ब्राह्मण भी आरक्षण जैसी भीख के सहारे जीने लगते तो उनकी भी वही दुर्दशा होती जो आरक्षण लोभियों की हो रही है न इधर के न उधर के !
आरक्षण भिखारियों का लेवल भी लग गया मिला भी कुछ नहीं जो मिला वो उनके हमदर्द नेता खा गए अन्यथा उन नेताओं की संपत्तियाँ बढ़ीं कैसे वो कमाने तो कहीं गए नहीं और न ही कोई धंधा व्यापार ही करते देखे गए !दलितों के आरक्षण वाला माल वही दलितों के हितैषी नेता लोग चरते जा रहे हैं और दलितों को ठेंगा दिखाते जा रहे हैं !दलितों को बेवकूफ बनाते हुए कहते हैं तुम्हारा शोषण सवर्णों ने किया है अरे सवर्ण करते तो उनके पास होता और यदि किया है तो सवर्णों से लेकर उन्हें दिलाइए किन्तु नेताओ !खुद क्यों खाए जा रहे हो दलितों का धन धर्म आदि सब कुछ ?रही बात ब्राह्मणों की तो ब्राह्मण सभी लोगों के लिए हमेंशा शुभ सोचता है शुभ करता है सन्मार्ग का उपदेश करता है इससे प्रभावित सभी जातियाँ उसका सम्मान करती हैं !इसमें ब्राह्मणों का क्या दोष ?ब्राह्मणों
ने सम्मान की कभी किसी से भीख नहीं माँगी उनके गुणों से प्रभावित होकर ही सभी
जातियाँ ब्राह्मणों का सम्मान करती रहीं हैं किसी पर कोई जबर्दश्ती नहीं थी !सभी जातियाँ
ऋषियों की संतानें हैं सभी जातियों ने मिलजुलकर भारतीय शास्त्रीय संस्कृति
को बचा और बना कर रखा है जो जिस लायक था उसने वो और उतना योगदान दिया है अपनी शास्त्रीय संस्कृति की रक्षा में सबका योगदान रहा है !क्योंकि अपने धर्म की शास्त्रीय
सामर्थ्य पर अन्य जातियों को भी उतना ही गर्व रहा है जितना ब्राह्मणों को है ! अन्यथा
ब्राह्मणों की संख्या हमेंशा से सबसे कम रही है ब्राह्मण लोग बल पूर्वक अपना मत किसी
पर कभी भी कैसे भी नहीं थोप सकते थे उनके त्याग तपस्या और बलिदान से
प्रभावित होकर ही सभी जातियाँ ब्राह्मणों का सम्मान करती रहीं थीं क्योंकि
अपनी संस्कृति से लगाव तो सबको था ही सभी जातियों के लोग यह चाहते थे कि
विश्व के सबसे प्राचीन अपने सनातन धर्म की ध्वजा कभी झुकने न पाए उन्हें
लगता था कि यदि हम वेद शास्त्र नहीं पढ़ पा रहे हैं त्याग तपस्या में
ब्राह्मण हमसे आगे हैं तो इस क्षेत्र में इन्हीं को महत्त्व दिया जाना
चाहिए ताकि धर्म और संस्कृति की रक्षा ब्राह्मण लोग ठीक ढंग से कर सकें न
केवल इतना ब्राह्मण दिन भर यज्ञ आदि कार्यों में लगे रहते थे बाक़ी सभी
वर्णों के लोग उनके भरण पोषण की चिंता करते थे ऐसी पवित्र भावना से मिलजुल
कर सभी जातियों ने आज तक अपने धर्म और संस्कृति को बचा कर रखा है अन्यथा
इतने वर्षों तक गुलामी झेलने वाले सनातन धर्मी सभी जाति के लोगों ने अपने
धर्म और संस्कृति को भुलाया नहीं सभी लोग अपने अपने पथ पर सुचारू रूप से
चलते रहे कभी किसी को किसी से कोई समस्या नहीं रही लोगों ने मिलजुल कर
बनाया और बचाया है अपनी संस्कृति को !सबको अपने पूर्वज ऋषियों के ज्ञान
विज्ञान पर गर्व था और आज भी है तभी सभी धर्म कर्म आज भी शास्त्रीय विधि
विधानों से संचालित हो पा रहे हैं।
इस समाज के सात्विक संचालन में ब्राह्मणों का हमेंशा से अमित योगदान
रहा है यह बात अनंत काल से प्रमाणित है यदि ऐसा न होता तो जो लोग आज यह
कहते हुए ब्राह्मणों की निंदा करते हैं कि ब्राह्मणों ने कभी किसी जाति
धर्म के लोगों का शोषण किया था उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि उन सभी के
पूर्वज मूर्ख तो नहीं थे आखिर ब्राह्मणों के महत्त्व को उन लोगों ने
स्वेच्छया स्वीकार किया था अन्यथा वो कायर डरपोक नहीं थे जो डरकर
ब्राह्मणों के सामने हाँ जी हाँ जी करने लगे होंगे !उस युग में जातियों के
सामर्थ्यवान लोगों ने नियम धर्म और कानून बनाए थे किसी को किसी से कभी
कोई शिकायत नहीं रही तभी सब कुछ ठीक ठाक ढंग से चलता रहा था ।
बंधुओ ! इसी बीच देश परतंत्र हो गया उन गुलामी के दिनों में धर्म परिवर्तन
का भी बहुत दबाव रहा , सनातन हिन्दुओं ने सारे संकट सहे किंतु अपने धर्म
और संस्कृति के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया !ब्राह्मणों के बौद्धिक
नेतृत्व में सभी जातियों के लोग अपने धर्म संस्कृति पर निष्ठा पूर्वक अडिग होकर डटे
रहे इसलिए आक्रान्ताओं को हिन्दू तथा उनकी शास्त्रीय संस्कृति एवं
ब्राह्मणों वेदों शास्त्रों से चिढ़ होने लगी किन्तु उनका बिगाड़ कुछ सकते
नहीं थे ।
ऐसी परिस्थिति में उन्होंने सनातन हिन्दुओं का बलपूर्वक DNA बिगड़ने की
कोशिश जिसमें उन्हें कुछ हद तक सफलता भी मिली ! उनकी संतानें आज भी भारत
वर्ष को, भारतीय सनातनी शास्त्रीय संस्कृति को अपने पूर्वजों अर्थात
अंग्रेजों की तरह ही न केवल देखती हैं अपितु दुष्प्रचारित भी उसी तरह से
करती हैं इसीलिए ऐसी उनकी संतानें अपने भारतीय प्रमाणित पूर्वजों को बुजदिल
कायर मक्कार सिद्ध करने का कोई मौका चूकती नहीं हैं हमेंशा यही दिखाया
करती हैं कि उनके यहाँ के पूर्वज लोग कितने कमजोर कितने निरीह और कितने
डरपोक थे यही कारण है कि ब्राह्मण शोषण करते रहे और सभी जातियाँ सहती रहीं !
ऐसा सिद्ध करने के लिए वो अपने वास्तविक पूर्वज अंग्रेजों की कही बातें लिखी किताबें उनके यहाँ उनके सोच के आधार पर बनी किताबों को प्रमाण मानकर सर्वजातिमयी भारतीय समाज को बरगलाने का आज भी प्रयास करते रहते हैं इसलिए इससे हमेंशा सतर्क और सावधान रहना ही चाहिए !ऐसे लोगों की कही लिखी एवं बोली हुई बातों पर कभी विश्वास ही नहीं करना चाहिए साथ ही इतना ध्यान भी रखना चाहिए कि जब उनके पूर्वज अंग्रेज भारतीय संस्कृति का कुछ नहीं बिगाड़ सके तो उनकी डुब्लीकेट संतानें आखिर किसी का क्या कर लेंगी !
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