Tuesday, 9 August 2016

फर्जी गो रक्षकों पर नकेल ! बाकी फर्जियों पर कृपा क्यों ?

   फर्जी योगियों ,फर्जी बाबाओं ,फर्जीज्योतिषियों ,फर्जी नेताओं, फर्जीसरकारी कर्मचारियों , फर्जी देश सेवकों  फर्जी डॉक्टरों को रोकने के लिए क्यों न उठाए जाएँ कठोर कदम !
        राजनीति और अपराध की ऐसी साँठ गाँठ है जो रोके नहीं रुक रही है ! सरकारी अधिकारी कर्मचारी जनता की सुनते नहीं हैं सरकारें चुनाव जीतने की जुगत भिड़ाने में ही बिजी रहती हैं उन्हें इसी काम से  फुरसत नहीं हैं !जनता के काम यदि नहीं होते हैं तो उसमें सरकारों का बिगड़ता भी क्या है वैसे भी जिसे अपना जो जरूरी काम करवाना होता है वो तो हाथ पर जोड़ के चाय पानी का खर्च देकर या फिर सुविधा शुल्क देकर करवा ही लेता है जो कंजूस हैं उन्हीं के काम तो रुकते हैं तो वो भोगते हैं अपनी करनी का फल सरकार के ईमानदार अफसरों के इंतज़ार में वो अपनी जवानी बर्बाद किया करते हैं !बुढ़ापे में भ्रष्टाचार को कोसते हैं "अब पछताए होत का जब चिड़ियाँ चुन गईं खेत!" भ्रष्टाचार का सुख भोगने के लिए ही तो सरकारी नौकरी पाने के लिए मचाती है मारा मारी !ये हमारे लोकतंत्र की सच्चाई है जो हम सबको पता है किंतु फिर भी आशा ईमानदारी की !
      बाबा ब्यापारी हो रहे हैं और व्यापारी भिखारी हो रहे हैं !

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