भाजपा ने अपने बाबा जी को दी सुरक्षा किंतु बाकी देशवासियों की सुरक्षा किसके भरोसे !
किसी बाबा जी के लिए अलग से सिक्योरिटी क्यों ? क्या आम जनता इस योग्य नहीं है ,या उसे जरूरत नहीं है ! अाखिर आमजनता भी तो सरकार के ही भरोसे है ? यदि बाबा जी को जान का खतरा समझ कर सिक्योरिटी दी गई है तो आम जनता सुरक्षित है इसकी क्या गारंटी ?क्या ऐसी कोई जाँच हुई है जिससे पता लगा हो कि सरकार के द्वारा आम जनता को प्रदान की गई सुरक्षा व्यवस्था में जनता तो सुरक्षित है किन्तु बाबा जी सुरक्षित नहीं हैं ?आखिर ऐसा पक्षपात क्यों क्या आम जनता के पेट स्टील के बने हुए हैं और बाबा जी बहुत नाजुक हैं !हमारे कहने का मतलब कि सरकार के सुरक्षाप्रबंधों से यदि बाबा सुरक्षित नहीं हैं तो उनसे आम जनता सुरक्षित है ऐसा कैसे मान लिया जाए ?
UPA सरकार में जो बाबा जी आम जनता को मिली सुरक्षा में सुरक्षित थे उन्हें NDA के शासन में अलग से सिक्योरिटी की आवश्यकता क्यों पड़ी ?
आज तक जो अपने को योगी कहते रहे हों वो आज मरने के डर से सिक्योरिटी के घेरे में चल रहे हैं आखिर क्यों ?योगी कहीं मरने को डरता है क्या ?
सारी दुनियाँ के मन से मृत्यु भय मिटाने वाले साधू संत यदि स्वयं ही मृत्यु से भयभीत रहने लगें तो कैसा संन्यास ?
चरित्रवान साधू संत तो जंगलों में भी अपनी तपस्या के बल पर सुरक्षित रहते थे उन्हें आज आम समाज में रहने के लिए भी सिक्योरिटी चाहिए !बारे कलियुग !!
पहले राजा महाराजा लोग तपस्वी महात्माओं के चरणों में मत्था टेक करके अपनी सुरक्षा के लिए आशीर्वाद माँगने उनके आश्रमों जाया करते थे अब महात्मा लोग स्वयं सुरक्षा के घेरे में रहते हैं ।
पहले महात्माओं को जंगलों में सिंह आदि भयानक जीवों से भी भय नहीं लगता था आज सिक्योरिटी चाहिए !
कुछ समय पहले जिन बाबा जी को भारत सरकार
के सम्मानित चार चार मंत्री एयरपोर्ट पर मनाने पहुँचे हों उन्हें उसी
सरकार की पुलिस ने ऐसी पिटाई की कि सलवार कुर्ता पहन कर भागते हुए समाज ने देखा इसके दो एक दिन बाद फिर वो और उनके सहयोगी दोनों ही मीडिया के
सामने रोते बिलखते हुए प्रकट हुए ! जिनके इस प्रकार के भव्य दर्शन मीडिया के
माध्यम से सारे देश ने किए !
आज प्रातः पार्क में कुछ लोग आपस में चर्चा कर रहे थे "कई दौर की बात करने के बाद भी जब उस समय की
सरकार ने बाबा जी को जब सिक्योरिटी नहीं दी होगी उससे हैरान परेशान होकर वो सारे
देश में सरकार की निंदा करते घूमते रहे फिर विरोधी पार्टी से ऐसी कुछ बात हुई होगी
कि तुम हमें जिताओ हम तुम्हें सिक्योरिटी देंगे इसीलिए उनके पक्ष में भाषण भूषण तो कम ही देते रहे किन्तु उस पार्टी की
निंदा अधिक करते रहे जिसने उन्हें सिक्योरिटी नहीं दी थी ! इसके बाद सत्ता
परिवर्तन हुआ और सरकार ने उन्हें उनकी अभिलाषा के अनुशार सुरक्षा देकर पीछा
छोड़ाया होगा तब जाके बाबा जी कहीं शांत हुए अन्यथा न जाने कब देने लगते इन्हें भी गाली
!खैर उनकी आत्मा को शांति मिली देश भी खुश और समाज भी खुश उनके अनुयायी भी
खुश और वो तो खुश हैं ही ताम झाम जो बन गया है !ठीक भी है मेहनत का फल तो
मिलना ही चाहिए !वैसे भी जिसके पास इतनी संपत्ति होती है उससे ईर्ष्या
करने वाले लोग भी होते ही हैं और इस अकूत संपत्ति के संग्रह में हो सकता है
कि कुछ भले पुरुषों के साथ अन्याय भी हुआ हो! अगर मन के किसी कोने में
बाबा जी को उन गुप्त शत्रुओं का भय भी रहा हो तो समाज को क्या पता !किन्तु
ऐसे किसी भी उद्योगपति की सुरक्षा का खर्च देश क्यों बहन करे वो भी तब
जबकि उन्हें जनता ने बहुत सारा धन स्वयं ही दे रखा है उसी से करवानी चाहिए
अपनी सुरक्षा ! "
बाबाजी जैसी सरकार चाह रहे थे जब वैसी ही सरकार बन गई !ऐसा सुन्दर रामराज्य आ जाने के बाद तो सामान्य सुरक्षा में ही सभी लोग सुरक्षित हो जाएँगे फिर बाबा जी की सुरक्षा की अलग से आवश्यकता क्यों है ?उस सहज सुरक्षा पर बाबा जी को भरोसा क्यों नहीं है जिसके सहारे सारे देशवासी जी रहे हैं बाबा जी की जान की कीमत आम लोगों से अधिक क्यों है मोदी जी केवल बाबा जी के वोट से ही तो प्रधान मंत्री नहीं बने हैं वोट तो सभी लोगों ने दिया है फिर चिंता केवल बाबा जी के प्राणों की क्यों ! अरे !देशवासियों तुम्हारे भाग्य में यही लिखा है सरकार चाहें कांग्रेस की आवे या भाजपा की किन्तु तुम इसी उपेक्षात्मिका दृष्टि से देखे जाओगे !
केवल अपनी एवं अपनों की सिक्योरिटी बाकी सब देशवासियों को सरकार किसके भरोसे छोड़ रही है ? काँग्रेस सरकार दमाददेव की सुख सुविधाओं के लिए चिंतित थी भाजपा सरकार बाबा …देव की सुख सुविधाओं के लिए है !खैर !!
आज सुबह सुबह पार्क में लोगों की चर्चा का प्रिय विषय बाबा जी की सिक्योरिटी का ही रहा उन्हीं विभिन्न लोगों के विभिन्न मत मतांतरों का संग्रह इस लेख में हैं लोगों के अपने अपने विचार हैं -
देश वासियों को तो आतंकवादी अक्सर धमकी दिया करते हैं कभी स्टेशन उड़ाने की तो कभी ट्रेन उड़ाने की और कभी बाजारों में बम फोड़ने की तो क्या आम जनता को सिक्योरिटी मुहैया करा दी जाती है या उसकी सरकार की निगाह में उसकी जान की कोई कीमत ही नहीं होती है या सरकार के लोग ऐसा मानते हैं कि उनकी सरकार बनवाने में केवल बाबा जी की ही मुख्य भूमिका रही है बाक़ी देशवासियों का कोई योगदान ही नहीं रहा है ! या फिर बाबा जी विरोधी पार्टी के नेताओं को जो अपशब्द कहते रहे हैं उसके लिए इस रूप में उनका उत्साहबर्धन किया जा रहा है ताकि भविष्य में भी अपनी वाणी सरस्वती का सदुपयोग वो इसी प्रकार से सरकार के सहयोग में एक पालतू जीव की तरह करते रहें अथवा बाबा जी का सरकारी लोगों पर दबाव बनाए हुए थे कि काँग्रेस को कोसा तो हमने भी था सरकार को उसी तरह खरी खोटी सुनाई थीं जैसे आप लोगों ने सुनाई थीं बल्कि नाम ले लेकर खरी खोटी सुनाने में हम तो कई जगह आप लोगों से दो चार कदम आगे ही रहे फिर सारा ताम झाम केवल आपके पास ही क्यों कुछ हमारे लिए भी करो अन्यथा वो खरी खोटी अभी भी मैं भूला नहीं हूँ और मुद्दा भी अभी जीवित है वही काले धन का जो अभी तक ला नहीं पाए हैं आप और न ही निकट भविष्य में ऐसी कोई आशा ही है जब तक नाम सामने आएँगे तब तक कहाँ बचेगा उन एकाउंटों में पैसा ! इसलिए UPA सरकार वाली भूल से बचती हुई सरकार ने सिक्योरिटी प्रदान करके बाबा जी का मुह बंद कर दिया है अब काला आवे बाबा जी की बला से !
लोगों के तर्क ये भी है कि मारने को तो किसी को भी कोई भी मार सकता है जो जितना बड़ा व्यक्ति होता है उसका उतना बड़ा दुश्मन होता है बाबा जी बड़े व्यापारी हैं तो उनके दुश्मन भी ही होंगें स्वाभाविक है गरीबों की दुश्मनी छोटे लोगों से होती है किन्तु दुश्मन कभी छोटा बड़ा नहीं होता और किसी के साथ कभी भी किसी के भी द्वारा कोई अप्रिय वारदात की जा सकती है !महत्त्व गरीब का भी उतना ही होना चाहिए उसकी जान की कीमत सरकार दृष्टि में कम क्यों है ?वैसे भी बाबा जी को किसी को मारना होता तो चुनावों के पहले मारता क्योंकि तब सरकार के ऊपर संकट था किन्तु अब क्या है अब तो सब संकट टल गया बाबा जी के मन मुताबिक अब तो राम राज्य आ ही गया है अब संकट और सिक्योरिटी किस बात की ?अब तो सब लोगों को सुरक्षित किया जाना चाहिए फिर केवल बाबा जी की सुरक्षा ही क्यों इतनी जरूरी है ?
जहाँ तक काले धन का मुद्दा उठाने की बात है वो अक्सर विभिन्न लोगों के द्वारा अलग अलग समयों में उठाया जा रहा था ,इतना अवश्य है कि व्यापारी होने के नाते बाबा अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए औरों के उत्पादों की निंदा करते रहे इस निंदा से जनता का क्या लाभ हुआ इससे तो उन्हीं का अपना व्यापार बढ़ता रहा इससे यदि दुश्मनी बढ़ी हो तो उनकी सुरक्षा का बोझ देश क्यों उठावे !
आम लोगों की आज ये स्थिति है कि उन्हें सुबह अपने घरवालों से राम राम करके निकालना पड़ता है बड़ी बेसब्री से उनका इंतजार करते हैं उनके परिजन ,किन्तु उनकी सिक्योरिटी के लिए किसको चिंता है और जो घर गृहस्थी जैसे माया मोह से दूर रहने की बातें करते हैं वो मरने को इतना डरते हैं सारा ताम झाम अपने ही चारों तरफ लगाकर रखना चाहते हैं जबकि आम आदमी बिना सिक्यॉरिटी के भी जी ही रहा है इसी दुनियाँ में हर किसी को भगवान के भरोसे ही जीना पड़ता है किन्तु जिसे भगवान का भरोसा ही न हो उसे चाहिए सिक्योरिटी फिर बाबा जी को भगवान का भरोसा न हो ऐसा हो कैसे सकता है !
खैर कोई बात नहीं है मिलजुलकर सरकार की सुविधाएँ भोगने में बुराई भी क्या है ?और खतरा तो सब पर है और हर समय है किन्तु सरकार और सरकार के चहेते लोगों की सुरक्षा सबसे अधिक जरूरी है बेचारों ने उस समय की सरकार को बहुत ऊटपटाँग शब्द बोले हैं बदले में कुछ तो मिलना ही चाहिए उस दृष्टि से सिक्योरिटी जैसी सुविधा कौन बड़ी बात नहीं है !रही बात जनता की तो वो पहले भी भगवान भरोसे थी आज भी है और आगे भी उसका बेडा भगवान भरोसे ही पार होना है !
आम लोग कहीं न जाएँ तो अपने बच्चों का पेट आखिर कैसे पालें !
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