Monday, 4 November 2019

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      वायु प्रदूषण बढ़ने के कारणों पहले खोजे जाएँ और पता लगाए जाएँ वायु प्रदूषण बढ़ने के पूर्वानुमान !उसके बाद किऐसे कम करने के लिए किए जाएँ उपाय !आप भी जानिए कि वास्तविक दिक्कत है क्या ? https://samayvigyan.blogspot.com/2019/11/blog-post_3.html
                                                 ज्योतिष विज्ञान-
        किसी भी विषय से संबंधित पूर्वानुमान लगाने में ज्योतिषविज्ञान की सबसे बड़ी भूमिका है क्योंकि इसमें समय की गणना होती है और सभी प्रकार के घटनाएँ समय के अनुशार घटित होती हैं इसलिए प्रकृति या जीवन से संबंधित पूर्वानुमान लगाने में अभी तक ज्योतिषविज्ञान का कोई विकल्प नहीं है इसके द्वारा लगाए जाने वाले मौसमसंबंधी पूर्वानुमान अत्यंत सही एवं सटीक होते हैं वे महीनों पहले लगाए जा सकते हैं | ये  अत्यंत कम खर्च में उपलब्ध हो सकते हैं तथा पूर्वानुमान सही होने में आने वाली ग्लोबलवार्मिंग और जलवायुपरिवर्तन जैसी बाधाओं का इन पर कोई असर नहीं होता है | ये प्रायः सही एवं सटीक होते हैं |
        जहाँ तक बात आधुनिकविज्ञान से संबंधित मौसम पूर्वानुमानों की है इनके सही घटित होने का अनुपात बहुत कम है यही कारण है कि बाढ़ आँधी तूफ़ान या प्राकृतिक आपदाओं में अक्सर जनधन की हानि होते देखी जाती है जिनके विषय में पहले से कोई स्पष्ट पूर्वानुमान बताया नहीं गया होता है | कई प्राकृतिक घटनाओं के समय सरकारों ने मौसम भविष्यवक्ताओं की असफलताओं को चिन्हित भी किया है | 
    सन  2018 के अगस्त में केरल में आई भीषण बाढ़ के विषय में वहाँ के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कहा था कि "मौसमवैज्ञानिक लोग हमें मौसम संबंधी सही सही पूर्वानुमान नहीं दे पाए यही कारण है कि आपदा प्रबंधन में इतनी अधिक कठिनाई हुई है |"
    बिहार में अभी बाढ़ आई थी तो बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार जी  ने कहा था आधुनिक मौसम भविष्यवक्ताओं के पूर्वानुमान सुबह अलग और दोपहर को उससे अलग और शाम को उन दोनों से भी बिल्कुल अलग होते हैं |आपदा प्रबंधन में कठिनाई होने का एक कारण यह भी है | 
    दूसरी ओर " ज्योतिष के द्वारा लगाए जाने वाले पूर्वानुमान चूँकि सही होते हैं इसीलिए इस पर समाज का भरोसा आज भी बना हुआ है यहाँ तक कि सरकारों में सम्मिलित मंत्री लोग भी जब आधुनिक मौसम वैज्ञानिकों की ढुलमुल भविष्यवाणियों से तंग आ जाते हैं तो वे भी ज्योतिष के मौसम पूर्वानुमान विधाओं पर ही विश्वास करते देखे जाते हैं | 
      इसी वर्ष बिहार में आयी भीषण बाढ़ के समय मौसमी भविष्यवाणियों से निराश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने ज्योतिष का सहारा लेते हुए कहा था कि "इस भीषण बारिश का कारण 'हथिया' नक्षत्र है |"
     इसी विषय में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे जी ने भी उसी समय कहा था कि "हथियानक्षत्र के कारण इतनी भीषण बारिश हो रही है |"
     केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल जी ने तो एक इंटरव्यू में यहाँ तक कहा है कि भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान ज्योतिषविज्ञान के द्वारा लगाया जा सकता है | ऐसी चर्चाएँ अन्य प्रबुद्धमंत्री लोग भी अक्सर  किया करते हैं | 
      विगत वर्षों में मेरे द्वारा ज्योतिष विज्ञान के द्वारा लगाए गए मौसम संबंधी अधिकाँश पूर्वानुमान सही सिद्ध हुए हैं वे सरकार के विभिन्न मंत्रालयों विभागों आदि के ईमेल पर पड़े हुए हैं जो हर महीना प्रारंभ होने के एक दिन पहले डाल दिए जाते हैं |अभी भी जिनका परीक्षण किया जा सकता है |
     वेद विज्ञान के नाम से BHU में एक अलग से विभाग बनाया गया है | इसके अतिरिक्त BHU समेत अनेकों संस्कृत विश्व विद्यालयों में एक विषय के रूप में ज्योतिषविज्ञान को पढ़ाया जाता है अन्य विषयों की तरह ही इस विषय का भी स्लेबस है कक्षाएँ लगती हैं परीक्षाएँ होती हैं जिन्हें उत्तीर्ण करके छात्र ज्योतिष सब्जेक्ट में M.A.  Ph. D. आदि डिग्रियाँ हासिल करते हैं |
    इस प्रकार से आधुनिकविज्ञान और वेदविज्ञान की पढ़ाई एक जैसे विश्वविद्यालयों में एक जैसी विधा से होती है परीक्षाएँ परीक्षाफल के लिए भी एक जैसी प्रक्रिया अपनायी जाती है उच्चडिग्रियाँ हासिल करने की एक प्रक्रिया है | 
   दोनों विधाओं से पढ़कर Ph. D. आदि करने के बाद आधुनिकविज्ञान वालों को वैज्ञानिक और वेदविज्ञान वालों को अंधविश्वास फैलाने वाला क्यों सिद्ध कर दिया जाता है ?
   प्रकृति में सभी घटनाएँ समय के अनुशार घटित होती हैं और समय की गणना करना केवल ज्योतिष का काम है इसलिए पूर्वानुमान लगाना भी ज्योतिष का ही काम है इसीलिए आधुनिक विज्ञान आदि किसी अन्यविधा के द्वारा लगाए गए पूर्वानुमान सही हो ही नहीं सकते हैं |इसके बाद भी सरकार मौसम आदि का पूर्वानुमान लगाने के लिए मौसम वैज्ञानिकों के रूप में ज्योतिष वैज्ञानिकों का उपयोग क्यों नहीं करती है ?   
    आधुनिकविज्ञान विधा में पूर्वानुमान लगाने का कोई आधार नहीं है | उपग्रहों रडारों से बादलों आँधी तूफानों आदि को एक स्थान पर देखकर उनकी गति और दिशा के अनुशार दूसरी जगह पहुँचने का अंदाजा लगा लेने में विज्ञान कहाँ और क्या है ?
     इसलिए हमारा सरकार से सानुरोध निवेदन है कि मौसम का विज्ञान उसे ही माना जाना चाहिए जिसके द्वारा  मौसमी घटनाओं को समझा जा सके और मौसम संबंधी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सके भले वो ज्योतिषविज्ञान ही क्यों न हो |
        

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