Tuesday, 28 January 2014

काँग्रेस का चमत्कार ! आठ विधायकों से चली महीने भर दिल्ली की सरकार !

     दिल्ली की सरकार का एक महीना पूरा होने पर बधाई ! किन्तु किसको ?

        दिल्ली सरकार को ! किन्तु दिल्ली वासियों को तो लग ही नहीं रहा है कि यहाँ कोई सरकार  भी है कोई नौसिखिया सीख रहा है यह बात और है !

   फिर बधाई चुप रहकर सब कुछ सहने वाली दिल्ली की जनता को दें क्या ?किन्तु उसके पास और विकल्प ही क्या है!

    फिर बधाई भाजपा को दें क्या ?किन्तु भाजपा करे भी तो क्या !वो आपस में ही कुछ वैसी है दिल्ली में सरकार बनाने के लिए जैसी नहीं होनी चाहिए यदि वो इस लायक ही होती तो क्यों इस तरह बनती दिल्ली की सरकार? फिर तो उसी तरह बन सकती थी जैसी जरूरी थी !

   फिर तो पक्का है कि बधाई  काँग्रेस की ही बनती है जानिए क्यों ? 

     अपने आठ विधायकों के बल पर काँग्रेस ने दिल्ली में जब सरकार चलानी प्रारम्भ की तो अबकी बार उसे एक नए प्रकार की समस्या का सामना करना पड़  रहा  है उसे एक मुख्यमंत्री भी खोजना पड़ा !खैर !! 

    काँग्रेस के लिए तो केजरीवाल जी दिल्ली के लिए छोटे से मन मोहन सिंह जैसे ही हैं जैसे वो शांत हैं वैसे  ये भी शांत हो गए हैं आज केजरी वाल जी काँग्रेस के सारे दोष भूल गए से लगते हैं किसी के भ्रष्टाचार की अभी तक कोई फाइल खुली ही नहीं या तो केजरी वाल ने उन पर झूठे आरोप लगाए होंगे या फिर जाँच कराने में डर रहे होंगे !और डरना भी चाहिए क्योंकि केजरीवाल जी आज सरकार में हैं जहाँ ईमानदारी से काम कर पाना काफी कठिन होता है और यदि थोडा भी ऐसा वैसा हुआ तो जाँच  की बड़ी एजेंसियाँ उन्हीं के हाथ में हैं क्या पता कब क्या हो जाए !बड़े बड़े लोगों को निर्भीकता पूर्वक ललकारने वाली सपा और बसपा जैसी पार्टियाँ एवं लालू जी जैसे शूरमा आज भी अपने समर्थन से जिनकी आरती उतारा करते हैं आखिर केजरीवाल जी भी पढ़े लिखे तो हैं ही अफ्सर रह चुके हैं समझदारी से काम ले रहे हैं आखिर अपने से बड़े बूढ़े विद्वान प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह जी से सीख लेने में बुराई भी क्या है कि काँग्रेस में केवल एक परिवार ही बोलता है बाकी सब सुनते हैं ,उनके इशारे   पर देश की राजनीति करवट बदलती है!

     उनसे बिना पूछे तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई पुलिस से जबान लड़ाने की! तुम्हारे मंत्री की ताकत क्या है दिल्ली के दरोगाओं पर अंगुली उठाने की! तुम्हारे प्रदर्शन का मतलब क्या है यहाँ बात पुलिस की है ही नहीं !यह केस तो सीधा सा एक परिवार के अनुशासन की अवलेहना का बनता है ,इसलिए दिल्ली पुलिस के विरोध में बैठने जैसी अपनी धृष्टता का एहसास करते हुए अपना अनशन छोड़कर भाग जाओ अन्यथा काँग्रेस के लट्ठ में इतनी ताकत है कि बड़े बड़े बाबाओं के अनशन तुड़ा देती है! अनशन करने वाले लोग इतना घबड़ा जाते हैं कि बस मोदी! मोदी! करने लगते हैं उसके अलावा काँग्रेस के कोप से और बचा भी कौन सकता है?खैर! अच्छा हुआ अनशन छोड़ दिया यह कहते हुए छोड़ा कि दिल्ली की जनता की विजय हुई है लोगों ने भी राहत की साँस ली है किसी भी प्रदेश के मुख्य मंत्री के सम्मान से जनता का भी स्वाभिमान जुड़ा होता है चलो बात नहीं मानी गई तो नहीं सही सम्मान तो बचा लिया ,ठीक भी रहा -"जान बची लाखों पाए ,लौट के …!"

       खैर,काँग्रेस की दृष्टि से भी ठीक ही रहा अब तक का 'आप'का कार्यकाल ! काँग्रेस अच्छा एवं प्रभावी 'आप'को कुछ करने नहीं देगी और यदि कुछ 'आप' कर भी पाए तो उसका श्रेय या तो काँग्रेस स्वयं लेगी आखिर सरकार उसने अपने लिए बनवाई है अन्यथा वो काम होने नहीं देगी।पुलिस वालों को सस्पेंड छोड़िए ट्रांसफर भी नहीं करा पाए आप !आखिर इससे क्या नुक्सान हो जाता केवल यही न कि 'आप'का सम्मान बन जाता इसलिए ऐसा क्यों करे काँग्रेस !     

     केजरी वाल जी !यदि आप अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए त्यागपत्र दे देते तो वो कहते कि आप कुछ कर नहीं पाए इसलिए सरकार छोड़कर भाग गए !जब आपने त्यागपत्र नहीं दिया तो भाजपा आप को पद लोलुप कहे  जा रही  है !खैर आपकी  सरकार बनने से एक फायदा भाजपा को हुआ है कि चिरंतन मौन रहने वाले  भाजपा के कृत्रिम मुख्यमंत्री भी अब चीघने चिल्लाने लगे हैं किसी की नमस्ते का जवाब न देने वाले लोग भी अब सुधरना चाह रहे हैं किन्तु केजरी वाल की नक़ल करने का आरोप न लग जाए ये संकोच भी है फिर भी नए लोगों से मिलने पर ऐसे लोग भी हँसने मुसुकुराने का अभ्यास करते दिखने लगे हैं चलो सुधार तो हो रहा है उम्र में अपने से छोटों से भी गुण लेने में बुराई क्या है !खैर जो भी हो हम तो सामान्य नागरिक हैं हमें किसी के विषय में क्या कहना !

      मुख्य विषय तो यह है कि केजरीवाल जी को भी काँग्रेस केवल आँकड़े ही देने देगी मनमोहन सिंह जी की तरह जो आम जनता के शिर के  ऊपर से निकल जाएँगे जिससे जनता को प्रत्यक्ष लाभ कुछ मिलना नहीं है और उसका रुष्ट होना स्वाभाविक भी है!

       काँग्रेस  दूसरी ओर केजरीवाल को इस लिए भी फँसाकर रखना चाहती है कि अनशन धरना प्रदर्शन आदि के  आदी  केजरीवाल जी यदि खाली रहेंगे तो पूरे देश में घूम घूम कर भ्रष्टाचार का शोर मचाएँगे इससे सत्तासीन पार्टी काँग्रेस की ही जड़ें काटेंगे ऐसे मुख्यमंत्री नाम के पद पिंजरे में बंद करके इन्हें यदि दिल्ली में ही कैद करके रख लेंगें तो पूरे देश में छीछालेदर होने से बचाव हो जाएगा !धन्य है काँग्रेस !जो हो सो हमारी ओर से दिल्ली की सरकार का एक महीना पूरा होने पर बधाई !

   आखिर क्या मिला केजरीवाल  को ?कष्ट और पश्चात्ताप!!!काँग्रेस की भंवर में फँसी है "आप" 

 जस  जस  सुरसा  बदन  बढ़ावा । तासु   दून कपि  रूप  दिखावा ॥ 

  शत जोजन तेहि आनन कीन्हा।अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥  

                काँग्रेस और केजरी वाल


       काँग्रेस के समर्थन का मतलब ही होता है दुम हिलाना और गाली खाना! जहाँ तक सरकार चलाने की बात हैकाँग्रेस का समर्थन लेकर आज तक कोई सरकार चला पाया हो तो केजरीवाल भी चला लेंगे !

   काँग्रेस से समर्थन लेने वाले केजरीवाल नए तो हैं नहीं !ऐसे तो पहले भी लोग प्रधानमंत्री आदि बन चुके हैं जिनके शिर पर मुकुट दुबारा नहीं लग पाया अब केजरी वाल रगड़े जा रहे हैं आखिर यों ही कोई मुख्यमंत्री धरने के नाम पर रोड़ों पर नहीं तड़पता है !जिन केजरीवाल का सब कुछ दाँव पर लगा है वो धरना न दें क्या बाँसुरी   बजावें? काँग्रेस ये तो स्वप्न में भी नहीं होने देगी कि केजरीवाल कुछ कर पाएँ  या करते हुए दिखें!जहाँ तक जनता से किए गए वायदे पूरे करने की बात है तो अपना वायदा पूरा करते हुए तो काँग्रेस के लोग ही अच्छे लगते हैं !ये क्या वायदे पूरे करेगी बेचारी आम आदमी पार्टी  कहीं की !

       खैर, देखना अब यह है कि आम आदमी पार्टी अब काँग्रेस का ग्रास  बनती है कि बचती है ?अर्थात केजरी वाल को काँग्रेस अपने चंगुल में फँसा पाएगी या नहीं !क्योंकि श्री चौधरी चरण सिंह जी,श्री चन्द्र शेखर जी, श्री देवगौड़ा जी ,श्री इंद्र कुमार गुजराल जी काँग्रेस के समर्थन से ही प्रधान मंत्री बने थे । श्री देवगौड़ा जी की जगह श्री इंद्र कुमार गुजराल जी को कैसे बनाया गया था प्रधान मंत्री सबने देखा है ?जब संयुक्त मोर्चा की सरकार का केवल सिर बदला गया था !कैसे भूलेगा देश काँग्रेस के समर्थन देने की शैली को ?

      काँग्रेस जिसे  समर्थन देती है वह चाहे अनचाहे उसका ग्रास बन ही जाता है काँग्रेस किसी दल के साथ कितना भी बुरा बर्ताव क्यों न करे किन्तु जब वह धर्म निरपेक्षता की मौहर बजाने लगती है तब बड़े बड़े मणियारे  बिषैले राजनैतिक दल फन फैला फैला कर नाचते नजर आते हैं!        

       सम्भवतः इसीलिए आम आदमी पार्टी को काँग्रेस जैसे जैसे समर्थन, सुविधाएँ एवं समाधान देती जा रही है वैसे वैसे केजरी वाल न केवल अपनी शर्तें एवं शंकाएँ बढ़ाते जा रहे हैं अपितु पैर एवं दायरा भी फैलाते जा रहे हैं।

      रामायण में एक प्रसंग आता है कि जब हनुमान जी लंका की ओर बढ़ रहे थे  उसी समय सर्पों की माता सुरसा आती है और हनुमान जी को अपने मुख में रखना चाहती है हनुमान जी जैसे जैसे अपना शरीर बढ़ाते हैं वैसे वैसे सुरसा अपना मुख बढ़ाते जाती है ।वही हालात आज दिल्ली की राजनीति में पैदा हो गए हैं काँग्रेस जैसे जैसे केजरीवाल का साथ देने और शर्तें मानने की घोषणा करती चली जा रही है अरविन्द  केजरीवाल जी वैसे वैसे अपनी शर्तों का पिटारा खोलते  चले जा रहे हैं।

     आखिर ऐसा करें भी क्यों न केजरीवाल  जी? वे तो शर्तों के साक्षात समुद्र हैं वे तो कभी भी कोई भी कहीं भी कैसी भी नई से नई शर्त का नया पिटारा खोल सकते हैं!अब केजरी वाल सरकार बना सकते हैं 

केजरीवाल का इंकार काँग्रेस का फिर भी समर्थन !इतनी उदार !!!

               देखो बन रही है "आप" की सरकार  

  •  सुना है कि आम आदमी पार्टी के लोग कहते हैं कि यदि उनकी सर कार बनी तो "भाजपा और काँग्रेस वाले जेल जाएँगे!"

      अरविन्द केजरीवाल का यह कहना कितना न्यायोचित है कि भाजपा और काँग्रेस वाले जेल जाएँगे ! इन दलों में जो ईमानदार लोग हैं क्या ये उनका अपमान नहीं है?यदि आप  पार्टी सरकार में आती  तो जाँच कराती  उसमें जिसके साथ जो होना होता  सो होता किन्तु बिना जाँच के सबको जेल भेजने की बात करना कौन सी बुद्धि मानी है इसे आप  की बकवास क्यों न मानी जाए ?

  • सुना है कि आम आदमी पार्टी काँग्रेस को विश्वासघाती मानती है -

 आम आदमी पार्टी  का काँग्रेस को विश्वासघाती कहना कितना उचित है जिस दाल पर बैठना है उसी को काटना यह कौन सी बुद्धि मानी है जबकि वो काँग्रेस ही   मुख्यमंत्री पद तक पहुँचाने का जोर शोर से समर्थन कर रही है !आम आदमी पार्टी के  इन वर्त्तमान कालिदासों की यह राजनैतिक अपरिपक्वता नहीं तो इसे और क्या कहा जाएगा  ?

  • सुना है कि आम आदमी पार्टी  के नेता जी काँग्रेस को दोमुँहा साँप मानते हैं -

यदि काँग्रेस दोमुँहा साँप है तो काँग्रेस का एक मुख तो उसका अपना है जबकि  उसका दूसरा मुख तो  आम आदमी पार्टी ही है संभवतः इसी लिए विरोधी लोग आम आदमी पार्टी को काँग्रेस की बी पार्टी मानते हैं !

  •  सुना है  आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर बधाई काँग्रेस को ही दी जाएगी !

        बधाई उसकी ही बनती भी  है क्योंकि इसमें वास्तविक तरक्की तो काँग्रेस की ही होगी इसलिए आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर बधाई तो काँग्रेस को ही देनी होगी क्योंकि पहले उसका मुख्यमंत्री था अब काँग्रेस होगी मुख्यमंत्री की बॉस !

  • सुना है आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल जी ने सुरक्षा लेने से लिए मना  कर दिया है 

           मेरी समझ में यह कदम उन्होंने अच्छा उठाया है क्योंकि काँग्रेस के लोग न जाने कब समर्थन वापस लेकर इनका उपहास उड़ाने लगें !और जब सरकार चलती दिखाई पड़ेगी  तब  किसी बहाने से ले ली जाएगी सुरक्षा, वो तो अपने हाथ की बात होगी ,यदि सरकार नहीं चलती है तो सौ कैरेट शुद्ध आम आदमी बने रहेंगे अरविन्द केजरीवाल जी इसमें क्या संदेह है ! उनका यह आम आदमियत्व  दूसरे चुनावों में भी खूब फूले फलेगा !

  •  सुना है कि केजरी वाल की सरकार से काँग्रेस का कोई लेना देना नहीं होगा यह सरकार केवल आम आदमी पार्टी की होगी -

        यह आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी या नहीं बनेगी, चलेगी या नहीं चलेगी, चलेगी तो कब तक चलेगी आदि इन सब प्रश्नों पर तो आम आदमी पार्टी की सरकार काँग्रेस के ही आधीन रहेगी बात अलग है कि इस बात को वो मानें या न मानें ! यदि काँग्रेस के समर्थन से आम आदमी पार्टी की सरकार  बनती है तो बधाई आम आदमी पार्टी को कैसे दी जा सकती है बधाई तो काँग्रेस की ही बनती है ? क्योंकि अभी तक तो काँग्रेस पार्टी की मुख्य मंत्री ही थीं अब तो मुख्य मंत्री आम आदमी पार्टी का होगा किन्तु उसका बॉस तो काँग्रेस का ही होगा जिसकी कृपा पर यह सरकार टिकी होगी इस लिए आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर वास्तविक  पदोन्नति तो काँग्रेस की ही हुई तब मुख्य मंत्री तो अब मुख्य मंत्री की बॉस !बधाई हो काँग्रेस को बधाई !!!

      सुना है कि 'आप' का मानना है कि काँग्रेस और भाजपा के नेता ईमानदार नहीं हैं किसी भी पार्टी के नेता की ईमानदारी का निर्णय अब केवल आम आदमी पार्टी के लोग ही करेंगे !

     श्री अन्ना हजारे जी ने  अपनी जिस पूर्व टीम पर संदेह किया हो  वो विश्वसनीय कैसे हैं ? ईमानदारी और राष्ट्र निष्ठा के प्रति जीवन समर्पित करने वाले समाज सुधारक श्री अन्ना हजारे जी जिन आप नेताओं के आचरण पर अंगुली उठा चुके हों उन्हें ईमानदार कैसे माना जाए जब तक वे अच्छा कुछ करके दिखाते नहीं हैं यदि वो अच्छा करने में सफल हों तो सौ सौ बधाइयाँ किन्तु बिना कुछ किए ही सबको बेईमान कहने लगना उन लोगों के शैक्षणिक जीवन के गौरव के भी अनुकूल नहीं है। 

  •  सुना है  आम आदमी पार्टी काँग्रेस और भाजपा नेताओं को भ्रष्ट मानती है -

          काँग्रेस और भाजपा के नेताओं को बेईमान कहने वाले आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में हिम्मत है तो अटल अडवाणी जोशी जी जैसे महान नेताओं के जीवन पर भ्रष्टाचार का कोई दाग दिखा दें इन  नेताओं का क्या व्यक्तित्व है क्या जीवन दर्शन है क्या आदर्श है ! ये ईमानदार मूर्ति हैं  इस भ्रष्टाचार के युग में भी ऐसे अच्छे नेता अन्यदलों में भी हैं जिनके जीवन के कुछ सिद्धांत हैं जिनसे वे समझौता नहीं कर सकते । ऐसे सभी दलों के लोग ,मीडिया के लोग व अन्य भी देश विदेश के लोग ईमानदारी के विषय में जिनके उदाहरण देते हों उन्हें ईमानदार न मानने वाला कोई व्यक्ति  कैसे ईमानदार हो सकता है इसका मतलब ईमानदारी के विषय में उसकी अपनी अलग मनगढंत परिभाषा है जिसे मानना हर किसी के लिए जरूरी नहीं है वो अपनी कल्पना में कुछ भी हो जाए !

          ईमानदार सरकार अटल जी की थी 

       अटल जी की सरकार एक वोट से गिरी थी तब भी ख़रीदे जा सकते थे वोट ? 

अरविन्द केजरी वाल जैसी बातें ... ! कोई राजनेता कैसे कर सकता है ?
       अभी अभी आगामी चुनावों की कन्वेसिंग जैसी करते हुए अरविन्द केजरीवाल को देखा गया इससे अच्छा अवसर अपनी ईमानदारी और दूसरों को बेईमान प्रचारित करने का और कौन हो सकता है? सभी पार्टियों को इसी बहाने बिना कहे बेईमान सिद्ध कर दिया गया ये गलत बात है सारे विश्व ने अटल जी की अल्पमत सरकार को देखा था जब एक वोट से सरकार गिरी थी उस समय भी मंडी में माल बहुत था किन्तु भाजपा चाहती तो एक सीट खरीदकर अपना प्रधान मंत्री बचा सकती थी किन्तु ऐसा नहीं किया गया इससे अधिक ज्वलंत उदाहरण और क्या हो सकता है ?अरविंद की भाषा में एक बहुत बड़ा दोष यह है कि वो दूसरे को बेईमान सिद्ध करके अपने को ईमानदार बताते हैं जबकि अपनी और अपने दल कि अच्छाइयां बताना जैसे आपका अधिकार है उसी प्रकार अन्य दलों के भी अपने अपने अधिकार हैं
      इसीप्रकार कोई दल किसी और के एजेंडे को सम्पूर्ण रूप से कैसे स्वीकार कर ले आखिर उसे इतना कमजोर सिद्ध करने का प्रयास क्यों किया जा रहा है ?दुबारा सम्भवित चुनावी खर्च के बोझ से दिल्ली की जनता को बचाने के लिए बड़ी पार्टियों ने जो उदारता दिखाई है उसका दुरूपयोग कर रहे है अरविन्द !

 

          "अरविन्द केजरीवाल की अन्नाहजारे से नहीं बनी तो अरविन्द सिंह लवली से कैसे बनेगी ? - ज्योतिष"
अ अक्षर के कारण बिगड़े अन्ना और अरविन्द के आपसी सम्बन्ध फिर मिला वही अ अक्षर अरविन्द सिंह लवली कब तक चल पाएगा यह सरकार बनाने का जुगाड़ ?
अन्नाहजारे-अरविंदकेजरीवाल-असीम त्रिवेदी- अग्निवेष- अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवीमें
जब अरविन्द केजरीवाल की अन्ना हजारे, अग्निवेश, अमित त्रिवेदी आदि किसी अ अक्षर से प्रारम्भ नाम वाले की पटरी नहीं खा सकी तो अरविन्द सिंह लवली से कब तक सम्बन्ध चल पाएँगे कहा ही नहीं जा   see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/12/blog-post_1451.html

"काँग्रेस का समर्थन केजरीवाल का इनकार !ऐसे कैसे बनेगी सरकार ?"

 काँग्रेस के समर्थन से चली सरकारों का अनुभव कभी अच्छा नहीं रहा! see more ...http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/12/blog-post_19.htmlअब केजरी वाल सरकार बना सकते हैं -धन्यवाद

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