Wednesday, 25 January 2017

शरदयादव जी !"वोटों की इज्जत बेटी से ज्यादा तो फिर क्या नेताओं की इज्जत दामाद से ज्यादा ?ये नेता हैं या दामाद !

  शरद जी !बेटियाँ तो माँ बाप की आन बान  शान हैं सम्मान हैं स्वाभिमान हैं जीवन हैं प्राण धन हैं ऐसी प्राण प्यारी पुत्रियों की तुलना वोटों से !तो फिर दामादों की तुलना नेताओं से क्या ?जो अपने कुकर्मों से दिन रात खून पी रहे हैं जनता का !
    भ्रष्टाचार ही अधिकांश राजनेताओं का जीवन और जीवन शैली बन चुका है !इसीलिए तो टिकटार्थियों की इतनी बड़ी भीड़ है और बेचे जा रहे हैं टिकट !राजनीति में कितने लोग सच बोलते हैं !कितने लोग ईमानदार हैं !कितने लोग चरित्रवान हैं कितने नेतालोग ईमानदारी की कमाई से अपने परिवार पालने पर भरोसा रखते हैं बेईमानी से संपत्तियाँ बनाने के लालची नेता लोग इसीलिए तो अपने बेटों बहुओं को राजनीति में घसीटे घूमते हैं उन्हें पता है कि उनकी गंदी कमाई को खाकर पले बढ़े लोग राजनीति में  ही सफल हो सकते हैं !
   यदि वोट की तुलना बेटी से तो ऐसे घटिहा नेता लोगों को क्यों दिए जाएँ वोट !जिनकी अधिकांश संपत्तियाँ ही चोरी चकारी से जुटाई गई हैं जो अपनी आमदनी के स्रोत प्रमाणित ही नहीं कर सकते ऐसे संदिग्ध चरित्र वाले नेता लोगों को कोई क्यों दे अपना बहुमूल्य वोट !
   वोट की इज्जत बेटी से ज्यादा "तब तो हो गई नेताओं की इज्जत दामाद से ज्यादा किन्तु बेईमान, भ्रष्ट,कामचोर राजनैतिक लुटेरों को जनता कैसे बना ले अपना दामाद ! भ्रष्टनेता लोग टिकट देते हैं अपने बेटा बहुओं को और वोट माँगते हैं जनता से !ऊपर से कहते हैं कि "वोटों की इज्जत बेटी से ज्यादा "है ।ऐसे में कोई वोट ही देने क्यों जाए ऐसे भ्रष्टनेताओं को ?
       जिनमें न कोई गुण न कोई योग्यता न संयम न सदाचार न सत्यता न ईमानदारी न अनुभव न पारदर्शिता !न भाषा में पकड़ न भाव न भावाभिव्यक्ति !हर बात ऊटपटाँग बोलकर मीडिया पर दोष मढ़ देने वाले दो कौड़ी के करप्ट लोगों से सदनों की कार्यवाही तो चलती नहीं है इन्हें कैसे बना ले कोई अपना दामाद !इनमें बोलने समझने की अकल ही होती तो ये कार्यवाही न  चलाते ! ये तो कार्यवाही बाधित करने वाले मास्टर लोग हैं !सदनों में बैठकर कभी सोते हैं कभी मोबाईल पर गेम खेलते हैं कभी घूमने फिरने बाहर चले जाते हैं कभी सदनों में हुल्लड़ मचाने लगते हैं !इन्हें कोई क्यों बनाले अपना दामाद ?
   कामचोरों मक्कारों बेईमानों अनपढ़ों के लिए राजनीति से अच्छा कोई दूसरा धंधा नहीं हो सकता !इसीलिए तो नेता लोग अपने बेटा बेटी बहू भतीज़े भाँजे आदि सारे के सारे नाते रिस्तेदार घुसा लाते हैं राजनीति में और सबको अरबो खरबो पति बना देते हैं राजनैतिक लूट पाट  करने में सब घर माहिर हो जाते हैं बचपन से यही तो सीख रहे होते हैं । बाप को मेहनत करते कभी नहीं देखा तो बेटा भी बचपन से ही कमाने खाने के इरादे बदल लेता है ।  सब अपना अपना शिकार करने लगते हैं ! कभी किसी भ्रष्टाचार के तगड़े शिकार की कोई हड्डी गले में फँस जाती है तो पूरा खान दान ही हिल उठता है यूपी के राजनैतिक खानदान की तरह !
        राजनीति में जहाँ बिना कुछ धंधा व्यापार नौकरी आदि किए धरे भी अनाप शनाप खर्च करके भी राजाओं जैसी सुख सुविधाएँ भोगने को और कहाँ मिल सकती हैं कामचोरों को !अपार सम्पत्तियाँ इकट्ठी कर लेने वाले बेईमान राजनेता लोग जब राजनीति में आते हैं तब इनकी जेब में बसों का किराया नहीं होता !नेतालोगों को न घर में ठिकाना होता है और न बाहर घर वाले उधर से धक्का देते हैं बाहर वाले इधर से !
   व्यापार  करने के लिए फंड नहीं होता है ब्याज पर लें तो देंगे कहाँ से ऐसे में बेईमानों के पास केवल दो रास्ते बचते हैं या तो बाबा बनकर  समाज से माँगें या फिर नेता बनकर और जब भीख माँग माँग कर राजनीति करने के लिए टिकट खरीदने लायक पैसे हो जाएँ तो टिकट खरीद लें और शुरू कर दें राजनैतिक लूट पाट  !
        काले धन के विरुद्ध ताल ठोंकने वाले पाखंडियों को यदि कुछ करना ही है तो सबसे पहले राजनीति में घुसे काले धन वालों को पकड़ें आखिर कहाँ से आई इनके पास इतनी संपत्तियाँ क्या हैं इनकी संपत्तियों के स्रोत !ठीक ठीक से जांच हो जाए तो सबप्रकार के अपराधियों की गतिविधियों की सारी  जानकारी मिल जाएगी इन्हीं राजनैतिक गलियारों में !उनके आका  लोग  इन्हीं की सरकारी कोठियों में तो आनंद ले रहे होते हैं!
     जनता ऐसे बेईमानों को सबक सिखाए जो जनता को केवल वोट देने लायक ही समझते हैं बस !जनता  राजनीति में जाकर सेवा कार्य नहीं  कर सकती क्या !नेताओं के बेटा बहुओं को नाक पोछने की तमीज भले ही न हो तो भी वे उन्हें तो सांसद विधायक बनाने के लिए प्रत्याशी बनाते हैं दूसरी ओर उन्हीं क्षेत्रों में जनसेवा कार्यों में लगे बहुत सारे गुणों से सम्पन्न योग्य चरित्रवान सदाचारी जनसेवी अनुभवी सज्जन एवं भाषा पर पकड़ रखने वाले ईमानदार लोगों को पार्टी की सेवा करने का पाठ पढ़ाते हैं !जनता जबतक अपने ऐसे गुप्त  शत्रुओं को सबक नहीं सिखाती है तब तक देश में कुछ शुभ भी होगा हमें इसकी आशा भी नहीं करनी चाहिए !बेईमान लोग अपने सारे घर खान दान को राजनीति में घुसाते इसीलिए हैं ताकि मिलजुल कर बेईमानी करें कोई किसी की पोल खोल देगा इसका भय ही न रहे !
     अभी कुछ समय पहले ही उत्तर प्रदेश के एक राजनैतिक शाही खानदान में पिछले कुछ महीने से उपद्रव उठा हुआ था अब शांत हो गया किसी को पता  ही नहीं लगा कि तब हुआ क्या था और अब शांत कैसे हो क्या !ऐसे राजनैतिक घरानों में घपले घोटाले जैसे शिकार तो चलते ही रहते हैं और सब पचाते चले जाते हैं आखिर करोड़ों अरबों की प्रापर्टियाँ बेईमानों ने ईमानदारी से तो बनाई नहीं हैं और बनाएँगे भी कैसे करते धरते तो कुछ हैं नहीं राजनीति में सम्मिलित सारे के सारे खानदान केवल लूट पाट में ही लगे रहते हैं !कभी दलितों के हित  की बात करेंगे कभी अल्प संख्यकों की कभी अपाहिजों की कभी शिक्षा की कभी चिकित्सा की सबके नाम पर पैसे पास करते हैं और सब खुद खा जाते हैं! इसीलिए न दलित सुधरे न अल्पसंख्यक न शिक्षा न चिकित्सा केवल नेताओं के घरसुधर गए बेटा बेटी बहू भतीज़े भाँजे आदि सारे के सारे नाते रिस्तेदार आदि सब मालोमाल हो गए !ऐसे भ्रष्टाचारियों को कोई कैसे बना ले अपना दामाद और बेटियों के बराबर कैसे मान ले वोट को !


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