भूकंप और मौसम के नाम पर झूठी भविष्यवाणियों एवं मनगढंत किस्सों कहानियों पर कब तक भरोसा किया जाएगा !
'मौसम' और भूकंप संबंधी झूठी अफवाहें फैलाने वाले 'मौसमवैज्ञानिक' 'भूकंपवैज्ञानिक' और सभी विषयों घटनाओं के विषय में समय संबंधी सटीक पूर्वानुमान लगा लेने वाले ज्योतिषशास्त्र को अंधविश्वास बताते हैं ऐसे लोग !
'भूकंप' और 'मौसम' संबंधी पूर्वानुमानों की खानापूर्ति पर खर्च होने वाला धन 'व्यय' है 'अपव्यय' है या 'ब्यर्थव्यय' !
'मौसम' और भूकंप संबंधी झूठी अफवाहें फैलाने वाले 'मौसमवैज्ञानिक' 'भूकंपवैज्ञानिक' और सभी विषयों घटनाओं के विषय में समय संबंधी सटीक पूर्वानुमान लगा लेने वाले ज्योतिषशास्त्र को अंधविश्वास बताते हैं ऐसे लोग !
जिस विषय का ज्ञान ही नहीं है उसके वैज्ञानिक कैसे ?किंतु उन्हें सैलरी देने के सरकार को कोई नाम तो रखना ही होगा ! यही स्थिति भूकंप वैज्ञानिकों की है एक ओर कहते हैं कि भूकंप के विषय में किसी को कुछ पता नहीं तो दूसरी ओर बताते हैं कि हिमालय के नीचे बहुत गैसें संचित है इसलिए यहाँ बहुत बड़ा भूकंप आएगा !इन्हें भी सरकार भूकंप वैज्ञानिक सिद्ध करती है सैलरी जो देना है !किंतु जिस विषय में कोई कुछ जनता ही न हो और जितना जानता हो उसे प्रमाणित कर सकने की स्थिति में ही न हो केवल आशंका के आधार पर इतनी बड़ी बड़ी बातें क्यों ?
कब तक डर कर रहा जाए कि "हिमालय के नीचे बहुत गैसें भरी हुई हैं इसलिए किसी दिन बहुत बड़ा भूकंप आएगा" जैसी बिना सिर पैर की बातों पर क्यों न लगाया जाए प्रतिबंध !एक ओर कहते हैं कि भूकंप के विषय में हमें कुछ पता ही नहीं है तो दूसरी ओर इतनी बड़ी बड़ी बातें जैसे हिमालय के नीचे देखकर आए हों !ऐसी बातें गढ़ने और बताने में विज्ञान जैसा है क्या ?'भूकंप' और 'मौसम' संबंधी पूर्वानुमानों की खानापूर्ति पर खर्च होने वाला धन 'व्यय' है 'अपव्यय' है या 'ब्यर्थव्यय' !
सरकार के जिन मंत्रालयों में मंत्री हैं अधिकारी हैं कर्मचारी हैं वैज्ञानिक हैं उनकी सारी सुख सुविधाओं पर भारी भरकम खर्चे भी होंगे सबकी बड़े बड़े फंड वाली सैलरियाँ भी होती होंगी !जिन मंत्रालयों मंत्रियों विभागों अधिकारियों कर्मचारियों पर ये धन खर्च किया जाता है उनकी भी तो कोई जवाबदेही होनी चाहिए क्योंकि जनता के द्वारा टैक्स रूप में दिया गया होता है ये सारा धन !किंतु जवाबदेही ऐसी...... seemore......http://navbharattimes.indiatimes.com/state/maharashtra/other-cities/farmers-lodge-police-plaint-against-imd-for-wrong-forecast/articleshow/59595348.cms
भूकंपवैज्ञानिक और मौसमवैज्ञानिक भूकंप और मौसम के विषय में कितने अनुभव सिद्ध हैं कह पाना कठिन है किंतु भूकंप के विषय में कुछ बता पाना असंभव और मौसम के विषय में बताई जाने वाली बातें केवल तीर तुक्का ही सिद्ध होती रही हैं !इनमें विज्ञान जैसा कभी कुछ किसी को नहीं लगा फिर भी इन्हें भूकंपविज्ञान और मौसमविज्ञान कहा जाता है और इससे संबंधित लोगों को भूकंप वैज्ञानिक और मौसम वैज्ञानिक माना जाता है जो जिस विषय में अपनी योग्यता को प्रमाणित ही न कर सका हो वो उस विषय का वैज्ञानिक कहना कहाँ तक न्यायसंगत है |
भूकंपवैज्ञानिक और मौसमवैज्ञानिक भूकंप और मौसम के विषय में कितने अनुभव सिद्ध हैं कह पाना कठिन है किंतु भूकंप के विषय में कुछ बता पाना असंभव और मौसम के विषय में बताई जाने वाली बातें केवल तीर तुक्का ही सिद्ध होती रही हैं !इनमें विज्ञान जैसा कभी कुछ किसी को नहीं लगा फिर भी इन्हें भूकंपविज्ञान और मौसमविज्ञान कहा जाता है और इससे संबंधित लोगों को भूकंप वैज्ञानिक और मौसम वैज्ञानिक माना जाता है जो जिस विषय में अपनी योग्यता को प्रमाणित ही न कर सका हो वो उस विषय का वैज्ञानिक कहना कहाँ तक न्यायसंगत है |
मेरी जानकारी के अनुशार अभी तक तो विश्वास पूर्वक कोई ये कहने की स्थिति में भी नहीं है कि भूकंपों के आने का कारण क्या है अथवा भूकम्पों के आने का कारण खोजने के लिए करना क्या चाहिए उसका भी अभी तक कोई सार्थक सूत्र नहीं खोजा जा सका है इसका मतलब आज तक की भूकंपशोधयात्रा जहाँ शुरू हुई थी वहीँ खड़ी हुई है !
भूकंपशोधयात्रा कहाँ अटकी है किधर जा रही है क्यों जा रही है उसे उधर ले जाना जरूरी क्यों समझा जा रहा है या केवल समय बिताने की प्रक्रिया का पालन मात्र है! पहले भी भूकंपशोधयात्रा कभी ज्वालामुखियों या कोयना जैसे जलाशयों की ओर घूमते फिरते अब भूमिगत प्लेटों की ओर मोड़ दी गई है !सुनने में आ रहा है कि पृथ्वी के गर्भ में स्थित गैसों के दबाव को अब कारण माना जाने लगा है इसीलिए ड्रिलिंग होगी फिर उसके माध्यम से कुछ अनुभव जुटाए जाएँगे !
मेरे हिसाब से ये सब ठीक है किंतु ज्वालामुखी और कोयनाजलाशय की तरह ही यदि ये दाँव भी खाली जाता है तो उसके बाद का विकल्प क्या होगा ?उसको भी अभी से अमल में क्यों न लाया जाए !ऐसे तो अकारण बहुत समय बीतता जा रहा है इसी के लिए एक संपूर्ण मंत्रालय है उसके संचालन से लेकर अधिकारी कर्मचारियों की सेवा सुविधाओं सैलरियों आदि पर भारी भरकम धनराशि खर्च होने के बाद भी बस वही परिणामशून्यता और आगे भी निराशा की स्थिति !कब तक चलाए जाएँगे यूँ ही अँधेरे में तीर !इसमें विज्ञान जैसा क्या है ?
भूकंपविज्ञान हो या मौसमविज्ञान इन दोनों से संबंधित पूर्वानुमान तो तीर तुक्के मात्र साबित हो रहे हैं जब जैसा मौसम सबको दिखाई देने लगता है वही बात मौसम वाले बताने लगते हैं !संशय ये होने लगा है कि ये कोई या नहीं ! दूसरा ये नहीं समझ में आता है कि ये असफलताएँ सरकार के अन्य विभागों के कामकाज की तरह ही लापरवाही की शिकार हुई हैं या पूर्वानुमान प्रक्रिया ही विश्वसनीय नहीं है |
महोदय !मौसम विभाग और भूकंप विज्ञान विभाग की आधारहीन बातें अब जनता को बुरी लगने लगी हैं !वर्षा संबंधी पूर्वानुमानों के गलत सिद्ध होने की कीमत किसानों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है !इसलिए इन दोनों विभागों की क्षमताओं मजबूरियों कार्य प्रणालियों से न केवल समाज को अवगत कराया जाए अपितु इन विषयों में समाज के ज्ञान एवं परंपराजन्य अनुभवों को भी इस रिसर्च में साथ लेकर चला जाए !
वैदिक विज्ञान के आधार पर मैं पिछले लगभग 20 वर्षों से इसविषय पर ही शोधकार्य कर रहा हूँ मेरा अनुमान है कि इससे संबंधित कोई भी बड़ी घटना घटने से पहले प्रकृति में कोई हलचल तो होती ही होगी कोई सूक्ष्म लक्षण तो प्रकट होते ही होंगे आकाशीय लक्षणों एवं ग्रहजन्य परिस्थितियों में अंतर आता होगा पशुओं पक्षियों अन्य जीव जंतुओं एवं मनुष्यों के स्वभावों में परिवर्तन आता होगा! वृक्षों बनस्पतियों में बदलाव होते होंगे !समुद्रों नदियों तालाबों कुओं से संबंधित बदलाव होते होंगे !ऐसे सूक्ष्म अनुभवों को भी इन अध्ययनों में सम्मिलित किया जाना चाहिए !
प्राकृतिक घटनाओं के अध्ययन में बहुत मदद उन लोगों के अनुभवों से मिल सकती है जो शहरी चकाचौंध से दूर कृषि कार्यों में लगे रहते हैं वृक्षों बनौषधियों से संबंधित कार्य करते हैं ऐसे ग्रामीणों बनवासियों पशुपालकों बनों उपबनों से संबंधित निरंतर काम करने बालों से अनुभव जुटाए जाने चाहिए !मेरा विश्वास है कि उन्हें कुछ प्राकृतिक अनुभव होते होंगे वैसे भी कुछ लोग तो परंपरा से प्राप्त अनुभवजन्य ज्ञान विज्ञान का संग्रह रखते हैं ऐसे सभी अनुभव स्रोतों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए !प्रकृति के सच्चे अनुभव ऐसे लोगों के पास होते होंगे उनसे छोटे छोटे प्रकृतिपरिवर्तनजन्य अनुभवों का संचय करके उन्हें मथा जाना चाहिए संभव है कि वो भूकंप और मौसम संबंधी अनुसंधानों के लिए विशेष सहायक हो !
भारत सरकार के इन विभागों से संबंधित शोध प्रक्रिया अभी तक इतनी भ्रामक खर्चीली और विस्तारवादी है कि इसमें योगदान दे पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है !सबसे बड़ी बात ये है कि इससे संबंधित शोध कार्यों में सम्मिलित होने के लिए आधुनिक विज्ञान का डिग्री होल्डर विद्वान होना अनिवार्य माना गया है जो हर किसी के लिए संभव नहीं है किंतु प्राकृतिक अनुभव तो किसी के भी पास हो सकते हैं !उनकी उपेक्षा करना कहाँ तक उचित होगा !एक बात और है कि यदि यह विषय केवल विज्ञान के बस का होता तो वैज्ञानिक लोग अब तक इसका कोई न कोई रास्ता निकाल चुके होते किंतु ऐसा नहीं हो सका इसलिए प्रकारांतर विधाओं पर भी विचार किया जाना चाहिए !
भूकंप वाले हों या मौसम वाले दोनों बिल्कुल खाली हाथ होने के बाद भी वैज्ञानिकों की श्रेणी में सम्मिलित हैं !सरकार भी भूकंप जैसी आपदाएँ उन्हीं की दृष्टि से देखती है किंतु जो विषय जिन्हें खुद न पता हो उस पर वो सरकार को क्या गाइड करेंगे !
भारत के प्राचीन वैदिक विज्ञान में इन विषयों में छिटपुट मिलने जानकारियों अनुभवों का संग्रह करके उनको अनुसन्धान योग्य बनाया जा सकता है जो भूकम्पों से संबंधित शोध कार्यों में विशेष सहयोगी सिद्ध हो सकते हैं ऐसा मैं लगभग पिछले बीस वर्षों से कर भी रहा हूँ कुछ बड़ी सफलताएँ हाथ भी लगी हैं जिससे भूकम्पों को समझने में हमें बहुत मदद मिली है अभी भी उसी कार्य में लगा हूँ !
वैदिक विज्ञान के द्वारा 'भूकंप' और 'मौसम'जैसे विषयों पर अनुसंधान के लिए मुझे सरकार से सहयोग चाहिए था प्राकृतिक परीक्षणों के लिए जमीन चाहिए थी उसमें आवश्यकतानुशार निर्माणों के लिए धन एवं कुछ यंत्र चाहिए थे कुछ सहयोगी चाहिए थे यातायात साधन और आर्थिक मदद चाहिए थी!
जिसके लिए मुझे सरकार से सहयोग चाहिए था मैंने संबंधित विभाग में फोन किया जहाँ से इस विषय में फोन करने पर क्रमशः लोग एक दूसरे का नम्बर देते चले गए जिसमें तेरह ऐसे प्रमुख पदाधिकारी लोग अनुपस्थित थे ये बात उनके यहाँ फोन उठाने वालों ने मुझे बताई !तीन बार ऐसा करने पर जब जानकारी लेने में मैं सफल न हो सका तो मैंने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी माँगी कि वैदिक विज्ञान के द्वारा भूकंप और मौसम जैसे विषयों पर मैं शोध कार्य कर रहा हूँ क्या मुझे यहाँ से कोई सहयोग मिल सकता है !उसमें जवाब आया कि सारी जानकारी हमारी साइट पर है वहीँ देख लीजिए !
खैर मैंने एक दिन फिर फोन मिलाया कुछ देर भटकने के बाद कोई महापुरुष मुझे मिले जिन्होंने हमें कुछ बातों में निपटा दिया !पहली बात जो साइंस नहीं पढ़ा है उसकी कोई बात नहीं सुनी जाएगी !दूसरी बात आपका सेटअप लगा कहाँ हैं उसमें कितने लोग काम करते हैं !ये दोनों चीजें हमारे पास नहीं थीं !तीसरी सबसे जरूरी बात उन्होंने बताई कि आप कुछ तारीखें लिखकर लेकर आओ कि इस दिन इसे इतने बजे वहाँ पर भूकंप
आएगा !वो तारीखें और समय सम्बन्धी भविष्यवाणी यदि सही निकल जाएगी उसके बाद कुछ सोचेंगे तुम्हारे लिए !इसपर मेरे मन में आया कि इतनी भारी भरकर धनराशि खर्च करके सब सुख सुविधा भोगने वाले भारी भरकम सैलरी लेने वाले जो काम इतने वर्षों में नहीं कर सके वो हमसे कुछ क्षणों में करवाना चाह रहे थे वे भूकम्पीय लोग !क्या ये उचित था ?
'भूकंप' और 'मौसम' जैसे विषयों में मैंने कुछ महत्वपूर्ण बातें खोजी भी हैं जो ऐसे लोगों के लिए कुछ बड़ी सफलता सिद्ध कर सकती हैं किंतु अब मेरा भी निश्चय है कि जहाँ अपनी प्रतिभा विस्तारित करने के लिए कोई उचित मंच मिलेगा तो मैं भी अपने प्राकृतिक अनुसन्धान सार्वजनिक कर दूँगा अन्यथा नहीं !
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