राहुल ने पीएम मोदी से कई सवाल किए हैं इस पर पढ़ें राहुल जी के उन उन सवालों पर राहुल जी से हमारे अपने सवाल-
- 8 नवंबर को नोटबंदी लागू करने के फैसले के बाद अबतक कितना कालाधन देश में पकड़ा गया है ?
हमारा प्रश्न :हे राहुल जी !कालाधन पकड़ा गया हो न पकड़ा गया हो किंतु कालाधन रोकने का प्रयास तो है
वैसे भी राहुल जी ! कालाधन तो सारे देश के लिए हो सकता है किंतु काँग्रेस के लिए तो उसके द्वारा मुट्ठी भर लोगों को दिया गया कृपा प्रसाद है अन्यथा काँग्रेस ने सबसे लंबे समय तक शासन किया उसकी इच्छा के बिना ये कालाधन इकठ्ठा हो कैसे गया और यदि हो भी गया तो आपकी
सरकारों ने इसे अपने शासनकाल में पकड़ा क्यों नहीं !काँग्रेस में शासन करने की क्षमता नहीं थी या
काँग्रेस को कालाधन पकड़ना नहीं आता था या कालेधन वालों के विरुद्ध मुहिम चलाने
में काँग्रेस डरती थी या काँग्रेस कालाधन इसे मानती ही नहीं थी या काँग्रेस अपने
लगे हुए कालेधन रूपी वृक्ष को काटना नहीं चाहती थी और आज मोदी जी काटने का
प्रयास कर रहे हैं तो काँग्रेस को क्यों दर्द हो रहा है ?
- पीएम मोदी को बताना चाहिए कि नोटबंदी की वजह से अभी तक कितने लोगों की जान गई है?
हमारा प्रश्न :हे राहुल जी !नोटबंदी की वजह से किसी की जान नहीं गई है और न ही ये योजना बुरी थी और कैस की कमी भी नहीं थी किंतु काँग्रेसी सरकारों के शासनकाल में नियुक्त हुए बैंक आदि के कुछ कर्मचारीगण अपना कर्तव्य भूलकर काँग्रेसी सरकारों के समय कालेधन से धनवान हुए अपने लोगों की मदद करने लगे उनके गोदामों के करोड़ों रूपए बदल दिए और जनता को भूखा प्यासा लाइनों में खड़ा किए रहे उनके ऐसे अत्याचारों को लाइनों में खड़े कुछ गरीब लोग नहीं सह सके और दम तोड़ गए !ऐसे कर्तव्यभ्रष्ट कर्मचारियों की गद्दारी पर अचानक अंकुश लगाने के लिए काँग्रेस ही बता दे कि मोदी सरकार को क्या करने लगना चाहिए था ?क्या उन्हें तुरंत सस्पेंड कर दिया जाना चाहिए था क्या उनकी जगह इतनी जल्दी नई नियुक्तियाँ कर पाना संभव था ?क्या बैंक कर्मचारियों के बिना बैंक अच्छे लगते ?आखिर जितना काम वो कर रहे थे उतना काम भी कौन करता ?
- नोटबंदी के फैसले से देश की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान हुआ है?
हमारा प्रश्न :हे राहुल जी !नोटबंदी जब नहीं हुई थी तब ही देश की अर्थव्यवस्था में कौन चार चाँद लग गए थे और यदि काँग्रेसी सरकारों ने अर्थ व्यवस्था का ही अनर्थ न किया होता तो देश ने उन्हें सत्ता से बेदखल क्यों किया होता काँग्रेस ही बता दे कि उसकी अपनी समझ में लोकसभा चुनावों में हुई इतनी भयंकर पराजय का कारण क्या था ?
- राहुल ने पूछा ये भी पूछा है कि पीएम मोदी ने किसकी सलाह पर नोटबंदी का फैसला लिया था?
हमारा
प्रश्न :हे राहुल जी !काँग्रेसी सरकारों में ऐसा होता है वोट कोई माँगता है प्रधानमंत्री कोई
बनता है ऐसे में प्रधानमंत्री जैसे बड़े पद पर बैठे हुए व्यक्ति को भी एक परिवार विशेष से पूछ
पूछ कर निर्णय लेने होते हैं जो न पूछे तो उसके मंत्रिमंडल के द्वारा लिए
गए निर्णयपत्र मीडिया के सामने फाड़कर फ़ेंक दिए जाते हैं !राहुल जी देश का प्रधानमंत्री कोई बँधुआ मजदूर तो नहीं होता कि हर काम दूसरों की सलाह पर ही करे क्या उसे इतनी भी आजादी नहीं होनी चाहिए कि वो कोई कामअपने मन से भी कर सकता हो! वैसे भी जनता ने जनादेश मोदी जी को दिया है जवाब भी उन्हीं से
माँगेगी इसलिए निर्णय लेने का अधिकार भी उन्हीं को है वो उचित समझें तो किसी से सलाह लें न समझें न लें !यही स्वस्थ लोकतंत्र
की पहचान है । देश के
प्रधानमंत्री जैसे सम्मानित व्यक्ति को जिससे देश का स्वाभिमान जुड़ा होता
है उसे बँधुआ मजदूर बनाकर कैसे रखा जा सकता है ?आखिर फैसले लेने के लिए
उसे स्वतंत्र क्यों नहीं होना चाहिए ? वैसे तो नोटबंदी का फैसला प्रधानमंत्री जी ने खुद लिया था
उन्होंने किसी की सलाह लेने की जरूरत नहीं समझी होगी या ली भी हो तो आप को
बताना जरूरी है क्या ?
नोटबंदी की वजह से जान गंवाने वालों के परिजनों को मुआवजा दिया गया या नहीं?
हमारा प्रश्न :हे राहुल जी !नोटबंदी से नहीं अपितु काँग्रेसी सरकारों के समय से चले आ रहे भ्रष्टाचार की वजह से कुछ लोगों का देहावसान हुआ है जो सरकारी कर्मचारियों की कर्तव्यभ्रष्टता को दर्शाता है क्या सरकार को उन पर भरोसा नहीं करना चाहिए और न करे तो क्या करे !सरकारी सारी मशीनरी काँग्रेसी सरकारों के समय की ही है उनके कामकाज की शैली भी वही है उनमें से जिन लोगों की निष्ठा भी काँग्रेस पार्टी की ओर ही है वे लोग सरकार के हर निर्णय पर काँग्रेस पार्टी के नेतृत्व का रुख भाप कर ही आचरण करते हैं चूँकि काँग्रेस शुरू से ही मोदी सरकार के नोटबंदी अभियान को फ्लाप करना चाहती थी इसलिए उसके प्रति निष्ठा रखने वाले कर्मचारियों ने भी वैसा ही किया ?वैसे भी ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ दोबारा न घटें सरकार ऐसे प्रयासों में लगी है मुआबजा बाँटकर अपने कर्तव्य की इति श्री कर लेने वालों को बताना चाहिए कि गरीब हो या अमीर किसी की मौत का मुआबजा हो सकता है क्या ?
- उन लोगों की लिस्ट बताएं, जिन्होंने 8 नवंबर से 2 महीने पहले 25 लाख रुपए से ज्यादा बैंक में जमा कराए थे?
हमारा प्रश्न :हे राहुल जी !ऐसे लोगों के नाम तो बैंकों के रिकार्ड में होगें ही इनकी लिस्ट आप खुद बना लीजिए ऐसा आप करना नहीं चाहते या ऐसी लिस्टों की आपको आवश्यकता नहीं है होती तो बना लेते !क्या यह सच नहीं है कि मुद्दा विहीन होने के कारण आप ऐसी अप्रासंगिक बातें कर रहे हैं!हे नेता जी !देश के प्रधानमंत्री को ऐसी बातों के लिए आदेश नहीं दिया जा सकता !उसके पास जनता के लिए जरूरी कामों की बहुत लंबी लिस्ट होती है उसे क्यों नहीं मागते हैं आप !और टाँग खिंचाई की अपेक्षा सहयोग का रुख क्यों नहीं अपनाते हैं आप ?संसद क्यों नहीं चलने देते हैं आप वहीँ माँग लेते लिस्ट !
- खातों से निकालने के लिए 24 हजार रुपए की लिमिट ही क्यों? इसे तुरंत बढ़ाया जाए.
हमारा प्रश्न :हे राहुल जी !जब लिमिट लगी थी तब तो कालेधन वालों ने गोदाम भर लिए और जब लिमिट नहीं होगी तब क्या होगा ?सरकार धीरे धीरे सबकुछ कर लेना चाहती है तो इसमें काँग्रेस को आपत्ति क्या है !
- स्विस सरकार ने पीएम को को स्विस बैंकों में अकाउंट रखने वालों की जो लिस्ट सौंपी है उसे लोकसभा या राज्यसभा में कब पेश किया जाएगा?
हमारा प्रश्न :हे राहुल जी !इसके लिए लोकसभा में प्रश्न उठाकर सरकार को जवाब देने के लिए मजबूर किया जा सकता था तब वहाँ तो हुल्लड़ मचाते रहे कार्यवाही नहीं चलने दी !ऐसे सवालों का जवाब मीडिया तो देगी नहीं जहाँ आप जवाब माँग रहे हैं किससे कौन सा प्रश्न कैसे और कहाँ किया जाना चाहिए इसी से तो प्रश्नकर्ता की योग्यता परिलक्षित होती है इसके लिए सरकार क्या करे ?वैसे भी ऐसे गंभीर प्रश्नों का उत्तर सरकार सार्वजनिक तौर पर मीडिया में कैसे दे दे ?देशके हर नागरिक की निजता का सम्मान क्यों नहीं किया जाना चाहिए ?
No comments:
Post a Comment