशाल जन संख्या इस बात की प्रमाण है बलिदान देते समय कदम पीछे घसीट लेने के कारण ही वो अपना इतिहास रचने में असफल होते चले गए और आजतक अपने सम्मान स्वाभिमान को बचाने के लिए जूझना पड़ रहा है उन्हें !आज भी दलितों के लिए मोदी जी तो छाती खोलने के लिए तैयार हैं किंतु
इस तरह की परिस्थितियों का सामना दलित स्वयं क्यों नहीं करते !
दलितों की रक्षा के लिए यदि यदि मोदी जी अपनी छाती खोलेंगे तो सम्मान भी मोदी जी का ही बढ़ेगा दलितों का नहीं !कायरों को कौन पूजता है !भिक्षुक का सम्मान नहीं होता !जातिगत आरक्षण की भिक्षा से कम भी नहीं है क्योंकि ऐसे आरक्षण का कोई औचित्य है ही नहीं !जो लोग कहते हैं कि सवर्णों के द्वारा शोषण होने के कारण दलित पिछड़े किंतु ये बाद प्रतिशत झूठ है ।मुट्ठी भर सवर्ण यदि शोषण करते भी तो इतनी विशाल संख्या वाले दलित सह क्यों जाते !
जितने भी वीर महापुरुष हुए हैं उन्होंने अपनी अपनी कुर्वानियाँ दी हैं जिन्होंने नहीं दी हैं वे पिछड़ गए इसमें सवर्णों का क्या दोष !यदि थोड़ा बहुत किसी का कहीं कोई शोषण हुआ भी हो तो उसके लिए भी दलित ही दोषी हैं उन्होंने सहा क्यों और यदि आप अपने को इतना कमजोर सिद्ध कर देंगे तो दूसरे को दोषी कहने का आपको नैतिक अधिकार ही नहीं है ।
दलित लोगों के शरीरों में आखिर ऐसी कौन सी कमी है कि ये हिम्मत बहुत जल्दी हार जाते हैं परिस्थितियों का सामना स्वयं क्यों नहीं करते हैं !
अपना वजूद बनाने के लिए गोली अपने सीने पर खानी पड़ती है अन्यथा गोली खाने के लिए जो
तैयार रहेगा वजूद उसका बनेगा दलितों को मिलेगा कायर होने का सर्टिफिकेट !
दलितों की बनेगी स्वाभिमान विहीन होने की पहचान !जो व्यक्ति अपने आत्म
सम्मान को बचाने के लिए मरना नहीं जानता ऐसे कायरों को कोई क्यों सम्मान दे !ऐसे आत्म सम्मान विहीन लोगों को कोई स्वाभिमानी मनुष्य कैसे मान ले !
दलित कमजोर हैं इसलिए माना कि वो किसी को मार नहीं सकते ये बात तो समझ
में आती है किंतु किसी के हाथों मरने के लिए वो स्वयं क्यों नहीं तैयार हैं इसके लिए भी प्रधानमंत्री जी को आगे आकर छाती अड़ानी पड़ रही है
जबकि दलित अपनी छाती बचाए बैठे हैं।दलितों के पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण यही है !
दलितों की सुरक्षा के लिए क्यों बने हैं अलग से कानून !वे अपनी तरक्की अपने हाथों पैरों की कमाई से कमाकर क्यों नहीं कर सकते !उन्हें आरक्षण क्यों चाहिए ?दलितों को सरकारी कृपा के बल पर क्यों जीना चाहिए !सवर्ण भी गरीब हैं किंतु वे अपने बलपर जीते हैं जबकि दलित सरकारों के भरोसे जीते हैं जो अपनी भुजाओं का सहारा करता है उसे दुनियाँ सम्मान देती है जो सरकार या किसी और के बल पर जीता है उसमें न तो वो उत्साह होता है और न ही आत्मसम्मान की भावना !
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