Tuesday, 3 March 2015

भारतीय प्रधानमंत्री जी की सादगी या मजबूरी ?

 भारतीय गणतंत्र दिवस पर ओबामा आए करोड़ों रुपये खर्च करके किंतु वहाँ चर्चा तक नहीं सुनाई पड़ी !दूसरी ओर अपने प्रधानमंत्री मोदी जी एक ठीक सा कोट पहनकर बैठ गए तो ……!

    दूसरी ओर यहाँ अपने प्रधानमंत्री मोदी जी एक ठीक सा कोट पहनकर बैठ गए तो न केवल चर्चा चालू हो गई अपितु विवाद इतना बढ़ा कि अंततः वो कोट नीलाम किया गया कारण जो भी रहे हों किन्तु यदि प्रधानमंत्री जी ने सादगी में स्वेच्छया ऐसा किया है जैसा कि सुना भी गया तब तो उनको इस सादगी के लिए साधुवाद ! किंतु यदि विरोधी लोगों के तानों से आहत होकर उन्हें ऐसा करना पड़ा है तो इसे उचित नहीं कहा जा सकता !प्रधान मंत्री पद पर बैठे किसी भी व्यक्ति को भावनात्मक रूप से यदि इतना अधिक दबा कर रखने का प्रयास किया जाता है तो न ये राजनीति है और न ही लोकतंत्र !प्रधानमंत्री कोई बँधुआ मजदूर नहीं होता कि उसके खाने पहनने पर भी इस तरह से प्रश्न उठाए जाएँगे !लोकतंत्र का मतलब ये तो कतई नहीं है कि देश के शीर्ष पदों पर बैठे लोगों के अपने कोई अधिकार ही नहीं होते होंगे ! बंधुओ !ये मीडिया का युग है इसमें कोई बात छिपती नहीं है इसलिए ऐसे दब्बूपन से न केवल हमारे देश के प्रशासक की छवि कमजोर होती है अपितु हमारी संकीर्णता विश्व फलक पर पढ़ी सुनी जाती है जो भारत जैसे उदार एवं संस्कारित देश वासियों के अनुरूप नहीं है !                                                        

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