किसानों को मुफ़्त में आटा दाल चावल देना बंद करे सरकार !कोई लोन न माफ करे !कोई सब्सिडी न दे !केवल सैलरी दे किसानों को भी !प्राइमरी शिक्षकों से ज्यादा परिश्रम करते हैं किसान उनसे ज्यादा जिम्मेद्दारी और ईमानदारी से काम करते हैं !फिर उन्हें सैलरी क्यों नहीं !
बहुत ऐसे योग्य लोग किसानी कर रहे हैं जिनके पास घूस देने के पैसे नहीं थे इसलिए नहीं लग पाई नौकरी ! तो सरकार की निगाहों से भी गिर गए वे !किसानों के समर्पण का इतना घटिहा मूल्यांकन !जो सरकारी नहीं वो भिखारी !किसानों के प्रति इतनी गिरी सोच !
लोग लोन माफ करने की बात कर रहे हैं किंतु लोन वो है किसका किसानों ने आटा खाया नहीं है ऐय्यासी नहीं की है देश वासियों का पेट भरने के लिए अपने खेतों में लागत लगाई है फसलें धोखा दे गईं !सरकारों ने किसानों को कर्जदार मान लिया !कर्जा वसूलने के लिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारी कर्मचारी गाँवों में जाकर किसानों की बहु बेटियों के सामने उनकी ऐसे बेइज्जती करते हैं कि उससे किसानों को मौत अच्छी लगने लगाती है |
ईमानदार किसान उस देश का कर्जदार मान लिया गया !जिसके पेट भरने के लिए वो दिन रात परिश्रम करता है आत्महत्या न करे तो क्या करे !ठेस तो लगती है !
किसानों के साथ इतना बड़ा पक्षपात !इस विश्वासघात के लिए सरकार नहीं तो जिम्मेदार कौन ?
टैक्स के द्वारा इकठ्ठा होने वाला धन पर प्रत्येक देशवासी का बराबर अधिकार है किंतु उस धन से सरकार में सम्मिलित लोगों के घर भरे जाते हैं सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की तिजोरियाँ भरी जाती हैं उनके लिए सुख सुविधाएँ जुटाई जाती हैं जो पैसा बच जाता है उससे सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ा ली जाती है !किसानों को मिलता क्या है ?
शिक्षकों को सैलरी दी जा सकती है तो किसानों को क्यों नहीं !आखिर क्यों किसानों के काम का मूल्यांकन इतनी घटिहा दृष्टि से किया जाता है किसानों के काम का कोई महत्त्व नहीं है क्यों ?
सरकार अपने चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के समकक्ष किसानों को दर्जा दे सैलरी आदि सुविाधाएँ भी दे तो किसान आत्म हत्या बंद कर देगा जीने का कुछ सहारा तो बने !
सैलरी यदि प्राइमरी शिक्षकों को दी जा सकती है तो किसानों को क्यों नहीं किसान तो काम भी करते हैं और काम की जिम्मेदारी भी समझते हैं !भारी भरकम परिश्रम शर्दी गर्मी धूप की परवाह किए बिना करते हैं काम !सरकारी आफिसों में तो AC चलते हैं भारी भरकम सैलरी मिलती है फिर भी सरकारी विभागों में काम के प्रति कुन कितना जिम्मेदार है ईमानदारी से जांच हो जाए तो आधी से अधिक संख्या की छुट्टी हो सकती है !
सरकार के कई ऐसे विभाग हैं जहाँ न कोई जिम्मेदारी है और न कोई काम फिर भी सैलरी जारी है वो भी भारी भरकम ! जिन विभागों में काम है भी उनमें करते कितने लोग हैं बिना घूस लिए कितने लोग करते हैं सरकार जिन विभागों के जिन अधिकारियों कर्मचारियों को जो जिम्मेदारी सौंपती है वो उसमें खरे क्यों नहीं उतरते फिर भी सरकार उन्हें सैलरी क्यों देती है !कई विभाग ऐसे भी हैं जहाँ दो चार घंटे घूम आने की सैलरी लाखों में होती है सरकार ऊपर से बढ़ाए रहती है फिर किसानों के परिश्रम की कीमत क्यों नहीं है !
जिन कामों को जहाँ करना गलत मानकर सरकार उन्हें करने के लिए लाइसेंस नहीं देती है उन्हीं अवैध कामों को घूस लेकर वहीँ करवा रहे हैं सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग अन्यथा उन्हें होने क्यों देते हैं !जबकि उन्हें रोकना उनकी जिम्मेदारी है इसके लिए उन्हें सैलरी मिलती है फिर भी उन अवैध कामों के विरुद्ध कम्प्लेन करने पर उन्हें रोकने के लिए भी पैसे माँगते हैं सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग !सरकारी ऐसे भ्रष्टाचारियों को निकाल बाहर क्यों नहीं करती है ?
दिल्ली जैसी राष्ट्रीय राजधानी में सैकड़ों अवैध मोबाईल टावर लगे हुए हैं उनकी परमिशन नहीं दी गई है इसलिए उसका टैक्स सरकार को नहीं मिलता और अवैध हैं इसलिए सरकारी अधिकारी कर्मचारी नोच खा रहे हैं उन्हें ! उनसे घूस लेकर चलने दे रहे हैं दस दस बारह बारह बर्ष हो रहे हैं ये कैसे अवैध !ऊपर से उन्हें स्टे दिला देते हैं !सरकार से ज्यादा भ्रष्टाचार का साथ दे रहे हैं सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग !
जिन रिहायशी बिल्डिंगों में व्यवसायिक काम करने को गलत मानकर उन्हें परमीशन तो नहीं दी जाती है किंतु उनसे मनमानी घूस लेकर उन्हें चलने दिया जाता है आखिर क्यों ?
दिल्ली की जिस बिल्डिंग में सोलह फ्लैट हैं सरकारी शर्तें पूरी न होने के कारण जलबोर्ड ने पानी का कनेक्सन न दिया हो उसी बिल्डिंग के 12 फ्लैटों में पिछले 18 वर्षों से अवैध कनेक्सन चल रहे हों !आखिर कैसे और क्यों ?जिन्होंने सरकारी शर्तों का पालन करके कनेक्सन ले रखे हैं वो अब तक लाखों रूपए पानी का बिल दे चुके हैं और जो अवैध हैं उन्हें कभी कुछ भी नहीं देना पड़ता है !ये है घूसखोर सरकारी मशीनरी का कमाल !ऐसे ही हर आफिस में घूस खोरी चल रही है !
सरकारी विभागों की बेईमानी लूट खसोट, घूस खोरी अवैध कार्यों का प्रोत्साहन, गुंडों माफियाओं अपराधियों ,अवैधकाम करने वालों से सरकारी मशीनरी की साँठ गाँठ देखकर इन पर से लोगों का भरोसा तो इतना ज्यादा उठ गया है कि किसी के पड़ोस में भी कोई आतंकी गतिविधियों या नशाखोरी को संचालित करता हो तो भी वे उनकी शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं !उन्हें पता है कि देश में अवैध काम केवल कहने के लिए होते हैं बाक़ी लीगल कामों से ज्यादा अनलीगल कामों को प्रोत्साहित करती है सरकारी मशीनरी !उनकी शिकायत या सूचना देने का मतलब अपने लिए गड्ढा खोदना होता है !
बहुत ऐसे योग्य लोग किसानी कर रहे हैं जिनके पास घूस देने के पैसे नहीं थे इसलिए नहीं लग पाई नौकरी ! तो सरकार की निगाहों से भी गिर गए वे !किसानों के समर्पण का इतना घटिहा मूल्यांकन !जो सरकारी नहीं वो भिखारी !किसानों के प्रति इतनी गिरी सोच !
लोग लोन माफ करने की बात कर रहे हैं किंतु लोन वो है किसका किसानों ने आटा खाया नहीं है ऐय्यासी नहीं की है देश वासियों का पेट भरने के लिए अपने खेतों में लागत लगाई है फसलें धोखा दे गईं !सरकारों ने किसानों को कर्जदार मान लिया !कर्जा वसूलने के लिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारी कर्मचारी गाँवों में जाकर किसानों की बहु बेटियों के सामने उनकी ऐसे बेइज्जती करते हैं कि उससे किसानों को मौत अच्छी लगने लगाती है |
ईमानदार किसान उस देश का कर्जदार मान लिया गया !जिसके पेट भरने के लिए वो दिन रात परिश्रम करता है आत्महत्या न करे तो क्या करे !ठेस तो लगती है !
किसानों के साथ इतना बड़ा पक्षपात !इस विश्वासघात के लिए सरकार नहीं तो जिम्मेदार कौन ?
टैक्स के द्वारा इकठ्ठा होने वाला धन पर प्रत्येक देशवासी का बराबर अधिकार है किंतु उस धन से सरकार में सम्मिलित लोगों के घर भरे जाते हैं सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की तिजोरियाँ भरी जाती हैं उनके लिए सुख सुविधाएँ जुटाई जाती हैं जो पैसा बच जाता है उससे सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ा ली जाती है !किसानों को मिलता क्या है ?
शिक्षकों को सैलरी दी जा सकती है तो किसानों को क्यों नहीं !आखिर क्यों किसानों के काम का मूल्यांकन इतनी घटिहा दृष्टि से किया जाता है किसानों के काम का कोई महत्त्व नहीं है क्यों ?
सरकार अपने चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के समकक्ष किसानों को दर्जा दे सैलरी आदि सुविाधाएँ भी दे तो किसान आत्म हत्या बंद कर देगा जीने का कुछ सहारा तो बने !
सैलरी यदि प्राइमरी शिक्षकों को दी जा सकती है तो किसानों को क्यों नहीं किसान तो काम भी करते हैं और काम की जिम्मेदारी भी समझते हैं !भारी भरकम परिश्रम शर्दी गर्मी धूप की परवाह किए बिना करते हैं काम !सरकारी आफिसों में तो AC चलते हैं भारी भरकम सैलरी मिलती है फिर भी सरकारी विभागों में काम के प्रति कुन कितना जिम्मेदार है ईमानदारी से जांच हो जाए तो आधी से अधिक संख्या की छुट्टी हो सकती है !
सरकार के कई ऐसे विभाग हैं जहाँ न कोई जिम्मेदारी है और न कोई काम फिर भी सैलरी जारी है वो भी भारी भरकम ! जिन विभागों में काम है भी उनमें करते कितने लोग हैं बिना घूस लिए कितने लोग करते हैं सरकार जिन विभागों के जिन अधिकारियों कर्मचारियों को जो जिम्मेदारी सौंपती है वो उसमें खरे क्यों नहीं उतरते फिर भी सरकार उन्हें सैलरी क्यों देती है !कई विभाग ऐसे भी हैं जहाँ दो चार घंटे घूम आने की सैलरी लाखों में होती है सरकार ऊपर से बढ़ाए रहती है फिर किसानों के परिश्रम की कीमत क्यों नहीं है !
जिन कामों को जहाँ करना गलत मानकर सरकार उन्हें करने के लिए लाइसेंस नहीं देती है उन्हीं अवैध कामों को घूस लेकर वहीँ करवा रहे हैं सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग अन्यथा उन्हें होने क्यों देते हैं !जबकि उन्हें रोकना उनकी जिम्मेदारी है इसके लिए उन्हें सैलरी मिलती है फिर भी उन अवैध कामों के विरुद्ध कम्प्लेन करने पर उन्हें रोकने के लिए भी पैसे माँगते हैं सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग !सरकारी ऐसे भ्रष्टाचारियों को निकाल बाहर क्यों नहीं करती है ?
दिल्ली जैसी राष्ट्रीय राजधानी में सैकड़ों अवैध मोबाईल टावर लगे हुए हैं उनकी परमिशन नहीं दी गई है इसलिए उसका टैक्स सरकार को नहीं मिलता और अवैध हैं इसलिए सरकारी अधिकारी कर्मचारी नोच खा रहे हैं उन्हें ! उनसे घूस लेकर चलने दे रहे हैं दस दस बारह बारह बर्ष हो रहे हैं ये कैसे अवैध !ऊपर से उन्हें स्टे दिला देते हैं !सरकार से ज्यादा भ्रष्टाचार का साथ दे रहे हैं सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग !
जिन रिहायशी बिल्डिंगों में व्यवसायिक काम करने को गलत मानकर उन्हें परमीशन तो नहीं दी जाती है किंतु उनसे मनमानी घूस लेकर उन्हें चलने दिया जाता है आखिर क्यों ?
दिल्ली की जिस बिल्डिंग में सोलह फ्लैट हैं सरकारी शर्तें पूरी न होने के कारण जलबोर्ड ने पानी का कनेक्सन न दिया हो उसी बिल्डिंग के 12 फ्लैटों में पिछले 18 वर्षों से अवैध कनेक्सन चल रहे हों !आखिर कैसे और क्यों ?जिन्होंने सरकारी शर्तों का पालन करके कनेक्सन ले रखे हैं वो अब तक लाखों रूपए पानी का बिल दे चुके हैं और जो अवैध हैं उन्हें कभी कुछ भी नहीं देना पड़ता है !ये है घूसखोर सरकारी मशीनरी का कमाल !ऐसे ही हर आफिस में घूस खोरी चल रही है !
सरकारी विभागों की बेईमानी लूट खसोट, घूस खोरी अवैध कार्यों का प्रोत्साहन, गुंडों माफियाओं अपराधियों ,अवैधकाम करने वालों से सरकारी मशीनरी की साँठ गाँठ देखकर इन पर से लोगों का भरोसा तो इतना ज्यादा उठ गया है कि किसी के पड़ोस में भी कोई आतंकी गतिविधियों या नशाखोरी को संचालित करता हो तो भी वे उनकी शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं !उन्हें पता है कि देश में अवैध काम केवल कहने के लिए होते हैं बाक़ी लीगल कामों से ज्यादा अनलीगल कामों को प्रोत्साहित करती है सरकारी मशीनरी !उनकी शिकायत या सूचना देने का मतलब अपने लिए गड्ढा खोदना होता है !
गुंडों मवालियों माफियाओं के दलालों के दूतों के रूप में काम कर रहे हैं
हर विभाग में कुछ कुछ सरकारी लोग !नोटबंदी के समय भी ऐसे ही भ्रष्ट
कर्मचारियों ने सफेद धन वालों से पहले काले धन वालों के बोरे सफेद
किए थे !सफेद धन वाले लाइनों में खड़े दम तोड़ते रहे और कालेधन वालों के
गोदामों में ले जाकर सरकारी मशीनरी ने बदले काले धन वालों के बोरे !
विधायकों सांसदों मंत्रियों की बातों व्यवहारों पर कितने लोग भरोसा करते
हैं आज !राजनीति को शिक्षित ईमानदार और विश्वसनीय बनाने के लिए पारदर्शी
प्रयास किए जाने की आवश्यकता है !अयोग्य सांसद विधायक सदनों में जाकर किसी
की बात समझें कैसे और अपनी बात
समझावें कैसे ! वो सोकर ,मोबाईल के सहारे या हुल्लड़ मचाकर कब तक अपना समय
पास
करें !देश की सुशिक्षित प्रतिभाओं को राजनीति में सम्मिलित करके उनकी
योग्यता का सदुपयोग क्यों न किया जाए !
सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से यदि वास्तव में काम लेना ही है तो इनके
काम काज का ढंग भी चेक किया जाए सरकारी आफिसों में अधिकारियों के लिए जैसे
डेकोरेटेड एकांत एयरकंडीसंड सुगन्धित कमरे बनवा दिए जाते हैं उनमें बैठकर
काम करने का मन किसका होगा वहाँ तो आराम करने का ही मन करता है और काम
करता भी कौन है सब एक दूसरे
पर टरकाते जा रहे हैं और अपनी अपनी नौकरी के दिन ढोते जा रहे हैं !
एक दूसरी आफिसों अधिकारियों कर्मचारियों के नाम और नंबर पकड़ाया करते हैं कामचोर लोग!ऐसी परिस्थिति में इनकी सुख सुविधायों से सैलरी तक पर खर्च होने वाले जनता के धन का सदुपयोग कैसे मान लिया जाए !इनकाAC ख़राब हो तो तुरंत ठीक हो जाएगा और प्रिंटर ख़राब हो तो सरकारी तरह से ठीक होगा ऐसा कब तक सहा जाएगा !
जो काम सरकार सही मानती है उसी के लिए अनुमति लाइसेंस परमीशन आदि देती है उसकी कुछ निर्धारित शुल्क होती है जो सरकार के खाते में जमा होती है इससे वैध कार्य करने को प्रोत्साहन मिलता है लड़ाई झगड़े मुकदमें आदि की संख्या घट जाती है क्योंकि अनलीगल काम होने की किसी को आशा ही नहीं रह जाती है इसलिए लोग प्रयास भी नहीं करते हैं !
दूसरी ओर जिन कामों को अवैध मानकर उन्हें करने की परमीशन न दिए जाने के कानून बनाए गए हों उन्हीं कामों को करने करवाने के लिए सरकार के अधिकारी कर्मचारी घूस खाकर करते करवाते जा रहे हों ये कानून हैं या मजाक?
अवैध काम करने करवाने वाले अधिकारी कर्मचारी उनके विरुद्ध कोई शिकायत नहीं सुनते अपितु शिकायत करने वालों को उन अवैध काम करने वालों से डरा धमका पिटवा देते हैं ताकि वो दोबारा शिकायत करने न जाएँ और होता भी ऐसा ही है !इसी प्रकार से जो अधिकारी कर्मचारी जिन अवैध कामों को करने से रोकने के लिए नियुक्त किए गए हैं और इसी के लिए सरकार उन्हें सैलरी दे रही है फिर भी वे घूस लेकर उन्हीं का साथ देते जा रहे हैं जिन्हें रोकने के लिए उन्हें सैलरी मिलती है इससे अवैध कामों को प्रोत्साहन मिलता है और जो धन सरकार को मिलना चाहिए था वो अधिकारी कर्मचारी खाए जा रहे हैं और धड़ल्ले से किए करवाए जा रहे हैं वही अवैध काम काज !फिर ऐसे कानूनों को बनाने की जरूरत क्या थी और उन्हें रोकने के लिए अधिकारी कर्मचारियों को नियुक्त किए जाने की आवश्यकता क्या थी ? कम से कम उनकी सैलरी पर खर्च किया जाने वाला धन तो बचा सकती थी सरकार !
उन अधिकारियों कर्मचारियों की घूसखोरी का पक्का प्रमाण यही है कि उनके रहते हुए वे अवैध काम हो क्यों रहे हैं जिन्हें रोकने की उनकी जिम्मेदारी है !यदि उनका कोई लालच नहीं है तो उन्हें रोकते हटवाते क्यों नहीं हैं !जिसके लिए वे सैलरी लेते हैं वो काम क्यों नहीं करते हैं सरकार को इसके लिए उन पर दबाव क्यों नहीं बनाना चाहिए !
ये घूस खोर अधिकारी कर्मचारी अपने भ्रष्टाचार में न्यायालयों और न्याय प्रक्रिया को सम्मिलित करके कैसे बदनाम करते करवाते हैं आप वो भी देखिए -
अवैध काम करने वाले लोगों गिरोहों गुंडों से खुद तो महीना बाँधे हुए होते हैं इसीलिए शिकायत करने वालों को पहले तो उनसे पिटवाते हैं यदि वे फिर भी नहीं मानते हैं तो उनसे कहते हैं कि अवैध काम करने वालों के विरुद्ध लिखित शिकायत दो जब वो दे देता है तब अवैध काम करने वालों को एक नोटिस दे देते हैं और उन्हें समझाते हैं कि तुम कोर्ट से स्टे ले लो इसके बाद स्टे आगे बढ़वाते चले जाना इसमें तुम्हारे काम पर कोई आँच नहीं आएगी और कोर्ट में सरकार की तरफ से हम पैरवी नहीं करेंगे तुम्हारा काम आराम से चलता रहेगा !
सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग ऐसे ही अवैध कामों को प्रोत्साहित करके बड़े बड़े अपराधी गुंडे मवालियों को करोड़ों अरबोंपति बनवा देते हैं और खुद बन जाते हैं उन्हीं के साथ मिलकर लूटते खाते और सरकार को बेवकूप बनाते रहते हैं !
पूर्वी दिल्ली EDMC के एक अधिकारी ने नाम न लेने की शर्त पर बताया कि हमारे ऐसे कामों में जज भी हमारे साथ मिले होते हैं इसमें उन्हें उनका हिस्सा पहुँचा दिया जाता है इसीलिए वे हमारी सुविधा के अनुशार अवैध कामों को सुविधा पहुँचाने के लिए लंबी लंबी तारीखें देते रहते हैं और EDMC के मामलों में हम लोगों की सेटिंग के अनुसार ही फैसले सुना दिया करते हैं जज लोग भी !उन्होंने बताया कि अपनी इसी तकनीक के तहत दिल्ली में सैकड़ों अवैध मोबाईल टावर दसों वर्षों से हम लोग चलवाए जा रहे हैं हमसे कौन पूछता है कोई पूछेगा तो कह देंगे कोर्ट ने स्टे दे रखा है स्टे सुनते ही उसकी बोलती बंद !ये कानून का दुरुपयोग नहीं तो क्या है !
एक दूसरी आफिसों अधिकारियों कर्मचारियों के नाम और नंबर पकड़ाया करते हैं कामचोर लोग!ऐसी परिस्थिति में इनकी सुख सुविधायों से सैलरी तक पर खर्च होने वाले जनता के धन का सदुपयोग कैसे मान लिया जाए !इनकाAC ख़राब हो तो तुरंत ठीक हो जाएगा और प्रिंटर ख़राब हो तो सरकारी तरह से ठीक होगा ऐसा कब तक सहा जाएगा !
जो काम सरकार सही मानती है उसी के लिए अनुमति लाइसेंस परमीशन आदि देती है उसकी कुछ निर्धारित शुल्क होती है जो सरकार के खाते में जमा होती है इससे वैध कार्य करने को प्रोत्साहन मिलता है लड़ाई झगड़े मुकदमें आदि की संख्या घट जाती है क्योंकि अनलीगल काम होने की किसी को आशा ही नहीं रह जाती है इसलिए लोग प्रयास भी नहीं करते हैं !
दूसरी ओर जिन कामों को अवैध मानकर उन्हें करने की परमीशन न दिए जाने के कानून बनाए गए हों उन्हीं कामों को करने करवाने के लिए सरकार के अधिकारी कर्मचारी घूस खाकर करते करवाते जा रहे हों ये कानून हैं या मजाक?
अवैध काम करने करवाने वाले अधिकारी कर्मचारी उनके विरुद्ध कोई शिकायत नहीं सुनते अपितु शिकायत करने वालों को उन अवैध काम करने वालों से डरा धमका पिटवा देते हैं ताकि वो दोबारा शिकायत करने न जाएँ और होता भी ऐसा ही है !इसी प्रकार से जो अधिकारी कर्मचारी जिन अवैध कामों को करने से रोकने के लिए नियुक्त किए गए हैं और इसी के लिए सरकार उन्हें सैलरी दे रही है फिर भी वे घूस लेकर उन्हीं का साथ देते जा रहे हैं जिन्हें रोकने के लिए उन्हें सैलरी मिलती है इससे अवैध कामों को प्रोत्साहन मिलता है और जो धन सरकार को मिलना चाहिए था वो अधिकारी कर्मचारी खाए जा रहे हैं और धड़ल्ले से किए करवाए जा रहे हैं वही अवैध काम काज !फिर ऐसे कानूनों को बनाने की जरूरत क्या थी और उन्हें रोकने के लिए अधिकारी कर्मचारियों को नियुक्त किए जाने की आवश्यकता क्या थी ? कम से कम उनकी सैलरी पर खर्च किया जाने वाला धन तो बचा सकती थी सरकार !
उन अधिकारियों कर्मचारियों की घूसखोरी का पक्का प्रमाण यही है कि उनके रहते हुए वे अवैध काम हो क्यों रहे हैं जिन्हें रोकने की उनकी जिम्मेदारी है !यदि उनका कोई लालच नहीं है तो उन्हें रोकते हटवाते क्यों नहीं हैं !जिसके लिए वे सैलरी लेते हैं वो काम क्यों नहीं करते हैं सरकार को इसके लिए उन पर दबाव क्यों नहीं बनाना चाहिए !
ये घूस खोर अधिकारी कर्मचारी अपने भ्रष्टाचार में न्यायालयों और न्याय प्रक्रिया को सम्मिलित करके कैसे बदनाम करते करवाते हैं आप वो भी देखिए -
अवैध काम करने वाले लोगों गिरोहों गुंडों से खुद तो महीना बाँधे हुए होते हैं इसीलिए शिकायत करने वालों को पहले तो उनसे पिटवाते हैं यदि वे फिर भी नहीं मानते हैं तो उनसे कहते हैं कि अवैध काम करने वालों के विरुद्ध लिखित शिकायत दो जब वो दे देता है तब अवैध काम करने वालों को एक नोटिस दे देते हैं और उन्हें समझाते हैं कि तुम कोर्ट से स्टे ले लो इसके बाद स्टे आगे बढ़वाते चले जाना इसमें तुम्हारे काम पर कोई आँच नहीं आएगी और कोर्ट में सरकार की तरफ से हम पैरवी नहीं करेंगे तुम्हारा काम आराम से चलता रहेगा !
सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग ऐसे ही अवैध कामों को प्रोत्साहित करके बड़े बड़े अपराधी गुंडे मवालियों को करोड़ों अरबोंपति बनवा देते हैं और खुद बन जाते हैं उन्हीं के साथ मिलकर लूटते खाते और सरकार को बेवकूप बनाते रहते हैं !
पूर्वी दिल्ली EDMC के एक अधिकारी ने नाम न लेने की शर्त पर बताया कि हमारे ऐसे कामों में जज भी हमारे साथ मिले होते हैं इसमें उन्हें उनका हिस्सा पहुँचा दिया जाता है इसीलिए वे हमारी सुविधा के अनुशार अवैध कामों को सुविधा पहुँचाने के लिए लंबी लंबी तारीखें देते रहते हैं और EDMC के मामलों में हम लोगों की सेटिंग के अनुसार ही फैसले सुना दिया करते हैं जज लोग भी !उन्होंने बताया कि अपनी इसी तकनीक के तहत दिल्ली में सैकड़ों अवैध मोबाईल टावर दसों वर्षों से हम लोग चलवाए जा रहे हैं हमसे कौन पूछता है कोई पूछेगा तो कह देंगे कोर्ट ने स्टे दे रखा है स्टे सुनते ही उसकी बोलती बंद !ये कानून का दुरुपयोग नहीं तो क्या है !
उन्होंने बताया कि कई मोबाईल टावर तो ऐसे हैं जो जिनके
घरों पर लगे हुए हैं किराया उन्हें नहीं किसी दूसरे तीसरे को दिलवाया जाता
है और उस घर वाले लोग
दौड़ते घूम रहे होते हैं किन्तु क्या कर पाते हैं बेचारे ! हम लोग तो उन्हें
भी चलवाए जा रहे हैं हमसे पूछता कौन है !मोबाईल टावर की अरबोंपति कंपनियाँ
करोड़ों रूपए जजों को देती हैं इसीलिए जज भी उनके विरुद्ध चल रहे केसों को
लटकाए चले जा रहे हैं इसी घूस खोरी के बल पर पूरी दिल्ली में हजारों अवैध
मोबाईल टावर वैध से अधिक मजबूती से चलाए जा रहे हैं वो बिल्डिंगें गिरें
तो गिरें ,रेडिएशन से बीमारियाँ बढ़ें तो बढ़ें कानून वालों को तो पैसा
चाहिए !
पूर्वी निगम के अधिकारी की ये बातें सुनकर मुझे लगा यदि ये सच कह रहे हैं
तो न्यायालयों से भी न्याय की अपेक्षा कैसे की जाए और इन्हें सच क्यों न
माना जाए आखिर राजधानी में इतनी बड़ी संख्या में लगे हानिकारक अवैध मोबाईल
टावर एक झटके में हटवा क्यों नहीं दिए जाते हैं इसका सीधा सा अर्थ नीचे से
ऊपर तक चल रही घूस खोरी है सरकार के हर विभाग में घूस खोरी है !और सरकार
मूकदर्शक बनी हुई है !जब राष्ट्रीय राजधानी की ऐसी दुर्दशा है तो पूरे देश
में क्या हो रहा होगा इसकी कल्पना की जा सकती है !
सरकारों के द्वारा काम करने के लिए नियुक्त इन्हीं घूसखोर भ्रष्टाचारियों ने राष्ट्रीय राजधानी की एक बिल्डिंग की छत पर बिल्डिंग में रहने वाले 16 फ्लैट मालिकों की सहमति लिए बिना,MCD की अनुमति लिए बिना,बिल्डिंग की मजबूती का परीक्षण किए बिना,इस रिहायशी बिल्डिंग में रहने वाले परिवार जनों के स्वास्थ्य पर रेडिएशन के असर का परीक्षण किए बिना ,57 फिट ऊँची बिल्डिंग में बिल्डिंग संबंधी ऊँचाई के नियमों का ध्यान दिए बिना इस बिल्डिंग की छत पर एक मोबाईल टॉवर घूस लेकर लगवा दिया !उसका किराया जिसको मिलता है उसका इस बिल्डिंग से लीगल कोई संबंध ही नहीं है निगम लिखकर दे चुका है कि ये वैध नहीं है फिर भी 13 वर्षों से चलाए जाए रहे हैं EDMC वाले ! अवैध होने के बाद भी इसके रेडिएशन से बिल्डिंग वालों का स्वास्थ्य ख़राब होने के बाद भी ,मेंटिनेंस के अभाव में बिल्डिंग के बेसमेंट में पानी भर जाने के बाद भी इसे हटवाने के लिए लाखों रूपए माँग रहे हैं EDMC के घूसखोर लोग !
टॉवर लगाते समय इन लोगों के द्वारा कहा गया था कि इससे मिलने वाला किराया बिल्डिंग के मेंटीनेंस पर खर्च किया जाएगा किंतु पिछले बारह वर्षों में आज तक एक पैसा भी बिल्डिंग मेंटिनेंस में न नहीं लगाया गया है बेसमेंट में पानी भी भर जाता है किन्तु EDMC वाले और भूमाफिया गिरोह सारा पैसा खाए जा रहे हैं । बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है मेंटिनेंस न होने के कारण बेसमेंट में अक्सर पानी भरा रहने लगा है !बिल्डिंग में रहने वाले लोग इस बात पर अड़े हैं कि जब तक ये अवैध मोबाईल टावर नहीं हटेगा तबतक हम अपने पैसों से बिल्डिंग की मेंटिनेंस नहीं करवाएँगे !और मोबाइल टावर इसलिए न हट पा रहा हो क्योंकि इस अवैध मोबाईल टावर को बनाए रखने में सरकारी अधिकारी कर्मचारी ही अवैधटावर का किराया खाने वाले गैरकानूनी लोगों की मदद कर रहे हों और सरकार मूकदर्शक बनी हो कल कोई दुर्घटना घटती या बिल्डिंग गिर जाती है तो उस हादसे के लिए घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार होगा !
इसी के-71,छाछी बिल्डिंग कृष्णा नगर दिल्ली -51 रिहायसी बिल्डिंग की छत पर लगे मोबाईल टॉवर की रिपेयरिंग के नाम पर बिल्डिंग के बीचोंबीच से गई सीढ़ियों से अक्सर छत पर आते जाते रहने वाले अपरिचित एवं अविश्वसनीय मैकेनिकों या उनके बहाने अन्य आपराधिक तत्वों के द्वारा यदि कोई विस्फोटक आदि बिल्डिंग में रख दिया जाता है और कोई बड़ा विस्फोट आदि हो जाता है तो इस घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार माना जाएगा !
इस बिल्डिंग में सोलह फ्लैट हैं जिनमें पानी की सप्लाई के लिए बिल्डिंग की छत पर पानी की सामूहिक 12 टंकियाँ किंतु इसी उपद्रवी गिरोह के दबंगों ने टंकियाँ फाड़ दीं और उनके पाइप काट दिए गए हैं 9 परिवारों का पानी पिछले तीन वर्षों से बिलकुल बंद कर दिया है !
बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है बिल्डिंग के बेसमेंट में पिछले दो तीन वर्षों से अक्सर पानी भरा रहता है । टॉवर रेडिएशन से लोग बीमार हो रहे हैं किंतु सरकारी मशीनरी घूस के लोभ के कारण अवैध टॉवर हटाने में लाचार है ऐसे लोगों के विरुद्ध सरकार के लगभग सभी जिम्मेदार विभागों में कम्प्लेन किए गए किंतु उन लोगों के विरुद्ध तो कारवाही हुई नहीं अपितु कम्प्लेन करने वालों पर कई बार हमले हो चुके !जो एक बार पिट जाता है वो या तो अपना फ्लैट बेचकर चला जाता है या फिर किराए पर उठा देता है या फिर खाली करके ताला बंद करके चला जाता है ।
सरकारों के द्वारा काम करने के लिए नियुक्त इन्हीं घूसखोर भ्रष्टाचारियों ने राष्ट्रीय राजधानी की एक बिल्डिंग की छत पर बिल्डिंग में रहने वाले 16 फ्लैट मालिकों की सहमति लिए बिना,MCD की अनुमति लिए बिना,बिल्डिंग की मजबूती का परीक्षण किए बिना,इस रिहायशी बिल्डिंग में रहने वाले परिवार जनों के स्वास्थ्य पर रेडिएशन के असर का परीक्षण किए बिना ,57 फिट ऊँची बिल्डिंग में बिल्डिंग संबंधी ऊँचाई के नियमों का ध्यान दिए बिना इस बिल्डिंग की छत पर एक मोबाईल टॉवर घूस लेकर लगवा दिया !उसका किराया जिसको मिलता है उसका इस बिल्डिंग से लीगल कोई संबंध ही नहीं है निगम लिखकर दे चुका है कि ये वैध नहीं है फिर भी 13 वर्षों से चलाए जाए रहे हैं EDMC वाले ! अवैध होने के बाद भी इसके रेडिएशन से बिल्डिंग वालों का स्वास्थ्य ख़राब होने के बाद भी ,मेंटिनेंस के अभाव में बिल्डिंग के बेसमेंट में पानी भर जाने के बाद भी इसे हटवाने के लिए लाखों रूपए माँग रहे हैं EDMC के घूसखोर लोग !
टॉवर लगाते समय इन लोगों के द्वारा कहा गया था कि इससे मिलने वाला किराया बिल्डिंग के मेंटीनेंस पर खर्च किया जाएगा किंतु पिछले बारह वर्षों में आज तक एक पैसा भी बिल्डिंग मेंटिनेंस में न नहीं लगाया गया है बेसमेंट में पानी भी भर जाता है किन्तु EDMC वाले और भूमाफिया गिरोह सारा पैसा खाए जा रहे हैं । बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है मेंटिनेंस न होने के कारण बेसमेंट में अक्सर पानी भरा रहने लगा है !बिल्डिंग में रहने वाले लोग इस बात पर अड़े हैं कि जब तक ये अवैध मोबाईल टावर नहीं हटेगा तबतक हम अपने पैसों से बिल्डिंग की मेंटिनेंस नहीं करवाएँगे !और मोबाइल टावर इसलिए न हट पा रहा हो क्योंकि इस अवैध मोबाईल टावर को बनाए रखने में सरकारी अधिकारी कर्मचारी ही अवैधटावर का किराया खाने वाले गैरकानूनी लोगों की मदद कर रहे हों और सरकार मूकदर्शक बनी हो कल कोई दुर्घटना घटती या बिल्डिंग गिर जाती है तो उस हादसे के लिए घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार होगा !
इसी के-71,छाछी बिल्डिंग कृष्णा नगर दिल्ली -51 रिहायसी बिल्डिंग की छत पर लगे मोबाईल टॉवर की रिपेयरिंग के नाम पर बिल्डिंग के बीचोंबीच से गई सीढ़ियों से अक्सर छत पर आते जाते रहने वाले अपरिचित एवं अविश्वसनीय मैकेनिकों या उनके बहाने अन्य आपराधिक तत्वों के द्वारा यदि कोई विस्फोटक आदि बिल्डिंग में रख दिया जाता है और कोई बड़ा विस्फोट आदि हो जाता है तो इस घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार माना जाएगा !
इस बिल्डिंग में सोलह फ्लैट हैं जिनमें पानी की सप्लाई के लिए बिल्डिंग की छत पर पानी की सामूहिक 12 टंकियाँ किंतु इसी उपद्रवी गिरोह के दबंगों ने टंकियाँ फाड़ दीं और उनके पाइप काट दिए गए हैं 9 परिवारों का पानी पिछले तीन वर्षों से बिलकुल बंद कर दिया है !
बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है बिल्डिंग के बेसमेंट में पिछले दो तीन वर्षों से अक्सर पानी भरा रहता है । टॉवर रेडिएशन से लोग बीमार हो रहे हैं किंतु सरकारी मशीनरी घूस के लोभ के कारण अवैध टॉवर हटाने में लाचार है ऐसे लोगों के विरुद्ध सरकार के लगभग सभी जिम्मेदार विभागों में कम्प्लेन किए गए किंतु उन लोगों के विरुद्ध तो कारवाही हुई नहीं अपितु कम्प्लेन करने वालों पर कई बार हमले हो चुके !जो एक बार पिट जाता है वो या तो अपना फ्लैट बेचकर चला जाता है या फिर किराए पर उठा देता है या फिर खाली करके ताला बंद करके चला जाता है ।
महोदय ! MCD के अधिकारियों की मिली भगत से ये पूरा गिरोह फल फूल रहा
है अवैध होने के बाब्जूद पिछले 12 वर्षों से ये टॉवर लगा होना आश्चर्य की
बात नहीं है क्या ! इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी जब कुछ कर ही नहीं
पा रहे हैं ऊपर से गैर कानूनी कार्यों के समर्थन में दबंग लोगों की मदद
करते जा रहे हैं ऐसे लोगों को सैलरी आखिर दी किस काम के लिए जा रही है !इस
अवैध मोबाईल टावर को कानूनी संरक्षण दिलवाने के लिए इसी गिरोह के कुछ
लोगों ने मोबाइलटावर हटाने के विरुद्ध स्टे ले लिया जिनसे पैसे लेकर MCD
वाले ठीक से पैरवी नहीं करते इसी प्रकार से इसे पिछले 12 वर्षों से खींचे
जा रहे हैं वो किराया खाते जा रहे हैं उन्हें घूस देते जा रहे हैं । ऐसे तो
ये अवैध होने के बाद भी कभी तक चलाया जा सकता है ये सरकारी विभागों में
भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना नहीं तो और क्या है !
चिंता की बात ये है कि सरकारी कामकाज करने और कानूनों का पालन जनता से
करवाने के लिए जो अधिकारी कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं और उन्हें जनता की
खून पसीने की कमाई से सरकार सैलरी देती है वो सरकार उनसे काम भी करवावे ये
क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए !उचित तो है कि सरकार उनसे
कानून के अनुसार काम ले किंतु यदि सरकारी लापरवाही के कारण ऐसा नहीं किया
जा सकता है तो कम से कम इतनी जिम्मेदारी तो सरकार को भी सुनिश्चित करनी ही
चाहिए कि सरकार के अधिकारी कर्मचारी गैरकानूनी या कानून के विरुद्ध किए
जाने वाले कार्यों में अपराधियों या गुंडों या दबंग लोगों का साथ न दें
!फिर भी यदि वे ऐसा करते हैं तो ऐसे अपराधों को खोजने और सम्बंधित सरकारी
कर्मचारियों और गुंडों माफियाओं को दण्डित करने की कठोर प्रक्रिया सरकार
विकसित करे !अन्यथा जनता कम्प्लेन करती है और सरकारी मशीनरी के कुछ भ्रष्ट
लोग गैर कानूनी कार्यों के विरुद्ध कार्यवाही तो करते ही नहीं हैं अपितु
कम्प्लेन करने वाले की सूचना गुंडों को देकर उसी को पिटवा देते हैं
इसप्रकार से अपराधों का संबर्धन कर रही है सरकारी मशीनरी !दोबारा से
कम्प्लेन करने की कोई हिम्मत नहीं जुटा पाता है और गैर कानूनी कार्य हों या
अपराध दिनोंदिन बढ़ते चले जाते हैं ।
सरकार करना चाहे तो अपराधों की संख्या बहुत जल्दी घटा सकती है सबसे पहले
भ्रष्टाचारियों और अपराधियों की आमदनी के स्रोत खोजने एवं कुचलने के लिए
खुपिया तंत्र विकसित किए जाएँ भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारियों को न केवल
सस्पेंड किया जाए अपितु उनसे आज तक की सारी सैलरी वसूली जाए इसी प्रकार से
दबंगों गुंडों माफियाओं की सारी संपत्ति जप्त की जाए तब लोग अपराध एवं
भ्रष्टाचार करने से डरेंगे !
जगह जमीनों के कब्जे या अवैध निर्माण हों उन्हें देखने पकड़ने के लिए गूगलमैप का उपयोग किया जाना चाहिए जिस सन में जिन जमीनों पर अवैध कब्ज़ा या अवैध निर्माण किया गया है उस समय में उस क्षेत्र में ऐसे अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी जिस भी अधिकारी कर्मचारी की रही हो किंतु वो ऐसा करने में नाकाम रहा हो तो घटित हुए ऐसे अपराधों में उसे रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को बराबर का जिम्मेदार मानकर कार्यवाही उनपर भी अपराधियों की तरह ही की जानी चाहिए अन्यथा अधिकारियों कर्मचारियों को ऐसे अपराधों में सम्मिलित मान कर उन पर भी कठोर कार्यवाही किए बिना सरकारों और नेताओं के अपराध और भ्रष्टाचार को रोकने के संकल्प दोहराते रहने को कोर प्रदर्शन मानते हुए ऐसे अपराधों में सरकारों की संलिप्तता बराबर की मानी जानी चाहिए !भ्रष्ट नेताओं की गैर कानूनी कमाई के प्रमुख स्रोत हैं भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर कठोर कार्यवाही न किया जाना !
सरकारी लोग ही यदि सरकार के द्वारा निर्मित कानूनों के विरुद्ध घूस लेकर दबंगों और अपराधियों को प्रोत्साहित करेंगे तो कानूनों का पालन कौन करेगा और क्यों करेगा और उसे क्यों करना चाहिए !कालेधन के विरुद्ध सरकार के द्वारा चलाए गए नोटबंदी अभियान में बैंक वालों के द्वारा कालेधन वालों का साथ दिए गंभीर अपराध मानकर कठोर दंड से दण्डित किया जाना चाहिए !
जगह जमीनों के कब्जे या अवैध निर्माण हों उन्हें देखने पकड़ने के लिए गूगलमैप का उपयोग किया जाना चाहिए जिस सन में जिन जमीनों पर अवैध कब्ज़ा या अवैध निर्माण किया गया है उस समय में उस क्षेत्र में ऐसे अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी जिस भी अधिकारी कर्मचारी की रही हो किंतु वो ऐसा करने में नाकाम रहा हो तो घटित हुए ऐसे अपराधों में उसे रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को बराबर का जिम्मेदार मानकर कार्यवाही उनपर भी अपराधियों की तरह ही की जानी चाहिए अन्यथा अधिकारियों कर्मचारियों को ऐसे अपराधों में सम्मिलित मान कर उन पर भी कठोर कार्यवाही किए बिना सरकारों और नेताओं के अपराध और भ्रष्टाचार को रोकने के संकल्प दोहराते रहने को कोर प्रदर्शन मानते हुए ऐसे अपराधों में सरकारों की संलिप्तता बराबर की मानी जानी चाहिए !भ्रष्ट नेताओं की गैर कानूनी कमाई के प्रमुख स्रोत हैं भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर कठोर कार्यवाही न किया जाना !
सरकारी लोग ही यदि सरकार के द्वारा निर्मित कानूनों के विरुद्ध घूस लेकर दबंगों और अपराधियों को प्रोत्साहित करेंगे तो कानूनों का पालन कौन करेगा और क्यों करेगा और उसे क्यों करना चाहिए !कालेधन के विरुद्ध सरकार के द्वारा चलाए गए नोटबंदी अभियान में बैंक वालों के द्वारा कालेधन वालों का साथ दिए गंभीर अपराध मानकर कठोर दंड से दण्डित किया जाना चाहिए !
आश्चर्य ये है कि जिस कर्तव्य के लिए जो सरकारी कर्मचारी सरकार से एक ओर तो सैलरी लेता है वहीँ दूसरी ओर अपने संवैधानिक कर्तव्य के विरुद्ध जाकर अवैध और गैर कानूनी कामों को प्रोत्साहित करता है किंतु उनके विरुद्ध कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है !स्टे के कारण कोई अन्य विभाग सुनता नहीं है और से तब तक रहेगा जब तक MCD वालों को घूस मिलती रहेगी !हमलों के डर से बिल्डिंग में रहने वाले लोग केस कर नहीं सकते !किंतु MCD यदि इस टावर को अवैध घोषित कर ही चुकी है इसके बाद भी 12 वर्षों से चलाए जा रही है तो ये अवैध किस बात का !और इसमें हो रहे भ्रष्टाचार की जाँच क्यों नहीं होनी चाहिए !
इस बिल्डिंग संबंधी भ्रष्टाचार से स्थानीय पार्षद से लेकर सांसद जी
का कामकाजी कार्यालय न केवल सुपरिचित है अपितु 6 महीनों से वे भी बड़ी मेहनत
कर रहे हैं किंतु बेचारे दबगों के विरुद्ध कुछ कर पाने की हिम्मत नहीं
जुटा पा रहे हैं SDM साहब भी बेचारे आकर देख सुन कर लौट गए पुलिस विभाग तो
से सुनते ही मौन है !और EDMC के इस स्टे वाले दाँव से सब चकित हैं!
इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध न केवल कठोर कार्यवाही की जाए अपितु आजतक का प्राप्त किराया भी या तो बिल्डिंग मेंटिनेंस में लगाने के लिए दिया जाए या फिर राजस्व विभाग में जमा कराया जाए किंतु इन दबंगों को सबक सिखाने के लिए इनसे जरूर वसूला जाना चाहिए !
इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध न केवल कठोर कार्यवाही की जाए अपितु आजतक का प्राप्त किराया भी या तो बिल्डिंग मेंटिनेंस में लगाने के लिए दिया जाए या फिर राजस्व विभाग में जमा कराया जाए किंतु इन दबंगों को सबक सिखाने के लिए इनसे जरूर वसूला जाना चाहिए !
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