जो श्री राम को छोड़कर साईंराम का हो  गया वो हिंदू किस बात का ! साईं की भक्ति कुत्ते की पूँछ की तरह है !
     जैसे कुत्ता अपनी पूछ से तो अपने गुप्तांग छिपा सकता है और न ही अपने  शरीर में काटने वाले मक्खी मच्छर ही भगा सकता है !
     यही साईं भक्तों का हाल है यदि वो साईं को भगवान मानते हैं तो साईं का न 
कोई इतिहास है न भूगोल न कोई शिक्षा न सभ्यता न कोई नियम न संयम न सदाचार न
 सामाजिक कोई योगदान यहाँ तक कि अंग्रेजों से भयभीत साईं आजादी
 की लड़ाई से नदारद रहे न जाने कहाँ पानी से दीपक जलाते रहे और जलाते भी रहे
 या नहीं कौन वहाँ देखने गया था उनके आसपास झुट्ठों का जमघट रहता ही है 
जैसे आज झूठ मूठ का साईं संध्या ,जागरण ,साईं जन्म मरण आदि सब कुछ मना रहे 
हैं वैसे ही पहले भी यही सब कुछ करते रहे होंगे   बस केवल एक बात कि साईंं पानी से दीपक जला लेते थे इसका भी क्या पता कि यह बात कितनी सच है कितनी झूठ !और यदि जला
 भी लेते हों तो जनता के किस काम का ,इससे मिटटी का तेल तो साईं का ही बचा  होगा जनता का तो बचा नहीं , आम 
जनता को इससे क्या लेना देना ! आम जनता से तो उन्होंने कहा नहीं कि आज  से पानी से दिए जलेंगे कोई तेल से मत जलाना !यदि ऐसा होता तो भी विश्वास किया जा सकता था किन्तु ऐसा कुछ तो हुआ नहीं बस साईं अपने गिरोह  वाले लोगों के सामने बैठकर ही जलाते रहे होंगे पानी से दिए किन्तु उनके गिरोह में सम्मिलित लोगों पर विश्वास ऐसे कैसे कर लिया जाए कि इसमें कुछ सच्चाई भी होगी क्योंकि उन लोगों को सच बोलने का अभ्यास नहीं है अभी तक साईं के विषय में उनके चेले कभी कुछ बोलते रहे कभी कुछ किन्तु कुछ भी बोलकर प्रूफ तो कर नहीं सके तो इन बातों पर भरोसा कैसे कर लिया जाए !हाँ आजादी की लड़ाई में कुछ मदद करते  तो कुछ
 बात समझ में आती भी ,खैर ! इन्हीं सब झूठ साँच को ध्यान में रखते हुए साईं
 वाले भी साईं पर भरोसा नहीं करते हैं इसलिए वो न केवल श्री राम से भी 
चिपके रहना चाहते हैं अपितु साईं को भी श्री राम से चिपका कर रखना चाहते 
हैं इसीलए  तो  साईं के नाम में भी श्री राम के नामको बिल्डिंग करा रखा है और साईंराम कहते हैं !
 ये साईं वाले धार्मिक मनोरंजन  तो साईं के साथ करना चाहते हैं किन्तु 
भरोसा  श्री राम पर ही करते हैं । साईं वालों की अजीब सी दुविधा है जिसकी पूजा
 करते हैं उस पर भरोसा  नहीं करते और जिन  पर भरोसा करते हैं उन्हें पूजने 
से मन ऊभ गया है । क्योंकि वे देवी देवता कहते हैं कि चोरी छिनारा हत्या 
बलात्कार आदि पाप छोड़ कर हमारी पूजा करो इससे लाभ मिलेगा तो साईं वालों ने 
कहा कि तुम सब  कुछ करते रहे और बाबा के पास आते रहो इतने से ही लाभ मिल जाएगा क्योंकि बाबा बहुत दयालू  हैं
 यह सुनते ही पाप की कमाई से कालाधन  नीलाधन  हराधन गुलाबीधन  आदि रखने 
वाले पापप्रिय
 लोग सारे अपराधों में संलिप्त रहते  हुए भी साईं पत्थरों पर चढ़ाने  लगे 
सोने चाॅंदी के मुकुट हार पादुकाएँ आदि आदि और भी बहुत कुछ !ऊपर से कहते हैं कि  यहाँ तो 
चढ़ावा बहुत आता है किन्तु कैसा आता है यह नहीं बताते देने वालों की संपत्ति 
स्रोतों की एक बार यदि ईमानदारी पूर्वक जाँच हो जाए तो न केवल सारे दाँत 
बाहर आ जाएँगे  अपितु काला, 
 नीला,  हरा और  गुलाबी आदि सभी प्रकार का धन मिनटों में खटाखट गिरने लगेगा
 !और सबको पता लग जाएगा कि बाबा कितने बड़े दयालू हैं !
   
 बंधुओ ! ये भटके हुए लोग बुड्ढे की प्रशंसा और प्रचार प्रसार में 
ऐसे ऐसे तर्क देते हैं जो किसी भी जीवित व्यक्ति के गले नहीं उतरते हैं 
,आप स्वयं सोचिए बाबा बड़े दयालू हैं तो कृपासिंधु श्री राम,श्री कृष्ण,श्री
 शिव जी एवं श्री दुर्गा आदि देवी देवता क्या दयालू नहीं हैं ! साईं वाले 
ये निरक्षर भट्टाचार्य लोग वेद शास्त्र सम्मत एवं वेद मन्त्रों के 
द्वारा पीढ़ियों से पुजते चले आ रहे श्री राम,श्री कृष्ण,श्री शिव जी एवं श्री दुर्गा आदि देवी देवताओं को सस्पेंड करना चाह रहे हैं और वहाँ
 साईं पत्थरों को फिट करना चाह रहे हैं !ऐसे लोगों की ऐसी वेद 
शास्त्र निन्दित घिनौनी हरकतों को क्या सह जाएगा सनातन धर्मी हिन्दू समाज !
       साईं व्यापारियों को 
इस धोखे में नहीं रहना चाहिए कि कलियुग के प्रभाव के कारण लोग श्री राम 
कृष्ण आदि देवी देवताओं को भूल जाएँगे और साईं जैसे भूत प्रेतों को पूजने 
लगेंगे ! अपने देवी देवताओं के प्रति सनातन धर्मी हिन्दुओं का समर्पण इतना 
अधिक है कि जब जब उनके सम्मान स्वाभिमान पर आँच आती है तब तब हिंदू बेचैन 
हो उठता है अाखिर अभी  अयोध्या आंदोलन को बहुत वर्ष नहीं बीते हैं सरकारों 
के छक्के छुड़ा दिए थे श्री राम भक्तों ने ,सारा भारतवर्ष रोडों पर उमड़ पड़ा था 
विश्व के विराट फलक पर असंख्य बार प्रमाणित हो चुका है कि किसी भी कीमत में अपने देवी देवताओं की प्रतिष्ठा से समझौता सनातन धर्मी हिन्दू नहीं कर सकते ! जैसे अगर कोई अपना बाप बदल ले तो उसका खानदान अपने आप ही बदल जाता है वो अलग से बदलना नहीं पड़ता !ठीक इसी प्रकार से जो अपना ईश्वर बदल ले उसे अपना धर्म बदलना नहीं पड़ता है वो अपने आप ही बदल  जाता है ! इसलिए जो   श्री राम को छोड़कर साईंराम का हो  गया  वो हिंदू किस बात का ! 
 
Jai Shree Ram
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