Friday, 14 July 2017

मौसमविज्ञानविभाग और भूकंपविज्ञानविभाग में विज्ञान है कहाँ ? बिना विज्ञान के वैज्ञानिक !

   मौसम विभाग बेचारे पर हो गई  FIR मौसम संबंधी भविष्यवाणियों के नामपर झूठ पर झूठ नहीं सह सके किसान ! मौसमविज्ञान वालों के तीर तुक्कों से तंग होकर किसानों  ने कराई  है FIR  !seemore......http://navbharattimes.indiatimes.com/state/maharashtra/other-cities/farmers-lodge-police-plaint-against-imd-for-wrong-forecast/articleshow/59595348.cms 

   मौसम के विषय में झूठी अफवाहें फैलाने वाले मौसम वैज्ञानिक और भूकंप के विषय में झूठ मूठ के किस्से कहानियाँ गढ़ गढ़ कर सुनाते रहने वाले भूकंप वैज्ञानिक !अगर विज्ञान ऐसा होता है तो अंधविश्वास कैसा होता होगा ?  
  भूकंप विज्ञान वालों का भी यही हाल है मौसम वैज्ञानिकों की अपेक्षा उनमें इतना अंतर अवश्य है कि भूकंप वाले लोग ये स्वीकार करते हैं कि उन्हें भूकंप के विषय में कुछ नहीं पता है जबकि मौसम वैज्ञानिक ऐसा मानने को तैयार ही नहीं हैं कि उन्हें मौसम के विषय में कुछ पता ही नहीं है | 
     भूकंप वैज्ञानिकों के द्वारा भूकंप के कारणों के संदर्भ में समय समय पर वाणी बदली जाती रही है कभी ये कारण कभी वो कारण कभी कोई तीसरा कारण बता बताकर अपना समय पार करते जाते हैं !किंतु एक बात तो है कि मौसम वाले कुछ करते दिखते नहीं हैं किंतु भूकंप वाले समय समय पर गड्ढे खोदा करते हैं फिर उसमें मिट्टी भर दिया करते हैं !किंतु गड्ढे खोदते भरते ये निष्कर्ष वो पता नहीं कैसे निकाल लेते हैं कि हिमालय के नीचे गैसों का बहुत बड़ा जमावड़ा है यहाँ भूकंप आया तो बड़ा भयंकर होगा बहुत नुक्सान करेगा !ऐसे ही डेंजर जॉन बना डेल गए हैं पता नहीं कि उनका आधार क्या है ?कभी भूकंप आने का कारण ज्वालामुखी बताए जाते थे फिर कोयना जैसे जलाशय इसके बाद कुछ नहीं तो जमीन के अंदर की प्लैटें हिलने से आता है भूकंप ऐसा बताने लगते हैं !और भी ऐसे कई कारण गिनाए जाते हैं भगवान् जाने भूकम्पों के लिए कल किसे जिम्मेदार ठहरा  देंगे ये लोग !किंतु इतना तो मुझे भी लगता है कि यदि भूकंप के विषय में कुछ भी पता ही नहीं है तो फिर हिमालय के नीचे गैसों के कारण भयंकर भूकंप आने जैसी डरावनी बातें भी नहीं बोली जानी चाहिए !
      मौसम के संबंध में झूठ मूठ के तीर तुक्के लगाने से अच्छा है भूकंप वालों की तरह ये भी साफ साफ कह दें कि मौसम के विषय में कुछ भी बता पाना हमारे बस का नहीं है मौसम के नाम पर आज तक झूठ बोलने के लिए हम माफी चाहते हैं !मौसम संबंधी तीर तुक्कों से समाज को भ्रमित करते रहने की अपेक्षा अच्छा  है  कि वे अपनी योग्यता क्षमता आदि के विषय में अपनी अपनी सीमाएँ और मजबूरियाँ समाज के सामने रखें ! ताकि मौसम संबंधी  विषयों में मौसम विज्ञान विभाग के द्वारा बताई हुई झूठी भविष्यवाणियों पर भरोसा करके किसान ऐसी फसलें क्यों बोवें मौसम के कारण जिनके नष्ट होने की संभावना अधिक हो !ऐसे मौसम विज्ञान की सच्चाई से समाज को अवगत करवाया जाए ताकि मौसम विज्ञान की झूठी भविष्यवाणियों के कारण होने वाली किसानों की आत्म हत्या की घटनाओं को घटाया जा सके ! मौसमसंबंधी झूठी भविष्यवाणियों से तंग आ चुके हैं लोग आत्म हत्या कर रहे हैं किसान किंतु मौसम विभाग को मौन रहने का अभ्यास नहीं है !
   ईस्वी 2015 में मौसम के कारण ही तो प्रधानमंत्री जी की दो रैलियाँ कैंसिल करनी पड़ी थीं करोड़ों रूपए तैयारियों में लगे ब्यर्थ चले गए थे किंतु मौसम विभाग का क्या लाभ हुआ देश को !जो प्रधानमन्त्री जी के कार्यक्रमों के विषय में मौसम बिगड़ने संबंधी कोई सूचना नहीं दे सका उससे मौसम संबंधी सच्चाई जानने की आशा ही क्यों करते हैं किसान और देशवासी !
    मेरा निवेदन इतना अवश्य है कि वैदिक विज्ञान को  अंधविश्वास बताना जिस दिन छोड़ दिया जाएगा और मौसम एवं भूकंप जैसे विषयों से जुड़े आधुनिक वैज्ञानिक जिस दिन अपनी सच्चाई स्वीकार कर लेंगे उस दिन वैदिकवर्षाविज्ञान  और वैदिकभूकंप विज्ञान  से जुड़े वैदिकवैज्ञानिक लोग अपनी सक्रियता बढ़ाएँगे और खोज लाएँगे भूकंप आने के कारण !
     

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