Monday, 26 January 2015

चुनाव प्रचार !

चुनावों में जिसका जितना प्रचार उसका उतना भ्रष्टाचार !
  आखिर अपने खून पसीने की कमाई तो कोई खर्च नहीं करेगा वो भी तब जबकि अधिकांश नेता राजनीति में आने से पहले गरीब थे आखिर कहाँ से आया उनके पास ये अनाप शनाप धन !जो अभी तक इतना धन जुटा  चुके वे चुनावों में जीत जाएंगे तो क्या कोई उठा धरेंगे !ऐसे नेताओं से सावधान रहने की जरूरत है !

      नेताओं का चुनाव प्रचार !
जिन नेताओं की छठी पशनी आदि सब कुछ सभी लोगों को पता होता है वे चुनाव प्रचार करने के लिए बेकार में पैसा क्यों बहाते हैं !
चुनाव प्रचार पर पानी की तरह पैसा क्यों बहाया जाता है !
  नेताओं के रग रग से परिचित जनता नेताओं के बारे में सब कुछ जानती है उसे ये भी पता होता है कि अमुक नेता जी जब राजनीति में आए थे तब किराये के पैसे नहीं होते थे जेब में ,आज ट्रेन खरीदने की ताकत रखते हैं हमलोगों के विकास के नाम पर मिले पैसे से अपना विकास कर लिया है इन्होंने इसी लिए तो तब गाल पिचके थे आज फूले हैं तब साइकिल थी आज कार है तब चेहरा मुरझाया था अब चमक रहा है तब खाँसी आती थी आज ख़ुशी आ रही है! 

       चुनाव प्रचार का मतलब क्या केवल झूठ बोलना नहीं होता है !
 जिनका अपना कभी कोई काम ही न चला हो वो औरों के काम कराने का आश्वासन देते घूमें ऐसा मजाक चुनाव प्रचार में ही हो सकता है !
               ऐसी बातों पर जनता कितना  विश्वास करे !
        जिनकी अपनी माँ , बहन, बेटी ,पत्नी आदि अनाथों की तरह दर दर भटकती फिरें वो औरों से बेटी बचाने  की अपील करें तो समझो कि वोट के लिए चुनाव प्रचार हो रहा है !
   ये होता है रहे होते हैं !तब आखिर ऐसा क्या छिपा होता है जो बताने के लिए पैसा फूँका जाता है

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