सरकारी स्कूलों मे ऐसे होगी अंग्रेजी की पढ़ाई! सरकारी स्कूलों में शिक्षक पढ़ाने के अलावा और सबकुछ कर लेते हैं कभी किसी को पढ़ाते मिले हों तो बताओ !
भयंकर भ्रष्टाचार के युग में पैसे देकर नौकरी खरीदने वाले शिक्षकों से कैसे पढ़वा लेगी सरकार !जब उन्हें कुछ आता होगा तब तो पढ़वा लेगी !आता ही होता तो वो खुद न पढ़ा लेते !सरकारी स्कूलों की थू थू उन्हीं की अयोग्यता कामचोरी गैर जिम्मेदारी के कारण तो हो रही है इसके लिए उन्हें जिम्मेदार मानते हुए उन्हें मुक्त किया जाए नई नियुक्तियां की जाएँ अन्यथा जुमले उछालने सपने दिखाने से क्या होगा !
शिक्षा के लिए सरकारें केवल संसाधन जुटाती रहती हैं फिर भी शिक्षक संसाधनों का ही रोना रोते रहते हैं इसी बहाने उन्हें पढ़ाना नहीं पड़ता है शिक्षक इस चतुराई से अपना समय पास करते जा रहे हैं शिक्षकों का बहुत बड़ा वर्ग है जिसे जो पढ़ाता है उस विषय में कुछ जानता ही नहीं होता है कि वो पढ़ा क्या रहा है संस्कृत पढ़ाने वाला संस्कृत खुद नहीं पढ़ पाता है हिंदी वाले को हिंदी की व्याकरण नहीं पता इंग्लिस वाला इंग्लिस ग्रामर में पैदल है किंतु सरकार जोश भरती जा रही है कि शिक्षक अब ये पढ़ाएँगे वो पढ़ाएँगे !जैसे बूढ़े बैल को बेचने के लिए दलाल लोग कील लगी हुई हकनी की कील बैल को चुभा देते हैं बैल उछल पड़ता है तो दलाल कहता है देखो कितनी करेंट है इसमें अभी भी खेत जोतेगा जबकि वो चलने को तरस रहा होता है ठीक वही स्थिति सरकार और शिक्षकों की है उनसे अंग्रेजी पढ़वाएगी सरकार !
सरकार के लिए तो उचित यही होगा कि शिक्षा में कोई और सुधार करने से पहले शिक्षकों को परीक्षा में बैठावे दोबारा इंटरव्यू करवावे जो पास हों उन्हें रखे जो फेल हों उनसे आजतक की सैलरी रिफंड करवावे और उनके हाथ जोड़ कर निकाल दे !
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रतिभा जैसे स्कूलों की ये स्थिति है कि शिक्षक लोग गाइड की मदद से जल्दी जल्दी स्लेबस पूरा करवा देते हैं ताकि कोई जाँच हो तो कह सकें कि मैंने तो अपना काम पूरा करवा दिया फिर भी बच्चे न पढ़ें तो मैं क्या करूँ जबकि बच्चों को पढ़ाने समझाने का प्रयास किया जाएगा तब न उन्हें कुछ समझ आएगा !सरकार कहती है पढ़ाई बहुत अच्छी हो रही है झूठों को यमराज बहुत बुरी सजा देंगे जो बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं !
शिक्षकों की नियुक्ति में हुए भ्रष्टाचार को नकारा नहीं जा सकता !ये इतने विश्वास से कैसे कहा जा सकता है कि नौकरी पाने के लिए घूस नहीं ही देनी पड़ी होगी !घूस देकर नौकरी पाने वाले पढ़ा भी पाते होंगे क्या ?यदि नहीं तो ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कैसे किया जाए और कैसे उन्हें निकाल बाहर किया जाए !
क्या ग़रीबों के बच्चों की जिन्दगी बर्बाद करने को चलाए जा रहे हैं सरकारी स्कूल और रखे जाते हैं गैर जिम्मेदार सरकारी शिक्षक !शिक्षकों से क्यों नहीं कहा जाता कि वे अपने बच्चे भी सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाएँ !
सरकारी स्कूलों में कुछ टीचर पढ़े नहीं होते कुछ टीचरों को पढ़ाना नहीं आता और कुछ पढ़ाते नहीं हैं कुछ का पढ़ाने में मन नहीं लगता तो कुछ पढ़ाना जरूरी नहीं समझते! ऐसे लोगों का मनना होता है कि काम ही करना होता तो सरकारी नौकरी ही क्यों करते फिर तो प्राइवेट भी बहुत थीं ! ऐसे टीचरों के अपने बच्चे प्राईवेट स्कूलों में पढ़ते हैं खुद गरीब बच्चों की जिन्दगी बर्बाद करने चले आते हैं सरकारी स्कूलों में !ऐसे सरकारी शिक्षकों का इरादा यदि बच्चों को पढ़ाना ही होता तो अपने बच्चे क्यों नहीं पढ़ाते सरकारी स्कूलों में !सरकारें यदि ईमानदार होतीं तो इनसे कहतीं कि सरकारी नौकरी करनी है तो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाना होगा किंतु उनका अपना डर है कि फिर हमें भी अपने बच्चे सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाने पड़ेंगे !उससे अच्छा है ग़रीबों के बच्चों की ही जिंदगी बर्बाद होने दो! कुल मिलाकर इस साजिश में सरकारें बुरी तरह से सम्मिलित हैं !
सरकारी स्कूल भी भ्रष्टाचार से अछूते नहीं हैं जितनी सैलरी में प्राइवेट स्कूलों को चार चार टीचर आसानी से मिल जाते हैं सरकारी स्कूल में एक एक शिक्षक को दी जा रही है वो सैलरी ! सरकारों के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि ऐसा क्यों किया जा रहा है !जब अच्छे अच्छे प्राइवेट स्कूलों को दस दस पंद्रह पंद्रह हजार में पढ़े लिखे और परिश्रमी शिक्षक मिल जाते हैं जो इतना अच्छा पढ़ाते हैं कि सरकारों में सम्मिलित बड़े बड़े लोग अफसर आदि अपने बच्चों को तो उन्हीं स्कूलों में पढ़ाते हैं जिनमें ऐसे परिश्रमी प्राइवेट शिक्षक पढ़ाते हैं और ग़रीबों के बच्चों की जिन्दगी बर्बाद करने को सरकारें चला रही हैं सरकारी स्कूल !जनता का पैसा है इसलिए बर्बाद करना जरूरी है क्या ?
कम सैलरी वाले प्राइवेट शिक्षक सरकारी स्कूलों को क्यों नहीं मिलते !अरे उतने ही पैसों में एक शिक्षक की सैलरी में चार शिक्षक रखो स्कूलों को अधिक शिक्षक मिल जाएँ वो भी जरूरतमंद जिन्हें नौकरी की कदर और शिक्षक होने का स्वाभिमान हो ,जो मेहनत और लगन से बच्चों को पढावें न धरना दें न प्रदर्शन करें न पेंसन देनी पड़े जब तक काम तब तक सैलरी इससे जनता की बेरोजगारी घटे स्कूलों का वातावरण सुधरे शिक्षा ग़रीबों को भी मिलने लगे !
शिक्षा प्रक्रिया की पोल न खुले इसलिए कक्षाओं में अभिभावकों को जाने से पहले तो चौकीदार रोक लेता है यदि उसने जाने दिया तो प्रेंसिपल रोक लेता है वस्तुतः इन लोगों को पता होता है कि हमारे शिक्षक पढ़ाने के अलावा सबकुछ कर रहे होंगे ये वहाँ जाएँगे तो चार तरह की बातें उठेंगी सच भी है कोई भी अपने बच्चों की जिंदगी बर्बाद होते देखकर कैसे सह पाएगा ! स्कूलों में न पढ़ाने के लिए शिक्षकों को सरकार ने इतने अधिक बहाने उपलब्ध करा रखे हैं कि बिना पढ़ाए सारा जीवन गुजार सकते हैं सरकारी शिक्षक !फिर भी सैलरी लेते रहेंगे पेंसन भी लेंगे !
मजे की बात शिक्षा के साथ हो रही इन साजिशों में सरकारें सम्मिलित हैं सरकारों में सम्मिलित लोग चाहते ही नहीं हैं कि ग़रीबों के बच्चे पढ़ लिख कर कुछ बनें !उसमें उनका स्वार्थ होता है कि बिना पढ़े लिखे लोग जैसा हमलोग कहेंगे वैसा करते जाएँगे पढ़े लिखे होंगे तो किंतु परंतु करके हमारे लिए रोज समस्याएँ खड़ी करते रहेंगे !गरीब लोग जितने पढ़ गए ये नेता लोग उन्हीं से तंग हैं इनका बस चलता तो ये उन्हें भी नहीं पढ़ने देते !
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