आदरणीय मुख़्यमंत्री जी (उत्तर प्रदेश )
आपको सादर नमस्कार
महोदय,
आपसे विनम्र निवेदन है कि जमीनों के विषय से लेकर हर विषय में और हर महकमें में समस्याएँ तीन प्रकार की हैं जनता का काम या तो होता नहीं है या पैसे देकर होता है या बहुत लेट लपेट बहुत परेशान करके आधा चौथाई मुश्किल से हो पाता है काम !कई बार लोग इनके व्यवहारों को देख सुनकर पहले ही हिम्मत हार जाते हैं और निराश हताश होकर घर बैठ जाते हैं या घूस देने के लिए धन न होने के कारण काम हो पाने की आशा ही छोड़ देते हैं !इनमें से बहुत कम हिम्मती लोग ही हैं जो मंत्रियों तक या आप तक पहुँच पाएँगे !आप सबकी बात सुनेंगे कैसे और कैसे उस पर न्याय हो पाएगा ये फर्यादियों की भीड़ तो बढ़ती ही जाएगी लोगों से केवल मिल लेना उन्हें काम होने का आश्वासन दे देना तो संभव है किंतु उस पर न्याय कर पाने के लिए इन्हीं अधिकारियों कर्मचारियों की लेनी होगी मदद !किन्तु आधे से अधिक समस्याएँ तो इन्हीं घूसखोर अधिकारियों कर्मचारियों की तैयार की हुई हैं पैसे ले लेकर लोगों को उलटे सीधे कागज लिख लिख कर दे रखे हैं जिनसे उन्होंने पैसे लिए हैं उनकी तरफदारी तो करनी होगी ही उन्हें आप के यहाँ जो शिकायत करेगा आप उसकी जाँच करने के लिए भेजेंगे तो इन्हीं के पास उसी के अनुशार कार्यवाही होगी जबकि इन्हीं के दुर्व्यवहरों लापरवाहियों और घूसखोरी से तंग आकर ही तो लोग हैरान परेशान होकर आपके पास पहुँचते हैं आपकी जाँच यदि इन्हीं के अधीन होगी तो वर्तमान परिस्थितियों में शिकायत करने वाले का संतुष्ट हो पाना कठिन ही नहीं असंभव भी होगा !जिन अधिकारियों कर्मचारियों ने जहाँ कहीं से पैसे खाए होते हैं उनके गैर क़ानूनी कामों को भी कोर्ट भेजकर स्टे दिलवा देते हैं फिर तारीख़ बढ़वाते चले जाते हैं समय पार होता चला जाता है !और कोएरत का नाम सुनते ही सरे महकमें हाथ खड़े करते चले जाते हैं और वो अवैध काम भी वैध से अधिक सुख सुविधा पूर्ण ढंग से चलाते चले जाते हैं !
ऐसी परिस्थितियों से निपटना आसान बनाना होगा !सरकार के द्वारा निर्मित कानूनों नियमों के विरुद्ध या उनसे अलग हटकर बिना लीगल परमीशन लिए दिए ऐसे जो भी काम किए गए हैं उन्हें किसी शिकायत कर्ता की प्रतीक्षा किए बिना सरकार न केवल स्वयं रुकवाए अपितु उन्हें रोकवाने की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों कर्मचारियों की किंतु उन्होंने रोका नहीं है जबकि सरकार उन्हें इसी काम के लिए भारी भरकम सैलरी देती है इसलिए ऐसे लोगों से सैलरी वापस ली जाए साथ ही उन पर घूसखोरी का केस दर्ज किया जाए !कोई कठोर कदम उठाए बिना ये अधिकारी कर्मचारी किसी की नहीं सुनेंगे !आप सोच रहे हैं कि इन्हें आप बदल लेंगे जबकि उन्होंने निश्चय कर रखा है कि वो आपको ही बदल लेंगे !उन्हें लगता है कि नए नए आने के बाद थोड़ी बहुत उछलकूद हर मंत्री मुख्यमंत्री करता है और धीरे धीरे शांत हो जाता है इनकी वही आदत पड़ी है उसी प्रकार ये चल रहे हैं और चलते रहेंगे !इसीलिए तो अभी भी 11 बजे मंत्रियों के पहुँचने के बाद भी काफी अधिकारी कर्मचारी लोग गायब मिले !कुछ तो दीवाल कूद कूद कर आते भी देखे गए !किंतु उन पर कोई कठोर कार्यवाही नहीं की गई जबकि की जानी चाहिए थी !
ऐसी परिस्थितियों से निपटना आसान बनाना होगा !सरकार के द्वारा निर्मित कानूनों नियमों के विरुद्ध या उनसे अलग हटकर बिना लीगल परमीशन लिए दिए ऐसे जो भी काम किए गए हैं उन्हें किसी शिकायत कर्ता की प्रतीक्षा किए बिना सरकार न केवल स्वयं रुकवाए अपितु उन्हें रोकवाने की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों कर्मचारियों की किंतु उन्होंने रोका नहीं है जबकि सरकार उन्हें इसी काम के लिए भारी भरकम सैलरी देती है इसलिए ऐसे लोगों से सैलरी वापस ली जाए साथ ही उन पर घूसखोरी का केस दर्ज किया जाए !कोई कठोर कदम उठाए बिना ये अधिकारी कर्मचारी किसी की नहीं सुनेंगे !आप सोच रहे हैं कि इन्हें आप बदल लेंगे जबकि उन्होंने निश्चय कर रखा है कि वो आपको ही बदल लेंगे !उन्हें लगता है कि नए नए आने के बाद थोड़ी बहुत उछलकूद हर मंत्री मुख्यमंत्री करता है और धीरे धीरे शांत हो जाता है इनकी वही आदत पड़ी है उसी प्रकार ये चल रहे हैं और चलते रहेंगे !इसीलिए तो अभी भी 11 बजे मंत्रियों के पहुँचने के बाद भी काफी अधिकारी कर्मचारी लोग गायब मिले !कुछ तो दीवाल कूद कूद कर आते भी देखे गए !किंतु उन पर कोई कठोर कार्यवाही नहीं की गई जबकि की जानी चाहिए थी !
श्री मान जी !इसलिए उचित यही होगा कि लोगों की शिकायतों का समाधान उन्हीं के जिले में हो ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए और ऐसा निगरानी तंत्र विकसित शिकायत कर्ता जिसे विशवास पूर्वक अपनी बात बता सके और समाधान की आशा रख सके !शिकायतें आप स्वयं सुनें उससे अच्छा है कि निगरानी तंत्र इतना अधिक सजीव और सतर्क कर दें ताकि जो जहाँ रहता है उसकी सुनवाई उसी जिले में न केवल होने लगे अपितु शिकायत कर्ता की संतुष्टि भी हो !
ऐसे तो इतना बड़ा प्रदेश है इतनी जनसंख्या है आप किस किस की शिकायत स्वयं सुनेंगे और सबका निस्तारण स्वयं कैसे कर लेंगे !और यदि सुन भी लें और कर भी लें तो इतनी इतनी मोटी सैलारियाँ देकर ये अधिकारी कर्मचारी रखे ही क्यों गए हैं जब उनके विभागों के काम काज से जनता ही संतुष्ट नहीं हैं जिनके लिए वे नियुक्त हुए हैं तभी तो जनता आपके पास जाती है ये जिम्मेदारी उन पर डाली जानी चाहिए कि वे कानूनी सीमाओं में रहकर जनता के भरोसे को जीतने का प्रयास करें अन्यथा सरकार उन्हें मुक्त करे और उनकी जगह नई नियुक्तियाँ करे !उनकी भरी भरकम पढ़ाई लिखाई आईएएसआईपीएस को जनता चाटे क्या जब उनकी योग्यता जनता के किसी काम ही नहीं आ रही है !किसी का विवाह हो और दो तीन साल बच्चा न हो तो वो स्त्री पुरुष तलाक लेने का मन बना लेते हैं फिर सरकार ऐसे कर्मनपुंसकों का बोझ क्यों और कब तक ढोती रहेगी इसमें सरकार की आखिर मजबूरी क्या है ?
महोदय !काम करने के लिए सहारा तो अधिकारियों कर्मचारियों का ही लेना ही पड़ेगा उनका काम करने का अभ्यास बिलकुल छूट चुका है या फिर बिना पैसे लिए काम करने की आदत छूट चुकी है वो अचानक कैसे करने लगेंगे काम !वैसे भी जिन आफिसों में AC लगे होंगे वो वहाँ से निकलकर काम करने जाएँगे क्या ?वैसे भी आराम करने लायक सुख सुविधाएँ उपलब्ध करवाकर अधिकारीयों कर्मचारियों से काम करवा पाना कठिन ही नहीं अपितु असंभव भी है !काम यदि अधिकारी ही नहीं करेंगे तो कर्मचारी क्यों करेंगे !इन्हीं अधिकारियों कर्मचारियों लापरवाही और घूस खोरी से तंग होकर तो लोग हैरानी परेशानी उठाकर आपके पास अपनी शिकायत लेकर जाते हैं आप उसकी जाँच करने का आदेश देंगे वो जाँच करने अधिकारी तो जाएँगे नहीं वो तो AC वाले कमरे में बैठे बैठे ही जाँच करने का आर्डर कर देंगे जिसके लिए आर्डर किया जाता है वो यदि वहाँ कुछ मिलने लायक होता है तब तो जाता है और जो देता है उसके अनुशार अन्यथा वहीँ बैठे बैठे अपने अनुशार ही रिपोर्ट लगा देता है !उसी रिपोर्ट को सही मानकर आप अधिक से अधिक शिकायत करता को उस रिपोर्ट से अवगत करा देंगे किंतु इससे शिकायत कर्ता संतुष्ट हो पाएगा क्या ?वो दोबारा आपके पास कैसे आ पाएगा अपनी फर्याद लेकर !आपसे मिलना इतना आसान होगा क्या फिर आपके पास इतना समय कहाँ होगा कि आप विस्तार पूर्वक उसकी बात सुन पावें !श्रीमान जी ऐसे लोगों की संतुष्टि का कोई कारगर उपाय सोचिए !
No comments:
Post a Comment