ब्रह्मगुरु ब्रह्मांडगुरु आदि अपने को अपने मुख से कहते घूम रहे हैं लोग !
ग्रहगुरु,ज्योतिषगुरु उपायगुरु साढ़ेसातीगुरू राशिफलगुरु ,नगगुरु, नगीनेगुरु आदि कितने प्रकार के प्रोडक्ट बिक रहे हैं आज मार्केट में !सचपूछो तो आज की तारीख़ में जिनका कोई खरीददार ही नहीं है ऐसे लोग टीवी चैनलों के माध्यम से घुस आते हैं घरों में और दिन भर जो मुख में आता है सो सब कुछ बकते हैं ज्योतिष एवं उपायों के नाम पर !ऐसे गुरुओं की बड़ी बरायटियाँ आज मार्केट में छाई हुई हैं यही तो कलियुग का प्रभाव कहा जाएगा कि झूठबल से फल फूल रहे हैं लोग !
दो. ब्रह्मज्ञान बिनु नारि नर करहिं न दूसरि बात ।
कौड़ी लागि लोभ बस करहिं बिप्र गुर बात ॥
अर्थात धर्म के नाम पर कलियुगी लोग ब्रह्मज्ञान के बिना दूसरी बात ही नहीं करते हैं और एक एक पैसे के लिए किसी की हत्या , बलात्कार जैसा पाप कर देने में भी नहीं हिचकते हैं !
अब गुरु बनने और बनाने का तो 'रा' मैटेरियल तक मार्किट में मिलने लगा है आप एक दिन दो दिन दस दिन महीना या जीवन भर के लिए गुरु बन सकते हैं गुरु बनाने वाले इंजीनियर उपलब्ध हैं गुरु बनने के लिए आपको कैसे बैठना उठना बोलना चालना आदि है वो सब कुछ गाइड कर देते हैं यदि आपको तत्काल गुरु बनना है और आप कुछ भी नहीं बोल पाते हैं तो आप विज्ञापन के लिए किसी टीवी चैनल का समय पैसे देकर खरीद लें वो आपको मिनटों में न केवल गुरु बना देंगे अपितु सिद्ध भी कर देंगे कि आप वास्तव में गुरु हैं समाज को मानना पड़ेगा जब आप को लीप पोत कर लालपीला हरा गुलाबी आदि रँग कर बहुत बनाकर बैठालेंगे अपने सामने और वो झुट्ठे झुट्ठी झूठ मूठ का आपको न केवल महाराज जी! महाराज जी! कहेंगे अपितु आपका लाइव कार्यक्रम आपसे ही पूछेंगे अच्छा महाराज जी !ये बताओ आज के तीस वर्ष पहले जब आप हिमालय में तपस्या कर रहे थे तब मैंने सुना है कि आपने कई साल तक श्वास ही नहीं ली थी तब वहाँ हा हा कार मच गया था आपकी की बर्फ पिघलकर अचानक सैलाव आ गया फिर आपने श्वाँस लेनी शुरू की आदि आदिऐसे प्रकरणों में आपका मन आवे आप कुछ बोल दो न मन आवे तो आप केवल शिर ही हिलाते रहो बाक़ी सारा काम वे लोग स्वयं ही कर लेते हैं और इसीप्रकार से कुछ दिन टीवी वालों से यदि आप गाइडेंस लेते रहे तो ये व्यायाम करने वालों को योग गुरु सिद्ध कर देते हैं व्यायाम और योग में अब केवल इतना अंतर रह गया है कि व्यायाम आपको केवल करना होता है जबकि यदि आपको व्यायाम करते हुए रोगों की लिस्ट पढनी भी आ गई और उन्हें ठीक करने का दावा भी ठोक सके तो आप हो गए पक्के योगगुरु कुल मिलाकर इसके बाद आप कितना भी कहो कि हम गुरु नहीं हैं किन्तु समाज आपको पूज पूज कर पैसे दे दे कर पक्का गुरू बना देगा !
कुछ चेला लोग अपने अपने बाबाओं को शौक शौक में आज ब्रह्मज्ञानी कहने लगे हैं आखिर क्यों ?क्या ये झूठ मूठ का ब्रह्मज्ञानी बनने के पाप का प्रायश्चित्त तो करना ही पड़ता है !
कुछ आडंबरी बाबाओं ने अपने को ब्रह्मज्ञानी कह कहकर न केवल ब्रह्मज्ञानियों की भद्द पिटवाई है अपितु समस्त चरित्रवान विरक्त संतों को भी समाज की निगाहों में कटघरे में खड़ा कर दिया है ये ढंग ठीक नहीं हैं जिसके पास तपो शक्ति न हो तो उसका आडम्बर भी नहीं करना चाहिए अन्यथा इसका असर समूचे धार्मिक जगत पर पड़ता है और सबको अपमानित होना पड़ता है अपने धर्म कर्म पर भी अंगुलियाँ उठाने लगती हैं जो सबसे बड़ा नुक्सान है ।
जो बाबा अपने को कहते तो ब्रह्मज्ञानी हैं किंतु होता कोरा पाखंड है
इसीलिए वो औरों की साजिशों के या अपने अमर्यादित कृत्यों के शिकार बड़ी
आसानी से हो जाते हैं क्योंकि उनके पास न तो शास्त्र दृष्टि होती है और न
ही तपोशक्ति !इसीलिए उनके द्वारा झूठ मूठ का बनाया गया बालू का किला जरा से
धक्का लगते ही भरभरा कर बैठ जाता है ! अन्यथा ब्रह्मज्ञानी तो स्वयं में
सम्राट होता है बड़े बड़े राजा महाराजा उसकी कृपा पर सुरक्षित होते हैं मजाल
क्या कि उसकी इच्छा के बिना एक पत्ता भी हिल जाए ' ब्रह्मविद् ब्रह्मैव
भवति ' अर्थात ब्रह्मज्ञानी ब्रह्म ही होता है !
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