आम लोगों से बात करने में तौहीन समझने वाले भाजपाई अब आम लोगों से किस मुख से करें बात एवं कैसे माँगें वोट ?
केजरीवाल की चर्चा तो बहुत है
मीडिया ने इस ईमानदार विभूति की बात विदेशों तक फैला भी खूब रखी है किन्तु
उन्होंने किया आखिर क्या है ऐसी कौन सी हमदर्दी की है दिल्ली की जनता के
साथ?
इतना सब कुछ होने के बाद भी
केजरीवाल जी का बर्चस्व जैसा कुछ भी समाज में बिलकुल नहीं है और इसलिए लोक
सभा चुनावों में भी केजरीवाल जी कोई करिश्मा करने नहीं जा रहे हैं। बात
साफ है कि दिल्ली से लेकर सारे देश में लुटी पिटी काँग्रेस ने अन्य
प्रदेशों की तरह ही दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी के रूप में अपनी एक फीडर
पार्टी तैयार करना प्रारंभ कर दिया है जैसे -बिहार में लालू प्रसाद जी की
पार्टी ,यू.पी.में सपा बसपा के मुलायम और मायावती जी जैसे लोग जो चुनावों
के समय काँग्रेस की आलोचना एवं जनता का पक्ष ले करके पहले औने पौने में
जनता से वोट हासिल कर लेते हैं फिर अपनी अपनी शर्तों पर काँग्रेस की शरण
में पहुँच जाते हैं
दिल्ली भाजपा के आपसी कलह के
कारण कई जगह से ऐसे प्रत्याशी बनाए गए जो चुनाव जीतने लायक थे ही नहीं वो
कागजी शेर पराजित होने ही थे सो हुए परिणाम सवरूप भाजपा को बहुमत से दूर
रहना था सो रही। जो मतदाता काँग्रेस से तो दुखी था ही और भाजपा के न जीतने
योग्य कार्यकर्त्ता को वोट देना उसने ठीक नहीं समझा अब वो अपना वोट कुँए
में डालना चाह रहा था तो आम आदमी पार्टी को दे दिया । इससे आम आदमी के साथ
वो भाजपा को मिलने वाली सीटें भी जुड़ गईं तो उनकी सीटें बढ़नी ही थीं सो बढ़
गईं । इसमें केजरीवाल का कमाल क्या है जो उनकी प्रशंसा में कसीदे पढ़े जा
रहे हैं। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में पहली बार मायावती को प्रत्यक्ष
समर्थन देकर वहाँ से अपना पत्ता काट लिया दूसरी बार आपस में ही एक दूसरे को
नीचा दिखाने के लिए न चाहते हुए भी अप्रत्यक्ष रूप से केजरीवाल जैसे
नेताओं को फायदा पहुँचाया है कुछ भी हो केजरीवाल के नाम के साथ मुख्यमंत्री
तो लगवा ही दिया ! इसका श्रेय भाजपा को ही जाता है अब मायावती की तरह ही
दिल्ली में भाजपा को ही चोट पहुँचाएँगे केजरीवाल!अभी भी भाजपा यदि अटल
अडवाणी जी के स्वभाव और शैली से प्रेरणा लेकर आगे बढे तो भाजपा का कुछ नहीं
बिगाड़ पाएँगे केजरीवाल! केजरीवाल का अभी तक न कहीं विस्तार है और न कहीं चमत्कारिक विस्तार होगा ।दिल्ली
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