Saturday, 11 April 2015

योग व्यायाम और परिश्रम पूर्ण कृषि कार्यों में किसान सार्थक योगी है उसके परिश्रम से लोगों के पेट भी भरते हैं !

     आधुनिकयोग हो या व्यायाम ये पेटसाफ करते हैं किंतु पेट में जब कुछ पड़ेगा तभी तो साफ करेंगे!फिर पेट भरने वाले कर्मयोगी किसानों की उपेक्षा क्यों ?
  योग(आधुनिक), व्यायाम और कर्मयोग में क्या अंतर है ? 
  योग(आधुनिक) :- इसमें नौकरों के आधीन जिंदगी जीने वाले निराश लोगों को स्वास्थ्य सपने दिखाने होते हैं और हाथ पैर हिलाने होते हैं इससे स्वस्थ होने की हिम्मत आती है और पेट साफ होता है । 
व्यायाम:-इसमें किसी प्रकार से सपनों का व्यापार नहीं करना होता है इसमें शारीरिकश्रम न करने वालों को हाथपैर उठाना रखना पड़ता है इससे पेट साफ होता है ! 
कर्मयोग :-इसमें ऐसा सार्थक  परिश्रम करना होता है जो अपने और दूसरों के भी काम आता है इसमें बेकार में हाथ पैर नहीं हिलाने होते हैं इसमें सभी प्रकार से मेहनत मजदूरी करने वाले लोग हैं जिनके परिश्रम से कुछ बनता या बढ़ता भी है जैसे :-किसान भयंकर परिश्रम यदि परिश्रम पूर्ण कृषि आदि सार्थक कार्यों से 
योग(आधुनिक):- यदि आपको बड़े बड़े रोगों की लंबी लंबी लिस्टें याद हैं और आप बेझिझक होकर उन सबको ठीक करने की गारंटी लेते हुए आप जो भी व्यायाम करते हैं वो सब 'आधुनिकयोग' है ये सब करके आप सरकार के चहेते बन सकते हैं और इससे आपको सुरक्षा से लेकर सभी प्रकार की अन्य सुविधाएँ भी सरकार देने लगती है !और धन सेठ साहूकार लोग देने लगते हैं ! सकते हैं ठीक हों न हों ये और बात है इसके बाद
व्यायाम -यदि आपको इतना सारा आडंबर करना नहीं आता है झूठ बोलने में भी डर  लगता है और आप खाली बैठे बैठे केवल व्यायाम करते रहते हैं तथा किसी प्रकार की कोई गारंटी लेना आपके बश की बात नहीं है तो आप केवल एक्सरसाईज एक्सपर्ट माने जाएँगे और सरकार आपको बेरोजगारी भत्ता आदि कुछ थोड़ा बहुत कृपा पूर्वक दे देगी और सेठ साहूकार लोग आपको कोई छोटी मोटी नौकरी दे देंगे !

 
परिश्रम पूर्ण सार्थक कार्य -यदि आप मेहनत मजदूरी खेती किसानी आदि के भयंकर परिश्रम पूर्ण कार्य करके देश वासियों की भूख मिटाते हैं इसप्रकार से अपने एवं अपनों की इच्छाओं का दमन करते हुए राष्ट्र रचना में महान भूमिका अदा करते हैं ऐसे लोग यदि प्राकृतिक आपदाओं से आहत होकर आत्म हत्या करने लगते हैं तो मक्कार सरकारें चंद रुपयों के चेक लेकर पहुँचती हैं और मीडिया क्रिकेट की खबरों में और राहुल जी की खोज में या मोदी जी के 29 रूपए के लंच में उलझा रहा सेठ साहूकार लोग अपने अपने मनोरंजन में लगे रहे ! 
     तपस्वी प्रणम्य देश के कर्मयोगी किसान आत्म हत्या तो करने लगे किंतु उस समय भी उन्हें इन मक्कार नेताओं की याद नहीं आई जो देश की आजादी को अकेले भोग रहे हैं और देश के लोकतंत्र का वास्तविक प्रहरी किसान जो सारी मुसीबतें सहकर भी आजादी पर गर्व करता है मर जाता है किन्तु इनके सामने मुख नहीं खोलता है कि इनके आस्वसनों   नें मौत का वर्ण   आधुनिक योग(व्यायाम)  हो  या शरीर से परिश्रम पूर्वक किया जाने वाला खेती आदि कार्यों के लिए किया जाने वाला परिश्रम 
 
 

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