प्रधानमंत्री जी !भ्रष्टाचार के विरोध की निष्पक्ष लड़ाई में सारा देश आपके साथ है हमारी ओर से बहुत बहुत शुभ कामनाएँ हैं आपको !
आपने कहा -
आपने कहा -
"बेहिसाब धन रखने वाले बख्शे नहीं जाएंगे, आजादी के बाद का सारा रिकॉर्ड खंगालूंगा : पीएम मोदी"
किंतु प्रधानमंत्री जी !यदि आपने आजादी के बाद का सारा रिकार्ड सभी का नहीं खँगाला और थोड़ा भी पक्षपात दिखा तो जनता आपको भी बक्सेगी नहीं !यह भी भूल मत जाना कि हर पाँच वर्ष बाद चुनाव होते हैं उस समय न्यायाधीश केवल जनता होती है उसका फैसला ही अंतिम माना जाता है जनता तो सफाई देने का भी मौका नहीं देती है चुनाव परिणाम आने के बाद केवल मन मसोस कर ही रह जाना होता है मीडिया जब मुख में माइक लगाता है तो "पार्टी मंथन करेगी 'एवं' जनता जनार्दन का निर्णय शिरोधार्य है !" यही दो बातें बोली जाती हैं ,पार्टी जिसे आज पूज रही होती है तब उसे कोसने लगती है निष्ठाएँ बदल चुकी होती हैं बड़े बड़े महापुरुषों पर सवाल उठाते देखे जाते हैं !मोदी जी !इतिहास बहुत कठोर होता है माफ किसी को नहीं करता है !
मान्यवर ! सरकार और भ्रष्टाचार एक सिक्के के ही दो पहलू हैं दोनों एक दूसरे की मदद से फल फूल रहे हैं सरकार की मदद के बिना भ्रष्टाचार नहीं हो सकता है और भ्रष्टाचार की मदद के बिना सरकार नहीं चल सकती है !प्रायः इसी पद्धति पर अभी तक सरकारें चलती रही हैं देश समझ भी चुका है कि आगे भी ऐसे ही तालमेल चलता रहेगा !इसलिए हे प्रधानमंत्री जी !सरकारों में सम्मिलित लोग और सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार की कमाई जिस दिन खाना बंद कर दें उसी दिन बंद हो जाएगा भ्रष्टाचार !
लोगों का मानना है कि सरकारों में सम्मिलित नेता लोग सरकारी कर्मचारियों से धनराशि इकट्ठी करवाते हैं उसके लिए उन कर्मचारियों को घूस लेनी पड़ती है इसी प्रकार से नेता लोग भ्रष्टाचार के द्वारा करोड़ों अरबों रूपए इकठ्ठा करवाते हैं इसके लिए अधिकारी कर्मचारी लोग कलेक्शन का टारगेट पूरा करने के लिए सभी प्रकार की अपराधों का अप्रत्यक्षरूप से समर्थन करने लगते हैं सरकारी जमीनों पर कब्जा करवाने से लेकर जनता पर सभी प्रकार का अत्याचार करवाते हैं वे किन्तु कलेक्शन करके नेताओं को देते हैं उसके बदले नेता लोग उनकी सैलरी बढ़ा देते हैं किंतु उन कर्मचारियों को यदि लगता है कि उन्हें उनके हिस्से से कुछ कम मिला है तो वे सरकारों में बैठे नेताओं को पोल खोलने की धमकी देकर हड़ताल पर चले जाते हैं सरकारों में बैठे नेतालोग घबड़ाकर उनसे समझौता करने लगते हैं !इसी तुष्टीकरण के कारण सरकारी कामकाज की क्वालिटी दिनों दिन गिरती जा रही है स्कूल, अस्पताल, डाक, टेलीफोन आदि की पिटती सरकारी सेवाएँ नेताओं और भ्रष्टाचारी सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की आपसी साँठ गाँठ के द्वारा सरकारी भ्रष्टाचार की कहानी बयाँ करते हैं । मान्यवर ! सरकार और भ्रष्टाचार एक सिक्के के ही दो पहलू हैं दोनों एक दूसरे की मदद से फल फूल रहे हैं सरकार की मदद के बिना भ्रष्टाचार नहीं हो सकता है और भ्रष्टाचार की मदद के बिना सरकार नहीं चल सकती है !प्रायः इसी पद्धति पर अभी तक सरकारें चलती रही हैं देश समझ भी चुका है कि आगे भी ऐसे ही तालमेल चलता रहेगा !इसलिए हे प्रधानमंत्री जी !सरकारों में सम्मिलित लोग और सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार की कमाई जिस दिन खाना बंद कर दें उसी दिन बंद हो जाएगा भ्रष्टाचार !
प्रधानमंत्री जी !आजादी पर देश के प्रत्येक नागरिक का समान अधिकार है यह एहसास उन्हें भी तो मिलना चाहिए !उन लोगों में बहुत बड़ा वर्ग पढ़ा लिखा योग्य और ईमानदार भी है न्याय उसे भी तो मिलना चाहिए किंतु विगत कुछ दशकों में घूस एवं सोर्स के आधार पर नौकरियाँ बांटी गईं और योग्यता की उपेक्षा की गई फिर भी जिन्हें नौकरियाँ मिलीं वो लोग तो राजसी सुख सुविधाएँ भोग रहे हैं उन पर तो सरकार मेहरबान है किंतु भ्रष्टाचार के कारण योग्यता होने पर भी जिन्हें नौकरियाँ नहीं मिलीं जिनके हक़ छीने गए मजबूरी में उन्होंने प्राइवेट सेवाएँ ज्वाइन कीं प्राइवेट वाले उन्हें सरकारी की अपेक्षा कम सैलरी देते हैं फिर भी वे इतनी अच्छी सेवाएँ देते हैं कि प्राइवेट स्कूल,कोरियर,मोबाईल फोन अस्पताल आदि जनता के भरोसे पर खरे उतर रहे हैं और सरकारी स्कूल,कोरियर,मोबाईल फोन अस्पताल आदि की सेवाएँ दिनोंदिन पिटती जा रही हैं ,फिर भी इनसे जुड़े अधिकारियों कर्मचारियों की सैलरी सुविधाएँ बढ़ाते जा रहे हैं पोलखोलने से डरने वाले भयभीत नेता लोग !आखिर क्यों उनसे डरते हैं !यदि उन्हें कोई पोल खुलने का भय नहीं है तो ?
सरकारी कर्मचारी काम कम करते हैं जिम्मेदारी कम निभाते हैं फिर भी उनकी प्राइवेट की अपेक्षा भारी भरकम सैलरी जबकि उससे अच्छी और विश्वसनीय क्वालिटी की सेवाएँ देने वाले प्राइवेट कर्मचारियों की कम सैलरी होती है और वो पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध भी हैं कई विभागों सरकार चाहे तो उनके एक एक कर्मचारी की सैलरी में चार चार प्राइवेट कर्मचारी रखे जा सकते हैं जो अच्छी क्वालिटी की सेवाएँ भी दे सकते हैं इस प्रयास से बेरोजगारों की संख्या भी घट सकती है फिर भी सरकारें ऐसा नहीं करती हैं । पोल खुलने के भय से अपने पुराने लोगों को ही मना मना करके रखती रहती हैं वो लोग बात बात में हड़ताल पर चले जाते हैं सरकारों में बैठे नेता यदि ईमानदार होते तो उन पर काम की जिम्मेदारी डालते जवाब देही निश्चित करते और काम न करने वाले या हड़ताल करने वालों को निकाल बाहर करते उनकी जगह नई नियुक्तियाँ कर लेते उन्हें क्या भय था किंतु अधिकाँश नेता अपने भ्रष्टाचार की पोल खुल जाने के भय से जनता पर उन कर्मचारियों को ही थोपे जा रहे हैं जिनके व्यवहार से जनता का भरोसा टूट चुका है !
किसान मजदूर आदि बड़े बड़े त्याग बलिदान पूर्वक अपनी सेवाओं से सारे देश को सँभालते सुधारते हैं कठोर परिश्रम पूर्वक सारे देश वासियों का पेट भरते हैं सबसे ज्यादा मेहनत करते हैं मुसीबतें उठाते हैं सर्दी गर्मी वर्षात आदि अपने शरीरों पर सहते हैं रूखा सूखा जो मिला उससे पेट भर लेते हैं किंतु सरकारें उनके बलिदान का मूल्यांकन करते समय इतनी संवेदनहीन हो जाती हैं उनकी आमदनी कितनी हो इसका कोई पैमाना नहीं अभी तक निश्चित नहीं है सरकारें उन्हें कितना गिरा हुआ समझती हैं ये सरकारी कर्मचारियों की अनाप शनाप सैलरियों और उन्हें सरकारों के द्वारा दी जा रही सुख सुविधाओं से पता लगता है !सरकारों की दृष्टि में किसानों मजदूरों की इतनी उपेक्षा क्यों ? आम आदमी की आमदनी की अपेक्षा सरकारी कर्मचारियों की सैलरी कितने कितने गुना बढ़ती चली जा रही है फिर सरकारों को उन्हीं की परेशानियों की इतनी चिंता क्यों है उन्हें आम आदमी क्यों नहीं दिखता ?आखिर किस चीज का इनाम दिया जाता है उनको ?क्या इतनी बेहतर है सरकारी कर्मचारियों के कामकाज की क्वालिटी ?
अब बात नेताओं के भ्रष्टाचार की - भ्रष्ट नेताओं का "न कोई धंधा न कोई व्यापार फिर भी ऐसा चमत्कार !बारे भ्रष्टाचार !"महोदय !नेता लोग प्रायः गरीब परिवारों से आते हैं और एक चुनाव जीतने के बाद वे अचानक करोड़ों अरबोंपति बन जाते हैं अनायास ही सारी सुख सुविधाएँ भोगने लगते हैं !आजादी मिलने से अब तक गरीब नेताओं के अरबोंपति बनने के स्रोतों की जाँच क्यों न करवाई जाए प्रधानमन्त्री जी क्या आप करवाएँगे और उसका ब्यौरा सार्वजानिक करेंगे क्या ?
पाखंडी बाबा लोग !जिन्होंने सेठ साहूकारों से चंदा माँग माँग कर अरबों खरबों रूपए इकठ्ठा किया बड़े बड़े उद्योग लगाए उसी काले धन के सहयोग से टीवी चैनलों पर घंटों बकवास करते रहे किंतु जब अपना पेट भर गया तो कहते घूमने लगे कि कालेधन वालों को पकड़ो !ये भ्रष्टाचार नहीं तो क्या है ?
महोदय ! साधू संन्यासी लोग प्रायः गरीब और किसान परिवारों से आते हैं इनकी त्याग तपस्या साधना के कारण समाज इनके प्रति आस्था रखता है और इनकी बातों पर भरोसा करता है इस भरोसे को भुनाने के लिए कुछ गरीब और चालाक व्यापारी लोग बाबा बन गए और इन्हीं कालाबाजारी करने वालों से मोटा मोटा चन्दा लेकर उसी पैसे से अपना धंधा फैलाते और टीवी चैनलों पर बैठ बैठ कर अपने विज्ञापन के लिए घंटों बकवास करते और अपने खजाने भरते रहे जब कोटा फुल हो गया हजारों करोड़ इकट्ठे हो गए तब कोई दूसरा व्यक्ति इनकी संपत्ति पर अँगुली उठावे उससे पहले खुद ही निकलपड़े काले धन का मुद्दा लेकर ताकि लोग उन्हें ईमानदार समझें किंतु उनसे ये क्यों नहीं पूछा जाना चाहिए कि जब आपने धंधा फैलाना शुरू किया था तब करोड़ों रूपए के विज्ञापन से लेकर व्यापार तक के लिए आपके पास पैसे कहाँ से आए थे यदि आपने काले धन वालों से सहयोग नहीं लिया तो ?
हे मोदी जी ! भ्रष्टाचार करते हैं सरकारों में सम्मिलित लोग और सरकारी अधिकारी कर्मचारी किंतु परेशान है जनता ये कैसा न्याय ?
हे PM साहब !पुराने नोट बंद करने का प्लान हो सकता है भविष्य में देश और समाज के लिए बहुत अच्छे परिणाम दे किंतु उसका लालच दिखाकर आज लोगों को भूसा खाने पर मजबूर तो नहीं किया जा सकता !अचानक ऐसी विपदा का सामना समाज कैसे करे ?
हे प्रधानमंत्री जी !माना कि आपको और संघ के लोगों को एवं आपके अघोषित सलाहकार बाबाओं को तथा विपक्षी राहुलगाँधी जैसे लोगों को घर गृहस्थी की चिंताओं जिम्मेदारियों का अनुभव और एहसास नहीं है आप लोग गृहस्थ नहीं हैं किंतु देशवासी आपके लिए समर्पित होने के बाद भी आपके इस कठोर निर्णय को कैसे स्वीकार करें बच्चों बीमारों बुजुर्गों का पेट कैसे भरें दवा कैसे दिलाएँ ? इतना सब होनेके बाद भी वे आपके इस कठोर निर्णय को सहेंगे और आपका साथ देंगे किंतु आपको भी भ्रष्टाचार समाप्त करने वाले अपने वचन पर खरा उतरना होगा और सरकारी विभागों की घूस खोरी को रोकना होगा !सरकारी जमीनों पर कब्जा करके बसाई बस्तियों के नियमितीकरण को रद्द करना होगा और पापियों के द्वारा सरकारी कर्मचारियों के साँठ गाँठ से हुए कब्जे को मुक्त करवाकर दिखाना होगा वो कब्जा कितना भी पुराना क्यों न हो !
श्रीमान मोदी जी ! बाबाओं का जन्म भी सामान्य परिवारों में ही होता है प्रारंभ में उनकी शिक्षा भी सामान्य ही होती है व्यापार करने हेतु चंदा माँगने के लिए उन्हें साधू संतों जैसे कपड़े पहनने पड़ते हैं!क्योंकि ब्यापार बिना पैसों के नहीं हो सकता !पैसे उधार कोई क्यों देगा !लोन ले भी तो अदा कैसे करे ! लोन लेकर शुरू करे ब्यापार और घाटा हो जाए तो दे कहाँ से किंतु साधूसंतों की वेष भूषा का समाज आदर करता है इन्हें पैसे देकर कोई वापस नहीं माँगता है इसलिए संतों जैसी वेष भूषा बनाकर व्यापार शुरू करना सबसे फायदे का सौदा है फायदा हो तो अपना घाट हो तो समाज से माँगने निकल पड़ो अन्यथा चैरिटी वाले कामों से हजारों करोड़ धनराशि कैसे इकट्ठी की जा सकती है ? इन्हीं तथाकथित कालेधन वाले लोगों के धन सहयोग से फूले फले और हजारों करोड़ के मालिक बने बाबा लोगों को आज कसकने लगे काले धन वाले !आखिर सामान्य किसान परिवार से निकलकर काले धनवालों की मदद के बिना हजारों करोड़ की संपत्ति तक कैसे पहुँच जाते बाबालोग !हिसाब हो तो ऐसे लोगों का भी हो कि उनके व्यापार में काले धनवालों की मदद ली गई या नहीं !जिनके विषय में लोग आज कहते घूम रहे हैं कि अपनी मैगी चलवाने के लिए बाबाजी ने जैसे मैगी बंद करवा दी थी वैसे ही अपना व्यापार बढ़ाने के लिए चौपट करवा रहे हैं दूसरे लोगों के व्यापार !
मोदी जी !"बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ" जैसे आपके संकल्पों से प्रेरित होकर जिन नाबालिक बच्चियों के माता पिता ने अपनी ज्वैलरी तक बेच बेच कर बच्चों की गुल्लकों में डाल दी थी बच्चियों ने भी दो दो पैसे जोड़ जोड़कर अपनी गुल्लकों में सँभाल रखे हैं वो नाबालिक हैं उनके पैसे फेंके जाएँ फूँके जाएँ या गंगा जमुना में बहाए जाएँ !आखिर उन पैसों का क्या कतरें नाबालिग बच्चियों के माता पिता ?क्या उनके शादी -विवाह ,काम - काज और भविष्य सँवारने की जिम्मेदारी सँभालेगी सरकार ?
मान्यवर मोदी जी !नए नोटों को बदलने की प्रक्रिया से पहले रात 12 बजे सारे बैंक कर्मियों को सेवा मुक्ति की घोषणा करते और अगले दिन सुबह से नए कर्मठ परिश्रमी योग्य और जरूरतमंद लोगों की नई नियुक्तियाँ करते धीरे धीरे जब बैंकों का काम काज सुचारू रूप से चलने लगता तब हजार पाँच सौ के नोट बदलने का लेना चाहिए था निर्णय तो वो लोग सरकार की भद्द न पिटने देते और सरकार की आशाओं पर खरे उतरते ! आज तो उन्हीं काले धन वालों के चहेते बने हैं आपके कर्मचारी लोग !ग़रीबों की लाइनें लगी हैं बैंकों के सामने !
महोदय !बन्दनीय सैनिकों को छोड़कर आम सरकारी कर्मचारियों के काम काज की गति और क्षमता से देश सुपरिचित है अधिकाँश सरकारी कर्मचारियों की गैर जिम्मेदारी एवं भ्रष्टाचार की भावना को सभी जानते हैं फिर भी उनके सहारे आपने इतनी बड़ी जिम्मेदारी निभाने का निर्णय ले कैसे लिया !देशवासियों को आश्चर्य इस बात का है !आज कितनी कितनी लंबी लंबी लाइनें लगी हैं बैंकों डाकघरों एटीएमों के सामने और कैसे दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है आम नागरिकों को !एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री का घर गृहस्थी वालों के साथ ये कैसा न्याय है ?
महोदय !बन्दनीय सैनिकों को छोड़कर आम सरकारी कर्मचारियों के काम काज की गति और क्षमता से देश सुपरिचित है अधिकाँश सरकारी कर्मचारियों की गैर जिम्मेदारी एवं भ्रष्टाचार की भावना को सभी जानते हैं फिर भी उनके सहारे आपने इतनी बड़ी जिम्मेदारी निभाने का निर्णय ले कैसे लिया !देशवासियों को आश्चर्य इस बात का है !आज कितनी कितनी लंबी लंबी लाइनें लगी हैं बैंकों डाकघरों एटीएमों के सामने और कैसे दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है आम नागरिकों को !एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री का घर गृहस्थी वालों के साथ ये कैसा न्याय है ?
मान्यवर ! राष्ट्रसमर्पित साधक सैनिकों के सामने आपके आम सरकारी कर्मचारी कहाँ ठहरते हैं वो बन्दनीय देश भक्त तो जिस काम के लिए जहाँ भेजे और लगाए जाते हैं वहाँ से जिम्मेदारी निभाकर या तो जंग जीतकर लौटते हैं या फिर उन स्वाभिमानियों के शव लौटते हैं वे नहीं !यदि देश का आम सरकारी कर्मचारी वैसा ईमानदार और जन सेवाओं के लिए समर्पित होता तो नोट बदलने की आज परिस्थिति ही पैदा क्यों होती !अब तो जाँच न हो तो और बात बाक़ी जिनकी जाँच होती है उन सरकारी बाबुओं के घरों से बिस्तरों से भी पकड़े जाने लगे हैं सैकडों करोड़ और हीरा जवाहरात आदि तमाम बेनामी संपत्तियाँ !
हे प्रधानमन्त्री जी ! देश के प्रति समर्पित राष्ट्र साधक सैनिकों से आम सरकारी कर्मचारियों की तुलना कैसे की जा सकती है जिन सैनिकों पर एक सर्जिकलस्ट्राइक की जिम्मेदारी सौंपी गई थी उन्होंने दुनियाँ को दिखा दिया कि हम कमजोर नहीं हैं और आतंकवादियों को उनके घरों में घुस कर मारा किंतु मोदी जी !दूसरी सर्जिकलस्ट्राइक आपने जिनके भरोसे की है वो हाथ बहुत कमजोर हैं वहाँ दलाली चल रही है वो नहीं सिद्धकर पाए कि वे कामचोर नहीं हैं उनके ATM ख़राब हो रहे हैं हर प्रकार की लापरवाहियाँ होती देखी जा रही हैं अपने परिचितों के नोट भी बदले जा रहे हैं !इनके भरोसे भ्रष्टाचार समाप्त करने के सपने देख रहे हैं आप !क्या ऐसे लोगों पर भी नियंत्रण करने का कोई फार्मूला खोजेंगे आप !
हे प्रधानमन्त्री जी ! देश के प्रति समर्पित राष्ट्र साधक सैनिकों से आम सरकारी कर्मचारियों की तुलना कैसे की जा सकती है जिन सैनिकों पर एक सर्जिकलस्ट्राइक की जिम्मेदारी सौंपी गई थी उन्होंने दुनियाँ को दिखा दिया कि हम कमजोर नहीं हैं और आतंकवादियों को उनके घरों में घुस कर मारा किंतु मोदी जी !दूसरी सर्जिकलस्ट्राइक आपने जिनके भरोसे की है वो हाथ बहुत कमजोर हैं वहाँ दलाली चल रही है वो नहीं सिद्धकर पाए कि वे कामचोर नहीं हैं उनके ATM ख़राब हो रहे हैं हर प्रकार की लापरवाहियाँ होती देखी जा रही हैं अपने परिचितों के नोट भी बदले जा रहे हैं !इनके भरोसे भ्रष्टाचार समाप्त करने के सपने देख रहे हैं आप !क्या ऐसे लोगों पर भी नियंत्रण करने का कोई फार्मूला खोजेंगे आप !
श्रीमान प्रधानमंत्री जी !देश के अंदर घुसपाने वाले आतंकवादी कईबार हमारी सरकारी लापरवाहियों के कारण ही हमें चोट दे जाने में सफल होते हैं वो दृढ़ निश्चयी एवं अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते हैं जबकि हमारे लोग ड्यूटी बजाने और मौका बरकाने की भावना से भावित होते हैं इसीलिए जिनका जैसा लक्ष्य उन्हें वैसी सफलता ?ईश्वर न करे आतंक वादियों जैसी अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होने की जिम्मेदारी यदि हमारे आम सरकारी कर्मचारियों को निभानी हो तो इनके बनाए विस्फोटक क्या समय से रखे जा सकेंगे !या टार्गेट पर रखे जा सकेंगे और सबसे बड़ी बात क्या वो फूटेंगे भी ?
सरकारी स्कूलों में जिन कक्षाओं को पढ़ाने के नाम पर सरकारें जिन शिक्षकों को भारीभरकम सैलरी देती जा रही हैं उन्हीं शिक्षकों को यदि उन्हीं कक्षाओं की परीक्षाओं में बैठा दिया जाए खुद परीक्षा देने को और ईमानदारी पूर्वक उनकी कापियाँ जाँची जाएँ तो पास होने वाले शिक्षकों की संख्या इतनी कम होगी कि सरकारों को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा कि पढ़ाने के नाम पाए ऐसे की सैलरी पर पैसे बर्बाद किए जा रहे हैं उनकी नियुक्तियों में सरकारों ने जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाई तब तो घूस और सोर्स को महत्त्व दिया गया अब जो पढ़े ही न हों वो अचानक पढ़ाने कैसे लगेंगे !सरकार के हर विभाग का कमोवेश यही हाल है !
हे प्रधानमन्त्री जी !कुलमिलाकर सरकारों में सम्मिलित लोग और सरकारी अधिकारी कर्मचारी एवं उनके नाते रिश्तेदार ही करते भ्रष्टाचार किंतु नेता लोग ईमानदार दिखने के लिए सताने लगते हैं आम जनता को और बरबाद करने लगते हैं व्यापार लगते हैं आम जनता का जीना !सरकारों में बैठे नेताओं को चाहिए कि वो भ्रष्टाचार भागने के लिए सबसे पहले सरकारों एवं सरकारी कर्मचारियों के अंदर भरी पड़ी गन्दगी साफ करें जनता खुद भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन में सरकार की भावना की मदद करने लगेगी !आज व्यापारी लोग यदि ईमानदार जीवन जीना भी चाहें तो सरकार का कोई ऐसा जिम्मेदार विभाग नहीं है जो उन व्यापारियों की जरूरतों को समय से पूरा कर सके सरकारी कर्मचारियों पर न उनका कोई दबाव है और न ही वे अपनी जिम्मेदारियाँ निभाते ही हैं उनसे समय पर जिम्मेदारी पूर्वक काम करवाने के लिए व्यापारियों को देनी पड़ती है सरकारी बाबुओं को घूस और होली दिवाली को पहुँचाने पड़ते हैं मजबूरी में महँगे महँगे गिफ्ट !व्यापारियों को सरकारी कर्मचारियों से यदि समय से काम लेना है तो उन्हें देनी पड़ती है घूस और उसके लिए उन्हें इकठ्ठा करना पड़ता है कालाधन जिसके बल पर सरकारी कर्मचारियों से वो समय पर करवाते हैं अपने काम और करते हैं व्यापारिक काम काज !यदि सरकारी कर्मचारियों को घूस देना वे बंद कर दें तो समय पर सरकारी काम काज करवाने की जिम्मेदारी कौन लेगा !सरकार का इस कौन जिन्दा विभाग है जो इतना एक्टिव हो कि सरकारी विभागों में बिना घूस के लेन देन के भी व्यापारियों के काम काज को समय पर करवा कर दे !
सरकारी स्कूलों में जिन कक्षाओं को पढ़ाने के नाम पर सरकारें जिन शिक्षकों को भारीभरकम सैलरी देती जा रही हैं उन्हीं शिक्षकों को यदि उन्हीं कक्षाओं की परीक्षाओं में बैठा दिया जाए खुद परीक्षा देने को और ईमानदारी पूर्वक उनकी कापियाँ जाँची जाएँ तो पास होने वाले शिक्षकों की संख्या इतनी कम होगी कि सरकारों को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा कि पढ़ाने के नाम पाए ऐसे की सैलरी पर पैसे बर्बाद किए जा रहे हैं उनकी नियुक्तियों में सरकारों ने जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाई तब तो घूस और सोर्स को महत्त्व दिया गया अब जो पढ़े ही न हों वो अचानक पढ़ाने कैसे लगेंगे !सरकार के हर विभाग का कमोवेश यही हाल है !
हे प्रधानमन्त्री जी !कुलमिलाकर सरकारों में सम्मिलित लोग और सरकारी अधिकारी कर्मचारी एवं उनके नाते रिश्तेदार ही करते भ्रष्टाचार किंतु नेता लोग ईमानदार दिखने के लिए सताने लगते हैं आम जनता को और बरबाद करने लगते हैं व्यापार लगते हैं आम जनता का जीना !सरकारों में बैठे नेताओं को चाहिए कि वो भ्रष्टाचार भागने के लिए सबसे पहले सरकारों एवं सरकारी कर्मचारियों के अंदर भरी पड़ी गन्दगी साफ करें जनता खुद भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन में सरकार की भावना की मदद करने लगेगी !आज व्यापारी लोग यदि ईमानदार जीवन जीना भी चाहें तो सरकार का कोई ऐसा जिम्मेदार विभाग नहीं है जो उन व्यापारियों की जरूरतों को समय से पूरा कर सके सरकारी कर्मचारियों पर न उनका कोई दबाव है और न ही वे अपनी जिम्मेदारियाँ निभाते ही हैं उनसे समय पर जिम्मेदारी पूर्वक काम करवाने के लिए व्यापारियों को देनी पड़ती है सरकारी बाबुओं को घूस और होली दिवाली को पहुँचाने पड़ते हैं मजबूरी में महँगे महँगे गिफ्ट !व्यापारियों को सरकारी कर्मचारियों से यदि समय से काम लेना है तो उन्हें देनी पड़ती है घूस और उसके लिए उन्हें इकठ्ठा करना पड़ता है कालाधन जिसके बल पर सरकारी कर्मचारियों से वो समय पर करवाते हैं अपने काम और करते हैं व्यापारिक काम काज !यदि सरकारी कर्मचारियों को घूस देना वे बंद कर दें तो समय पर सरकारी काम काज करवाने की जिम्मेदारी कौन लेगा !सरकार का इस कौन जिन्दा विभाग है जो इतना एक्टिव हो कि सरकारी विभागों में बिना घूस के लेन देन के भी व्यापारियों के काम काज को समय पर करवा कर दे !
अधिकारी कर्मचारी गलत काम करवाने के लिए लेते हैं पैसे और उपलब्ध करवाते हैं भ्रष्टाचार करने की सारी सुविधाएँ ! सरकारों एवं सरकारी अधिकारी कर्मचारियों का ये अघोषित ऑफर बिना परिश्रम के कम समय में रईस बनने की चाहत रखने वालों को पसंद आ जाता है और दोनों मिलकर लूटते हैं देश और जनता सहती है क्लेश !
मिलावट का नारा लगा लगाकर स्वयंभू ईमानदार बाबा लोग अरबोंखरबों पति बन गए !
इसमें मिलावट करनेवाले व्यापारी लोग यदि जिम्मेदार हैं तो वो लोग भी उससे कम जिम्मेदार नहीं हैं जिनकी जिम्मेदारी मिलावट खोरों को पकड़ने की है यदि वो ऐसा नहीं कर रहे हैं तो सरकार उन्हें लाखों रूपए की सैलरी देती आखिर किस बात के लिए है !ये भ्रष्टाचार सरकारी अधिकारी कर्मचारियों और सरकारों की लापरवाही गैर जिम्मेदारी का नतीजा है !
मिलावट का नारा लगा लगाकर स्वयंभू ईमानदार बाबा लोग अरबोंखरबों पति बन गए !
इसमें मिलावट करनेवाले व्यापारी लोग यदि जिम्मेदार हैं तो वो लोग भी उससे कम जिम्मेदार नहीं हैं जिनकी जिम्मेदारी मिलावट खोरों को पकड़ने की है यदि वो ऐसा नहीं कर रहे हैं तो सरकार उन्हें लाखों रूपए की सैलरी देती आखिर किस बात के लिए है !ये भ्रष्टाचार सरकारी अधिकारी कर्मचारियों और सरकारों की लापरवाही गैर जिम्मेदारी का नतीजा है !
हे
देशवासियो !अपने देश में भ्रष्टाचार भयंकर है ऐसी लूटमार में कैसे जिया जा
सकता है हर सामान में मिलावट बता बता कर विज्ञापन करने वाले बाबा जी
हजारों करोड़ के स्वयंभू ईमानदार उद्योगपति बन गए और बड़ी चालाकी से देश के अधिकाँश
व्यापारियों को बेईमान सिद्ध कर दिया है इसी बहाने मोदी सरकार को भी कटघरे में
खड़ा कर दिया क्योंकि मिलावट रोकने की जिम्मेदारी उनकी है बाबा पंडित पुजारी मुल्ला मौलवी लेखक पत्रकार नेता अभिनेता अधिकारी कर्मचारी यहाँ
तक कि अपने अपने धंधे में धोखाधड़ी और मिलावट करने वाले व्यापारी लोग भी
मिलावट के लिए सरकार को दोषी ठहराते हैं । अब ये मिलावट और धोखाधड़ी से
कमाया गया पैसा अगर पकड़ा नहीं जाएगा तो उन्हें सबक कैसे मिले और ये मिलावट
रुकेगी कैसे ?
जनता से धर्म और सेवा कार्यों के नाम पर पैसा इकठ्ठा करके व्यापार करने या ऐय्यासी
भोगने वाले बाबा जोगी लोग ज्योतिष वास्तु तंत्र मंत्र आदि के नाम पर इन विषयों में बिना डिग्री वाले या फर्जी डिग्री वाले या झूला छाप ज्योतिषी लोग झूठ साँच बोलकर समाज को बहकाते और करोड़ों रूपए लूटते घूम रहे हैं
उनके टीवी चैनलों और अखवारों में छपने एवं दिखाए जाने वाले विज्ञापनों के लिए आज तक खर्च की गई करोड़ों अरबों रूपए की धनराशि के भी रिकार्ड न्यूज चैनलों अखवारों और विज्ञापन एजेंसियों से माँगे जाने चाहिए और आजादी के बाद आजतक या पिछले तीस पैंतीस वर्षों से आजतक जिनके द्वारा जहाँ जो विज्ञापन दिए जाते रहे हैं उन बाबाओं तांत्रिकों ज्योतिषियों वास्तुव्यापारियों या तरह तरह की लोक लुभावनी दवाएँ तेल क्रीम आदि के विज्ञापन करवाने वालों के भी न केवल आर्थिक स्रोत खँगाले जाएँ अपितु उन्हें सार्वजनिक भी किया जाए वो कहाँ से आए या लाए गए उसके प्रमाण उनसे पूछे जाने चाहिए और की जानी चाहिए उन पर भी कठोर कार्यवाही !
कईलोग विज्ञापन के लिए करोड़ों रूपए टीवी चैनलों को देकर झूठ साँच लोग लुभावने वायदे करके समाज से पैसे वसूलते हैं ट्रस्टों सेवाकार्यों के नाम पर टैक्स से मुक्त होकर आश्रम नाम के ऐय्यासी के अड्डे बनाए हुए हैं लक्जरी आफिसें बनाई हुई हैं बड़े बड़े उद्यॊग स्थापित किए हुए हैं उन सबकी शुरूआती प्रक्रिया से आजतक भारी भ्रष्टाचार हुआ है हो रहा है और संभवतः आगे भी होता रहेगा !ऐसे धार्मिक और सेवाकार्यों के नाम पर चलाए जा रहे ऐय्यासी के अड्डे जहाँ आश्रमों तक में न केवल महिलाएँ भी रखी हुई हैं अपितु ऐसे अघोषित गृहस्थों के आम गृहस्थी लोगों से ज्यादा ज्यादा अपने बच्चे भी हैं और हो रहे हैं और वो गृहस्थों से अधिक अच्छी परवरिश में पल बढ़ रहे हैं जिन्हें पालने पोषने के लिए ऐसे बाबा लोग स्कूल गुरुकुल आदि कोई भी सेवा कार्य चला लेते हैं उन्हीं की आड़ में उनके भी बीबी बच्चे पलते बढ़ाते रहते हैं सबकुछ करते हुए भी बाबा जी ब्रह्मचारी विरक्त आदि सबकुछ बने रहते हैं वो चाहें एक गिलास दूध पीकर रहने की बात कहें या फिर हवा पीकर रहने की उनका सारा पाप छिप जाता है आश्रमों में रहने वाली उनकी बीबियाँ सबकुछ छिपा लिया करती हैं !उन्हें जब पैसे की कमी हुई या उनके व्यापार में जब घाटा हुआ तब सधुअई और सेवा कार्यों के नाम पर जनता से माँग लिया करते हैं और मुनाफा हुआ तो उनका अपना और अपने अघोषित बीबी बच्चों का !इसीलिए वो कहा करते हैं मेरे नाम एक भी पैसा नहीं हैं और न कहीं एकाउंट है !उनके बीबी बच्चों को लोग जानते नहीं हैं इसलिए वो विरक्त भी हैं साधू संन्यासी भी हैं किंतु सारा पैसा होता उन्हीं के अपनों के पास है !अन्यथा चैरिटेबल संस्थाओं में इतनी बड़ी आमदनी का जुगाड़ कहाँ रहता है कि वो हजारों करोड़ की कमाई भी कर लें और चैरिटी भी करते रहें !जो बाबा पकड़े गए उनके यहाँ सारे गलत काम होने के साक्ष्य मिले किंतु जो बाबा लोग पकड़े ही नहीं गए उनकी जाँच ही नहीं हुई तो ये कैसे पता लगे कि वे कितने ईमानदार हैं आखिर जो बाबा लोग आज जेलों में बंद हैं या तमाम दोष पूर्ण आचरणों में आरोपित हैं वो भी तो पकड़े जाने से पहले ईमानदार आत्मज्ञानी ब्रह्मज्ञानी आदि सबकुछ थे । हे प्रधानमंत्री जी धर्म कर्म के नाम पर यह खिलवाड़ क्यों और कब तक चलाया जाता रहेगा और कबतक आँखें मूँदे बैठी रहेगी सरकार !आखिर धनवान बाबाओं एवं सभी प्रकार के धार्मिक एवं भाग्य बताने और भाग्य बदलने के नाम पर लूट मचाए लोगों के आर्थिक स्रोतों की क्यों न की जाए जाँच और की जानी चाहिए उन पर भी कारवाही !
धर्म एवं धार्मिकों का राजाओं एवं सरकारों से बहुत पुराना संबंध रहा है और उन्होंने कई बार देश और समाज की बहुत बड़ी बड़ी मदद भी की है राजाओं सरकारों को सही दिशा देने का काम भी उन्होंने बहुत बार किया है जिसके लिए वे प्रणम्य हैं किंतु कई बार किया है किंतु इनकार इस बात से भी नहीं किया जा सकता कि वेषभूषा रहन सहन का दुरुपयोग बड़े बड़े अपराधियों के द्वारा भी किया जाता रहा है !ऐसे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भी किए जाने चाहिए इंतजाम !
ज्योतिष तंत्र आदि विषयों में सरकारी विश्वविद्यालयों में अन्य विषयों की रही ही इनकी भी पढ़ाई होती है सिलेबस है कक्षाएँ चलती हैं डिग्रियाँ मिलती हैं फिर अनपढ़ मूर्ख झोलाछाप फर्जी लोगों को इन विषयों में प्रेक्टिस क्यों करने दी जाती है ये टीवी चैनलों अखवारों में अपनी ऊटपटाँग भविष्यवाणियों के लिए छाए क्यों रहते हैं इनके दावों का परीक्षण क्यों नहीं किया जाता उन पर मेडिकल की तरह कार्यवाही क्यों नहीं की जाती है यदि सबकुछ ऐसे ही चलना है तो ये विश्व विद्यालय क्यों वहाँ इंतजामों पर अरबों रूपए खर्च क्यों करती है सरकार ?ये भ्रष्टाचार नहीं तो क्या है ?
भाग्य बताने तथा बदलने और जवानी बरकरार रखने या बीमारियाँ भगाने के लिए नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीज या दवा आदि बनाने बेचने वाले तरह तरह की लोक लुभावनी गारंटियाँ लेने वाले समाज से लेकर टीवी चैनलों पर तक स्वतंत्र रूप से बकवास करते हैं इनकी योग्यता और दावों का परीक्षण कहाँ हुआ और किसने किया ? ऐसा करना जरूरी नहीं था क्या ? सरकार के विश्वविद्यालयों में आयुर्वेद भी पढ़ाया जाता है तंत्र मन्त्र भी पढ़ाया जाता है और ज्योतिष भी पढ़ाई जाती है सामान्य पाठ्यक्रमों की तरह ही सबकी कक्षाएँ होती हैं सबकी डिग्रियाँ हासिल की जाती हैं सरकार यदि इन विषयों में व्याप्त भ्रष्टाचार समाप्त करना चाहती तो मेडिकल की तरह ही यहाँ भी सभी विषयों की डिग्रियाँ अनिवार्य कर और फर्जी डिग्री या बिना डिग्री वालों को खदेड़ देती किंतु ऐसा नहीं किया जा सका !इसीलिए धार्मिक अपराधी लोग तरह तरह के हथकंडे अपना रहे हैं जिनका शास्त्रों से कोई लेना देना ही नहीं है ये लोग धन धर्म आदि सबके साथ खिलवाड़ कर रहे हैं पति - पत्नी में एक दूसरे के प्रति चारित्रिक बहम डालकर फूट डालकर खुद चरित्र शोषण कर रहे हैं धन लूट रहे हैं उनके घरों में अपने बच्चे पैदा कर रहे हैं ऐसी घटनाएँ पारिवारिक कलह का कारण बनी हुई हैं !लोग न कह पा रहे हैं न सह पा रहे हैं । ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने के लिए इनके दावों की न जाँच करने के लिए की जवाबदेही सरकारों की होती है इन क्षेत्रों में व्याप्त इतने भयंकर भ्रष्टाचार पर सरकार कोई कठोर कदम क्यों न उठावे और मेडिकल की तरह ही डिग्रीहोल्डर विद्वानों के अलावा सारे झोलाछापों को खदेड़ बाहर करे !
कईलोग विज्ञापन के लिए करोड़ों रूपए टीवी चैनलों को देकर झूठ साँच लोग लुभावने वायदे करके समाज से पैसे वसूलते हैं ट्रस्टों सेवाकार्यों के नाम पर टैक्स से मुक्त होकर आश्रम नाम के ऐय्यासी के अड्डे बनाए हुए हैं लक्जरी आफिसें बनाई हुई हैं बड़े बड़े उद्यॊग स्थापित किए हुए हैं उन सबकी शुरूआती प्रक्रिया से आजतक भारी भ्रष्टाचार हुआ है हो रहा है और संभवतः आगे भी होता रहेगा !ऐसे धार्मिक और सेवाकार्यों के नाम पर चलाए जा रहे ऐय्यासी के अड्डे जहाँ आश्रमों तक में न केवल महिलाएँ भी रखी हुई हैं अपितु ऐसे अघोषित गृहस्थों के आम गृहस्थी लोगों से ज्यादा ज्यादा अपने बच्चे भी हैं और हो रहे हैं और वो गृहस्थों से अधिक अच्छी परवरिश में पल बढ़ रहे हैं जिन्हें पालने पोषने के लिए ऐसे बाबा लोग स्कूल गुरुकुल आदि कोई भी सेवा कार्य चला लेते हैं उन्हीं की आड़ में उनके भी बीबी बच्चे पलते बढ़ाते रहते हैं सबकुछ करते हुए भी बाबा जी ब्रह्मचारी विरक्त आदि सबकुछ बने रहते हैं वो चाहें एक गिलास दूध पीकर रहने की बात कहें या फिर हवा पीकर रहने की उनका सारा पाप छिप जाता है आश्रमों में रहने वाली उनकी बीबियाँ सबकुछ छिपा लिया करती हैं !उन्हें जब पैसे की कमी हुई या उनके व्यापार में जब घाटा हुआ तब सधुअई और सेवा कार्यों के नाम पर जनता से माँग लिया करते हैं और मुनाफा हुआ तो उनका अपना और अपने अघोषित बीबी बच्चों का !इसीलिए वो कहा करते हैं मेरे नाम एक भी पैसा नहीं हैं और न कहीं एकाउंट है !उनके बीबी बच्चों को लोग जानते नहीं हैं इसलिए वो विरक्त भी हैं साधू संन्यासी भी हैं किंतु सारा पैसा होता उन्हीं के अपनों के पास है !अन्यथा चैरिटेबल संस्थाओं में इतनी बड़ी आमदनी का जुगाड़ कहाँ रहता है कि वो हजारों करोड़ की कमाई भी कर लें और चैरिटी भी करते रहें !जो बाबा पकड़े गए उनके यहाँ सारे गलत काम होने के साक्ष्य मिले किंतु जो बाबा लोग पकड़े ही नहीं गए उनकी जाँच ही नहीं हुई तो ये कैसे पता लगे कि वे कितने ईमानदार हैं आखिर जो बाबा लोग आज जेलों में बंद हैं या तमाम दोष पूर्ण आचरणों में आरोपित हैं वो भी तो पकड़े जाने से पहले ईमानदार आत्मज्ञानी ब्रह्मज्ञानी आदि सबकुछ थे । हे प्रधानमंत्री जी धर्म कर्म के नाम पर यह खिलवाड़ क्यों और कब तक चलाया जाता रहेगा और कबतक आँखें मूँदे बैठी रहेगी सरकार !आखिर धनवान बाबाओं एवं सभी प्रकार के धार्मिक एवं भाग्य बताने और भाग्य बदलने के नाम पर लूट मचाए लोगों के आर्थिक स्रोतों की क्यों न की जाए जाँच और की जानी चाहिए उन पर भी कारवाही !
धर्म एवं धार्मिकों का राजाओं एवं सरकारों से बहुत पुराना संबंध रहा है और उन्होंने कई बार देश और समाज की बहुत बड़ी बड़ी मदद भी की है राजाओं सरकारों को सही दिशा देने का काम भी उन्होंने बहुत बार किया है जिसके लिए वे प्रणम्य हैं किंतु कई बार किया है किंतु इनकार इस बात से भी नहीं किया जा सकता कि वेषभूषा रहन सहन का दुरुपयोग बड़े बड़े अपराधियों के द्वारा भी किया जाता रहा है !ऐसे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भी किए जाने चाहिए इंतजाम !
ज्योतिष तंत्र आदि विषयों में सरकारी विश्वविद्यालयों में अन्य विषयों की रही ही इनकी भी पढ़ाई होती है सिलेबस है कक्षाएँ चलती हैं डिग्रियाँ मिलती हैं फिर अनपढ़ मूर्ख झोलाछाप फर्जी लोगों को इन विषयों में प्रेक्टिस क्यों करने दी जाती है ये टीवी चैनलों अखवारों में अपनी ऊटपटाँग भविष्यवाणियों के लिए छाए क्यों रहते हैं इनके दावों का परीक्षण क्यों नहीं किया जाता उन पर मेडिकल की तरह कार्यवाही क्यों नहीं की जाती है यदि सबकुछ ऐसे ही चलना है तो ये विश्व विद्यालय क्यों वहाँ इंतजामों पर अरबों रूपए खर्च क्यों करती है सरकार ?ये भ्रष्टाचार नहीं तो क्या है ?
भाग्य बताने तथा बदलने और जवानी बरकरार रखने या बीमारियाँ भगाने के लिए नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीज या दवा आदि बनाने बेचने वाले तरह तरह की लोक लुभावनी गारंटियाँ लेने वाले समाज से लेकर टीवी चैनलों पर तक स्वतंत्र रूप से बकवास करते हैं इनकी योग्यता और दावों का परीक्षण कहाँ हुआ और किसने किया ? ऐसा करना जरूरी नहीं था क्या ? सरकार के विश्वविद्यालयों में आयुर्वेद भी पढ़ाया जाता है तंत्र मन्त्र भी पढ़ाया जाता है और ज्योतिष भी पढ़ाई जाती है सामान्य पाठ्यक्रमों की तरह ही सबकी कक्षाएँ होती हैं सबकी डिग्रियाँ हासिल की जाती हैं सरकार यदि इन विषयों में व्याप्त भ्रष्टाचार समाप्त करना चाहती तो मेडिकल की तरह ही यहाँ भी सभी विषयों की डिग्रियाँ अनिवार्य कर और फर्जी डिग्री या बिना डिग्री वालों को खदेड़ देती किंतु ऐसा नहीं किया जा सका !इसीलिए धार्मिक अपराधी लोग तरह तरह के हथकंडे अपना रहे हैं जिनका शास्त्रों से कोई लेना देना ही नहीं है ये लोग धन धर्म आदि सबके साथ खिलवाड़ कर रहे हैं पति - पत्नी में एक दूसरे के प्रति चारित्रिक बहम डालकर फूट डालकर खुद चरित्र शोषण कर रहे हैं धन लूट रहे हैं उनके घरों में अपने बच्चे पैदा कर रहे हैं ऐसी घटनाएँ पारिवारिक कलह का कारण बनी हुई हैं !लोग न कह पा रहे हैं न सह पा रहे हैं । ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने के लिए इनके दावों की न जाँच करने के लिए की जवाबदेही सरकारों की होती है इन क्षेत्रों में व्याप्त इतने भयंकर भ्रष्टाचार पर सरकार कोई कठोर कदम क्यों न उठावे और मेडिकल की तरह ही डिग्रीहोल्डर विद्वानों के अलावा सारे झोलाछापों को खदेड़ बाहर करे !
हजार पाँच सौ के नोटों की तरह ही सरकार सरकारी विभागों के अधिकारियों
कर्मचारियों को रातों रात सस्पेंड करे और अगले दिन स्वतंत्र परीक्षाएँ या
इंटरव्यू करवा कर नई नियुक्तियाँ करे !
सरकारी नौकरियों में व्याप्त भयंकर भ्रष्टाचार आज किसी से छिपा नहीं हैं
घूस देने में सक्षम एवं सोर्स सिफारिश वाले अयोग्य लोगों को भी सरकारी
नौकरियाँ मिल जाती हैं और उन लोगों से कई गुना अधिक योग्य लोग बेरोजगार
लाचार होकर बेरोजगारी गरीबी और लाचारी का जलालत पूर्ण जीवन जी रहे होते
हैं ये योग्य लोग योग्य स्थानों पर नहीं पहुँच पाए इसलिए इनकी योग्यता देश
और समाज के काम नहीं आ पाई और जिन अयोग्य लोगों को भ्रष्टाचार के बलपर
योग्य स्थानों पर बैठाया गया है उनमें उस लायक योग्यता न होने के कारण वे
देश और समाज के लिए कुछ करने उन्हें कुछ समझाने सिखाने पढ़ाने लायक हैं ही
नहीं वो तो केवल सैलरी और घूस के लिए आफिसों में हाजिरी लगाने चले
आते हैं उनमें जो कुछ ईमानदार लोग हैं उन्होंने कुछ इज्जत बचा रखी है
अन्यथा आज सरकारी स्कूलों का काम प्राइवेट स्कूल सँभाल रहे हैं डाकसेवा का
काम कोरियर कंपनियाँ देख रही हैं टेलीफोन क्षेत्र में मदद प्राइवेट
कंपनियाँ कर रही हैं सरकारी अस्पतालों का काम प्राइवेट अस्पताल देख रहे हैं
। ये सरकार से बहुत कम सैलरी देकर भी अच्छी और विश्वसनीय सेवाएँ उपलब्ध
करवा रहे हैं !उन्हें दस पंद्रह हजार में काम करने वाले लोग मिलजाते हैं तो
सरकार ऐसे लोगों को लाखों रुपए क्यों बाँटती है सैलरी उतने धन में तो बहुत
लोगों की बेरोजगारी दूर की जा सकती है और वो वर्तमान सरकारी कर्मचारियों
की अपेक्षा काम के प्रति अपनी जवाबदेही भी समझते हैं और वो योग्य भी हैं
और उनकी शार्टेज भी नहीं है सरकारी शिक्षकों की परीक्षा करवा दीजिए अभी दूध
का दूध पानी का पानी हो जाएगा !सरकार और सरकारी कर्मचारियों दोनों के दाँत
दिखाई पड़ जाएँगे !कितना भ्रष्टाचार है इनमें ?
सरकारी अधिकारी प्रायः जनता के किसी काम नहीं आ पा रहे हैं वो सब
सुख सुविधाओं से पूर्ण एयरकंडीसंड सरकारी आफिसों में केवल बैठे अपने
सीनियर अधिकारियों और नेताओं के फोनों की प्रतीक्षा किया करते हैं वो या तो
स्वतंत्र नहीं हैं या फिर लापरवाह हैं उन्हें जनता से जुड़े हर मामले में
नेताओं की सिफारिशों का इंतज़ार बना रहता है। मान लो हमने ऐसा करवा दिया और किसी हाई फाई
ने
नेता जी का फोन वैसा करने को आ गया तो क्या करेंगे इस दुविधा में ही महीनों
लेटर लटकाकर रखे जाते हैं यदि किसी लेटर पर कोई सिफारिसी फोन नहीं आता तो उस
भाग्यहीन पर बिचार करने की जरूरत क्या है उसे कूड़ेदान में फ़ेंक दिया जाता
है या फिर कुछ कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों को काम करने का अच्छा अभ्यास भी होता है उनमें अभी भी नैतिकता है इसलिए वो उन
पत्रों को जाँच के लिए आगे बढ़ा देते हैं किंतु वे पत्र जाँच करने के लिए पहुँचते उन्हीं कर्मचारियों के पास हैं जिनकी लापरवाही के कारण
कंप्लेनर को अपनी फर्याद लेकर बड़े अधिकारियों के पास आना पड़ा था !वो
कर्मचारी जाँच के लिए जब कंप्लैनर के घर जाते हैं तो उसे ऊपर कंप्लेन करने के लिए न केवल धमकाते हैं
अपितु अब उससे घूस का अमाउंट भी अधिक माँगते हैं बताते हैं कि अब तो
बहुत लोगों को देना पड़ेगा !ये लेटर जहाँ जहाँ होकर आया है उन सबको पूजना
पड़ेगा अन्यथा जाँच रिपोर्ट में मैं वैसा वैसा लिखूँगा जिसमें तुम्हारे और
तुम्हारे घर वालों के साथ जैसा जैसा होगा उसमें तुम तुम नहीं रहोगे जेल में
पड़े पड़े सड़ जाओगे तुम्हारे बीबी बच्चे मर जाएँगे रोते रोते !तब लोगों को घबड़ाकर देनी पड़ती है घूस !ऐसी परिस्थिति में अधिकारी लोग
आम जनता के किस काम आ पाते हैं !
किसी विभाग का कोई छोटा कर्मचारी यदि किसी का काम करने को मना कर
देता है और कोई मजबूरी बता देता है तो आप बड़े से बड़े अफसर के पास फर्याद
सुनाकर देख लीजिए वो उसी कर्मचारी से पूछेगा वो कर्मचारी वही मजबूरी अपने
अधिकारी को भी बता देगा अधिकारी वो बात कंप्लेन करने वाले को बता देगा बस
यदि आप उस अधिकारी के अपने नहीं हैं तो अधिकारी को बस इतना ही करना होता है
!मान लो आपके फोन में केबल फाल्ट है आप कंप्लेन करते हैं तो लाइनमैन 100
Rs ठीक करने के लिए माँगता है यदि आपने नहीं दिए और ऊपर कम्प्लेन कर दी तो
वो बता देगा कि अंडरग्राउंड केबल ख़राब है अधिकारी यही उत्तर आपको दे देगा
!इसके बाद आप उसी कर्मचारी को सौ रूपए देंगे वो उसी समय आपकी केबल ठीक कर
देगा !इसका मतलब कि जिस विभाग का वो अधिकारी है उस विभाग के कर्मचारी उसकी
कीमत 100 रूपए की भी नहीं मानते हैं ऐसे अधिकारियों की सैलरी पर सरकार
लाखों रूपए बेकार में क्यों लुटाए जा रही है !
आफिसों में अधिकारियों की भूमिका क्या केवल इतनी ही होनी चाहिए !
आम जनता से मिलने जुलने या बात चीत करने में अधिकारी लोग अपनी बेइज्जती क्यों समझते हैं क्या इसीलिए उन्हें दी जाती है लाखों रुपए की सैलरी भारी भरकम सम्मान और
उनकी सारी सुख सुविधाओं पर लाखों रूपए खर्च किए जाते हैं !यदि ऐसे
अधिकारियों ने IAS ,IPS, PCS जैसी कठिन परीक्षाओं को पास न भी किया होता तो
भी देश समाज एवं उन विभागों का आखिर क्या बिगड़ जाता !जब उन्हें कुछ करना
ही नहीं है केवल नेताओं के फोन उठाने और उन्हीं के आगे पीछे दुम हिलानी है उन्हीं की इच्छाओं आदेशों के गुलाम बनकर रहना है तो क्या फायदा हुआ उनके भारी भरकम पढ़ने लिखने का !ऐसे लोगों पर कृपा करके माता सरस्वती को भी पश्चात्ताप हो रहा होगा !
सरकार के बहुत विभागों के अफसरों को तो उनके कर्मचारियों ने बिलकुल सजावटी गमले की तरह अपनी आफिसों में सजाकर स्थापित कर रखा है बूढ़े बैल की तरह उन्हें उनके खूँटे पर खाना पानी समय से देते रहते हैं और बताते रहते हैं कि बाहर सब राम राज्य चल रहा है !आफिसों के एक सजे सँवरे सुख सुविधा पूर्ण एयरकंडीसंड कमरे रूपी मंदिर में अधिकारी रूपी देवता को बैठाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा करके उनके कर्मचारी उनके सामने तो आरती पूजा करने की भाँति साहब साहब करते रहते हैं किंतु उनके पीठ पीछे उनकी बहुत बुराई करते हैं उनके प्रति समाज में खौफ पैदा करते हैं और उन्हें बड़ा गुस्सैल खुँखार आदि बताकर उनसे आम जनता को मिलने ही नहीं देते हैं और उन्हें घूस खोर बता बता कर उनके नामपर खूब वसूली किया करते हैं ऐसे आलसी चाटुकारिता पसंद अधिकारी लोग ऐसी लज्जापूर्ण जिंदगी जिया करते हैं ।
सरकार के बहुत विभागों के अफसरों को तो उनके कर्मचारियों ने बिलकुल सजावटी गमले की तरह अपनी आफिसों में सजाकर स्थापित कर रखा है बूढ़े बैल की तरह उन्हें उनके खूँटे पर खाना पानी समय से देते रहते हैं और बताते रहते हैं कि बाहर सब राम राज्य चल रहा है !आफिसों के एक सजे सँवरे सुख सुविधा पूर्ण एयरकंडीसंड कमरे रूपी मंदिर में अधिकारी रूपी देवता को बैठाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा करके उनके कर्मचारी उनके सामने तो आरती पूजा करने की भाँति साहब साहब करते रहते हैं किंतु उनके पीठ पीछे उनकी बहुत बुराई करते हैं उनके प्रति समाज में खौफ पैदा करते हैं और उन्हें बड़ा गुस्सैल खुँखार आदि बताकर उनसे आम जनता को मिलने ही नहीं देते हैं और उन्हें घूस खोर बता बता कर उनके नामपर खूब वसूली किया करते हैं ऐसे आलसी चाटुकारिता पसंद अधिकारी लोग ऐसी लज्जापूर्ण जिंदगी जिया करते हैं ।
सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की गैर जिम्मेदारी के कारण सरकारी जमीनों पर कब्जे होते रहते हैं !
घूस ले लेकर अधिकारी कर्मचारी लोग गुंडे माफियाओं के लिए ऐसे काम करते हैं जैसे सरकार उन्हें ऐसे ही कामों के लिए सैलरी देती है !एक बार मैंने देखा कि कानपुर में I I T और कल्याणपुर के बीच में सरकारीमशीनरी के सहयोग से कई सरकारी जमीनों पर भू माफियाओं ने कब्ज़ा कर रखे हैं और प्लाटिंग करके जमीनें बेच दीं लोगों ने उस पर मकान बना डाले अब उन जमीनों के नियमिती करण का दबाव सरकारों और निगमों पर डाला जा रहा है यदि ऐसा हो जाता है तो ये घूसखोर सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों एवं भू माफियाओं के अपराधों का प्रोत्साहन नहीं तो और क्या है !सरकारीमशीनरी की मदद से ऐसे कब्जे तो हर शहर में किए जा रहे हैं जिसके पास घूस देने के पैसे हैं उसके लिए कल्पवृक्ष बने हुए हैं ऐसे भ्रष्ट सरकारी अधिकारी और कर्मचारी लोग !
सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा करके सरकारीमशीनरी की मदद से खेला जा रहा है खतरनाक खेल !
भूमाफिया लोगों की जो बदनाम जमीनें बिकती नहीं हैं उनमें वो बिना पिलर के बिना किसी मजबूती के पाँच पाँच इंच की चौड़ी दीवारों पर चार चार पाँच पाँच मंजिल की बिल्डिंगें बनाकर खड़ी कर देते हैं गरीब लोगों को किराए पर रहने वाले स्कूली बच्चों को कुछ सस्ता किराया करके उठा दी जाती हैं किराए पर !चेकिंग करने के लिए जिम्मेदार सरकारी मशीनरी ऐसा करने के भूमाफियाओं से पैसे ले लेती है इसके बाद वो मकान मजबूत मान लिए जाते हैं !ईश्वर न करे कल कोई भूकम्प आता है तो क्या मंजर होगा कल्पना करके मन सिहर उठता है !
प्रधानमन्त्री जी !
हमें ज्योतिष पढ़ाने वाले हमारे गुरु जी कहा करते थे कि चोरी हुई चीज के बारे में जब कोई पूछने आता है तब चोर के विषय में कुछ भी मत बोला करो मैंने पूछ क्यों तो उन्होंने कहा कि जिसकी चीज चोरी हुई होती है उस पूछने आने वाले के साथ चोर का एक साथी जरूर आता है !उससे डरते रहो !
इसी प्रकार से भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध छेड़ने वाली सरकारों के आसपास या सारे कर्ता धर्ता रहने वाले नेता ,अफसर ,कर्मचारी और सरकारों के मुख लगे बाबा लोग ही वास्तव में भ्रष्टाचारी होते हैं और उन्हीं के बल पर भ्रष्टाचार का सारा रोजी रोजगार फल फूल रहा है !भ्रष्टाचार के विरुद्ध जब कोई कानून बनने लगता तब ये भ्रष्टाचार के लोग उससे निकलने के लिए एक खिड़की जरूर बनाए रहते हैं सारा कानून बन जाने के बाद वो वो जानकारी भ्रष्टाचारियों को बेच देते हैं जिसका आगे प्रचार प्रसार होता रहता है !
ऐसे सभी प्रकार के भ्रष्टाचारियों के खिलाफ प्रधानमंत्री जी कार्यवाही करें तो मैं प्रधानमंत्री जी के हजार पाँच सौ के नोट बदलने के फैसले का भी समर्थन करता हूँ अन्यथा भ्रष्टाचार और सरकार एक सिक्के के दो पहलू हैं दोनों का काम दोनों के बिना नहीं चल सकता !जिसके बिना किसी सरकार का काम चलना मुश्किल होता है अधिकाँश नेता अधिकारी कर्मचारी एवं व्यापार करने वाले और पैसे वाले पाखंडी साधू बाबा लोग आदि सब भ्रष्टाचार के भक्त हैं ! भ्रष्टाचार सरकार के अपने परिवार का एक बरिष्ठ सदस्य है आज किसी बात पर उसकी अपने घरवालों से बात बिगड़ गई है इसलिए बदले जा रहे हैं हजार पाँच सौ के नोट !इसी सरकार में नहीं अगली सरकार में फिर भ्रष्टाचार और सरकार के आपसी रिस्ते मधुर हो जाएँगे बाप बेटे की लड़ाई कोई लड़ाई है क्या ?वैसे भी हम किसी के घर के आपसी झगड़ों में हाथ नहीं रूचि नहीं लेते !वैसे तो सरकार और भ्रष्टाचार के बीच कभी आपसी कोई झगड़ा होगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती फिर भी यदि ईमानदार शासक हमारी चुनौती स्वीकार करे और सँभाले हमारी ये भ्रष्टाचारियों की लिस्ट जिस दिन इन सभी पर कार्यवाही होनी शुरू हो जाएगी उस हमें भी भरोसा हो जाएगा कि देश से अब वास्तव में भ्रष्टाचार भगाने का समय आ गया है अन्यथा मैं अकेला क्यों भ्रष्टाचार से अपने संबंध बिगाड़ लूँ !क्योंकि सरकार का भरोसा नहीं है कि वो हमारी सुनेगी कि नहीं वो हमारे काम आएगी कि नहीं जबकि भ्रष्टाचार का भरोसा है कि वहाँ बात सुनी भी जाती है बातों पर अमल भी किया जाता है और दिए गए बचनों के पालन में पूरी ईमानदारी का बर्ताव किया जाता है सरकारी मशीनरी सरकार से ज्यादा भ्रष्टाचार की बात सुनती है सरकार तो केवल गलत फहमी में रहती है कि देश को वो चला रही है बाक़ी काम तो भ्रष्टाचार ही करता है आज ईमानदार लोग नोट बदलने के लिए बैंकों के सामने दिन दिन भर लाइनों में खड़े रहते हैं जबकि भ्रष्टाचार के भक्त लोगों के यहाँ घर पहुँचाए जा रहे हैं नोट !इसलिए बातें सरकारों की सुननी और काम भ्रष्टाचारियों से करवाना भारतीय लोकतंत्र में इससे ज्यादा फिलहाल कुछ होना संभव नहीं दिखता है और जब होगा तब देखा जाएगा !
see more.... https://www.youtube.com/watch?v=qEeXXOC2QdE
see more... https://www.youtube.com/watch?v=Q0zxNiqu7Ow
see more... https://www.youtube.com/watch?v=spd0xUrPRcM
see more... https://www.youtube.com/watch?v=yjPo7u6Rl4s
see more... https://www.youtube.com/watch?v=ADfl-uMD3hk
see more... https://www.youtube.com/watch?v=R_0zi1aaFdY
see more... https://www.youtube.com/watch?v=KqIt3hNIxZA
see more... https://www.youtube.com/watch?v=JadbL4nv7uM
घूस ले लेकर अधिकारी कर्मचारी लोग गुंडे माफियाओं के लिए ऐसे काम करते हैं जैसे सरकार उन्हें ऐसे ही कामों के लिए सैलरी देती है !एक बार मैंने देखा कि कानपुर में I I T और कल्याणपुर के बीच में सरकारीमशीनरी के सहयोग से कई सरकारी जमीनों पर भू माफियाओं ने कब्ज़ा कर रखे हैं और प्लाटिंग करके जमीनें बेच दीं लोगों ने उस पर मकान बना डाले अब उन जमीनों के नियमिती करण का दबाव सरकारों और निगमों पर डाला जा रहा है यदि ऐसा हो जाता है तो ये घूसखोर सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों एवं भू माफियाओं के अपराधों का प्रोत्साहन नहीं तो और क्या है !सरकारीमशीनरी की मदद से ऐसे कब्जे तो हर शहर में किए जा रहे हैं जिसके पास घूस देने के पैसे हैं उसके लिए कल्पवृक्ष बने हुए हैं ऐसे भ्रष्ट सरकारी अधिकारी और कर्मचारी लोग !
सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा करके सरकारीमशीनरी की मदद से खेला जा रहा है खतरनाक खेल !
भूमाफिया लोगों की जो बदनाम जमीनें बिकती नहीं हैं उनमें वो बिना पिलर के बिना किसी मजबूती के पाँच पाँच इंच की चौड़ी दीवारों पर चार चार पाँच पाँच मंजिल की बिल्डिंगें बनाकर खड़ी कर देते हैं गरीब लोगों को किराए पर रहने वाले स्कूली बच्चों को कुछ सस्ता किराया करके उठा दी जाती हैं किराए पर !चेकिंग करने के लिए जिम्मेदार सरकारी मशीनरी ऐसा करने के भूमाफियाओं से पैसे ले लेती है इसके बाद वो मकान मजबूत मान लिए जाते हैं !ईश्वर न करे कल कोई भूकम्प आता है तो क्या मंजर होगा कल्पना करके मन सिहर उठता है !
प्रधानमन्त्री जी !
हमें ज्योतिष पढ़ाने वाले हमारे गुरु जी कहा करते थे कि चोरी हुई चीज के बारे में जब कोई पूछने आता है तब चोर के विषय में कुछ भी मत बोला करो मैंने पूछ क्यों तो उन्होंने कहा कि जिसकी चीज चोरी हुई होती है उस पूछने आने वाले के साथ चोर का एक साथी जरूर आता है !उससे डरते रहो !
इसी प्रकार से भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध छेड़ने वाली सरकारों के आसपास या सारे कर्ता धर्ता रहने वाले नेता ,अफसर ,कर्मचारी और सरकारों के मुख लगे बाबा लोग ही वास्तव में भ्रष्टाचारी होते हैं और उन्हीं के बल पर भ्रष्टाचार का सारा रोजी रोजगार फल फूल रहा है !भ्रष्टाचार के विरुद्ध जब कोई कानून बनने लगता तब ये भ्रष्टाचार के लोग उससे निकलने के लिए एक खिड़की जरूर बनाए रहते हैं सारा कानून बन जाने के बाद वो वो जानकारी भ्रष्टाचारियों को बेच देते हैं जिसका आगे प्रचार प्रसार होता रहता है !
ऐसे सभी प्रकार के भ्रष्टाचारियों के खिलाफ प्रधानमंत्री जी कार्यवाही करें तो मैं प्रधानमंत्री जी के हजार पाँच सौ के नोट बदलने के फैसले का भी समर्थन करता हूँ अन्यथा भ्रष्टाचार और सरकार एक सिक्के के दो पहलू हैं दोनों का काम दोनों के बिना नहीं चल सकता !जिसके बिना किसी सरकार का काम चलना मुश्किल होता है अधिकाँश नेता अधिकारी कर्मचारी एवं व्यापार करने वाले और पैसे वाले पाखंडी साधू बाबा लोग आदि सब भ्रष्टाचार के भक्त हैं ! भ्रष्टाचार सरकार के अपने परिवार का एक बरिष्ठ सदस्य है आज किसी बात पर उसकी अपने घरवालों से बात बिगड़ गई है इसलिए बदले जा रहे हैं हजार पाँच सौ के नोट !इसी सरकार में नहीं अगली सरकार में फिर भ्रष्टाचार और सरकार के आपसी रिस्ते मधुर हो जाएँगे बाप बेटे की लड़ाई कोई लड़ाई है क्या ?वैसे भी हम किसी के घर के आपसी झगड़ों में हाथ नहीं रूचि नहीं लेते !वैसे तो सरकार और भ्रष्टाचार के बीच कभी आपसी कोई झगड़ा होगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती फिर भी यदि ईमानदार शासक हमारी चुनौती स्वीकार करे और सँभाले हमारी ये भ्रष्टाचारियों की लिस्ट जिस दिन इन सभी पर कार्यवाही होनी शुरू हो जाएगी उस हमें भी भरोसा हो जाएगा कि देश से अब वास्तव में भ्रष्टाचार भगाने का समय आ गया है अन्यथा मैं अकेला क्यों भ्रष्टाचार से अपने संबंध बिगाड़ लूँ !क्योंकि सरकार का भरोसा नहीं है कि वो हमारी सुनेगी कि नहीं वो हमारे काम आएगी कि नहीं जबकि भ्रष्टाचार का भरोसा है कि वहाँ बात सुनी भी जाती है बातों पर अमल भी किया जाता है और दिए गए बचनों के पालन में पूरी ईमानदारी का बर्ताव किया जाता है सरकारी मशीनरी सरकार से ज्यादा भ्रष्टाचार की बात सुनती है सरकार तो केवल गलत फहमी में रहती है कि देश को वो चला रही है बाक़ी काम तो भ्रष्टाचार ही करता है आज ईमानदार लोग नोट बदलने के लिए बैंकों के सामने दिन दिन भर लाइनों में खड़े रहते हैं जबकि भ्रष्टाचार के भक्त लोगों के यहाँ घर पहुँचाए जा रहे हैं नोट !इसलिए बातें सरकारों की सुननी और काम भ्रष्टाचारियों से करवाना भारतीय लोकतंत्र में इससे ज्यादा फिलहाल कुछ होना संभव नहीं दिखता है और जब होगा तब देखा जाएगा !
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