Sunday, 25 January 2015

बाबा जी आखिर क्यों नहीं ले रहे हैं पुरस्कार !बेकार में सरकार को परेशान करते चले जा रहे हैं !

  सुरक्षा से लेकर सम्मान तक सबकुछ बाबाजी के लिए न्योछावर है !और हो भी क्यों न !सरकार तो उन्होंने ही बनवाई है !

    ऐसे तो सरकार को भी लगेगा कि बाबाजी कहीं गुस्सा तो नहीं हैं जो एक और मुसीबत तैयार हो ! जबकि दूसरी ओर बाबाजी को भी लगेगा कि सरकार बदलने से हमें क्या लाभ हुआ !चुनावों में विजय तो बाबा जी ने ही दिलाई थी अन्यथा क्या कर लेते देश भर के इतने सारे वोटर अकेले !कैसे जिता देते भाजपा को और अकेले कैसे बनवा देते सरकार इसलिए इतना तो बाबा जी का हक़ भी बनता है !और हक़ लेने में संकोच क्यों कोई फ्री में तो दे नहीं रहा है परिश्रम किया गया है और किसी का पारिश्रम कभी रखना नहीं चाहिए !   

     वैसे भी बाबा जी को खुश करने का सरकार कोई मौका खोना नहीं चाहती है एकदम भूत सा सवार है सरकार पर ! ये नहीं समझ में आता है कि सरकार बाबा जी से खुश है या भयभीत ! कि कहीं ऐसा न हो UPA सरकार की  तरह ही बाबा जी वर्तमान सरकार के भी पीछे न पड़ जाएँ !खैर जो भी हो और जिस भी भावना से हो सुरक्षा हो या सम्मान ,श्रद्धा पूर्वक सरकार जो भी दे स्वीकार करके सरकार को आशीर्वाद पूर्वक अभय प्रदान करना चाहिए ताकि काले पीले हरे गुलाबी आदि धन को लाने की चिंता से मुक्त होकर सरकार प्रांतीय चुनावों में अपनी पार्टी को विजय दिलाने के लिए सम्पूर्ण मनोयोग से काम कर सके !इसके अलावा अगली पंचवर्षी चुनावी योजना में भाग लेने के लिए सरकार को कुछ काम भी तो करना होगा ऐसे तो चिंता लगी रहती है कि क्या पता कब बाबाजी सरकार से पूछ बैंठें कि कहो भाई कालेधन का क्या हुआ !आखिर कब तक टाला जाएगा इस मुद्दे को भी !

      चुनावों के बाद अभी तक तो शिष्टाचार  में ही काफी समय निकल गया किसी देश में मिलने जा रहे थे एवं किसी देश को अपने यहाँ बुलाना था स्वागत सत्कार में समय और साधन तो लगने ही थे कोई उत्सव होता है तो उसे मनाने के लिए समय तो चाहिए ही !जब श्री राम जी का जन्म हुआ था तब भी तो सालों साल तक उत्सव ही मनाया जाता रहा था !

     वैसे भी सरकार अगर बाबाजी का कोई एहसान चुकाना चाहती है तो इसमें बुरा भी क्या है!अब बाबा जी को खुश रखने के लिए आखिर क्या करे सरकार !बाबा जी  का एहसान आखिर कैसे चुकावे!

      बाबा लोगों  को अचानक याद आया कि वो केवल दवा व्यापारी ही नहीं अपितु साधू भी हैं इसलिए उन्हें पुरस्कार नहीं लेना चाहिए और नहीं लेंगें !किन्तु पुरस्कार का सधुअई से क्या संबंध वो गृहस्थ या विरक्त के लिए तो है नहीं वो तो देश और समाज सेवा में अच्छे योगदान के लिए मिलता है!

     पद्म पुरस्कार भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक हैं। ये पुरस्कार, विभिन्न क्षेत्रों जैसे कला, समाज सेवा, लोक-कार्य, विज्ञान और इंजीनियरी, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल-कूद, सिविल सेवा इत्यादि के संबंध में प्रदान किए जाते हैं।

     दवा व्यापार एवं राजनीति आदि में सम्पूर्ण रूप से संलग्न बाबा जी की सधुअई यदि उन सब कामों में नहीं बिगड़ी तो केवल पुरस्कार लेने में ही क्या दिक्कत थी !

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