केवल आश्वासन और भाषण ही नहीं अपितु कुछ कड़े कदम भी उठाने होंगे ईमानदार सरकारों को !
राजनीति की रगों में भरा हुआ है भ्रष्टाचार का संक्रमित खून !इसे बदलना ईमानदार सरकारों के लिए सबसे बड़ी चुनौती !सारा खून निकाल दिया जाए तो खतरा और थोड़ा थोड़ा बदला जाए तो संक्रमण का खतरा !ईमानदार सरकारें कुछ ऐसी ही मजबूरी में अपने दिन काटती जा रही हैं ?क्या सरकार भ्रष्टाचार पोषक बर्जनाओं को लाँघने की हिम्मत कर पाएगी ?
जनता के जीवन से जुड़े ज्वलंत प्रश्नों के उत्तर दे सरकार -
सरकार अपने अधिकारियों कर्मचारियों को जो सैलरी देती है और उसके बदले जितना काम ले पाती है सरकार की जगह यदि कोई प्राइवेट कंपनी होती तो काज को देख कर कितनी सैलरी दे पाती और ऐसे गैर जिम्मेदारों और लापरवाहों को कितने दिन नौकरी पर रख पाती !सरकर के द्वारा जी जा रही सैलरी की अपेक्षा यदि वे इनके काम काज का मूल्यांकन करके केवल पाँच प्रतिशत ही सैलरी दे पाती और 20 गुना ज्यादा काम लेती अन्यथा निकाल बाहर करती फिर सरकार ऐसा क्यों नहीं करती है ?
अधिकारियों की उच्चकोटि की शिक्षा और बड़ी बड़ी पदवियों पर भारी भरकम अधिकार देकर बैठाए गए उन लोगों की योग्यता और उन्हें दिए गए अधिकार जनता के किस काम के यदि उन विभागों से संबंधित कामों के लिए जनता को दर दर भटकना ही पड़ता है विधायकों सांसदों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों के यहाँ फ़रयाद लेकर पहुँचने वाली जनता की भीड़ अधिकारियों की कामचोरी गैर जिम्मेदारी और भ्रष्टाचार से तंग हो चुकी होती है तब वहाँ पहुँचती है जनता अपने खून पसीने की कमाई से टैक्स देती है सरकार उसी पैसे से अपने कर्मचारियों को अनाप उन्हीं पैसों से अनाप शनाप सैलरी सुविधाएँ आदि देती है किंतु उनसे काम लेने की यदि सरकार को अकल ही नहीं है तो उन्हें सैलरी देने के लिए जनता से टैक्स लेना भी क्यों न बंद करे सरकार ?
विधायकों सांसदों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों के यहाँ फ़रयादें सुनाने के लिए जो भीड़ें दिखाई पड़ती हैं उन्हें सिपारिसी लेटर पकड़ा कर भगा दिया जाता है काम होने की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है !यही जनप्रतिनिधि यदि ईमानदार जिम्मेदार और कर्तव्यनिष्ठ होते तो वे अपने क्षेत्र के सभी सरकारी विभागों को इतना चुस्त दुरुस्त रखते कि उन विभागों से संबंधित समस्याओं के लिए जनता को
अपनी फर्याद लेकर किसी जनप्रतिनिधि के दरवाजे जाकर सिफारिस करने के लिए गिड़गिड़ाना नहीं पड़ता !कर्तव्य पालन में असफल अकर्मण्य विधायकों सांसदों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों के दरवाजों पर रोज सुबह से सजा लिए जाते हैं राजाओं की तरह जनता दरवार !किसी को लेटर किसी को आश्वासन देकर सबसे पीछा छोड़ा लिया जाता है उनसे किसी का कोई काम नहीं होता है जनता के ऊपर जनप्रतिनिधियों के द्वारा किए जाने वाले ऐसे भावनात्मक अत्याचारों को कैसे रोकेगी सरकार ?जनप्रतिनिधि भी फरयाद सुनने का नाटक करने के अलावा कोई जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं !क्यों ?
सरकारी शिक्षकों को सैलरी क्यों देती है सरकार ?
आधे से अधिक शिक्षक जो पढ़ाने के लिए नियुक्त किए गए हैं वो विषय उन्हें स्वयं नहीं आता है घूस और सोर्स के बल पर नियुक्तियाँ पाने वाले शिक्षक गाइड आदि लेकर पढ़ाने के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ करते रहते हैं खिलवाड़ !अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं!नेताओं को शिक्षा की समझ न होने के कारण शिक्षा के विषय में झूठी घोषणाएँ किया करते हैं ऐसे कहीं होती है पढ़ाई !
अधिकारियों कर्मचारियों के ट्रांसफर करके क्या दिखाना चाहती हैं सरकारें ?
अरे !जिनसे यहाँ काम नहीं लिया जा सका वे वहाँ काम क्यों करेंगे जहाँ भेज रही है सरकार !ये तो जनता का ध्यान भटकाने वाली बात है अशिक्षित अयोग्य घूसखोर कामचोर कर्तव्य भ्रष्ट कर्मचारियों को सीधे सस्पेंड करे सरकार !ऐसे कर्मचारियों की संख्या हजारों लाखों में होगी इस गन्दगी को हटाए बिना कामकाज का ढंग सुधर ही नहीं सकता !इसलिए इन्हें सेवामुक्त करके नए लोगों को अवसर दे सरकार जो कांम करे उसे सैलरी दे बिना काम के सैलरी क्यों ?यदि ये काम ही करते होते तो इनसे काम कराने के लिए जनता नेताओं के पास सिफारिस के लिए क्यों मारी मारी फिरती !ऐसे तो मंत्री मुख्य मंत्री समझते हैं कि अधिकारीयों कर्मचारियों को हम सुधार लेंगे जबकि उन लोगों को भरोसा है कि ऐसे मंत्री मुख्यमंत्री न जाने ठीक कर दिए इन्हें भी थोड़े बहुत दिनों में ठीक कर लेंगे ऐसे लोगों से कैसे निपटेगी सरकार ?
सरकारी शिक्षकों को सैलरी क्यों देती है सरकार ?
आधे से अधिक शिक्षक जो पढ़ाने के लिए नियुक्त किए गए हैं वो विषय उन्हें स्वयं नहीं आता है घूस और सोर्स के बल पर नियुक्तियाँ पाने वाले शिक्षक गाइड आदि लेकर पढ़ाने के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ करते रहते हैं खिलवाड़ !अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं!नेताओं को शिक्षा की समझ न होने के कारण शिक्षा के विषय में झूठी घोषणाएँ किया करते हैं ऐसे कहीं होती है पढ़ाई !
अधिकारियों कर्मचारियों के ट्रांसफर करके क्या दिखाना चाहती हैं सरकारें ?
अरे !जिनसे यहाँ काम नहीं लिया जा सका वे वहाँ काम क्यों करेंगे जहाँ भेज रही है सरकार !ये तो जनता का ध्यान भटकाने वाली बात है अशिक्षित अयोग्य घूसखोर कामचोर कर्तव्य भ्रष्ट कर्मचारियों को सीधे सस्पेंड करे सरकार !ऐसे कर्मचारियों की संख्या हजारों लाखों में होगी इस गन्दगी को हटाए बिना कामकाज का ढंग सुधर ही नहीं सकता !इसलिए इन्हें सेवामुक्त करके नए लोगों को अवसर दे सरकार जो कांम करे उसे सैलरी दे बिना काम के सैलरी क्यों ?यदि ये काम ही करते होते तो इनसे काम कराने के लिए जनता नेताओं के पास सिफारिस के लिए क्यों मारी मारी फिरती !ऐसे तो मंत्री मुख्य मंत्री समझते हैं कि अधिकारीयों कर्मचारियों को हम सुधार लेंगे जबकि उन लोगों को भरोसा है कि ऐसे मंत्री मुख्यमंत्री न जाने ठीक कर दिए इन्हें भी थोड़े बहुत दिनों में ठीक कर लेंगे ऐसे लोगों से कैसे निपटेगी सरकार ?
उन्हें जिन पर से प्राप्त पैसा ऐसे लोगों की सैलरी पर मनमाने ऐसे लोगों पर सैलरी और सुविधाएँ क्यों लुटाती है सरकार जब उनसे कुछ काम ले पाना सरकारों के बश का है ही नहीं तो
किसानों गरीबों ग्रामीणों मजदूरों से यों भारी बैठे दी गई बड़ी बड़ी योग्यता
भ्रष्ट सरकारों से निराश होकर जनता ईमानदारी के आश्वासनों और भाषणों से प्रभावित होकर जिन नेताओं की सरकार बनाती है
का चयन करती है वो सरकार भी यदि जनता की भावनाओं पर खरी न उतरे तो जनता पाँच वर्ष बाद फिर बदल देगी किंतु वे भी यदि वैसे ही निकल गए तो झूठे आश्वासन दे देकर जनता की बहुमूल्य जिंदगी बर्बाद करने वाले नेताओं पर क्यों नहीं होनी चाहिए कुछ कठोर कार्यवाही !
लोकतंत्र की मालिक यदि वास्तव में जनता ही है तो इस विश्वास को बचाने के लिए क्या कड़े कदम उठाएगी सरकार ?
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