अधिकारी कर्मचारियों को अपने अपने पदों पर काम करने का लंबा अनुभव होता है और शैक्षणिक योग्यता भी होती है उन्हें पता होता है कि इन नौसिखिए लोगों से कैसी कैसी फाइलों पर कैसे कैसे साइन करा लेने के बाद उनकी सारी उछल कूद बंद हो जाती है फिर वे वैसे ही चलने लगते हैं जैसा मशीनरी कहती है तब तक वो झाड़ू लगवा लें या पोंछा मशीनरी सबकुछ धैर्य पूर्वक सहती है और बिलकुल वैसा ही करती है जैसा वे कहते हैं !किंतु ऐसे पदों पर पहुँचने वाले जो नेता योग्य और अनुभवी होते हैं उन्हें मूर्ख नहीं बना पाती है ये मशीनरी !
इसके बाद जब उनकी भी टाँग किसी भ्रष्टाचार में अपने साथ फँसा लेते हैं फिर वे भ्रष्टाचार विरोधी सारे राग अलापना बंद कर देते हैं !आदेश निर्देश जैसे शब्दों के प्रयोग से बचते बचाते वैचारिक रूप से बिलकुल शाकाहारी हो जाते हैं पूर्ववर्ती जिन सरकारों के जिन मंत्रियों के भ्रष्टाचार की बड़ी बड़ी फाइलें दिखाते रहे होते हैं उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने की बड़ी बड़ी कसमें खाते रहे होते हैं वो सब भूल जाते हैं बशर्ते मशीनरी जिस दिन उनकी भी टाँग अपने साथ फँसा लेने में सफल हो जाती है उस दिन से उन्हें केवल अपना भ्रष्टाचार याद रहता है बाकी सबके भूल जाते हैं !इसी लिए किसी भ्रष्टाचारी पर प्रायः नहीं हो पाती है कोई विशेष कार्यवाही !बस चुनाव जीतने के लिए केवल उनके नाम गिनाने की रस्म अदा की जाती है ।
सरकार में नए नए आने वाले लोग थोड़े दिन तो बहुत उछल कूद करते ही हैं ये
बात सरकारी हर अधिकारी कर्मचारी समझते हैं क्योंकि उन्होंने ऐसे बड़े
नौसिखिया लोगों को काढ़ा होता है !
उच्च पदों पर बैठे नेताओं का भी जोश तब तक ठंडा होने लगता है और धीरे धीरे उन्हें भी समझ आने लगतीं हैं सरकार चलाने की
मजबूरियाँ !वर्तमान राजनीति है ही योग्यता और अनुभव विहीन लोगों
प्रतिष्ठित सम्मानित और सम्पत्तिवान बनाने का चर्चित खेल !झूठों का व्यापार
है राजनीति !अपराधियों का आश्रय स्थल है राजनीति !मीडिया की रोजी रोटी है
राजनीति !अधिकारियों कर्मचारियों की सैलरी का इतंजाम करती है राजनीति !
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