Tuesday, 15 November 2016

भ्रष्टाचार की जड़ें खोजने के लिए करने होंगे तीन बड़े काम !जानिए कौन ?

   नेताओं ,बाबाओं और सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की संचित संपत्तियों की जाँच की जाए वो संपत्तियाँ उगलेंगी कालाधन !अन्यथा कैस कोई  कितना रख लेगा अपने घर !सारा काला धन चल अचल अवैध संपत्तियों में कन्वर्ट कर लिया जा चुका है उसे निकालने के लिए कठोरता बरती जाए !
    जो नेता जब से चुनाव जीता हो ,जो बाबा जब से बाबा बना हो और जिस सरकारी कर्मचारी की जब से सरकारी नौकरी लगी हो उस समय से लेकर आज तक के संपत्ति समूहों और उनके आयस्रोतों की ईमानदारी पूर्वक जाँच और दोषियों पर कार्यवाही हो तो समाप्त हो सकते हैं काले धन के बड़े बड़े स्रोत और घट सकते हैं सभी प्रकार के अपराध !
    इनके सहयोग (सोर्स)के बिना कोई अपराधी व्यक्ति अपराध कम ही कर पाता है आखिर अपनी सुरक्षा का रास्ता तो वो भी खोज कर चलता ही है और नेताओं बाबाओं सरकारी कर्मचारियों की पहुँच मंत्रियों तक सीधी होती है इसलिए अपराधी लोग भी मदद के लिए ऐसे लोगों की ही शरण पकड़ते हैं !इसलिए ऐसे आकाओं की जाँच करते समय ध्यान इस दृष्टि से भी जाँच की जानी चाहिए कि इन्होंने किसी अपराधी की मदद तो नहीं की है और की है तो आज तक किन किन अपराधियों की मदद की है उसके लिए इनकी संपत्तियों एवं आय स्रोतों का मिलान करते ही सारा लेख जोखा खुल जाएगा !
   पक्षपाती कानूनों से भेदभाव पैदा होता है इसलिए  ऐसे कानून रद्द करके सबके साथ समानता   का व्यवहार करना सबको क्यों न सिखाया जाए और जप्त की जाएँ दोषी बाबाओं, नेताओं और भ्रष्ट सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की संग्रहीत संपत्तियाँ !
      जनता यदि ढाई लाख से ज्यादा रखे तो बेईमान किंतु  नेताओं  और बाबाओं पर कोई कानून लागू नहीं होता है क्या या इनकी भी कोई लिमिट है !
     नेता लोग 5 सौ करोड़ की शादी करें और बाबालोग10 वर्षों में हजारों करोड़ इकट्ठे कर लें उन्हें कानून इतनी छूट देता है क्या !जीवन में कोई व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा 40 साल काम कर लेगा ढाई लाख साल के हिसाब से तो वो भी 40 सालों में ज्यादा से ज्यादा एक करोड़ ही कमा पाएगा किंतु नेताओं के यहाँ तो शादी काम काजों में सैकड़ों करोड़ खर्च होते देखे जाते हैं वो कैसे !इसीप्रकार से जो बाबा योगी लोग दस बीस वर्ष पहले दो दो कौड़ी के लिए भटकते देखे जाते रहे होते हैं वो अचानक हजारों करोड़ की संपत्तियों के मालिक बन बैठते हैं किंतु कैसे !क्या ऐसे लोगों पर आम जनता वाले कानून लागू नहीं होते यदि हाँ तो क्यों ?यदि ईमानदारी की यही परिभाषा है तब तो सारा देश ही नेता और बाबा बनकर संपत्तियाँ इकट्ठी करने लगेगा !जब अपना कोटा पूरा हो जाएगा तब वो भी दूसरों के कालेधन के लिए हो हल्ला मचाएगा !चोर लोग प्रायः ऐसा ही करते देखे जाते हैं जहाँ कहीं चोरी हुई होती है वहाँ चोरों को पकड़ने खोजने का सबसे ज्यादा शोर मचाने वाले लोग ही प्रायः चोर और चोर से संबंधित पाए जाते हैं
   बंधुओ ! ढाई लाख साल के हिसाब से आम आदमी तो अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा 40 वर्ष काम करके एक करोड़ ही कमा पाएगा !उसी में उसको जीवन चलाना घर खर्च बीमारी ,बच्चों के कामकाज से लेकर सबकुछ और नेता अपने बच्चों की शादी में सैकड़ों करोड़ खर्च करें बाबा हजारों करोड़ इकट्ठे करें आखिर इन्हें इतनी छूट क्यों है !इससे तो अच्छा सारा देश ही बाबा और नेता बन जाए सबको बिना कमाए खाने को मिलेगा !और कितना भी इकठ्ठा करते जाएँ कोई पूछेगा नहीं !नेताओं बाबाओं और सरकारी कर्मचारियों की संगृहीत संपत्तियों की पिछले तीस वर्षों से जाँच करा ली जाए तो देश का अधिकाँश कालाधन इन्हीं के पास मिलेगा !     
    जनता के पास ढाईलाख से ज्यादा मिलें तो जनता बेईमान ! नेताओं और बाबाओं के पास ढाई करोड़ भी मिलें तो भी वे ईमानदार ! ये कैसा व्यवहार !!आखिर एक देश में दो दो प्रकार के कानून क्यों ?
    आमआदमी ढाई लाख रूपए साल के हिसाब से 40 वर्षों तक काम करके जीवन में एक करोड़ जोड़ सकता है इससे ज्यादा रूपए मिले तो बेईमान किंतु कोई नेता यदि अपनी बेटी की शादी में पाँच सौ करोड़ भी खर्च करे तो भी वो ईमानदार !
    अरे कानून बनाने वालो ! अपने लिए स्पेशल सुविधाएँ क्यों आरक्षित कीं ?राजनीति यदि सेवा है तो सैलरी क्यों ?राजसी सुख सुविधाएँ क्यों और अपार संपत्तियों के समूह कैसे ?
    आम जनता ढाई लाख से ज्यादा जमा करे तो हिसाब दे किंतु नेताओं  और बाबाओं के आयस्रोतों एवं उनकी अपार संपत्तियों का लेखा जोखा आम जनता को क्यों न बताया जाए ?
    प्रायः सामान्य घरों में पैदा होनेवाले नेताओं और बाबाओं के पास दस बीस वर्षों में अरबों खरबों रूपयों की संपत्तियाँ कैसे इकट्ठी हो जाती हैं ?
    राजनेता यदि समाजसेवक और बाबालोग यदि धर्मसेवक हैं तो सेवकों के पास संपत्तियों के अंबार कैसे और कहाँ से ! ये सेवा है या व्यापार या फिर भ्रष्टाचार !आखिर इनके वास्तविक रहस्य क्या हैं ?
      अपराधी ,गुंडे और भूमाफिया लोग प्रायः किसी नेता या बाबा के कृपापात्र होने के कारण ही फूलते फलते रहते हैं और उनकी सेवाओं से नेताओं और बाबाओं के पास लगे रहते हैं संपत्ति समूहों के अंबार फिर भी वे ईमानदार !किंतु जनता पर बेईमान होने का संदेह ! क्यों ?
    नेताओं और बाबाओं पर कानूनी शिकंजा कसने पर अपराधों की अनेकों बरायटियाँ पहले भी मिलती रही हैं फिर भी वे ईमानदार !बेचारी जनता पर संदेह !क्यों उनकी आमदनी के स्रोतों को सार्वजानिक क्यों न किया जाए !
    बाबा और नेता लोग अक्सर अपनी गलतियों को छिपाने के लिए एक दूसरे से संपर्क बढ़ाने लगते हैं इससे बाबा जी ताकतवर लगने लगते हैं एवं नेता जी धार्मिक दिखने लगते हैं ऐसे प्राणियों के व्यवहार में अचानक आने वाले इन बदलावों की जाँच क्यों नहीं की जानी चाहिए !आखिर अपराध घटित होने की प्रतीक्षा क्यों ?
    "जो जैसी पढ़ाई करेगा वो वैसी कमाई करेगा"किंतु अपारसंपत्तियाँ इकट्ठी करने वाले नेता और बाबा प्रायः अल्प शिक्षित होते हैं फिर भी उनकी भयंकर कमाई फिर भी वे ईमानदार और जनता की कमाई पर शंका !आखिर क्यों ?
      " जिसकी जितनी मेहनत होगी उसे उतनी सफलता और संपत्ति मिलेगी " किंतु नेता और बाबा प्रायः परिश्रम करने में कच्चे होते हैं इसलिए इनकी संपत्तियाँ इनके परिश्रम का फल नहीं हो सकती !फिर ऐसे लोगों की अपार  संपत्तियों के स्रोत क्या हैं ?
      व्यापार धन से होता है जितना धन उतना बड़ा व्यापार !किंतु अधिकाँश नेताओं और बाबाओं का जन्म सामान्य परिवारों में होने के कारण इनके पास अपना धन होता नहीं है सरकार से लोन लेते नहीं हैं फिर बिना पैसों के व्यापार से भी लग सकते हैं क्या अपार संपत्तियों के अंबार !ये व्यापार है या चमत्कार !
    ऐसी परिस्थिति में  जिन बाबाओं और नेताओं के पास ब्यापार करने के लिए अधिक पैसा न हो उच्च शिक्षा न हो और कठोर परिश्रम करने का अभ्यास भी न हो ऐसा करने के लिए उनके पास समय भी न हो उन्हें ऐसा करते किसी ने कभी देखा भी न हो फिर उन नेताओं और बाबाओं के पास ईमानदारी पूर्वक कमाई करने के लिए स्रोत आखिर बचते कौन हैं जिनसे वो अरबों खरबों रुपयों की संपत्तियाँ इकट्ठी कर लेते हैं करोड़ों रुपए विज्ञापन पर भी खर्च कर लेते हैं आखिर कैसे ?
     प्रायः कम पढ़े लिखे एवं प्रायः मेहनत करने से जी चुराने वाले ये लोग दस बीस वर्षों अरबों खरबोंपति बनकर हजारों करोड़ विज्ञापनों और चुनावों में खर्च करके भी राजाओं की तरह देश की सर्वोत्तम सुख सुविधाओं को भोगते हुए भी ये लोग ईमानदार हैं और आम जनता ढाई लाख से ज्यादा कमाए तो दोषी !बीस वर्ष पहले जिन बाबाओं और जिन नेताओं के पास कुछ नहीं था आज वो अरबोंपति हो हजारों करोड़ रूपए विज्ञापनों पर या चुनाव लड़ने पर खर्च कर देते हैं उन्होंने क्या ढाई लाख रूपए साल में ही कमाए होते हैं इन्होंने ?हे प्रधानमंत्री जी !नेताओं ,बाबाओं और सरकारी कर्मचारियों की संपत्तियों की भी जाँच करवाइए धर्म और राजनीति को बदनाम होने से बचा लीजिए  !    मोदी जी !  भ्रष्टाचार मिटाना ही है तो जड़ से मिटाइए और जनता को दिखा दीजिए कि भ्रष्टाचार के इस भयानक युग में भी कुछ नेता ईमानदार हैं जिनकी राष्ट्र भक्ति के भरोसे पर टिका है देश ! वो आज भी समाज को ईमानदार और अपराध मुक्त बनाने के लिए बड़ी से बड़ी कुर्वानी देने  तैयार हैं ।राजनीति  सेवा के लिए है स्वार्थ के लिए नहीं अब तो सिद्ध कर दीजिए !
      महोदय !  बाबाओं और नेताओं पर प्रायः अपराध निरोधक कोई भी अधिकारी हाथ लगाने से डरता है इसीलिए इन पर  कहाँ हो पाती है कोई कार्यवाही !जब ये सत्तापक्ष से दुश्मनी लेते हैं तब शुरू होते हैं इनके बुरे दिन किंतु ये चालाक इतने होते हैं कि सरकारों को प्रायः पटाए रहते हैं और इकट्ठी करते रहते रहते हैं संपत्तियाँ !चुनावों से कुछ पहले ये चालाक लोग पहले जनता का मूड भाँपते हैं फिर जिधर सत्ता खिसकते दिखती है उसके समर्थन में रथयात्राएँ ले लेकर निकलपड़ते  हैं और करने लगते हैं धुँआधार रैलियाँ !जब उस पार्टी की सरकार बनती है तब उसका आनंद लेते हैं !इसप्रकार से सरकार किसी भी पार्टी की बने किंतु सत्ता इन्हीं लोगों के हाथों में रहती है  इनका कभी वाल भी बाँका नहीं हो पाता  है इनकी इसी ताकत के कारण बड़े बड़े अपराधी भ्रष्टाचारी आदि इनके अनुयायी और समर्थक बनकर देश सेवा और समाज सेवा के नाम पर करते  रहते हैं समाज से उगाही !और बाकायदा CA लगे होते हैं जो पैसों को कहाँ कैसे खपाना है ये जुगत भिड़ाया करते हैं इस प्रकार से ये महाबली बाबा और नेता लोग अपार संपत्तियों के बड़े बड़े हाथी घोड़े निगल जाते हैं डकार तक नहीं लेते !दस बीस वर्षों में हजारों करोड़ के मालिक बन जाते हैं !ऊपर से अपने को विरक्त और देश सेवक बताते हैं !हे मोदी जी !इन  झूठों से निपटने की तरकीब सोचिए और इन्हें बेनकाब कीजिए !तब लग पाएगी भ्रष्टाचारियों पर लगाम क्योंकि अधिकाँश अपराधी और कालेधन वाले लोग इन्हीं के चरणों में चिपके होते हैं जिनके बलपर इनकी संपत्तियाँ बढ़ती जा रही होती हैं।
    दस पाँच वर्षों में संपत्तियों का अंबार लगा लेने वाले प्रायः ये लोग कम पढ़े लिखे होते हैं इसीलिए ये अपनी शिक्षा से ज्यादा अपने समाज सेवा कार्यों को ऊपर उछाला करते हैं किंतु जब किसी सक्षम पार्टी नेता या सरकार से इनकी बात बिगड़ती है तब इनके यहाँ कसता है कानूनी शिकंजा और होती है तलाशी तब इनके यहाँ से लगभग वो सारी चीजें मिलती हैं जिनके लिए बड़े बड़े अपराधी लोग जेलों में पड़े वर्षों से सड़ रहे होते हैं !तब अरबों खरबों के स्वामी नेताओं और बाबाओं के यहाँ से हथियारों से लेकर सेक्स सामग्रियों तक सब कुछ निकलता है !इनकी इसी ताकत का लाभ लेते रहने के लिए इनके  आस  पास आर्थिक अपराधियों से लेकर सभी प्रकार के लोगों का जमावड़ा  लगा रहता है।
     अपने देश में बहुत नेता और साधूसंत चरित्रवान होते रहे हैं और आज भी हैं जिनके बल पर भारतीय समाज न केवल टिका हुआ है अपितु उन महापुरुषों नें चरित्र सदाचरण और संवेदना  ज्योति जलाने में कोई कोताही नहीं बरती है उनके प्रयासों ने कितने परिणाम दिए हैं ये और बात है किंतु उनके प्रयासों में कहीं कोई कमी नहीं दिखती है !उनकी संख्या कम है इसलिए असर भी कम दीखता है ये बात और है ।आदरणीय नेता लोग त्याग वैराग्य पूर्वक समाज सेवा पूर्वक समाज को सांसारिक सुख सुविधाएँ उपलब्ध कराते रहे हैं और बंदनीय साधुसंतों ने त्याग वैराग्य पूर्वक समाज को हमेंशा सींचा है इसी भावना से देश में धर्मतंत्र और लोकतंत्र हमेंशा से काम करता चला आ रहा है !
      'सरकार और भ्रष्टाचार' एक सिक्के के दो पहलू !' दोनों को चाहिए दोनों का सहयोग !
 भ्रष्टाचार परिवार के सदस्यों संख्या - 3
   1. नेतालोग  2. बाबालोग 3.सरकारी कर्मचारी
              इन्हीं तीनों के दुष्कर्मों से पैदा होते हैं सभी प्रकार के अपराधी !
       नेता और बाबा लोग प्रायः गरीबों और किसानों के परिवारों में पैदा होते हैं नेतागिरी और बाबागिरी शुरू करते समय दोनों भूखे नंगे होते हैं उस समय धंधा शुरू करने के लिए दोनों लोग सामाजिक सेवाकार्यों के लिए चंदा माँग माँग कर फंड इकठ्ठा करते हैं बाबा ईश्वर भक्ति के नाम पर और नेता लोग देश भक्ति के नाम पर ! अपनी अपनी ताकत दिखाने के लिए दोनों बड़ी बड़ी रैलियाँ करते हैं । बाबालोग प्रवचन दे देकर तथा नेता लोग भाषण दे देकर ,बाबा लोग गीता - पुराणों की और नेता लोग संविधान की दुहाई दे देकर पहले जनता में जोश भरते हैं स्वदेशी और स्वाभिमान की बातें कर कर के जनता को धिक्कारते और उनकी आत्माओं को आंदोलित करते हैं जब जनता पेन्हा जाती है तो उनसे धनसंपतियाँ रूपी दूध दुह लिया करते हैं इस प्रकार से सबसे माँग माँग कर इकठ्ठा किया करते हैं काला नीला हरा गुलाबी बैगनी बसंती आदि सभी प्रकार का धन !उस समय ये दोनों प्रकार के भ्रष्टाचारी पाखंडी लोग धन इकठ्ठा करने की भावना में इतने अंधे हो रहे होते हैं कि तब इन्हें लूटने के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा होता है !
       इस प्रकार से सभी पाप प्रकारों द्वारा धन इकठ्ठा हो जाने के बाद इन पापियों को अपने पाप याद कर कर के डर लगने लगता है !तब इन दोनों को अपने उस काले धन के अंबार को छिपाने और सुरक्षित रखने के लिए तरह तरह के सामाजिक कार्यों के हथकंडे अपनाने पड़ते हैं ताकि जनता का ध्यान उनके पापों से हटकर उनके कार्यक्रमों में भटक जाए !इसी कारण से नेतालोग  धार्मिक और ईमानदार  दिखने के लिए किसी बाबा के साथ चिपकने लगते हैं और उनके आश्रम में आने जाने एवं उनके धर्म कार्यों में भाग लेने लगते हैं इसी प्रकार से भ्रष्टाचारी बाबा लोग सोर्स फुल दिखने के लिए किसी नेता से चिपकने लगते हैं और उनके राजनैतिक कार्यक्रमों में दुम हिलाने लगते हैं !
      भ्रष्ट बाबा और भ्रष्ट नेता लोग अपने  कलरफुल धन को सफेद करने के लिए टैक्स माफी हेतु  झूठ मूठ का ट्रस्ट बना लेते हैं और अपने सारे काले धन को उसी ट्रस्ट रूपी फैक्ट्री में डालकर सफेद कर लेते हैं इस प्रकार से अपने सारे काले धन का बंदोबस्त कर लेने के बाद ये पापी निकलते हैं उन कालेधन वालों के पास जिनके दरवाजे पहले कभी माँगने गए थे और उन्होंने दुद्कार कर अपने दरवाजे से भगा दिया था।  उनसे बदला लेने के लिए बाबाओं और नेताओं को खड़ा करना पड़ता है कालेधन के विरुद्ध भारी भरकम जनांदोलन जिसके लिए आम जनता को स्वदेश प्रेम और स्वाभिमान की दुहाई दे देकर ललकारते हैं उत्तेजित करते हैं और स्थापित सरकारों को न केवल चुनौती देते हैं अपितु उखाड़ फेंकते हैं । अपने को सत्ता में स्थापित करके फिर निकालते हैं उन धनवान  लोगों की लिस्ट जिन्होंने पहले कभी इन लोगों को धन देने से मना कर दिया  होता है !इसके बाद शुरू होता है उनसे बदला लेने का खेल और उन बेचारों को सभी प्रकार से कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है ।
     बंधुओ !यदि ऐसे नेता और बाबा लोग वास्तव में ईमानदार होते तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध सबसे पहली कार्यवाही भ्रष्ट नेताओं ,भ्रष्ट राजनैतिक पार्टियों ,भ्रष्ट बाबाओं एवं भ्रष्ट सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की सबसे पहले पहचान की जानी चाहिए थी और उनके ऊपर की जानी चाहिए थी कठोर कार्यवाही इसके बाद में जनता का नंबर आता !तब तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध उठाए गए किसी भी काम से कितनी भी परेशानी होती जनता हॅंसते हॅंसते झेल जाती किंतु जनता व्यापर करे तो भ्रष्टाचार और बाबा या नेता करे तो ईमानदार बारी सरकार !!

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