दलितों की दलाली में नेता अरबपति हो गए !कोई पूछे कि इनके आयस्रोत क्या हैं ये धंधा करते कब हैं ?
आरक्षण माँगने वालों का स्वास्थ्य परीक्षण हो कि इनमें ऐसी कमी क्या है कि ये सवर्णों की तरह कमा खा क्यों नहीं सकते ?
सवर्णों के स्वाभिमान को विश्व जनता है कि इन्होंने कभी आरक्षण नहीं माँगा है अन्यथा भिखारी समझ कर सवर्णों से भी लोग घृणा कर रहे होते देश विदेश के लोग !
आरक्षण माँगने वालों से पूछा जाए कि उनके शरीरों में ऐसी कमी क्या है कि वे अपने बल पर आगे
नहीं बढ़ सकते उन्हें आगे बढ़ने के लिए आरक्षण की बैशाखी चाहिए और सवर्ण लोगों
में ऐसी बहादुरी क्या है कि इस देश में सवर्णों के लिए कुछ नहीं चाहिए !
हे दलित बंधुओ!सम्मान यदि तुम्हें भी सवर्णों की तरह चाहिए तो सवानों की तरह ही आप भी आरक्षण को ठुकरा दीजिए और म्हणत करके कमाइए खाइए अपनी भुजाओं का भरोसा कीजिए देखो अभी सम्मान बनता है कि नहीं किंतु आरक्षण सरकारी कृपा है और किसी की कृपा के सहारे जीने वाले का स्वाभिमान कैसा ?
आज सवर्णों के लिए कोई योजना नहीं है
कोई सुविधा नहीं है कोई आरक्षण नहीं है फिर भी कभी किसी से आरक्षण की भीख
नहीं माँगते अपने परिश्रम से कमाते खाते हैं यही कारण है कि किसी नेता से
या किसी पार्टी से कभी दब के बात नहीं करते इसी कारण उनका सम्मान बना है अन्यथा सेवकों को सुख और भिखारियों को सम्मान और नशेड़ी को धन ,और ब्यभिचारियों को सद्गति कभी नहीं मिला करती है !
बंधुओ ! सवर्णों के विरुद्ध आरक्षण एक षड्यंत्र के तहत लाया गया था ताकि सवर्णों को पीछे धकेला जाए इनका सम्मान घटाया जाए उन्हें गरीब बनाया जाए ताकि सवर्ण लोग भी नेताओं के सामने भिखारियों की तरह गिड़गिडाएँ किंतु स्वाभिमानी सवर्णों ने संघर्ष पूर्वक अपना विकास करके दिखा दिया है या संघर्ष कर रहे हैं किंतु लालच देने वाले नेताओं के सामने घुटने नहीं टेके हैं !
यदि हमारे सभी देशवासी आरक्षण को ठोकर मारकर लालच देने वाले नेताओं को दुदकार कर दरवाजे से भगाना शुरू कर दें तो देखो अभी भ्रष्टाचार समाप्त होता है कि नहीं !देखो देश की तरक्की होती है कि नहीं !
ऐसे नेता लोग दलितों की दीन दशा दिखाकर माँगते हैं और खुद खा जाते हैं इससे देश का धन न दलितों के काम आ रहा है और न देश के बिना किसी घोषित आय स्रोत के भी दलित धन से नेता अरबपति होते जा रहे हैं राजनीति में आते समय इनके पास कुछ था नहीं और राजनीति में आने के बाद कुछ धंधा व्यापार कर नहीं सके फिर भी अरबपति आखिर ये दलितों का धन नहीं तो है किसका !सवर्णों के नाम पर तो कभी कोई अनुदान पास नहीं न हुआ जो वो खा जाएँगे ! ये दलितों का ही हिस्सा मार जाते हैं और सवारों की बुराई करके दलितों को फुसला कर उनका वोट भी ले लेते हैं किंतु उन्हें कभी कुछ देते नहीं हैं पिछले साठ सालों से यही खेल खेले जा रहे हैं !
दलितों को नेताओं से पूछना चाहिए कि हमारे हिस्से का धन तुम्हारे पास पहुँचा कैसे !और आज किस मुख से मांगने आए हो वोट ?
"आरक्षण पर अड़े गुर्जरों की जिद से रेलवे रोज झेल रहा 15 करोड़ का नुकसान - एक खबर"
ये आरक्षण की आग लगाई तो नेताओं ने ही है !अब गुर्जरों को क्यों न मिले आरक्षण उन्हें भी दिया जाए और भी जो बचे खुचे अपने को कमजोर मानने वाले लोग हों उन्हें भी दिया जाए !
जहाँ
तक बात सवर्णों की है भारतीय राजनेता सवर्णों के विरुद्ध आरक्षणी साजिश
रचने का कितना भी कुचक्र रचते रहें किंतु विश्व जनता है कि सवर्णों ने अपने देश में रहकर सरकारों के द्वारा रचे जा रहे सभी प्रकार के जातीय अत्याचार सहकर भी कठिन परिश्रम करके अपना विकास किया है ।
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